"प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना की चिकित्सा" -डॉ दीपक कोहली- महामारी कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया संकट म...
"प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना की चिकित्सा"
-डॉ दीपक कोहली-
महामारी कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया संकट में है। लोग इस पर विचार कर रहें हैं कि आखिर इस पर कैसे काबू पाया जाए और कैसे इस खतरनाक वायरस से छुटकारा पाया जाए। इसके लिए दुनियाभर के सभी वैज्ञानिक दिन रात एक करके इसकी दवा की तलाश में जुटे हैं। लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। यही वजह है कि अब तक इस वायरस से तकरीबन एक लाख लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं जिस तरह से कोरोना वायरस अपने पैर पसार रहा है। उसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूू एच ओ ) से लेकर दुनियाभर की सरकारें इससे कैसे निपटा जाए इसी में जुटी हुई हैं। इसी कड़ी में चीन में इस महामारी से निपटने के लिए एक नई तरीके की थैरेपी का इस्तेमाल किया गया था। जिसका नाम प्लाज्मा थेरेपी है।
प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल हमेशा से संक्रमित बीमारियों में होता आया है। वहीं अब इसका इसतेमाल कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए किया जा रहा है। इस थेरेपी की मदद से जो व्यक्ति कोरोना वायरस को मात देकर बच जा जाता है उस व्यक्ति के खून को संक्रमित व्यक्ति में डालकर उसे ठीक किया जाता है। इस थेरेपी में मरीज को ठीक होने में 3 से 7 दिन लग जाते हैं। जानकारी है कि पहली बार फर्स्ट वर्ल्ड वार 1918 में में फैले स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया था ।
जब व्यक्ति इस कोरोना वायरस को हरा कर बच जाता है या फिर इस वायरस से संक्रमति होने के बाद बच जाता है । तो उसके शरीर में एंटीबॉडीज बन जाती हैं । ऐंटीबॉडीज व्यक्ति के शरीर में उस समय विकसित होना शुरू होती हैं, जब वायरस उसके शरीर पर हमला करता है। एंटीबॉडीज वायरस पर अटैक करती हैं और उसे डिऐक्टिवेट करने का काम करती हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टर्स के अनुसार जब मरीज कोविड-19 से लड़कर ठीक हो जाता है तब भी उसके शरीर में रक्त के अंदर ये ऐंटीबॉडीज काफी लंबे समय तक प्रवाहित होती रहती हैं। ऐसे में ठीक हो गए व्यक्ति के शरीर से एंटीबॉडीज को मरीज के शरीर में उन ऐंटिबॉडीज को इंजेक्ट किया जाता है, जो उनके शरीर में जो इम्यूनिटी डेवलप करने का काम करता है। इस इम्युनिटी को पेसिव इम्युनिटी कहा जाता है।
कई शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि यह संक्रमित की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करता है। आपको बता दें, इससे पहले इबोला के मरीजों का भी ऐसे इलाज किया गया था। प्लाज्मा थेरेपी के कारण उस समय पर इबोला वायरस का डेथ रेट करीब 30 प्रतिशत तक कम हो गया था। यह थेरेपी उन लोगों की जान बचाने में कारगर सबित हो सकती है जो 60 साल से अधिक उम्र के हैं या फिर जो कोई दूसरी क्रॉनिक बीमारियां से जूझ रहे हैं।
कोरोना वायरस चिकित्सा में की जा रही प्लाज्मा थेरेपी में मरीज के शरीर में एंटाबॉडीज पहुंचाकर उसे वायरस से लड़ने के लिए बेहतर बनाया जाता है। लेकिन यह लॉन्ग टर्म प्रोटेक्शन की गारंटी नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर का खुद एंटीबॉडी बनाना भी बहुत जरूरी है। यदि शरीर खुद एंटीबॉडी नहीं बनाना शुरू करता है तो कुछ हफ्तों या महीनों में व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर हो जाएगी। पैसिव इम्यूनिटी एक समय तक ही आपको सुरक्षा प्रदान कर सकता है। हालांकि इस थेरेपी का एक नकारात्मक पक्ष यह है कि यह काफी महंगा और सीमित इलाज है। संक्रमण से ठीक हो चुके व्यक्ति से मरीज को दान से उपचार की केवल दो खुराक ही मिल सकती हैं।
कोरोना की प्लाज्मा थेरेपी के लिए कुछ लोग ही प्लाज्मा दे सकते हैं:
1.कोविड-19 से पूरी तरह ठीक होने वाले लोग।
2.कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने वाले लोग जिनमें 14 दिन तक दोबारा कोई लक्षण नजर न आएं।
3.जिन लोगों की थ्रोट-नेजल स्वाब की रिपोर्ट तीन बार नेगेटिव आई हो।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी प्लाज्मा थेरेपी को बेहतर माना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के हेड डॉक्टर माइक रेयान ने कहा है कि इस दिशा में काम किया जाना चाहिए। डॉक्टर माइक का मानना है कि हाइपरिम्यून ग्लोब्युलिन रोगियों में एंटीबॉडी को बेहतर बनाता है, जो मरीजों की स्थिति को बेहतर करता है। इसका इस्तेमाल सही वक्त पर किया जाना चाहिए। यह वायरस को नुकसान पहुंचाता है। साथ ही इससे मरीज का प्रतिरक्षा तंत्र बेहतर होता है। यह रोगियों के शरीर को कोरोना वायरस से लड़ने में बेहतर होता है। जरूरी है कि इसे सही वक्त पर किया जाना चाहिए। प्लाज्मा थेरेपी हर बार सफल हो यह जरूरी नहीं है।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने केरल के चिकित्सकों को प्लाज्मा थेरेपी की मदद से कोरोना वायरस के रोगियों का इलाज करने की अनुमति दी है। जैसा कि सभी को पता ही है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से फैलना शुरु हुआ था। हालांकि कड़े प्रतिबंध के साथ चीन में मामलों की संख्या में काफी कमी आई है। कुछ महीने पहले चीन में यह वायरस हवा की तरह फैल गया था। तभी कोरोना वायरस के मरीजों को ठीक करने के लिए चीन डॉक्टरों ने प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया । इस थेरेपी का इस्तेमाल सबसे पहले चीन के शंघाई में एक कोरोना संक्रमित मरीज को ठीक करने के लिए किया था।
_____________________________________________
लेखक परिचय
*नाम - डॉ दीपक कोहली
*जन्मतिथि - 17 जून, 1969
*जन्म स्थान- पिथौरागढ़ ( उत्तरांचल )
*प्रारंभिक जीवन तथा शिक्षा - हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट की शिक्षा जी.आई.सी. ,पिथौरागढ़ में हुई।
*स्नातक - राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़, कुमायूं विश्वविद्यालय, नैनीताल ।
*स्नातकोत्तर ( एम.एससी. वनस्पति विज्ञान)- गोल्ड मेडलिस्ट, बरेली कॉलेज, बरेली, रुहेलखंड विश्वविद्यालय ( उत्तर प्रदेश )
*पीएच.डी. - वनस्पति विज्ञान ( बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश)
*संप्रति - उत्तर प्रदेश सचिवालय, लखनऊ में उप सचिव के पद पर कार्यरत।
*लेखन - विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 1000 से अधिक वैज्ञानिक लेख /शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
*विज्ञान वार्ताएं- आकाशवाणी, लखनऊ से प्रसारित विभिन्न कार्यक्रमों में 50 से अधिक विज्ञान वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं।
*पुरस्कार-
1.केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद नई दिल्ली द्वारा आयोजित 15वें अखिल भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, 1994
2. विज्ञान परिषद प्रयाग, इलाहाबाद द्वारा उत्कृष्ट विज्ञान लेख का "डॉ .गोरखनाथ विज्ञान पुरस्कार" क्रमशः वर्ष 1997 एवं 2005
3. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा आयोजित "हिंदी निबंध लेख प्रतियोगिता पुरस्कार", क्रमशः वर्ष 2013, 2014 एवं 2015
4. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा एनवायरमेंटल जर्नलिज्म अवॉर्ड्, 2014
5. सचिवालय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन समिति, उत्तर प्रदेश ,लखनऊ द्वारा "सचिवालय दर्पण निष्ठा सम्मान", 2015
6. राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "साहित्य गौरव पुरस्कार", 2016
7.राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ,उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा "तुलसी साहित्य सम्मान", 2016
8. पर्यावरण भारती, मुरादाबाद द्वारा "सोशल एनवायरमेंट अवॉर्ड", 2017
9. पर्यावरण भारती ,मुरादाबाद द्वारा "पर्यावरण रत्न सम्मान", 2018
10. अखिल भारती काव्य कथा एवं कला परिषद, इंदौर ,मध्य प्रदेश द्वारा "विज्ञान साहित्य रत्न पुरस्कार",2018
11. पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा वृक्षारोपण महाकुंभ में सराहनीय योगदान हेतु प्रशस्ति पत्र / पुरस्कार, 2019
--
डॉ दीपक कोहली, पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग उत्तर प्रदेश शासन,5/104, विपुल खंड, गोमती नगर लखनऊ - 226010 (उत्तर प्रदेश )
COMMENTS