नाटक लेखन पुरस्कार आयोजन 2020 - प्रविष्टि क्र. 11 - प्रीति - सीताराम पटेल 'सीतेश'

SHARE:

अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक / टैप करें - रचनाकार.ऑर्ग नाटक / एकांकी / रेडियो नाटक लेखन पुरस्कार आयोजन 2020 प्रविष्टि क्र. 11 ...

अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक / टैप करें -

रचनाकार.ऑर्ग नाटक / एकांकी / रेडियो नाटक लेखन पुरस्कार आयोजन 2020


प्रविष्टि क्र. 11 - प्रीति


सीताराम पटेल 'सीतेश'


पात्र परिचय

प्रीति : अठारह साल की लड़की

प्रमोद : इक्कीस साल का लड़का

आनंद : प्रमोद का भाई, उम्र पच्चीस साल

कामना : आनंद की पत्नी, उम्र बाईस साल

अनुमप : प्रमोद का रूम पार्टनर

अमृत : प्रमोद का रूम पार्टनर

आकाश : प्रमोद का रूम पार्टनर

सारंग : पानवाला

पुलिस : चौकी का पुलिस


दृश्य : 01


स्थान : जंगल का रास्ता,  समय : गोधूलि बेला

( आनंद, कामना, प्रीति और प्रमोद बैलगाड़ी से मेला देखने जा रहे हैं। आनंद गाड़ी हाँक रहा है।)

आनंद : (आनंद अपने धुन में गा रहा है।) कौन दिशा में लेके चला रे बटोहिया।

प्रीति : जीजी, जीजाजी इतनी अच्छी गा रहे हैं, पूरी तरह से गीत में मगन हैं।

कामना : गाड़ी भी इतनी ही अच्छे हाँकते हैं, मत पूछो, इनके बैठने से ही बैलगाड़ी हवा से बातें करने लगते हैं।

प्रीति : गीत के बोल भी बहुत ही प्यारा है।

कामना : ये नदिया के पार का है, अभी मेला में चल रही है। इसे ही दिखाने के लिए तुम्हारे जीजाजी जिद करने लगे। बहुत ही सुन्दर सिनेमा है।

प्रीति : तुम्हें कैसे मालूम जीजी?

कामना : तुम्हारे जीजाजी कह रहे थे, इतनी सुंदर और साफ सिनेमा आज तक नहीं बनी है।

प्रीति : इतनी क्या खास है इसमें?

कामना : देखोगी तो जान जाओगी।

(गाड़ी हिचकोले खाता है, कामना के दाहिने पैर के पायल गिर जाती है।)

कामना : गाड़ी रोकिए।

आनंद : भाग्यवान! गाड़ी को क्यों रोकूँ?

कामना : मेरे पायल गिर गए।

आनंद : अपनी बहन से बात करने में इतनी मगन हो, पायल गिर गया, फिर भी पता नहीं चला।

कामना : आप गाड़ी ठीक से नहीं चला रहे हैं। हिचकोले खाने से पायल गिरा है।

आनंद : छोटू, अपनी भाभी का पायल ढूंढ़कर लाओ।

प्रमोद : ( नहीं सुनता है।)

आनंद : क्या कह रहा हूँ?  तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा है।

प्रमोद : क्या है भैया?

आनंद : देखो तो, तुम्हारी भाभी का पायल कहीं पर गिर गया है।

प्रमोद : देखता हूँ भैया।

आनंद : जाओ, अच्छे से देखना।

प्रीति : चलो, जीजी हम लोग भी ढूंढ़ते हैं।

कामना : हाँ, ठीक कह रही हो।

( गाड़ी से तीनों उतरकर पायल ढूढ़ने जाते हैं।)

प्रमोद : भाभी, कहाँ पर गिरा होगा?  कुछ पता है।

कामना : पता तो नहीं है, पर कुछ  दूरी पर गाड़ी हिचकोले खाया था। शायद वही पर गिरा हो?

प्रीति : जीजी, वो रहा पायल।

प्रमोद : भाभी, वो रहा पायल।

( प्रीति और प्रमोद एक साथ देखते हैं, खुशी से दोनों रखने को दौड़ते हैं। वहाँ एक साथ पहुंचते हैं। प्रीति पहले पकड़ती है, प्रमोद उसके हाथ को पकड़ता है। दोनों के आँखें चार होता है। प्रमोद झेंपकर हाथ छोड़ना चाहता है। )

प्रीति : हाथ पकड़कर छोड़ दोगे?

प्रमोद : हम चन्द्रवंशी है, जिसकी हाथ एक बार पकड़ लिए, उसे कभी नहीं छोड़ते हैं।

कामना : छोटी, पायल अब लाओ।

(प्रीति लाकर देती है।)

प्रीति : ये लो जीजी।

( तीनों गाड़ी में आकर बैठते हैं।)

प्रीति : ( प्रमोद से) इतनी दूरी पर क्यों बैठे हो, पास आओ न?

प्रमोद : पास ही तो बैठा हूँ और कितनी पास बैठूँगा?

प्रीति : ( प्रमोद के हाथ को खींचकर)  इतनी  पास बैठो, मेरे पीठ के ऊपर सो जाओ।

( प्रमोद प्रीति के पीठ के ऊपर सो जाता है।)

( परदा गिरता है।)


दृश्य : 02


स्थान : आनंद का घर, समय : दोपहर

कामना  : कल मेला में रात भर जगी हो, कुछ देर के लिए सो जाओ।

प्रीति : हाँ, जीजी।

( प्रीति बाहर जाना चाहती है।)

कामना : उधर कहाँ जा रही  हो?

प्रीति : प्रमोद के पास सोने जा रही हूँ।

कामना : जब तक पूरे न हो फेरे सात।

( प्रीति शरमा जाती है।)

प्रीति : हट जीजी।

कामना : कैसे शरमा रही है। जा सो जा, अपने साजन के साथ।

(प्रमोद खाट में सो रहा है। प्रीति प्रमोद के पास आती है और सो जाती है। )

प्रीति : प्रमोद !

प्रमोद : आं!

प्रीति : तुम सो रहे हो?

प्रमोद : सो कहाँ रहा हूँ।

प्रीति : तो मुझसे बात करो न।

प्रमोद : कर तो रहा हूँ।

प्रीति : हमारे घरवाले कह रहे थे।

प्रमोद : क्या कह रहे थे?

प्रीति : कहने में शरम आ रही है।

प्रमोद : तो फिर क्यों कह रही हो?

प्रीति : कह रहे थे?

प्रमोद : कहो ना बाबा, क्या कह रहे थे, पहेली न बुझाओ?

प्रीति : मेरी हाथ तुम्हारी हाथ में देने को कह रहे थे।

प्रमोद : तो तुम क्या सोच रही हो?

प्रीति : क्या सोच रही हूँ, ये भी बताना पड़ेगा।

प्रमोद : नहीं बताओगी, तो कैसे समझ पाऊँगा?

प्रीति : बुद्धू कहीं के, इतना भी तुम्हें पता नहीं?

प्रमोद : क्या?

प्रीति : कोई हसीना पहले कदम बढ़ाती नहीं।

प्रमोद : तो तुम दिल से मजबूर हो,  मैं समझता था, तुम समय गुजार रही हो।

प्रीति : तुम मुझसे कभी अलग नहीं होना, मेरे साजन।

( प्रीति प्रमोद को बाँहों में भर लेती है।)

प्रमोद : प्रीति, परमेश्वर ने हम दोनों को एक दूसरे के लिए ही बनाया है। हम दोनों अलग-अलग होने के लिए नहीं बने हैं।

( दोनों परस्पर बाँहों में समा जाते हैं।)

(परदा गिरता है।)


दृश्य : 03


स्थान : आनंद का घर  समय : दोपहर

आनंद : प्रमोद इस समय उदास कैसे हो?

प्रमोद : उदास कहाँ हूँ, भैया!

आनंद : मुझे लगता है, तुम हमेशा गुमसुम रहते हो, पढ़ाई लिखाई में ध्यान नहीं दे रहे हो।

प्रमोद : दे तो रहा हूँ, भैया!  पढ़ाई  नहीं करूँगा, तो नौकरी कहाँ पाऊँगा?

आनंद : नौकरी नहीं मिलेगी, तो छोकरी नहीं मिलेगी।

(कामना आती है।)

कामना : छोकरी के लिए तुम्हें तुम्हारे भैया जैसे नौकरी की जरूरत है।

( परदा गिरता है।)

दृश्य : 04

स्थान : पान मंदिर  समय : दोपहर

( आज प्रमोद का रिजल्ट आनेवाले हैं।)

आनंद : सारंग भैया, रिजल्ट देखना तो?

सारंग : हां, भैया आनंद देख रहा हूँ।

( सारंग तृतीय श्रेणी की ओर देख रहा है।)

आनंद : भैया, प्रथम श्रेणी देखना। हमारा छोटू प्रथम श्रेणी आयेगा।

सारंग : इसमें ये रोल नंबर नहीं है।

आनंद : भैया द्वितीय श्रेणी देखना।

सारंग : इसमें भी नहीं है।

आनंद : तृतीय श्रेणी देखना।

सारंग : इसमें भी नहीं है।

आनंद : पूरक को देखना।

सारंग : इसमें भी नहीं है।

आनंद : इसका मतलब है मेरा छोटू फेल हो गया।

सारंग : हाँ, भैया! छोटू फेल हो गया।

(आनंद रोता है।)

सारंग : चुप रहो, भैया।

आनंद : मैं कैसे चुप रह सकता हूँ,  वह हमारे घर का उद्धारक था। तो क्या शहर ने एक ग्रामीण प्रतिभा को निगल लिया।

सारंग : तुम क्या कह रहे हो, मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है।

आनंद : हमारा छोटू प्रतिभावान छात्र था।


अंक : 02

दृश्य : 01


स्थान : शहर का मकान  समय : गोधूलि बेला

( आकाश, अनुपम, अमृत और प्रमोद आपस में बात कर रहे हैं।)

आकाश : अनुपम ! प्रमोद के घरवाले ठीक नहीं है।

अनुपम : कैसे ठीक नहीं है? आकाश!  वे लोग बहुत ही अच्छे हैं।

आकाश : क्या खाक अच्छे हैं, चावल भी सही ढंग से नहीं देते।

अनुपम : सही कैसे नहीं देते हैं। बीस किलो चावल हर माह तो दे रहे हैं।

आकाश : मैं उसकी बात नहीं कर रहा हूँ।

अनुपम : तो फिर किसकी बात कर रहे हो?

आकाश : मैं उसना चावल की बात कर रहा हूँ।

अनुपम : अरवा और उसना में क्या अंतर है।

आकाश : वड़ी भारी अंतर है।

अनुपम : मैं ही उन लोगों से कहा था।

आकाश : मैं भी उसना चावल लाऊँगा।

अनुपम : तुम्हें कौन मना कर रहा दोस्त।

प्रमोद : (मन ही मन सोच रहा है।)

लोग मेरे सामने मेरे घर की बुराई करते हैं और मैं कुछ कह नहीं पाता हूँ। आखिर कैसे होता है, मेरे पास!  ये सभी बातों को सुनकर दूसरे कान से निकाल देनी चाहिए । मेरी गरबीली गरीबी का सभी मजाक उड़ाते हैं। मैं क्या करूँ, समझ नहीं पा रहा हूँ। मुझे पढ़ाई में ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। मैं सिनेमा कभी नहीं देखूंगा।

(परदा गिरता है।)


दृश्य : 02


स्थान : किराए का मकान    समय : दोपहर

अनुपम :  मुकद्दर का सिकन्दर कौन कौन देखने चलोगे?

अमृत : मैं चलूँगा।

आकाश : मैं भी चलूँगा।

अनुपम : तुम नहीं चलोगे?  प्रमोद!

प्रमोद : नहीं चलूँगा। अनुपम!

(तीनों चले जाते हैं। प्रमोद अकेला रहकर पढ़ाई करता है। कुछ देर बाद तीनों आते हैं।)

प्रमोद : वापस कैसे आ गए?  अनुपम!

अनुपम : सिनेमा देखने के लिए हम दूसरे शहर जायेंगे।

प्रमोद : मैं समझा नहीं।

अाकाश : मैं समझाता हूँ, चौक के पास पुलिस वाले के मोजा पर हमारा साईकिल का पैडल लग गया।

अमृत : फिर हममें दो दो बात हो गई ।

अनुपम : हमारा मूड ऑफ हो गया, इसीलिए हम दूसरे शहर सिनेमा देखने जाना चाहते हैं।

आकाश : हमारा साईकिल थाना में है और तुम्हें वो साईकिल लाना है।

प्रमोद : मुझे कैसे साईकिल देगा?

अनुपम : हम लोग दोस्त का साईकिल है कहकर बोले। तो वो बोला, तुम्हारे दोस्त को कहना आकर ले जायेगा। तुम कुछ देर में जाना और ले आना।

प्रमोद : ठीक है, ले आऊँगा।

( परदा गिरता है।)


दृश्य : 03


स्थान : पुलिस चौकी   समय: गोधूलि बेला

प्रमोद : क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?

पुलिस : हाँ!  आ जाओ, क्यों आए हो?

प्रमोद : जी, मेरा साईकिल।

पुलिस : तुम्हारा यहाँ कोई जान पहचान है?

प्रमोद : हाँ है, मोहनदास वकील।

पुलिस  : वकील की बात करता है। कौन सा साईकिल है? जाओ चेचिस नंबर  देखकर बताओ?

(प्रमोद साईकिल के घंटी पर लिखा है, उसे बताता है।)

प्रमोद : 71

पुलिस : ( डाँटता है) बुरबक!  चेचिस नंबर सीट के नीचे डंडी में लिखा है।

(प्रमोद आकर चेचिस नंबर बताता है।)

पुलिस : यहाँ पर हस्ताक्षर करो और ले जाओ।

प्रमोद : जी सर!

(प्रमोद हस्ताक्षर कर ले जाता है।)

(परदा गिरता है।)


दृश्य : 04


स्थान : किराए का मकान.  समय : दोपहर


प्रमोद : ( अपने आप)  ये अल्फा, बीटा, गामा मेरे जीवन में क्या काम आयेंगे, मैं वैज्ञानिक बनना चाहता हूँ, पर घरवाले मेरे लिए प्रयोगशाला बना पायेंगे। मैं साहित्यकार बनूँगा, यही मेरे लिए ठीक होगा। मेरे आदर्श प्रेमचन्द हैं। मैं इंसान बनूँगा, इसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े। दर्द से ही कविता का जन्म होता है।

(अनुपम आता है।)

अनुपम : प्रमोद, अपने आप को गणितज्ञ कहते हो, तेरा गणित का क्या हाल है।

प्रमोद : मैं समझ नहीं पाया।

अनुपम : तू गणित, भौतिक और रसायन में फेल है, अंग्रेजी में पास भर है और हिन्दी में कक्षा में सबसे ज्यादा है।

प्रमोद : मैंने अपना लक्ष्य ही बदल दिया है, दोस्त। मैं अब साहित्यकार बनना चाहता हूँ। साहित्यकार बनने के लिए एक अच्छा इंसान बनना जरूरी है।

(परदा गिरता है।)


दृश्य : 05


स्थान : आनंद का घर.  समय :  गोधूलि बेला

आनंद : प्रीति, तेरे हाथ से फिसल गया, मेरे भाई!  मैं अपने श्वसुर से कुछ नहीं कह सकता हूँ।

प्रमोद : जानता हूँ भैया।

कामना : मैं भी अपने पिताजी से कुछ नहीं कह सकती हूँ।

प्रमोद : जानता हूँ भाभीजी। मैं परीक्षा में फेल हो गया हूँ, इसलिए आप लोग ऐसे बोल रहे हैं। क्या करूँ, मुझे हिन्दी के सिवा कुछ नहीं आता है। मैं हिन्दी जानता हूँ, हिन्दी पढ़ता हूँ, हिन्दी खाता हूँ, हिन्दी सोता हूँ, हिन्दी के सिवा कुछ नहीं जानता हूँ। मैं अंग्रेजी से नफरत करता हूँ, जिसने अभी तक हमारे देश को गुलाम बना कर रखा है। मैं देश के अस्सी प्रतिशत जनता के साथ हूँ, अस्सी प्रतिशत जनता के साथ मिलकर काम करना चाहता हूँ। मैं देश के आत्मा गाँव में रहना चाहता हूँ, किसान मजदूर के दर्द को आत्मसात कर जीना चाहता हूँ।

आनंद : मैं कुछ नहीं समझ पाया, छोटू!

प्रमोद : आप समझेंगे भी नहीं, आप नौकरी पाकर बड़े आदमी हो गये हैं। बड़े आदमी छोटे आदमी की जुबान नहीं समझता है। मैं छोटा था, छोटा हूँ और छोटा रहूँगा। एक चीज है भैया, गाँव हो या आदमी, जब छोटे होते हैं, तो परमेश्वर के पास होते हैं। जब जब ये बड़े होते जाते हैं, तो इनमें स्वार्थ समाता जाता है। मैं अपने गाँव से प्रेम करता हूँ, अपनी मातृभूमि से प्रेम करता हूँ, अपनी मातृभाषा से प्रेम करता हूँ, अपनी माता-पिता से प्रेम करता हूँ।

आनंद : तो क्या मैं प्रेम नहीं करता?

प्रमोद : आप भी करते हैं, भैया, इस गाँव ने मुझे पाला है। उसका कर्ज चुकाना चाहता हूँ।

आनंद : तो क्या नौकरी पाकर नहीं छूट सकते?

प्रमोद : नौकरी नौकर करते हैं, भैया, और नौकर गुलाम होते हैं। गुलाम कभी स्वतंत्र नहीं हो सकते हैं।

आनंद : तुम क्या कहते हो?  मेरे समझ के परे है।

प्रमोद : मैं इतना स्वार्थी नहीं हूँ, भैया!  कि अपने माँ बाप को भूल जाऊँ, मैं उन्हें जिन्दा भगवान मानता हूँ, उन्होंने मुझे इस संसार में लाने का नेक काम किया है।

आनंद : तुम, छोटे हो इसलिए चाहते हो।

प्रमोद : नहीं भैया!  ताली दोनों हाथों से बजता है। प्रेम दो, प्रेम लो, प्रेम देने का नाम है, मेरी प्रीति कहीं रहे, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।

आनंद : मान गए छोटू।

कामना : मान गए देवर जी।

प्रमोद :  क्या मान गए?

आनंद : यही की प्रीति तुम्हारी थी, तुम्हारी है, तुम्हारी रहेगी।

कामना : छोटी आना।

(प्रीति आती है, प्रमोद खुश हो जाता है। प्रीति प्रमोद के गले में वरमाला डालती है।)

(परदा गिरता है।)

--

सीताराम पटेल 'सीतेश'

sitarampatel.reda@gmail. com

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: नाटक लेखन पुरस्कार आयोजन 2020 - प्रविष्टि क्र. 11 - प्रीति - सीताराम पटेल 'सीतेश'
नाटक लेखन पुरस्कार आयोजन 2020 - प्रविष्टि क्र. 11 - प्रीति - सीताराम पटेल 'सीतेश'
https://3.bp.blogspot.com/-3rA8zhBejrg/Xd954AGVb3I/AAAAAAABQaU/GZsrV4AMXqsp6k_HfE3ZTBRlMjzL8L89gCK4BGAYYCw/s320/plboekldigliomec-714599.png
https://3.bp.blogspot.com/-3rA8zhBejrg/Xd954AGVb3I/AAAAAAABQaU/GZsrV4AMXqsp6k_HfE3ZTBRlMjzL8L89gCK4BGAYYCw/s72-c/plboekldigliomec-714599.png
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2020/02/2020-11.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2020/02/2020-11.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content