मुर्गा और आदमी

SHARE:

दो व्यंग्य रचनाएँ: मुर्गा और आदमी • आर. के. भंवर सड़क पर चहलकदमी करता हुआ एक मुर्गा परेशान दिख रहे आदमी को रोक कर बोला -- क्यों गुर...


दो व्यंग्य रचनाएँ:

मुर्गा और आदमी

• आर. के. भंवर

सड़क पर चहलकदमी करता हुआ एक मुर्गा परेशान दिख रहे आदमी को रोक कर बोला -- क्यों गुरू, हमीं क्या कटने के लिए पैदा हुए हैं। छुरी हवा में लहराई और हम हो गये जबे—। आखिर ये सब कब तलक चलेगा ?

आदमी ने, जो पहले से ही और वाकई परेशान था, उसकी बात सुनते ही कुकुड़ू- कूं की ओर मुखातिब हुआ , देखो भाई तुम सिर्फ एक बार कटते हो और हमारे हिन्दू संस्कारों के अनुसार तुम संसार में आवाजाही के बंधनों से मुक्त हो जाते हो। पर मैं तो रोज-बरोज कटता हूं। किस-किस के वास्ते और कब-कब कटता हूं .. ये बताना इतना आसान नहीं। कटने पर मेरी परिस्थितियां नहीं देखी जाती, कटवाने वाले का फरमान सुना जाता है। अब तो कटने की आदत पड़ गई है। सच बताऊ मुर्गा भाई, पहले पहले बहुत दिक्कत हुई थी। इसके बाद तो कटने की आदत पड़ गई है। तुम शायद न जानते होगे, इस मामले में मेरी प्रेरणा तुम ही हो मुर्गा भाई।

दो कदम पीछे हटकर मुर्गा कुछ नाराजगी से बोला, क्या बके जा रहे हो तुम। मैं किसी के लिए प्रेरणा नहीं, तुम अपना काम जैसे चला रहो हो, चलाओ, अरे मुझे तुम्हारे से क्या लेना-देना ! कसाई से मेरा सम्बन्ध जन्म जन्मांतरों का है, किसी योनि में वह मुर्गा बनता है तो किसी योनि में मैं कसाई। ये सब हमारे यहां चलता रहता है। पर तुम्हारी जात में हमें कुछ संदेह रहता है। तुम्हारे यहां करनी और कथनी में गहरी खाई है। इसलिए आदमी जो कहता है, वो करता नहीं। ऐसा हमारे यहां नहीं होता। अब देखो मैं सीधे कसाई के पास कटने के वास्ते जा रहा हूं। कटूंगा भी और अपनी आगे की पीढ़ी के लिए रास्ता भी साफ करूंगा।

आदमी इस बार झल्लाया, ये जो तुरत दान महा कल्याण वाली थिरेपी है, इसमें कोई खास दम नहीं। इसमें कोई संघर्ष नहीं है। उत्तेजना नहीं है। अंगूठा दिखाने का मौका नहीं है। और फिसलने पर हर-हर गंगे कहने का गोल्डेन चांस नहीं है। अब ये क्या है कि बात की बात में गये और छुरी के तले धार-धार हो गये। शी... शी इतनी खामोश कटाई, क्या फायदा मिला। अरे मरो तो शहादत मिले, ऐसे लोगों को ढेर पैसा देकर मरो जो मरने पे कह सके – कि इनकी भरपाई अब नहीं हो सकेगी, इसीलिए हम एक बार नहीं बार-बार कटते हैं। ये अलग बात है कि बार-बार कटने की हमारी नियति है।

मुर्गा फिर बोला तुम लोग बाथरूम में गिरने को भी शहादत मान लेते हो और रेल की पटरियों से छेड़छाड़ करने को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी। अब क्या कहा जाए, तुम्हारी जात और तुम्हारा सोच-साच कुछ अलग ही है, जिसमें अपना भला अपनी सिद्ध, भई वाह, अब फिसलने पर हर गंगे नहीं, बल्कि अपन की ये स्टाईल है। आजादी के छह दशक में हमसे, कुत्ते भाई, सांप जी, गिद्ध जी, बगुला जी, लोमड़ी बहिन से तुमने कुछ न कुछ लिया है, और उसके बदले उन्हें कुछ भी दिया नहीं है। ये सब तुम्हारी प्रगति की सीढ़ियां बनी है। अब ये डर लगने लगा है कि इनकी तुलना कहीं आदमी से न होने लगे।

-------------------

चिंता जिन करियो, हम हूँ न !

• आर. के. भंवर

डोंट वरी। नो फिक्कर। परेशानी काहे की ? सब निपट जायेगा, हम हूँ न, ऐसे तमाम हमदर्दियाना बातें अब जिंदगी से गुम होती जा रही हैं। इनकी जगह अब तू ही जानें फिर तेरा काम जाने, मेरे से क्या लेना-देना, या --- बोल दिया न कि तेरी किस्मत का ढक्कन ही ऐसा है या .. ये तो होना ही था, अब झेल, ऊपर वाले ने तेरे को झेलने के वास्ते ही तो बनाया है।

--- अब इस भीड़नुमा समाज में वह बिल्कुल अकेला है। कोई नहीं है जो उसकी पीठ पर हाथ रखकर ये कहे कि चिंता जिन किहौ हम तौ हन । ऐसा कहना मात्र अगले के लिए एक जबर्दस्त सामाजिक सुरक्षा का बंदोबस्त कर देता है। समाज से धीरे धीरे मेलजोल, सांझापन और परस्पर सहयोग की भावना खलास होती जा रही है। मानवीय सम्बंधों में अब दूरियां अधिक हैं। पड़ोस में आदमी रहते है या उनके कुत्ते, क्या मतलब ? कौन मरा और कब मरा, क्या लेना-देना ? अपनी खिड़की पूरी बंद रहे या थोड़ी सी खुली रहे बस !

ये चिंता जिन किहौं वाला `हम´ जो है, उसे खोजना पड़ेगा, यह कहीं गुम हो गया है । इससे हम में भरपूर ताकत थी। मुठि्ठयां बंध जाती थीं तो मजाल क्या कि सत्ता का साया हो या दरोगे की बदमगजी, कोई रत्ती भर बिसात नहीं रखती थीं। ये वही बेलौस ढंग से `हम´ था 1857 के विद्रोह में और ये `हम´ ही था देश की आजादी के जनम दिन तक। मेरा रंग दे बसंती चोला या सर कटा सकते है पर सर झुका सकते नहीं --- ये भी `हम´ ने गाया होगा वह भी अंदर की आवाज से। ऐसी आवाज कि जिसके हजारों हम अपनी आजादी के वास्ते दीवाने हो गये थे। जब जब `हम´ पीछे धकेला गया है और `मैं´ आगे आया है, दिक्कतें ही दिक्कतें शुरू हुई हैं। सत्ता की रेवड़ी बंटने के समय `हम´ पर्दे के पीछे धकेल दिया गया और काबिज हो गया `मैं´। नतीजा सामने है। आजादी के छह दशक बाद भी उनका मैं सत्ता की मजबूती के वास्ते क’मीर मुद्दे कह मुरछाई चुहिया को गोबर सुंघाता रहा है। सीमा विवाद, पानी विवाद, भाषा विवाद `हम´ के तिरोहित होने और `मैं´ के प्रकट होने से देश की छाती पर बेवजह जकड़े हुए हैं। विवाद `मैं´ का बड़ा भाई है, जहां पर ये है तो मानकर चलिए कि किसी मैं की पसड़ है। अब तक के अठ्ठावन वर्ष की उम्र वाले आजाद भारत के सारे झगड़ों की जड़ों में ये मैं पल्थी लगाये बैठा है। इसे धकियाना होगा। अगर ये समय रहते नहीं गया तो पानी बांध के ऊपर से बहुत आगे निकल जायेगा।

जाओ भाई `मैं´ ---- अब जाओ, `हम´ को अपनी जमीन पर पांव धरने दो। हम नहीं हैं इसीलिए आदमी अकेला है और अकेले आदमी की दिक्कतें भी हजारों हैं। सर पर हाथ रखने वाले मुंह फेरे हुए हैं। किसे सुनाएं और सुनाने से पहले उसकी सुनें। सुनीसुनौव्वल में वह आदमी गुमसुम है। सोचता है कि समय कब बदलेगा। वह पीछे जायेगा कि नहीं और गया पीछे तो वह कलेजे वाला आदमी जो पूरे दम से कह सके चिंता जिन किह्यो हम हन न, मिलेगा कि नहीं । तब तनाव, चिंतायें, मुसीबतें मिल बांट कर झेली जाती थीं, सबके हिस्से में बस थोड़ी-थोड़ी आतीं थीं। फुरसत की चटाई पर मिल बैठकर समाधान निकाल ही लेते थे। एक दूसरे पर इतनी निश्चिंतता, इतना भरोसा और इतना दम, अंदर कहीं किसी कोने में भी दूसरे पर संशय जन्म ही नहीं लेता था। तब के उस आदमी के चेहरे पर जो प्रफुल्लता थी, वह आज के आदमी के चेहरे पर नहीं है। क्यों ? फिर आगे की बातों को दोहराना पड़ रहा है। `मैं´ जब खंडित होता है, तो `हम´ की शरण में जाता है। ये हम आता है सामुदायिक दायित्व बोध के कारण, समन्वय-सहभागिता से, एक दूसरे से जुड़ने से, ये हमारी तकलीफ है, इससे हम सब निपटेंगे - की सोच से। जिस समाज में हम की जड़े बहुत गहराई में है, वह समाज मजबूत और खुशहाल रहा है और जहां `मैं´ तरक्कियों चढ़ा हो, तो ऐसी तरक्की दीर्घजीवी नहीं होती क्योंकि `मैं´ खोखलेपन में रहता है।

मैं एक मित्र के यहां गया , असलियत में उन्होंने अपनी कुछ कला कृतियां दिखाने के लिए बुलाया था। पहुंचा तो बड़ी गरमजोशी के साथ हाथ मिलाया, ड्राइंगरूम ले गये, परिवार के सदस्यों से जान पहिचान करायी। सब के साथ चाय चली। फिर उन्होंने अपनी आर्ट गैलरी दिखाई। बेहद उम्दा चित्र .... सभी जैसे सजीव हों, मैं देखते-देखते उनमें सौ फीसदी खो गया। प्रकृति के रम्य रूपों के चित्रांकन में गजब की बारीकी थी। मुझसे रहा नहीं गया, पूछ लिया ये कृतियां सब के सो जाने के बाद बनाते होंगे ? बोले - –नहीं भई, सब के साथ सभी के डिसक्शन के साथ बनाई है। उनमें कोई भी ऐसी कला कृति नहीं है जो मैंने अकेले बनाई हो। मेरे हाथ जब कूचियों से खेलते थे, तब मुझे मेरी बेटी चाय का प्याला लेने को कह, सहभागिता का सुर देती थी। पत्नी और बेटा सब के सब अपने लगन व निष्ठा के साथ , इन चित्रों के नेपथ्य में है। इन सबके सामंजस्य से मैं हूं। उनके `मैं´ के पीछे भी एक विराट `हम´ है। ये वही हम है जो कुछ कर सकने का जज्बा देता है। मुझे लगा कि एक चित्रकार अपने चित्रों के साथ पूरे पारिवारिक संतुलन में है। उसे ऊंचाईयों पर जाने की ललक नहीं है। अकेला ही प्रशस्ति नहीं पाना चाहता है। उसके हम में उपेक्षा व किसी परिजन के प्रति उदासीनता नहीं है। पत्नी, पुत्री, पुत्र सब खुश है। वहां सब एक दूसरे से मुसीबत में यही कहते है चिंता जिन किह्यो हम हूं न।

एक महाशय ऐसे भी जिन्हें जीवन के पांच दशक इस वास्ते खर्च हो गये कि वे कुछ है, सब लोग उन्हें जानें, उन्हें माने या उन्हें मान-सम्मान दें। घर में बेटा उनकी अनसुनी करता , बेटी शादी के एक साल के अंदर ही पवीलियन पर लौट आई और पत्नी .. कोउ नृप होय हमैं का हानी , यानी कि उदासीन सम्प्रदाय की आजीवन सदस्या। अब ये महाशय अपने घर में अपने मैं के कारण अकारण जिल्लत झेलते है । उनके जितने हम थे , उनकी वजह से ही किनारे हट गये।

चिंतायें `हम´ से डरती है और `मैं´ से दिल लगाती है। मैं को अकेला पायें तो दबोच लें। चिंताएं तो चाहती है कि आदमी `मैं´ के फांस में फंसा रहे और `हम´ से दूर रहे। `हम´ चिंताओं पर चौतरफा हमला करता है। वे कट-कट कर गिरती रहतीं हैं, क्योकि `हम´ `मैं´ नहीं है, अकेला नहीं है, वह सर्वजन का अंग है। बहुजन से पोषित है। इसलिए डर किस बात का ? ये दुनिया तितली की तरह रंगबिरंगी है। इसके रंग में कोई मैं का भंग न डाले तो इसकी खूबसूरती के क्या कहने ! आज के तार-तार हो रहे इंसानी मूल्यों के लिए `हम´ को बचाये रखना बेइन्तेहां जरूरी है। यही है जो कहेगा - ! का हो, अब चिंता जिन किह्यो हम हूँ न।

----------

रचनाकार संपर्क:

आर. के. भंवर

सी - 501/सी, इंदिरा नगर,

लखनऊ(उत्तर प्रदेश) भारत ।

फ़ोन-

91-0522-2345752

91-09450003746

------------

चित्र – साभार: वोएत्सेक.कॉम

-----------

COMMENTS

BLOGGER: 3
  1. बेनामी1:13 pm

    aaj ke samaj ki sahi dasha darshata hai. Murga katkar shaheed aur aadmi jeete mar raha hai, kya baat hai. bhawour bhai badhai.

    जवाब देंहटाएं
  2. रवि जी,

    भँवर जी से परिचय कराने के लिए धन्यवाद। सुन्दर हैं। दूसरी में इतना व्यन्ग्य नहीं है किन्तु बात बिलकुल सत्य है और बहुत अच्छे तरीके से कही है।

    जवाब देंहटाएं
  3. बेनामी11:44 am

    dono rachanaye behad achchi hai.UPwale achcha likhate hai. raviji apke prakashan me hindi zindabad. mr. bhanour ki rachanaye aage bhi prakashit kare, abhi hindi me enke yogdan ko janana jaroori hai.

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: मुर्गा और आदमी
मुर्गा और आदमी
http://bp3.blogger.com/_t-eJZb6SGWU/RsZ1YWqOgCI/AAAAAAAABOQ/OhwEzdq4jhc/s400/murga+aur+aadami.JPG
http://bp3.blogger.com/_t-eJZb6SGWU/RsZ1YWqOgCI/AAAAAAAABOQ/OhwEzdq4jhc/s72-c/murga+aur+aadami.JPG
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2007/08/blog-post_18.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2007/08/blog-post_18.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content