देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–4 : 1 मिलान के सौदागर का बेटा // सुषमा गुप्ता

SHARE:

देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–4 : इटली की लोक कथाएँ–4 संकलनकर्ता सुषमा गुप्ता Cover Page picture: A Canalway from Venice, Italy Punli...

देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–4 :

clip_image002

इटली की लोक कथाएँ–4

clip_image004

संकलनकर्ता

सुषमा गुप्ता

Cover Page picture: A Canalway from Venice, Italy

Punlished Under the Auspices of Akhil Bhartiya Sahityalok

E-Mail: sushmajee@yahoo.com

Website: http://sushmajee.com/folktales/index-folktales.htm

Read More such stories at: www.scribd.com/sushma_gupta_1

Copyrighted by Sushma Gupta 2014

No portion of this book may be reproduced or stored in a retrieval system or transmitted in any form, by any means, mechanical, electronic, photocopying, recording, or otherwise, without written permission from the author.

Map of Italy

clip_image006

विंडसर, कैनेडा

मार्च 2016

Contents

सीरीज़ की भूमिका 4

इटली की लोक कथार्ऐं4 5

1 मिलान के सौदागर का बेटा 7

2 सालमन्ना अंगूर 39

3 जादुई महल 48

4 एक बुढ़िया की खाल 67

5 औलिव 75

6 चालाक देहाती लड़की कैथरीन 96

7 सूरज की बेटी 112

8 सुनहरी गेंद 125

9 ग्वालिन रानी 139

10 उत्तरी हवा की भेंट 150

11 जादूगरनी का सिर 162

सीरीज़ की भूमिका

लोक कथाएँ किसी भी समाज की संस्कृति का एक अटूट हिस्सा होती हैं। ये संसार को उस समाज के बारे में बताती हैं जिसकी वे लोक कथाएँ हैं। आज से बहुत साल पहले, करीब 100 साल पहले, ये लोक कथाएँ केवल ज़बानी ही कही जातीं थीं और कह सुन कर ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दी जाती थीं इसलिये किसी भी लोक कथा का मूल रूप क्या रहा होगा यह कहना मुश्किल है।

आज हम ऐसी ही कुछ अंग्रेजी और कुछ दूसरी भाषा बोलने वाले देशों की लोक कथाएँ अपने हिन्दी भाषा बोलने वाले समाज तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से बहुत सारी लोक कथाएँ हमने अंग्रेजी की किताबों से, कुछ विश्वविद्यालयों में दी गयी थीसेज़ से, और कुछ पत्रिकाओं से ली हैं और कुछ लोगों से सुन कर भी लिखी हैं। अब तक 1200 से अधिक लोक कथाएँ हिन्दी में लिखी जा चुकी हैं। इनमें से 400 से भी अधिक लोक कथाएँ तो केवल अफ्रीका के देशों की ही हैं।

इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि ये सब लोक कथाएँ हर वह आदमी पढ़ सके जो थोड़ी सी भी हिन्दी पढ़ना जानता हो और उसे समझता हो। ये कथाएँ यहाँ तो सरल भाषा में लिखी गयी है पर इनको हिन्दी में लिखने में कई समस्याएँ आयी है जिनमें से दो समस्याएँ मुख्य हैं।

एक तो यह कि करीब करीब 95 प्रतिशत विदेशी नामों को हिन्दी में लिखना बहुत मुश्किल है. चाहे वे आदमियों के हों या फिर जगहों के। दूसरे उनका उच्चारण भी बहुत ही अलग तरीके का होता है। कोई कुछ बोलता है तो कोई कुछ। इसको साफ करने के लिये इस सीरीज़ की सब किताबों में फुटनोट्स में उनको अंग्रेजी में लिख दिया गया हैं ताकि कोई भी उनको अंग्रेजी के शब्दों की सहायता से कहीं भी खोज सके। इसके अलावा और भी बहुत सारे शब्द जो हमारे भारत के लोगों के लिये नये हैं उनको भी फुटनोट्स और चित्रों द्वारा समझाया गया है।

ये सब कथाएँ “देश विदेश की लोक कथाएँ” नाम की सीरीज के अन्तर्गत छापी जा रही हैं। ये लोक कथाएँ आप सबका मनोरंजन तो करेंगी ही साथ में दूसरे देशों की संस्कृति के बारे में भी जानकारी देंगी। आशा है कि हिन्दी साहित्य जगत में इनका भव्य स्वागत होगा।

सुषमा गुप्ता

मई 2016

इटली की लोक कथाएँ–4

इटली देश यूरोप महाद्वीप के दक्षिण पश्चिम की तरफ स्थित है। पुराने समय में यह एक बहुत ही शक्तिशाली राज्य था। रोमन साम्राज्य अपने समय का एक बहुत ही मशहूर राज्य रहा है। उसकी सभ्यता भी बहुत पुरानी है – करीब 3000 साल पुरानी। इसका रोम शहर 753 बीसी में बसाया हुआ बताया जाता है पर यह इटली की राजधानी 1871 में बना था। इटली में कुछ शहर बहुत मशहूर हैं – रोम, पिसा, फ्लोरैन्स, वेनिस आदि। यहाँ की टाइबर नदी बहुत मशहूर है। यूरोप में लोग केवल लन्दन, पेरिस और रोम शहर ही घूमने जाते हैं।

रोम में कोलोज़ियम और वैटिकन अजायबघर सबसे ज़्यादा देखे जाते हैं। पिसा में पिसा की झुकती हुई मीनार संसार का आदमी द्वारा बनाये गये आठ आश्चर्यों में से एक है। इटली का वेनिस शहर नहरों में बसा हुआ एक शहर[1] है। इस शहर में अधिकतर लोग इधर से उधर केवल नावों से ही आते जाते हैं। यहाँ कोई कार नहीं है कोई सड़क पर चलने वाला यातायात का साधन नहीं है, केवल नावें हैं और नहरें हैं। शायद तुम्हें मालूम नहीं होगा कि असल में वेनिस शहर कोई शहर नहीं है बल्कि 118 द्वीपों को पुलों से जोड़ कर बनाया गया है इसलिये ये नहरें भी नहरें नहीं हैं बल्कि समुद्र का पानी है और वह समुद्र का पानी नहर में बहता जैसा लगता है।

इटली का रोम कैसे बसा? कहते हैं कि रोम को बसाने वाला वहाँ का पहला राजा रोमुलस था। रोमुलस और रेमस दो जुड़वाँ भाई थे जो एक मादा भेड़िया का दूध पी कर बड़े हुए थे। दोनों ने मिल कर एक शहर बसाने का विचार किया पर बाद में एक बहस में रोमुलस ने रेमस को मार दिया और उसने खुद राजा बन कर 7 अप्रैल 753 बीसी को रोम की स्थापना की। इटली के रोम शहर में संसार का मशहूर सबसे बड़ा कोलोज़ियम[2] है जहाँ 5000 लोग बैठ सकते हैं। पुराने समय में यहाँ लोगों को सजाएँ दी जाती थीं।

इटली में ही वैटीकन सिटी है जो ईसाई धर्म के कैथोलिक लोगों का घर है पर यह एक अपना अलग ही देश है। वहाँ इसके अपने सिक्के और नोट हैं। इसकी अपनी सेना है। पोप इस देश का राजा है। इसका अजायबघर बहुत मशहूर है। यह संसार का सबसे छोटा देश है क्षेत्र में भी और जनसंख्या में भी – 842 आदमी केवल .4 वर्ग मील के क्षेत्र में बसे हुए।

इटली की बहुत सारी लोक कथाएँ हैं। इटली की सबसे पहली लोक कथाएँ 1550 में लिखी गयी थीं। इतालो कैलवीनो[3] का लोक कथाओं का यह संग्रह इटैलियन भाषा में 1956 में संकलित करके प्रकाशित किया गया था। इनका सबसे पहला अंग्रेजी अनुवाद 1962 में छापा गया। उसके बाद सिलविया मल्कही[4] ने इनका अंग्रेजी अनुवाद 1975 में प्रकाशित किया। फिर मार्टिन ने इनका अंग्रेजी अनुवाद 1980 में किया। ये लोक कथाएँ हम मार्टिन की पुस्तक से ले कर अपने हिन्दी भाषा भाषियों के लिये यहाँ हिन्दी भाषा में प्रस्तुत कर रहे हैं। आशा है कि ये लोक कथाएँ तुम लोगों को पसन्द आयेंगी।

इतालो ने इस पुस्तक में 200 लोक कथाएँ संकलित की हैं। हमने उन 200 लोक कथाओं में से 125 लोक कथाएँ चुनी हैं। फिर भी क्योंकि वे बहुत सारी लोक कथाएँ हैं इसलिये वे सब पढ़ने की आसानी के लिये एक ही पुस्तक में नहीं दी जा रही हैं। इससे पहले हम इटली की लोक कथाओं के तीन संकलन[5] प्रकाशित कर चुके हैं जिनमें हमने वहाँ की क्रमशः 15, 17 और 10, यानी 42 लोक कथाएँ प्रकाशित की थीं। तुम सब लोगों को यह जान कर प्रसन्नता होगी कि वे सभी पुस्तकें बहुत पसन्द की गयीं।

तो अब प्रस्तुत है तुम्हारे हाथों में इटली की लोक कथाओं का यह चौथा संकलन – “इटली की लोक कथाएँ–4”। इसमें हम तुम्हारे लिये वहाँ की नम्बर 62 से 84 तक की 11 लोक कथाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि यह चौथा संकलन भी तुम लोगों को पहले तीनों संकलनों की तरह ही बहुत पसन्द आयेगा और मजेदार लगेगा।


1 मिलान के सौदागर का बेटा[6]

एक बार इटली देश के मिलान शहर में एक सौदागर अपने परिवार के साथ रहता था। उस सौदागर के परिवार में उसकी पत्नी और दो बेटे थे। अपने दोनों बेटों में से उसको अपना बड़ा बेटा बहुत प्यारा था।

ऐसा तो नहीं था कि वह अपने छोटे बेटे को प्यार नहीं करता था पर वह क्योंकि छोटा था इसलिये उसको अभी भी वह बच्चा ही समझता था और इसी लिये उसकी तरफ ध्यान भी थोड़ा कम ही देता था।

धीरे-धीरे सौदागर अमीर होता जा रहा था और अब वह केवल वही सौदे करता था जिनमें उसको काफी ज़्यादा फायदा होता था। और ऐसे ही एक बड़े फायदे के लिये वह अब फ्रांस जा रहा था।

वहाँ उसको कुछ खास चीज़ें बनवानी थीं जिसके लिये वह सोचता था कि वे उसके लिये बहुत फायदेमन्द रहेंगी।

उसका बड़ा लड़का अपने पिता के साथ जा रहा था। यह देख कर उसका छोटा लड़का मैनीचीनो[7] भी उसके साथ जाने की जिद करने लगा।

वह बोला — “पिता जी, मुझे भी अपने साथ ले चलिये न। मैं आपके साथ आपका अच्छा बेटा बन कर रहूँगा। बल्कि आपकी सहायता भी करूँगा। मैं यहाँ मिलान में अकेला नहीं रहूँगा।”

सौदागर अपने उस बेटे को अपने साथ ले जा कर परेशान होना नहीं चाहता था इसलिये उसने उसको धमकी दी कि अगर वह चुप नहीं हुआ तो वह उसको थप्पड़ मारेगा।

जब सौदागर और उसके बेटे का जाने का समय आया तो सौदागर और उसके बड़े बेटे ने अपना सामान बाहर निकाल कर गाड़ी में रखा और फिर वे दोनों खुद भी गाड़ी में चढ़ गये।

रात का समय था सो किसी को दिखायी नहीं दिया कि मैनीचीनो उनकी गाड़ी में लगी पीछे वाली सीढ़ी पर बैठ गया और इस तरह छिप कर वह उनके साथ ही चल दिया।

जब गाड़ी पहली जगह रुकी जहाँ उसको घोड़े बदलने थे तो मैनीचीनो उस सीढ़ी पर से हट गया ताकि वे लोग उसको देख न लें और जब तक वह गाड़ी दोबारा चलने के लिये तैयार हो तब तक वह उसका इन्तजार करता रहा।

जब वह गाड़ी दोबारा चली तो वह फिर वहीं बैठ गया और फिर दूसरी रुकने की जगह तक पहुँच गया। दूसरी रुकने की जगह तक पहुँचते पहुँचते दिन निकल आया था सो वह सड़क के एक पास वाले मोड़ के पीछे छिप गया।

पर इस बार जब गाड़ी चली तो इतनी अचानक और तेज़ चली कि वह जल्दी से कूद कर आने के बावजूद उसकी सीढ़ी पर नहीं बैठ सका और गाड़ी चली गयी। वह लड़का सड़क के बीच में वहीं का वहीं खड़ा रह गया।

अपने आपको एक नयी जगह में अकेला पा कर, बिना पैसे के, भूखा, वह लड़का वहाँ रुआँसा सा हो रहा था कि उसने अपने आपको सॅभाला और इधर उधर देखने के लिये घूमने लगा।

वहीं पास में सड़क के किनारे एक बुढ़िया बैठी थी। उसने उस बच्चे को इस तरह अकेला सा खड़ा देखा तो उससे पूछा — “बेटा, तुम यहाँ अकेले क्या कर रहे हो? कहीं जा रहे हो? या खो गये हो?”

मैनीचीनो बोला — “माँ जी मैं यहाँ खो गया हूँ। मैं अपने पिता और बड़े भाई के साथ जा रहा था और गाड़ी मुझे यहाँ से बिना लिये ही चली गयी और मैं यहाँ अकेला रह गया। मुझे अपने घर का रास्ता भी नहीं मालूम कि मैं अपनी माँ के पास पहुँच जाऊँ।

पर मेरे लिये तो घर में भी कोई काम नहीं है क्योंकि मैं तो दुनिया में बाहर घूमना चाहता हूँ और अपनी किस्मत बनाना चाहता हूँ। और मेरे पिता ने तो अब मुझे सड़क पर ही छोड़ दिया है।”

वह कुछ सोचता रहा फिर बोला — “असल में उनको तो पता ही नहीं था कि मैं उनके साथ था। मैं तो गाड़ी के पीछे वाली सीढ़ी पर छिप कर बैठा हुआ था। हमको फ्रांस जाना था।”

बुढ़िया बोली — “अच्छा हुआ। तुम सच बोल रहे हो यह तो और भी अच्छी बात है। मैं एक परी हूँ और मैं तुम्हारी कहानी जानती हूँ। अगर तुम अपनी किस्मत बनाना चाहते हो तो मैं तुम्हें बता सकती हूँ कि तुम क्या करो, अगर तुम होशियार हो और दूसरों की इज़्ज़त करते हो तो।”

मैनीचीनो बोला — “मैं मानता हूँ कि मैं छोटा हूँ पर मुझे लगता नहीं कि 14 साल का हो कर भी मैं इतना बेवकूफ हूँ इसलिये आप मुझ पर विश्वास कर सकती हैं। मैं वह सब करूँगा जो आप मुझसे करने को कहेंगी। अगर आप मुझसे खुश हैं तो मुझे बताइये कि मुझे क्या करना है।”

clip_image008
बुढ़िया परी बोली — “तुम बहुत अच्छे लड़के हो। तो सुनो पुर्तगाल के राजा की एक बहुत ही होशियार बेटी है जो कोई भी पहेली बूझ सकती है। राजा ने यह घोषणा कर रखी है कि वह अपनी बेटी की शादी उस आदमी से करेगा जो उसकी बेटी को कोई ऐसी पहेली देगा जिसको वह बूझ नहीं पायेगी यानी वह उससे हार जायेगी।

तुम मुझे एक होशियार लड़के लगते हो इसलिये तुम एक पहेली खोजो जिसको वह बूझ न सके और बस तुम्हारी किस्मत बन जायेगी।”

मैनीचीनो बोला — “वह तो ठीक है पर आप क्या सोचती हैं कि मैं क्या कोई ऐसी पहेली बना सकता हूँ जो इतनी होशियार लड़की को भी चक्कर में डाल दे? मेरे खयाल से तो केवल चतुर लोग ही ऐसा कर सकते हैं, मेरे जैसे अनपढ़ बच्चे नहीं।”

बुढ़िया परी बोली — “मैं तो तुमको सही रास्ते पर ला रही थी। तुम होशियार बच्चे हो। तुम अपने आप सब कुछ संभाल लोगे।

मैं तुमको यह कुत्ता देती हूँ। इसका नाम बैलो[8] है। तुम्हारी पहेली इसी से पैदा होगी। इसको साथ ले जाओ और जा कर राजकुमारी को जीत कर लाओ।”

मैनीचीनो बोला — “बहुत अच्छा माँ जी। अगर आप ऐसा कहती हैं तो मैं आपका विश्वास कर लेता हूँ। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आपकी इतनी मेहरबानी ही मेरे लिये काफी है।”

उसने बुढ़िया परी को विदा कहा, कुत्ते को साथ लिया और आगे चल दिया। हालाकि वह बुढ़िया के कहने से बहुत ज़्यादा सन्तुष्ट नहीं था पर फिर भी इस समय उसके पास इसके अलावा कोई और चारा भी नहीं था सो वह वहाँ से चल दिया।

शाम होते होते वह खेत पर बने एक मकान[9] में आ गया और वहाँ जा कर रात के लिये खाना और रहने की जगह माँगी।

उस स्त्री ने जिसने घर का दरवाजा खोला था उस लड़के से पूछा — “अरे तुम यहाँ अकेले रात को क्या कर रहे हो? केवल एक कुत्ता ही तुम्हारे साथ है। क्या तुम्हारे माता पिता नहीं हैं?”

मैनीचीनो बोला — “मेरे पिता और बड़ा भाई फ्रांस जा रहे थे। मैं भी फ्रांस जाना चाहता था पर वे मुझको अपने साथ नहीं ले जा रहे थे इसलिये मैं उनकी गाड़ी के पीछे छिप कर बैठ गया।

एक बार वह गाड़ी रुकी तो मैं उतर गया पर फिर जब गाड़ी चली तो मैं रह गया और मेरे पिता जी बिना मुझे लिये ही चले गये।

अब मैं एक पहेली के साथ पुर्तगाल के राजा की बेटी को लेने जा रहा हूँ। यह कुत्ता जो एक परी ने मुझे दिया है मेरे लिये पहेली बनायेगा और इस तरह से मैं राजा की बेटी से शादी कर पाऊँगा।”

वह स्त्री बहुत ही बुरी थी उसने सोचा कि अगर यह कुत्ता पहेली बनाता है तो मैं इस कुत्ते को चुरा लेती हूँ और अपने बेटे को इस कुत्ते को ले कर पुर्तगाल भेज देती हूँ तो बजाय इसके मेरे बेटे की शादी पुर्तगाल के राजा की बेटी से हो जायेगी। ऐसा सोच कर उसने उस लड़के को मारने का प्लान बनाया।

clip_image010

उसने उस लड़के के लिये एक जहरीली पेस्ट्री तैयार की और उस लड़के से कहा — “हम इसको पिज़ा[10] कहते हैं। इसे मैंने खास करके तुम्हारे लिये ही बनाया है।

clip_image012

मुझे अफसोस है कि तुम यहाँ रात को नहीं रह सकते क्योंकि मेरे पति अजनबियों को रात को घर में नहीं ठहराते। पर पास के जंगल में हमारा एक केबिन[11] है तुम वहाँ जा कर रात को सो सकते हो।

जैसे ही तुम जंगल में घुसोगे वैसे ही तुमको वह दिखायी दे जायेगा। और यह पिज़ा साथ ले जाओ इसे केबिन में जा कर खा लेना। मैं सुबह आ कर तुम्हें जगा दूँगी और तुम्हारे लिये दूध भी लेती आऊँगी।”

मैनीचीनो ने उसे धन्यवाद दिया और पिज़ा ले कर केबिन की तरफ चल दिया। पर कुत्ते को शायद उस लड़के की बजाय ज़्यादा भूख लगी थी सो मैनीचीनो ने पेस्ट्री का एक टुकड़ा तोड़ा और उसे कुत्ते की तरफ फेंक दिया।

बैलो ने वह टुकड़ा हवा में ही पकड़ लिया और खा लिया। उसे खाते ही वह कांपने लगा और नीचे गिर कर जमीन पर लोटने लगा। उसके पंजे ऊपर की तरफ हो गये और वह मर गया।

उसको मरा देख कर मैनीचीनो का मुँह तो खुला का खुला रह गया। उसने बाकी की बची हुई पेस्ट्री फेंक दी। पर फिर अचानक बोला — “ओह तो पहेली यहाँ से शुरू होती है –

पिज़ा ने बैलो को मारा

जबकि बैलो ने मैनोचीनो को बचाया।

बस अब मुझे इस पहेली के बचे हुए हिस्से का पता करना है।

उसी समय वहाँ से तीन कौए उड़े तो उनको वहाँ एक मरा हुआ कुत्ता दिखायी दे गया। बस वे नीचे उतरे और उन्होंने उस कुत्ते के मरे हुए शरीर को खाना शुरू कर दिया। कुछ पल बाद वे तीनों कौए भी मर गये।

मैनीचीनो बोला — “तो इसकी तीसरी लाइन यह है – “एक मरा हुआ तीन को मारता है।”

उसने तीनों कौओं को उस कुत्ते की रस्सी के साथ बांधा और उनको कन्धे पर लटका कर ले चला। वह अभी कुछ ही दूर गया था कि अचानक जंगल में से हथियारबन्द डाकुओं का एक समूह निकल पड़ा।

वे सब डाकू भूखे थे सो उन्होंने मैनीचीनो से पूछा — “खाने के लिये तुम्हारे पास कुछ है क्या?”

मैनीचीनो उनसे डरा नहीं। उसने जवाब दिया — “मेरे पास तीन चिड़ियें हैं भूनने के लिये।”

डाकू बोले — “उन्हें हमें दे दो।”

मैनीचीनो ने वे तीनों कौए उन डाकुओं को दे दिये और वे डाकू उन तीनों कौओं को ले कर आगे चल दिये। मैनीचीनो यह देखने के लिये एक पेड़ के पीछे छिप गया कि देखें अब क्या होता है।

उसने देखा कि उन डाकुओं ने उन तीनों कौओं को भूना और खाने लगे। कुछ पल में वे भी मर गये।

इस पर मैनीचीनो ने अपनी पहेली में एक लाइन और जोड़ी — पिज़ा ने बैलो को मारा, जबकि बैलो ने मैनीचीनो को बचाया

एक मरा हुआ तीन को मारता है, और फिर तीन छह को मारते हैं

डाकुओं को खाना खाते देख कर उसको अपनी भूख की याद आ गयी। उसने उन डाकुओं में से एक डाकू की बन्दूक उठायी और पेड़ पर बैठी एक चिड़िया मार दी।

वह चिड़िया अपने घोंसले में बैठी थी। सो इत्तफाक से उसकी गोली बजाय चिड़िया के लगने के उसके घोंसले में लग गयी और उसका घोंसला नीचे गिर पड़ा।

उस घोंसले में उस चिड़िया के अंडे थे सो घोंसले के नीचे गिरते ही वे अंडे भी फूट गये। उन अंडों में से चिड़िया के छोटे-छोटे बच्चे निकल पड़े। उन बच्चों के तो अभी पंख भी नहीं निकले थे।

उसने उन बच्चों को उसी आग में रख दिया जिसमें उन डाकुओं ने जहरीले कौए भूने थे और आग जलाने के लिये उसने एक किताब के कागज फाड़े जो उसको एक डाकू के पास से मिल गयी थी। उसने उन चिड़ियों के बच्चों को खाया और फिर वह पेड़ पर चढ़ गया और सो गया।

अब उसकी पहेली पूरी हो गयी थी। अगले दिन उसने अपनी पुर्तगाल की यात्रा शुरू की।


मैनीचीनो पुर्तगाल में

जब मैनीचीनो पुर्तगाल के राजा के महल में पहुँचा तो वह तुरन्त ही राजकुमारी के पास अपनी पहेली पूछने के लिये अपने उन्हीं मैले कपड़ों में चला गया जिनमें वह इतनी लम्बी यात्रा करके आया था।

राजकुमारी उसको देखते ही हँस पड़ी और बोली — “यह मैले कपड़ों वाला मुझसे पहेली पूछने आया है? मेरा पति बनने की यह सोच भी कैसे सका?”

मैनीचीनो बोला — “पहले मेरी पहेली तो सुन लो राजकुमारी जी, उसके बाद ही कुछ कहना क्योंकि आपके पिता की घोषणा के अनुसार सब बराबर हैं। किसी में कोई भेदभाव नहीं है।”

राजकुमारी बोली — “यह तो ठीक है। तुमने ठीक ही कहा पर याद रखो कि तुम्हारे पास अभी भी समय है कि तुम मुझसे पहेली पूछने से पहले ही रुक जाओ और पिटाई से बच जाओ।

मैनीचीनो ने एक पल के लिये सोचा फिर उसे उस परी के शब्द ध्यान आये और उसने हिम्मत बटोर कर कहा — “मेरी पहेली है —

पिज़ा ने बैलो को मारा, जबकि बैलो ने मैनीचीनो को बचाया

एक मरा हुआ तीन को मारता है, और फिर तीन छह को मारते हैं

मैंने उन पर बन्दूक चलायी जिनको मैंने देखा

पर उनको मारा जिनको मैंने नहीं देखा

जो अभी पैदा भी नहीं हुए थे मैंने उनका माँस खाया

जिनको शब्दों और शब्दों और शब्दों के साथ पकाया

और फिर मैं न तो धरती पर और न आसमान में सोया

सो अब बताओ मेरी राजकुमारी। बूझो मेरी पहेली।”

जैसे ही मैनीचीनो ने अपनी पहेली खत्म की राजकुमारी चिल्लायी — “ओह यह तो बड़ी आसान पहेली है। पिज़ा तुम्हारे भाइयों या दोस्तों में से कोई एक है और उसने बैलो को मारा क्योंकि बैलो तुम्हारा दुश्मन है। बैलो मरते मरते तुमको बचा जाता है क्योंकि इस तरह से वह पिज़ा तुमको फिर कभी कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता।

यहाँ तक तो ठीक है न? पर मरने से पहले बैलो ने तीन दूसरे लोगों को मार दिया और वो तीन, और वो तीन।”

इतना कह कर उसने अपनी कोहनी अपने घुटनों पर रख ली और अपनी ठोड़ी अपने हाथों में।

फिर अपनी गरदन के पीछे की तरफ खुजाती हुई बोली — “बिना पैदा हुआ माँस, क्या उसको तुमने वाकई शब्दों के साथ भूना? इसका मतलब है अगर मैं इस पहेली को हल कर पायी . . .।”

पर अन्त में वह हार मान गयी और बोली — “तुमने मुझे पा लिया ओ अजनबी। यह तो बड़ी नामुमकिन सी पहेली है। इसे तो तुमको ही मुझे समझाना पड़ेगा।”

तब मैनीचीनो ने उसे अपनी सारी कहानी सुनायी, शुरू से ले कर आखीर तक, और कहानी सुना कर उससे अपना शाही वायदा निभाने के लिये कहा।

राजकुमारी बोली — “तुम ठीक कहते हो। मैं इस बात को मना नहीं कर सकती कि मैं हार गयी हूँ पर मेरी कोई इच्छा नहीं है कि मैं तुमसे शादी करूँ। सो अगर तुम मेरे पिता से मुझसे शादी करने की बजाय कोई और समझौता कर लो तो मुझे बहुत खुशी होगी।”

मैनीचीनो बोला — “अगर उस समझौते की नयी शर्तें मुझे मंजूर हुईं तब तो मैं राजी हो जाऊँगा नहीं तो नहीं। क्योंकि याद रखो इस दुनिया में मैं केवल इसलिये निकला हूँ ताकि मैं अपनी किस्मत बना सकूँ। और अगर मैं राजकुमारी से शादी न कर सका तो फिर मुझे उसी कीमत का कोई और इनाम चाहिये।”

राजकुमारी बोली — “उसकी तुम चिन्ता न करो। तुमको उससे कहीं ज़्यादा मिल जायेगा। तुम एक करोड़पति हो जाओगे और अपनी हर इच्छा पूरी कर पाओगे।

तुम उस समझौते से इसकी तुलना करो कि अगर एक राजकुमारी जो तुम्हारी ज़िन्दगी का कोई हिस्सा नहीं बनना चाहती, अगर और अगर तुम उससे शादी कर भी लो तो शादी करके तुम्हें कैसा महसूस होगा?

वह हमेशा तुमसे नाखुश रहेगी और तुमसे चिढ़ी-चिढ़ी रहेगी। क्या तुम इस तरह से उसके साथ खुश रह पाओगे?

और क्या तुम इस बात का भी अन्दाजा लगा सकते हो कि मैं तुम्हें उस समझौते में क्या देने वाली हूँ – मैं देने वाली हूँ तुमको फूलों वाले पहाड़ के जादूगर का भेद[12]। जब तुम्हारे पास इस जादूगर का भेद होगा तो तुम्हारी सारी चिन्ताएँ दूर हो जायेंगी।”

“और वह भेद है कहाँ?”

“यह तुमको उससे खुद जा कर लेना पड़ेगा। बस तुम उसको मेरा नाम बताना तो वह तुमको सब बता देगा।”

मैनीचीनो सोच में पड़ गया कि वह इस निश्चित चीज़ को उस अनिश्चित चीज़ के लिये छोड़े या नहीं। पर राजकुमारी का पति बनने में उसे खुशी से ज़्यादा डर था क्योंकि राजकुमारी उससे शादी करना नहीं चाहती थी इसलिये उसने उससे उस फूलों वाले पहाड़ का भेद जानना ही ज़्यादा ठीक समझा सो उसने उसका पता पूछा। राजकुमारी ने उसे उसका पता बता दिया।

मैनीचीनो फूलों वाले पहाड़ पर

फूलों वाला पहाड़ एक बहुत बड़ा पहाड़ था जिस पर चढ़ना नामुमकिन सा था। मैनीचीनो उस पहाड़ की चोटी पर पहुँचने के लिये चल दिया। उस पहाड़ की चोटी पर एक किला बना हुआ था और उस किले के चारों तरफ एक बागीचा था।

लोगों ने वहाँ इतने ऊँचे पर वह किला कैसे बनाया होगा यह भी एक भेद की बात थी पर किसी तरह से मैनीचीनो उस पहाड़ की चोटी पर पहुँच गया और जा कर उस किले का दरवाजा खटखटाया।

कई बहुत बड़े साइज़ के लोगों[13] ने मिल कर उस किले का दरवाजा खोला। वे लोग न तो आदमी ही थे और न ही औरत। और देखने में भी ऐसे थे कि डर भी उनको देख कर डर जाये।

मैनीचीनो को उनको देख कर लगा कि वे तो कुछ भी नहीं थे अभी तो उसके साथ इससे भी ज़्यादा बुरा कुछ होने वाला है पर उसने उनकी तरफ शान्ति से देखा और उनसे जादूगर से मिलवाने के लिये कहा।

जादूगर का नौकर जो एक बहुत बड़े साइज़ का आदमी था आगे आया और बोला — “लड़के, तुम्हारे अन्दर हिम्मत की कमी नहीं है इस बात का तो हमको यकीन है पर अच्छा हो अगर तुम हमारे मालिक से मिलने की कोशिश न करो तो।

क्योंकि ईसाई लोग उसकी कमजोरी हैं और वह उनको कच्चा ही चबा जाता है। और हमको लगता है कि तुम ईसाई हो। इसलिये तुम जान बूझ कर अपनी जान के दुश्मन क्यों बनते हो?”

मैनीचीनो बोला — “होने दो उसको जैसा भी है वह। पर मुझे तो उससे बात करनी ही है सो मेहरबानी करके उसको यह बता दो कि मैं उससे मिलना चाहता हूँ।”

यह सुन कर वे उस जादूगर को यह बताने के लिये चले गये कि एक लड़का उससे मिलना चाहता था। जादूगर एक बहुत ही कीमती कालीन और उसके ऊपर रखे गद्दों के ऊपर बैठा था।

जब उसने यह सुना कि एक लड़का उससे मिलने के लिये आ रहा है तो वह अपने मन में कुछ सोचने लगा – “यह तो ईसाई कौर है – नाश्ते के लिये स्वादिष्ट और ताजा।” उसने कहा कि उसको तुरन्त ही अन्दर ले आओ।

तभी मैनीचीनो अन्दर घुसा। जादूगर ने उससे पूछा — “तुम कौन हो और क्या चाहते हो?”

मैनीचीनो बोला — “आप परेशान न हों। मैं आपके पास किसी बुरे मतलब से नहीं आया हूँ। मैं एक बहुत ही गरीब लड़का हूँ और अपनी किस्मत बनाने निकला हूँ और उन्होंने मुझे आपके पास भेज दिया है क्योंकि आप गरीबों और बदकिस्मतों को बहुत दान देते हैं।”

यह सुन कर जादूगर बहुत ज़ोर से हँस पड़ा। उसकी हँसी से उसका पूरा महल कांप गया। वह बोला — “क्या मैं पूछ सकता हूँ कि तुमको यहाँ किसने भेजा है?”

इस पर मैनीचीनो ने उसको अपनी सारी कहानी सुना दी। जादूगर अपनी कोहनी एक तरफ रख कर उस पर झुक गया और उस लड़के को अच्छी तरह देखने लगा।

फिर बोला — “तुम वाकई एक बहुत ही हिम्मत वाले लड़के हो और तुम सच भी बोलते हो तो तुमको इसका इनाम तो तुम्हें मिलना ही चाहिये।

मेरा भेद है यह जादुई छड़ी। यह मैं तुमको देता हूँ। पर अगर कभी यह गलत जगह रखी गयी या खो गयी तो फिर बस भगवान ही तुम्हारी सहायता करे।

तुम जब कभी भी इसे जमीन पर मारोगे और अपनी इच्छा बोलोगे तो वह तुरन्त ही पूरी हो जायेगी। यह लो और अब खुशी खुशी घर चले जाओ।”

मैनीचीनो ने जादूगर से उसकी वह जादुई छड़ी ली और फूलों के पहाड़ से नीचे चल दिया। वह सोचता चला आ रहा था कि अब बस अच्छा तो यही होगा कि वह अपने घर वापस लौट जाये, एक भले आदमी जैसे कपड़े पहने और घर जा कर देखे कि उसके पिता और भाई अभी भी उसको याद करते हैं या नहीं। सो वह अपने घर चल दिया।

मैनीचीनो वापस अपने घर

रास्ते में ही मैनीचीनो ने अपने मन में सोचा मैं अपनी जादू की छड़ी का पहला इम्तिहान यहीं लेता हूँ। उसने अपनी जादू की छड़ी जमीन पर मारी तो एक बहुत धीमी सी पतली सी आवाज सुनायी दी “मालिक, हुकुम।”

मैनीचीनो बोला — “मुझे चार घोड़े वाली एक बग्घी और भले आदमियों के पहनने वाले कपड़े चाहिये।”

और उसके सामने एक बहुत सुन्दर बग्घी खड़ी थी जिसमें चार शानदार घोड़े जुते हुए थे। कुछ नौकर उसको कपड़े पहनाने और तैयार करने के लिये आये। उन्होंने उसको बिल्कुल नये फैशन के कपड़े पहना दिये।

यह सब कुछ जादू का था। वे घोड़े भी जादू के थे। तैयार हो कर जैसे ही मैनीचीनो गाड़ी में बैठा तो वे घोड़े हवा से बातें करते हुए मिलान की तरफ चल दिये। वे वहाँ पहुँचने तक बीच में एक बार भी नहीं रुके।

वह जब मिलान पहुँचा तो उसको पता चला कि उसके माता पिता तो वहाँ से कहीं और चले गये हैं। उसके पिता जिस काम के लिये फ्रांस गये थे उससे तो वे बजाय अमीर हो कर लौटने के काफी पैसा खो कर लौटे सो वे अपना मकान आदि बेच कर शहर के बाहर एक बहुत छोटे से घर में किराये पर रहने लगे थे।

मैनीचीनो तब अपने पिता के नये घर में गया तो इतनी बढ़िया बग्घी में से उसको उतरता देख कर तो उसके माता पिता उसको देखते के देखते ही रह गये।

उसने अपने माता पिता को उस जादू की छड़ी के बारे में कुछ नहीं बताया बल्कि कहा कि उसको अपने काम में बहुत फायदा हुआ और आज से वही उनकी देखभाल करेगा।

सबसे पहले तो उसने अपनी जादू की छड़ी से एक बड़ा सा महल बनवाया। उसके बारे में उसने उनको बताया कि वह मकान उसने अपने उन्हीं नौकरों से बनवाया है जो लोग उसके नौकरों में सबसे जल्दी मकान बना सकते थे।

मकान क्या था वह तो एक बहुत बड़ा महल था। उसका परिवार अब उस महल में चला गया। उस महल में उन सबके लिये बहुत सारे कपड़े, नौकर और घर की देखभाल करने वाले मौजूद थे। और पैसे की तो कोई कमी ही नहीं थी।

वे सब बहुत खुश थे सिवाय मैनीचीनो के भाई के। उसका भाई तो उससे जल-जल कर खाक हुआ जा रहा था। क्योंकि वह इस घर का बड़ा बेटा था और अपने पिता का बहुत लाड़ला था। अब उसके पास कुछ नहीं था और उसको हर चीज़ के लिये अपने छोटे भाई का मुँह तकना पड़ता था जो उसको बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था।

वह इस बात को सोच-सोच कर ही बहुत परेशान था कि मैनीचीनो को इतना सारा पैसा मिला कहाँ से? सो तबसे उसने उसके ऊपर नजर रखनी शुरू कर दी। मैनीचीनो जब तक अपने कमरे के अन्दर रहता तब तक वह उसके कमरे से उसकी चाभी के छेद से उसमें झांकता रहता।

उसने देखा कि मैनीचीनो हमेशा एक छड़ी लिये रहता था। उसको लगा कि शायद उस छड़ी में ही कुछ भेद है सो उसने उसकी वह छड़ी चोरी करने का निश्चय किया।

clip_image014मैनीचीनो अपनी उस जादू की छड़ी को अपनी एक कई ड्रौअर वाली आलमारी में रखता था। सो एक दिन जब वह घर में नहीं था तो उसका बड़ा भाई उसके कमरे में घुसा और उसकी वह छड़ी चुरा ली।

छड़ी चुरा कर वह उसको अपने कमरे में ले आया। वहाँ उसने उसको जमीन पर मारा पर कुछ नहीं हुआ क्योंकि उसके हाथ में वह छड़ी बिल्कुल बेजान थी, एक सामान्य छड़ी जैसी, जादू की छड़ी नहीं।

वह बोला — “लगता है मुझसे कहीं गलती हो गयी। यह वह जादू की छड़ी है ही नहीं जो मैं सोच रहा था। लगता है कि वह कोई दूसरी छड़ी है जो शायद किसी दूसरी ड्रौअर में रखी होगी।”

यह सोच कर वह उस छड़ी को मैनीचीनो के कमरे में वापस रखने के लिये और उसकी दूसरी छड़ी ढूँढने के लिये उसकी दूसरी ड्रौअरों को देखने के लिये गया पर जैसे ही वह उसके कमरे में घुसा तो उसने मैनीचीनो को सीढ़ियों से ऊपर आते सुना।

इस डर से कि अब वह पकड़ा जायेगा उसने वह छड़ी दो हिस्सों में तोड़ दी और उसको मैनीचीनो के कमरे की खिड़की से बाहर की तरफ फेंक दिया जो बाहर बागीचे की तरफ खुलती थी।

अब मैनीचीनो वह छड़ी रोज तो इस्तेमाल करता नहीं था। वह तो उसका तभी इस्तेमाल करता था जब उसको उससे किसी चीज़ की जरूरत होती थी। इसलिये उसको यह बात उसी समय पता नहीं चली कि उसकी जादू की छड़ी का यह हाल हुआ।

पर इस घटना के बाद जब वह पहली बार अपनी जादू की छड़ी लेने गया और वहाँ वह उसको नहीं मिली जहाँ उसने उसको रखा था तो उसका माथा ठनका और वह तो पागल सा हो गया। उसको लगा कि न केवल उसकी सारी दौलत पल भर में ही खो गयी है बल्कि उसका तो सब कुछ खो गया है।

नाउम्मीद और दुखी हो कर वह घर से बाहर चला गया और बागीचे में परेशान सा इधर से उधर घूमता रहा। तभी उसको एक पेड़ की शाख में अपनी जादू की छड़ी टूटी हुई अटकी दिखायी दे गयी। यह देख कर तो उसके दिल की तो धड़कन ही रुक गयी।

उसने पेड़ की वह शाख हिलायी तो उस जादू की छड़ी के दोनों डंडे नीचे गिर पड़े। जैसे ही वे जमीन पर गिरे एक आवाज आयी “मालिक, हुकुम।” इन शब्दों को सुन कर मैनीचीनो की जान में जान आयी।

इसका मतलब यह था कि यह उसी की जादू की छड़ी थी और टूट जाने के बाद भी काम कर रही थी। उसने तुरन्त ही उन दोनों टुकड़ों को उठा कर रख लिया और आगे से उसको और ज़्यादा सावधानी से रखने का निश्चय किया।

मैनीचीनो स्पेन में

clip_image016उन्हीं दिनों स्पेन के राजा ने सब देशों में यह खबर भिजवायी कि उसकी अकेली बेटी अब शादी के लायक हो गयी है सो सब देशों से बहुत बहादुर नाइट्स[14] को वहाँ तीन दिन की लड़ाई के लिये बुलाया जाता है और उनमें से जो कोई भी जीतेगा उसी के साथ राजकुमारी की शादी की जायेगी।

मैनीचीनो ने सोचा कि यह मौका तो उसके लिये बहुत ही अच्छा मौका है इस तरह वह पहले युवराज और फिर राजा बन सकता है। सो उसने अपनी जादू की छड़ी निकाली और उससे चमकता हुआ जिरह-बख्तर[15], घोड़े, ढाल माँगी और स्पेन चल दिया।

अपना नाम और आने की जगह को छिपाने के लिये वह शहर के बाहर एक सराय में ठहर गया और लड़ाई के लिये तय किये हुए दिन का इन्तजार करने लगा।

यह लड़ाई एक बड़े से साफ मैदान में होने वाली थी जिसके चारों तरफ बड़े बड़े लौर्ड और उनकी पत्नियाँ बैठी हुई थीं। एक छाते लगे चबूतरे पर राजा और राजकुमारी बैठे थे जो अपने खास लोगों से बात कर रहे थे।

clip_image018अचानक कई बिगुल बजने की आवाज हुई और भीड़ नाइट्स को उस खुले मैदान में आते देखने लगी। वे सब अपने अपने हाथों में चमकदार भाले लिये हुए थे। तुरन्त ही लड़ाई शुरू हो गयी। सब एक दूसरे को मारने लगे। सब बहादुर थे। सब ताकतवर थे।

तभी मैदान में एक नया नाइट आया। उसका चेहरा ढका हुआ था उसकी पोशाक के निशानों[16] को कोई नहीं जानता था। उस नये नाइट ने एक एक करके सबको चुनौती दी।

clip_image020पहला नाइट आया तो वह उसके एक ही वार में नीचे गिर पड़ा। दूसरा आया तो वह कांप गया और तीसरे का तो भाला ही टूट गया। चौथे के सिर का टोप[17] टूट गया।

इस तरह इस नये नाइट्स से सारे नाइट्स हार गये। इसके बाद बजाय इसके कि यह नया नाइट जीत की खुशी में मैदान में चारों तरफ चक्कर काटता यह नाइट मैदान के चारों तरफ लगी चहारदीवारी के ऊपर से कूद कर मैदान से बाहर भाग गया।

सारे लोग आश्चर्य से उसका यह तमाशा देखते रह गये और किसी को भी यह पता नहीं चल सका कि यह नाइट कौन था, कहाँ से आया था और कहाँ चला गया।

वहाँ बैठे लोगों ने सोचा — “अगर यह नाइट कल भी आया तो कल हम इसके बारे में सब कुछ पता कर लेंगे।”

अगले दिन वह नाइट फिर आया और एक बार फिर उसने अपनी बहादुरी दिखा कर सबको आश्चर्य में डाल दिया। वह पिछले दिन की तरह से जीत कर फिर वहाँ से भाग गया और एक बार फिर वहाँ के लोग यह पता ही नहीं कर सके कि वह कौन था, कहाँ से आया था और कहाँ चला गया।

राजा इस बात से कुछ परेशान भी हुआ और इससे उसको अपना अपमान भी लगा कि एक अनजान नाइट इस तरह से उसके जानने वाले नाइट्स को हरा कर वहाँ से भाग गया। सो अगले दिन उसने अपने नौकरों को हुकुम दिया कि अब की बार जब वह आये तो वे उसको पकड़ लें।

इसके लिये उस दिन मैदान की चहारदीवारी दोहरी कर दी गयी।

वह नाइट तीसरे दिन भी आया और उस दिन भी जीत गया। फिर वह राजा के सामने सिर झुकाने गया। राजकुमारी ने खुश हो कर उसके ऊपर अपना कढ़ा हुआ रूमाल फेंका। उसने वह रूमाल लपक लिया और फिर से मैदान के दरवाजे की तरफ बढ़ गया।

वहाँ के चौकीदारों ने हथियारों की सहायता से उसको रोकने की कोशिश की पर उसने अपनी तलवार की कुछ चालों से ही मैदान की चहारदीवारी में अपना रास्ता बना लिया और भाग गया। पर इस भागने में एक भाला उसकी एक टॉग में लग गया।

राजा ने अपने सारे शहर में उस नाइट की खोज का हुकुम दे दिया – घरों के अन्दर भी और बाहर भी।

अन्त में लोगों को वह शहर के बाहर की एक सराय में मिला, और वह भी बिस्तर में क्योंकि उसकी एक टांग जख्मी हो गयी थी।

पहले तो वे उसको पहचान नहीं सके कि वह वही नाइट था या कोई और क्योंकि जो बड़े नाइट होते थे वे ऐसी साधारण सी जगह नहीं ठहरते थे। पर जब उन्होंने उसकी जख्मी टांग पर राजकुमारी का कढ़ा हुआ रूमाल बॅंधा देखा तब उनका सारा शक जाता रहा।

वे उसको राजा के पास ले गये जहाँ उससे उसकी पहचान पूछी गयी क्योंकि लड़ाई में जीत जाने की वजह से उसको राजकुमारी का पति और राजा का वारिस बनना था। इसके लिये उसका चरित्र साफ होना जरूरी था।

मैनीचीनो बोला — “मेरा चरित्र बिल्कुल साफ है पर मैं जन्म से नाइट नहीं हूँ। मैं तो मिलान के एक सौदागर का बेटा हूँ।”

वहाँ बैठे लोग राजकुमार और कुलीन लोगों ने अपने गले साफ करने शुरू कर दिये। जैसे-जैसे मैनीचीनो अपनी कहानी सुनाता गया वहाँ शोर बढ़ता ही गया।

जब उसकी कहानी खत्म हो गयी तो राजा बोला — “तो तुम नाइट नहीं हो बल्कि एक सौदागर के बेटे हो और तुम्हारी सारी दौलत एक जादू का फल है। अगर यह जादू खत्म हो जाये तो तुम्हारा और तुम्हारे इस सबका क्या होगा?”

राजकुमारी अपने पिता से बोली — “पिता जी, आप देख रहे हैं न कि मैं आपकी इस लड़ाई की वजह से किस खतरे में फंस गयी हूँ।”

कुछ कुलीन लोग बोले — “क्या हम अपने से नीचे परिवार में जन्मे आदमी को अपना राजा स्वीकार कर लेंगे?”

राजा चिल्लाया — “चुप रहो चुप रहो। यह सब क्या शोर मचा रखा है। जो कुछ भी मैंने, यानी राजा ने कहा उसमें यह नौजवान बिना किसी शक के सबसे अच्छा निकला इसलिये अब यही मेरी बेटी से शादी करने के लायक है और फिर मेरे राज्य का वारिस भी बनने के लायक है। अगर वह राजी हो तो।

इसके अलावा, क्योंकि मेरी बेटी इसको अपना पति स्वीकार नहीं करती और यह भी नहीं कहा जा सकता कि और लोग इस बात को कैसे लेंगे, इसलिये मैं इसको यह सलाह देता हूँ कि यह मेरी बेटी को छोड़ कर मुझसे इसकी जगह कोई और इनाम ले ले।”

मैनीचीनो बोला — “मैजेस्टी, आप इसके लिये मुझे क्या सलाह देते हैं? अगर आपकी उस सलाह से मुझे कोई फायदा होता होगा तो मैं उसे स्वीकार कर लूँगा।”

राजा बोला — “मैं सोचता हूँ कि मैं तुम्हारे लिये तुम्हारी सारी उम्र के लिये 1000 लीरा[18] सालाना की पैन्शन तय कर दूँ।”

मैनीचीनो बोला — “मुझे मंजूर है।”

एक नोटरी बुलाया गया और उससे एक समझौता लिखवाया गया जिस पर दस्तखत करने के बाद मैनीचीनो तुरन्त ही मिलान के लिये रवाना हो गया।

मैनीचीनो को मारने का प्लान

जब मैनीचीनो फिर अपने घर पहुँचा तो उसका पिता बीमार पड़ा हुआ था। वह जल्दी ही मर गया। अब दोनों भाई अपनी बूढ़ी माँ के साथ अकेले रह गये थे।

मैनीचीनो का बड़ा भाई हमेशा से ही उससे जला करता था, खास करके अब जबकि वे बहुत अमीर हो गये थे और अब उनको उस जादू की छड़ी की कोई जरूरत भी नहीं रह गयी थी सो उसने मैनीचीनो को मार डालने की सोची। इसके लिये उसने दो मारने वाले किराये पर लिये।

मैनीचीनो अक्सर मिलान के बाहर अपने दोस्तों से मिलने जाया करता था और अभी भी वह अपनी जादू की छड़ी हमेशा अपने साथ ही रखता था।

एक दिन जब मैनीचीनो अपने दोस्तों से मिलने मिलान से बाहर जा रहा था तो उसके भाई ने उन दोनों मारने वालों को उसी सड़क पर खड़ा कर दिया।

इधर जब मैनीचीनो शहर से बाहर निकला तो उसने अपनी जादू की छड़ी जमीन पर मारी तो आवाज आयी — “मालिक, हुकुम।”

वह बोला — “मैं हुकुम देता हूँ कि मेरे घोड़े बिजली की तेज़ी से दौड़ जायें।” यह कहते ही उसके घोड़े बिजली की सी तेज़ी से दौड़ पड़े।

रास्ते में खड़े उन दोनों मारने वालों ने अपने सामने जाती हुई किसी चीज़ की जाती हुई की आवाज तो सुनी पर क्योंकि वे घोड़े बहुत तेज़ भाग रहे थे कि उनको यह भी पता नहीं चला कि उनके सामने से क्या चला गया।

उन्होंने सोचा कि हम उसको शाम को पकड़ लेंगे जब वह अपने घर लौटेगा पर वह तो शाम को भी अपनी उसी तेज़ी से भागा चला गया जिस तेज़ी से वह सुबह गया था सो वे उसको शाम को भी नहीं पकड़ सके।

बड़े भाई ने फिर उन मारने वालों को अपने महल में बुला लिया और उनको मैनीचीनो के कमरे के पास ले गया और वहाँ उनको उसको मारने के लिये तैनात कर दिया।

पर मैनीचीनो को कुछ शक सा हो गया सो उसने अपनी जादू की छड़ी को कहा कि वह उसके दरवाजे को ऐसा कर दे कि कोई दूसरा उसे खोल ही न सके।”

इस तरह उन मारने वालों ने रात भर उसके कमरे में घुसने की कोशिश की पर वे उसका दरवाजा ही नहीं खोल सके। सुबह होने पर वे वहाँ से चले गये।

एक दिन मैनीचीनो से बहुत बड़ी गलती हो गयी। एक बार उसको शिकार के लिये जाना था तो उसने सोचा कि अगर मैं इस जादू की छड़ी को अपने साथ ले जाऊँगा तो मैं बेमौत मारा जाऊँगा सो इससे तो अच्छा यह है कि मैं इसको यहीं अपने कमरे में ही रख देता हूँ।

यही सोचते हुए उसने अपनी जादू की छड़ी अपने कमरे में रख दी और अपने दोस्तों के साथ शिकार खेलने के लिये बिना उस छड़ी के ही चला गया।

पर उसके भाई की आँखें तो हमेशा खुली रहती थीं। सो जब उसने देखा कि मैनीचीनो ने अपनी जादू की छड़ी अपने कमरे में रख दी है तो उसने फिर मैनीचीनो के कमरे में रखी आलमारी की ड्रौअर खोजीं और वह टूटी हुई जादू की छड़ी निकाल ली।

“तो यह है वह छड़ी। लगता है कि यह अभी भी काम करती है नहीं तो मेरे भाई ने इसको वहाँ से उठायी ही नहीं होती जहाँ मैंने इसको फेंका था। पर अब बस इसका काम खत्म।”

यह कह कर उसने छड़ी के दोनों टुकड़ों को रसोईघर में ले जा कर उनको आग में डाल दिया।

छड़ी के वे दोनों टुकड़े कुछ पल में ही जल कर राख हो गये और उसके साथ राख हो गया वह महल, दौलत, पैसा, घोड़े, कपड़े और भी सब कुछ जो उसकी वजह से उनको मिला था।

जिस समय मैनीचीनो के भाई ने उसकी वह जादू की डंडी जलायी उस समय मैनीचीनो घने जंगल में था। उस समय वह जो बन्दूक लिये हुए था, वह जिस घोड़े पर चढ़ा हुआ था और उसके वे कुत्ते जो खरगोशों के पीछे भाग रहे थे वे सब हवा के साथ उड़ गये।

उसको लगा कि उसकी सारी खुशकिस्मती हमेशा के लिये चली गयी। और यह सब उसकी अपनी बेवकूफी से ही हुआ। वह तो वहीं बहुत ज़ोर से रो पड़ा।

मैनीचीनो की मौत

अब मिलान वापस जाना बेकार था। उसने सोचा कि अब उसको स्पेन जाना चाहिये जहाँ उसकी 1000 लीरा सालाना की पेन्शन अभी भी थी जो राजा ने उसके लिये तय की थी। सो वह पैदल ही स्पेन चल दिया।

जब वह नाव से स्पेन जा रहा था तो उसको एक आदमी मिला जो बैल बेचता था। जैसा कि अक्सर साथ यात्रा करने वाले करते हैं उन दोनों की नाव में आपस में बात हुई। फिर बल्कि नाव से उतरने के बाद भी वे सड़क पर बात करते करते चलते रहे।

इस बीच मैनीचीनो ने उस बैल के व्यापारी को अपने बारे में सब कुछ बताया।

जब उस बैल के व्यापारी को मैनीचीनों की बदकिस्मती के बारे में पता चला तो उसने उससे कहा कि क्या वह उसके बैलों को वहाँ ले जा सकता है जहाँ उनकी जरूरत है। मैनीचीनो राजी हो गया और दोनों अपने अपने कामों में लग गये।

कुछ ही दिनों में मैनोचीनो के पास कुछ पैसे जमा हो गये। एक शाम जब वह अपने साथियों के साथ एक सराय में ठहरा हुआ था तो वहाँ कुछ मारने वालों ने उनके ऊपर हमला कर दिया।

वे मारने वाले काफी थे। मैनीचीनो ने हथियार उठाये भी पर क्योंकि वे कई थे इसलिये वह अकेला ज़्यादा कुछ नहीं कर सका और उन्होंने उसको मार दिया।

इस तरह से मैनीचीनो के साहसिक कामों और बदकिस्मती सबका अन्त हो गया। पर इसके मरने से इसके भाई का कोई भला नहीं हुआ क्योंकि मैनीचीनो की जादू की डंडी जलाते ही उसकी सारी दौलत और जायदाद का तो अन्त हो गया था। और उनके जाने के बाद अब वह फिर से गरीब हो गया था।

उसके बाद उसने सौदागरी का धन्धा भी शुरू किया पर वह चला नहीं और फिर उसकी हालत बुरी और बुरी से भी और ज़्यादा बुरी होती चली गयी। इसके बाद वह डाकुओं के एक गिरोह में शामिल हो गया।

और यह तो सभी जानते हैं कि दस में से नौ बार तो डाकू बच ही जाते हैं पर दसवीं बार पकड़े भी जाते हैं। उसके साथ भी यही हुआ।

एक बार सिपाहियों ने उन डाकुओं को पकड़ने के लिये जाल बिछाया और इत्तफाक से वे सब डाकू पकड़े गये।

उनको हथकड़ी बेड़ी लगा कर जेल में डाल दिया गया और फिर उनको फाँसी पर चढ़ा दिया गया। उसी में मैनीचीनो को भी फाँसी चढ़ा दिया गया।

clip_image022


[1] City of Canals

[2] Colosseum

[3] “Italian Folktales: collected and retold by Italo Calvino. Translated by George Martin. San Diego, Harcourt Brace Jovanovich, Publishers. 1980. 300 p.

[4] Sylvia Mulcahy

[5] “Italy Ki Lok Kathayen-1” – 15 folktales (No 1-18), by Sushma Gupta in Hindi languge

“Italy Ki Lok Kathayen-2” – 17 folktales (No 19-40), by Sushma Gupta in Hindi language

“Italy Ki Lok Kathayen-3” – 10 folktales (No 41-61), by Sushma Gupta in Hindi language

[6] The Son of the Merchant From Milan (Story No 62) – a folktale from Italy from its Montale Pistoiese area.

Adapted from the book: “Italian Folktales”, by Italo Calvino. Translated by George Martin in 1980.

[7] Menichino – name of the younger son

[8] Bello – the name of the dog

[9] Farm House

[10] Pizza – an Italian dish – very popular in Italy. See its picture above.

[11] Cabin – a house or a single room made of wooden logs. See its picture above

[12] The Secret of the Sorcerer of Flower Mountain

[13] Translated for the word “Giants”

[14] Knights – a high ranking person in the King’s people – see its picture above.

[15] Translated for the word “Armor”. This worn on the body to protect it especially during the war.

[16] Translated for the words “Coat of Arms”

[17] Translated for the word “Helmet”. See its picture above.

[18] Lira – the then currency of Italy. Lira was its currency from 1861 to January 1, 1999 when European currency Euro took over it. It was in use in Napoleon times also – 1807-1814.

------------

सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं के संकलन में से क्रमशः  - रैवन की लोक कथाएँ,  इथियोपिया इटली की  ढेरों लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–4 : 1 मिलान के सौदागर का बेटा // सुषमा गुप्ता
देश विदेश की लोक कथाएँ — यूरोप–इटली–4 : 1 मिलान के सौदागर का बेटा // सुषमा गुप्ता
https://lh3.googleusercontent.com/-XSsHJUr3Lj0/We70ZIvyyFI/AAAAAAAA79Q/UvDQf5UwwQYR4l4oGJioJ1Hlz9D4yse-ACHMYCw/clip_image002_thumb?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-XSsHJUr3Lj0/We70ZIvyyFI/AAAAAAAA79Q/UvDQf5UwwQYR4l4oGJioJ1Hlz9D4yse-ACHMYCw/s72-c/clip_image002_thumb?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/10/4-1.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/10/4-1.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content