1.गीत-"हे भारत माँ!" रतन लाल जाट हे भारत माँ! तेरी महिमा किस मुख से मैं गाऊँ? जन्म-जन्म भी, लगते हैं कम इतना ही कह...
1.गीत-"हे भारत माँ!"
रतन लाल जाट
हे भारत माँ! तेरी महिमा किस मुख से मैं गाऊँ?
जन्म-जन्म भी, लगते हैं कम इतना ही कह पाऊँ॥
फिर भी हमारे भाग बड़े हैं।
कि- हम यहाँ पे जन्म पाये हैं॥
तेरी शरण में, तन-मन अर्पण है माँ!
कुछ भी अपना नहीं, सब हैं तेरा ही माँ!
और ना कोई जन्नत कभी मैं चाहूँ।
हे भारत माँ! तेरी महिमा किस मुख से मैं गाऊँ?
तू सिंह पे सवार है, हाथ में ध्वज तेरे।
तिरंगे वस्त्र हैं, मुकुट सिर पे सजे॥
विद्या-ज्ञान, धन-दौलत।
भक्ति-शक्ति सब है हमको प्राप्त॥
और बचा है क्या? जो आज मैं माँगूँ।
हे भारत माँ! तेरी महिमा किस मुख से मैं गाऊँ?
तेरी यह पावन धरती,
रहे सदा ही फलती-फूलती।
कोई ना संकट आये कभी,
दुश्मन को मार गिरायें अभी॥
दुनिया का गुलिस्तान है भारत।
हिन्दुस्तानी हैं हम वीर बालक॥
छोड़कर तुमको कहीं ना मैं जाऊँ।
हे भारत माँ! तेरी महिमा किस मुख से मैं गाऊँ?
2.गीत-"मधुर-मधुर पंछी बोले"
रतन लाल जाट
मधुर-मधुर पंछी बोले,
खेत-खलिहान भी डोले।
आसमां झूककर नीचे देखे,
धरती बहुत सोणी लागे॥
वो हरी-धानी चुनड़ ओढ़े।
डगर-डगर में पवन संग दौड़े॥
ताल में हैं शीतल पानी।
चलो लगायें डुबकी॥
देखकर खूब नजारे,
हरदिल यहाँ खो जाये।
मधुर-मधुर पंछी बोले…………
पेँड़ो पे झूले लग गये।
बागों में जाकर हम छुपें॥
कोई ना पराया, सब हैं अपने।
मिल-जुलके हम गले लग जायें॥
मधुर-मधुर पंछी बोले…………
ए बसंत तू प्यारी है।
महिमा सबसे निराली है॥
सुन्दरता में कोई ना टक्कर ले।
देखके तुमको तन-मन खो जाये॥
मधुर-मधुर पंछी बोले…………
कभी यहाँ घुमने को,
टोली जन्नत से आये।
बड़ी मुश्किल से वे अपने को,
यहाँ से जुदा कर पाये॥
तेरी याद आके, जी में डोरे पड़े।
बिन चाहे आँखों से,अनमोल मोती गिरे॥
मधुर-मधुर पंछी बोले…..........
3.गीत-"जब तुम ना दिल के करीब होते"
रतन लाल जाट
जब तुम ना दिल के करीब होते।
उस वक्त पल-पल तुमको ही पुकारते॥
बस, रस्ता हम देखते रहते।
नयन अपने खुले ही रह जाते॥
दिल में एक दर्द-सा।
कोई ना उसे जानता॥
हाल हम दोनों का है एक जैसा।
वो अपने सिवाय और कौन समझता?
यही एक अजब-सा जादू है।
उसका असर आज हम पर होने लगा है॥
जब तुम ना दिल के करीब होते।
उस वक्त हम पल-पल तुमको ही पुकारते॥
आँखों में तुम्हारी तस्वीर है छुपी।
दिल भरता है सिर्फ आहें तुम्हारी॥
तुम बिन कभी ना मिलती है खुशी।
जन्नत में भी है सदा तेरी ही कमी॥
उस रब्बा को छोड़के,
अपना हाल किसको सुनायें?
प्रेमी-जनों के बीच में,
कभी कोई ना आ जाये॥
जब तुम ना दिल के करीब होते।
उस वक्त हम पल-पल तुमको ही पुकारते॥
बस, तेरे संग खुशी मिलती।
चेहरे पर अपने हँसी दिखती॥
मगर जब तुम ना मिलते।
हाल उस वक्त बुरा है॥
कैसे हम जीयें अब?
जायें कहाँ छोड़ कब?
कुछ समझ ना आता है,
तेरे संग ही मेरा जीना है।
बिन तेरे एकपल नामुमकिन है।।
जब तुम ना दिल के करीब होते।
उस वक्त हम पल-पल तुमको ही पुकारते॥
4.गीत-"चल कहीं"
रतन लाल जाट
चल कहीं, एक नयी दुनिया में।
चल कहीं, हम दूर चले जायें॥
कई मुश्किलें जीवनभर हमें।
संग ना जीने दें, अब कुछ करें॥
तेरे संग मेरी दुनिया।
जो जगमग है हमेशा॥
कोई ना गम है।
जब तेरा संग है॥
दूर होते ही अगले पल।
आकर घेर ले हमको संकट॥
तू ही मेरा जन्नत,
तू ही मेरी दौलत है।
तुम बिन जीना मुश्किल,
यही एक मेरी हकीकत है॥
मेरी आँखों से तू,
एकपल भी दूर ना हो।
सारी जिन्दगी यूं,
गुजर जाये देखते तुमको॥
एक-दूजे की धड़कन सुनी है।
हमने मिलकर आहें भरी है॥
चल कहीं, एक नयी दुनिया में।
चल कहीं, हम दूर चले जायें॥
कई मुश्किलें जीवनभर हमें।
संग ना जीने दें, अब कुछ करें॥
5.गीत-"आँखें ये ढ़ूँढ़े तुमको"
रतन लाल जाट
आँखें ये ढ़ूँढ़े तुमको, इधर-उधर कहीं मेरे यार।
जब तुम ना आते यहाँ कहीं मुझे नजर के पास॥
तब हो जाता, मुश्किल मेरा हाल।
कि- कुछ कह पाऊँ ना, वो किसी को आज॥
तू ही मेरा एक सपना है।
तुम बिन वरना जग सूना है॥
हरपल रहो तुम पास मेरे।
यही इस दिल की चाहत है॥
कभी ना हो तुम मुझसे नाराज।
आँखें ये ढ़ूँढ़े तुमको…………॥
तू आगे बढ़े और इतना की तुम्हें।
कभी छू ना सके, सार संसार भी मिलके॥
मेरे दिल की बात, अपने दिल को पूछ ले आज।
आँखें ये ढ़ूँढ़े तुमको………………………॥
तुझमें ही छुपा है रब मेरा।
छोड़के तुझे और जाऊँ कहाँ?
सबकुछ यहीं पे पाया मैंने।
और बची नहीं कोई चाहत ये॥
सुन ले तू मेरी कहानी का है ये पहला भाग।
आँखें ये ढ़ूँढ़े तुमको……………………॥
कभी ना देखूँ तुमको कहीं परेशान।
जिन्दगी में रहो सदा तुम सबसे महान॥
यही बस इस दिल का है एक अरमान।
आँखें ये ढ़ूँढ़े तुमको…………………॥
6.गीत-"जादू प्यार का"
रतन लाल जाट
जादू प्यार का, आँखों से चला।
धीरे-धीरे उसका, खुमार चढ़ने लगा॥
अब अकेले छिप कहीं खोजूँ।
उसको ना कुछ कह पाऊँ॥
सपने आये, याद सताये।
दौड़ा मैं उठके, उसको पकड़ने॥
तो आँचल उसका उड़ा,
हाथ से वो निकल गया।
जादू प्यार का, आँखों से चला।
धीरे-धीरे उसका, खुमार चढ़ने लगा॥
रातों में नींद ना आयी।
जिन्दगी बिन उसके अधूरी॥
कैसी है वो जादुगरी?
जो मुझपे टोना कर गयी॥
समझे कौन ये नशा?
दिल का है हाल बुरा।
जादू प्यार का, आँखों से चला।
धीरे-धीरे उसका, खुमार चढ़ने लगा॥
7.गीत-"ए दिल! तेरा ये हाल है कैसा?"
रतन लाल जाट
ए दिल! तेरा ये हाल है कैसा?
पूछूँ मैं किसको? बता दे तू जरा।
आँखों से आँसू रूके ना,
रातों में नींद कभी आये ना।
पहले जिसको देख हम हँसते थे,
अब उसको ही देखकर रोते हैं।
यह दर्द कोई ना जाने अपना।
ए दिल! तेरा ये हाल है कैसा?
सारा संसार संग है,
फिर भी हम बेगाने।
जिन्दा अब रहें,
हम किसके सहारे?
एक तेरी जरूरत है,
जिन्दगी बस अधूरी है।
जीकर भी हम मर गये हैं,
जैसे हँसकर अब रोते हैं॥
तुम-सा नहीं कोई है प्यारा।
ए दिल! तेरा ये हाल है कैसा?
8.गीत-"तेरी याद में हम रोयें"
रतन लाल जाट
खोये-खोये दूर अकेले।
तेरी याद में हम रोयें॥
मगर कोई ना आये।
कभी हाल अपना पूछे॥
दिल ही दिल जाने,
प्यार कभी ना मिटे।
दूरियों से ये कम ना हो,
इसका गम दोगुना हो।
अब तुम बताओ, हाल अपना सुनाओ।
तुमसे नजर हटती नहीं, धड़कन कभी थमती नहीं।
हरपल तेरी याद है, एक तू मेरी जान है।
खोये-खोये दूर अकेले……………….
मन करता संग तेरे छिप जाऊँ।
आसमां में सितारा बन मिट जाऊँ॥
तू एक किताब, मैं एक जिल्द।
तू एक बाग, मैं एक गुल॥
मिल जायें हम ऐसे, फिर कौन जुदा करे?
खोये-खोये दूर अकेले…………………
तेरे संग जन्नत है,
जन्नत तुम बिन अधूरे।
रब का नाम याद आये,
जब तुम हो मेरे सामने॥
वरना हाल बुरा है, तेरा आँखों में बसेरा है।
खोये-खोये दूर अकेले………………….
9.गीत-"बदनामी है बुरी"
रतन लाल जाट
बदनामी है बुरी, रखना तू इससे दूरी।
वरना खाक में मिलते, कभी देर ना लगती॥
ओ-२ मोरा जिया, तू दूर रहना।
जरा सोच ले, बचकर रहना॥
जिस इन्सान की एकबार
चली गयी इज्जत और मर्यादा।
फिर वो किसी काम का
नहीं इस दुनिया में है एक पशु-सा।
ओ-२ मोरा जिया, तू दूर रहना।
जरा सोच ले, बचकर रहना॥
जिन्दगी है एक किताब
कभी ना लगे इस पर दाग।
दाग लग जाने के बाद
चाहे तू किताब को दे फाड़॥
मगर ये कभी ना मिटेगा।
ओ-२ मोरा जिया, तू दूर रहना।
जरा सोच ले, बचकर रहना॥
इज्जत के आगे संसार झूके।
बिन इज्जत के कुत्ते पर भौंके।।
बदनाम होकर इन्सान
कभी जीये ना ही मरे।
एकपल भी ना मिले आराम
दिन-रात वो तड़पता रहे॥
जीवन है एक अनमोल मोती।
चमक इसकी कभी ना हो फीकी॥
बदनामी है बुरी, रखना तू इससे दूरी।
वरना खाक में मिलते, कभी देर ना लगती॥
ओ-२ मोरा जिया, तू दूर रहना।
जरा सोच ले, बचकर रहना॥
10.गीत-"दुनिया बदलते कभी देर ना लगती"
रतन लाल जाट
दुनिया बदलते कभी देर ना लगती।
हवा आज इधर है वो कल उधर बह चली॥
हमारे अपने भी बन जाते हैं पराये।
सबकुछ उलट जाता है चन्द पलों में॥
फिर कोई विश्वास करे कैसे?
किसी को हम अपना कहें कैसे?
बरसात में आग जल सकती।
बसंत में बौछार भी हो सकती॥
दुनिया बदलते कभी देर ना लगती…….
किसी एक को जिन्दगी ना मान बैठो।
उठते तूफान में अपनी राह संभाल लो॥
दिल की बात जो समझे।
मुश्किल में वो साथ निभाये॥
वही अपना है आसमां-धरती।
उस पार कोई है अपना नहीं॥
दुनिया बदलते कभी देर ना लगती……
ऊँचा हो जाये नीचा।
कच्चा हो जाये पक्का॥
अधूरे को मान लें पूरा।
पराया बन जाये अपना॥
यही दुनिया की तस्वीर है।
पल-पल जो बदलती रंग है॥
हर कोई समझेगा नहीं।
बात यह मानेगा झूठी॥
दुनिया बदलते कभी देर ना लगती……
COMMENTS