कहानी संग्रह - वे बहत्तर घंटे - नेता जी और रक्त दान - राजेश माहेश्वरी

SHARE:

कहानी संग्रह वे बहत्तर घंटे राजेश माहेश्वरी नेता जी और रक्त दान एक नेता जी को अपने जन्म दिन पर रक्त दान करने की इच्छा जागृत हुई। यह जानकर उ...

image

कहानी संग्रह

वे बहत्तर घंटे

राजेश माहेश्वरी

नेता जी और रक्त दान

एक नेता जी को अपने जन्म दिन पर रक्त दान करने की इच्छा जागृत हुई। यह जानकर उनके अनुनायी आश्चर्य में पड़ गए कि नेता जी ने पहली बार कोई सकारात्मक कार्य करने का विचार किया है वरना अभी तक तो वे केवल रक्तपान की करते रहे हैं। उनका रक्त निकालकर एक ऐसे मरीज को दिया गया जिसे तत्काल रक्त की आवश्यकता थी।

नेता जी का रक्त पाकर वह बीमार ठीक तो हो गया पर अनर्गल प्रलाप करने लगा। वह चिल्लाने लगा- मेरा भाषण विधान सभा में आधा हुआ था अब विधान सभा ही गायब हो गई है। मैं यहां कैसे हूँ। अमुक व्यक्ति के ट्रान्सफर का रूपया आया या नहीं। हमें कल कहां-कहां भाषण देना है। मेरी मालाएं कहां चली गईं इत्यादी।

उसकी बातें सुनकर चिकित्सक आश्चर्य में पड़ गए। यह कौन सी बीमारी इसे हो गई है। उनकी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था। तभी कम्पाउण्डर ने सुझाव दिया। इस व्यक्ति को थोड़ा सा खून विपक्षी दल के किसी नेता का लगा दिया जाए तो संभव है उसकी प्रतिक्रिया से यह ठीक हो जाएगा। ऐसा ही किया गया। आश्चर्य कि वह मरीज ठीक होकर हंसी-खुशी अपने घर चला गया। तभी चिकित्सकों ने नेताओं का खून मरीजों को देने में सतर्कता बरतना प्रारम्भ कर दिया है।

जीवन दर्शन

मैं और मेरा मित्र सतीश, हम दोंनों आपस में चर्चा कर रहे थे। हमारी चर्चा का विषय था हमारा जीवन क्रम कैसा हो? हम दोंनों इस बात पर एकमत थे कि मानव प्रभु की सर्वश्रेष्ठ कृति है और हमें अपने तन और मन को तपोवन का रुप देकर जनहित में समर्पित करने हेतु तत्पर रहना चाहिए। हमें औरों की पीड़ा को कम करने का भरसक प्रयास करना चाहिए। हमें माता-पिता और गुरूओं का आशीर्वाद लेकर जीवन की राहों में आगे बढ़ना चाहिए। मनसा वाचा कर्मणा, सत्यमेव जयते, सत्यम् शिवम् सुन्दरम आदि का जीवन में समन्वय हो तभी हमारा जीवन सार्थक होगा और हम समृद्धि सुख व वैभव प्राप्त करके धर्म पूर्वक कर्म कर सकेंगे।

एक दिन सतीश सुबह-सुबह ही सूर्योदय के पूर्व मेरे निवास पर आ गया और बोला- चलो नर्मदा मैया के दर्शन करके आते हैं। मैं सहमति देते हुए उसके साथ चल दिया लगभग आधे घण्टे में हमलोग नर्मदा तट पर पहुँच गये। हमने रवाना होने के पहले ही अपने पण्डा जी को सूचना दे दी थी हम कुछ ही देर में उनके पास पहुँच रहे हैं। वे वहां पर हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे।

चरण स्पर्श पण्डित जी!

सदा सुखी रहें जजमान। आज अचानक यहां कैसे आना हो गया।

कुछ नहीं। ऐसे ही नर्मदा जी के दर्शन करने आ गये। सोचा आपसे भी मुलाकात हो जाएगी। पण्डित जी आज आप हमें किसी ऐसे स्थान पर ले चलिये जहां बिल्कुल हल्लागुल्ला न हो। केवल शान्ति और एकान्त हो। सिर्फ हम हों और नर्मदा मैया हों।

पूजा-पाठ और स्नानध्यान का सामान साथ में रख लें?

नहीं! हमलोग सिर्फ नर्मदा मैया के दर्शन करने का संकल्प लेकर आए हैं।

उत्तर सुनकर पण्डित जी हमें लेकर आगे-आगे चल दिये। वे हमें एक ऐसे घाट पर ले गये जहां पूर्ण एकान्त था और हम तीनों के अलावा वहां कोई नहीं था।

नर्मदा का विहंगम दृश्य हमारे सामने था। सूर्योदय होने ही वाला था। आकाश में ललामी छायी हुई थी। पक्षी अपने घोंसलों को छोड़कर आकाश में उड़ाने भर रहे थे। क्षितिज से भगवान भुवन भास्कर झांकने लगे थे। उनका दिव्य आलोक दसों दिशाओं को प्रकाशित कर रहा था। हम अपने अंदर एक अलौकिक आनन्द एवं ऊर्जा का संचार अनुभव कर रहे थे। हमें जीवन में एक नये दिन के प्रारम्भ की अनुभूति हो रही थी।

हमारी दृष्टि दाहिनी ओर गई वहां के दृश्य को देखकर हम रोमांचित हो गए। हम जहां खड़े थे वह एक श्मशान था। पिछले दिनों वहां कोई शवदाह हुआ था। चिता की आग ठण्डी पड़ चुकी थी। राख के साथ ही मरने वाले की जली हुई अस्थियां अपनी सद्गति की प्रतीक्षा कर रही थीं।

सतीश भी इस दृश्य को देख चुका था। वह आकाश की ओर देखकर कह रहा था-प्रभु! मृतात्मा को शान्ति प्रदान करना।

मेरे मन में कल्पनाओं की लहरें उठ रहीं थीं। मन कह रहा था- अथक प्रयास के बावजूद भी उसके घरवाले व रिश्तेदार विवश और लाचार हो गए होंगे और उस व्यक्ति की सांसें समाप्त हो गई होगीं। सांसों के चुकने के बाद तो औपचारिकताएं ही रह जाती हैं। जो यहां आकर पूरी होती हैं।

हम अपने विचारों में खोये हुए थे कि वहां कुछ दूर पर हमें एक संत शान्त मुद्रा में बैठे दिखलाई दिये। हम न जाने किस आकर्षण में उनकी ओर खिचे चले गये। उनके पास पहुँचकर हमने उनका अभिवादन किया और उनके सम्मुख बैठ गये। उन्हें हमारे आने का आभास हो गया था। वे आंखें खोलकर हमारी ही ओर निर्विकार भाव से देख रहे थे। उनकी आंखें जैसे हमसे पूछ रही थीं- कहिये कैसे आना हुआ?

महाराज यह दुनियां इतने रंगों से भरी हुई है। जीवन में इतना सुख, इतना आनन्द है। आप यह सब छोड़कर इस वीराने में क्या खोज रहे हैं।

वे बोले- यह एक जटिल विषय है। संसार एक नदी है, जीवन है नाव, भाग्य है नाविक, हमारे कर्म हैं पतवार, तरंग व लहर हैं सुख व तूफान, भंवर है दुख, पाल है भक्ति जो नदी के बहाव व हवा की दिशा में जीवन को आगे ले जाती है। नाव की गति को नियन्त्रित करके बहाव और गन्तव्य की दिशा में समन्वय स्थापित करके जीवन की सद्गति व दुगर्ति भाग्य, भक्ति, धर्म एवं कर्म के द्वारा निर्धारित होती है। यही हमारे जीवन की नियति है। इतना कहकर वे नर्मदा से जल लाने के लिये घाट से नीचे की ओर उतर गये।

हम समझ गये कि वे सन्यासी हमसे आगे बात नहीं करना चाहते थे। हम भी उठकर वापिस जाने के लिये आगे बढ़ गये। श्मशान से बाहर भी नहीं आ पाये थे कि श्मशान से लगकर पड़ी जमीन पर कुछ परिवार झोपड़े बनाकर रहते दिखलाई दिये।

वे साधन विहीन लोग अपने सिर को छुपाने के लिये कच्ची झोपड़ी बनाकर रह रहे थे। उनका जीवन स्तर हमारी कल्पना के विपरीत था। उन्हें न ही शुद्ध पानी उपलब्ध था और न ही शौच आदि नित्यकर्म के लिये कोई व्यवस्था थी। उनके जीवन की वास्तविकता हमारी नजरों के सामने थी।

उसे देखकर सतीश बोला- अत्यधिक गरीबी व अमीरी दोनों ही दुख का कारण होते हैं। जीवन में गरीबी अभावों को जन्म देती है और अपराधीकरण एवं असामाजिक गतिविधियों की जन्मदाता बनती है। इसी प्रकार अत्यधिक धन भी अमीरी का अहंकार पैदा करता है और दुर्व्यसनों एवं कुरीतियों में लिप्त कर देता है। यह मदिरा, व्यभिचार, जुआ-सट्टा आदि दुर्व्यसनों में लिप्त कराकर हमारा नैतिक पतन करता है।

हमारे यहां इसीलिये कहा जाता है कि- साईं इतना दीजिये जा में कुटुम समाय, मैं भी भूखा न रहूं, साधु न भूखा जाय। हमें पर उपकार एवं जनसेवा में ही जीवन जीना चाहिए ताकि इस संसार से निर्गमन होने पर लोगों के दिलों में हमारी छाप बनी रहे।

धन से हमारी आवश्यकताएं पूरी हो तथा उसका सदुपयोग हो। यह देखना हमारा नैतिक दायित्व है धन न तो व्यर्थ नष्ट हो और न ही उसका दुरूपयोग हो । मैंने सतीश से कहा कि आज हमें जीवन दर्शन हो गए हैं। हमारे सामने सूर्योदय का दृश्य है जो सुख का प्रतीक है। एक दिशा में गरीबी दिख रही है दूसरी दिशा में जीवन का अन्त हम देख रहे हैं। हमारे पीछे खड़ी हुई हमारी यह मर्सडीज कार हमारे वैभव का आभास दे रही है। यही जीवन की वास्तविकता एवं यथार्थ है। आओ अब हम वापिस चलें।

नेता और खरबूजा

आठवीं कक्षा के एक छात्र को खरबूजे पर निबंध लिखने को कहा गया। उसने खरबूजे की तुलना नेता से करते हुए उसकी अनोखी व्याख्या की।

खरबूजे में और नेता में अद्भुत समानता पायी जाती है। खरबूजा भी गोल होता है और नेता भी जनता को गोलमोल उत्तर देता है। खरबूजा खरबूजे को देखकर रंग बदलता है नेता भी सत्ता की कुर्सी को देखकर अपने में परिवर्तन लाकर कभी पक्ष और कभी विपक्ष में बैठता है। खरबूजा मीठा होता है और खाने में बहुत अच्छा लगता है। नेता की वाणी भी शहद के समान मीठी होती है और ये देश के धन को कब और कैसे हड़पकर अपनी जेबें भरता है इसे कोई नहीं समझ पाता।

खरबूजा लाल व हरे रंग का होता है। नेता भी अपने असम्मान पर लाल और अपनी प्रशंसा पर हरे रंग का आभास कराता है। खरबूजे की कीमत उसके आकार प्रकार और वजन पर निर्भर रहती है इसी प्रकार नेता का दाम भी उससे कराये जाने वाले हर काम के प्रकार पर निर्धारित होता है।

खरबूजा जब पक जाता है तो जल्दी से जल्दी उसका उपयोग न करने पर वह शीघ्रता से खराब हो जाता है। नेता का उपयोग भी समय रहते न करने पर वह किसी काम का नहीं रहता और चुनाव में जनता उसे हराकर फेक देती है। नेता और खरबूजे में एक ही असमानता है वह यह कि खरबूजा स्वास्थ्य के लिये लाभप्रद होता है किन्तु नेता सदैव देश के स्वास्थ्य के लिये नुकसान दायक होता है और इन्हीं के कारण देश में मंहगाई, भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी जैसी बीमारियां फैली हुई हैं।

विदाई

विश्व में हमारी सभ्यता, संस्कृति व संस्कारों का बहुत मान-सम्मान है। इसका मूलभूत कारण हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति है। मैं जिस पाठशाला में पढ़ता था वहां की परम्परा थी कि बारहवीं कक्षा में उत्तीर्ण होने के पश्चात शाला की शिक्षा समाप्त हो जाती थी और छात्र महाविद्यालय में प्रवेश लेकर आगे अध्ययन करते थे। शाला की ओर से ऐसे सभी विद्यार्थियों के लिये एक विदाई समारोह का आयोजन होता था। इसमें शाला के प्राचार्य अपना अंतिम आशीर्वचन छात्रों को देते थे। मुझे आज भी उनके द्वारा दिया गया उद्बोधन प्रेरणा देता है। उन्होंने उस समय कहा था कि जीवन में पढ़ने-पढ़ने में भी फर्क होता है। कुछ छात्र खूब पढ़ते हैं बहुत सारे ग्रन्थ पढ़ डालते हैं किन्तु उन्हें स्मरण कुछ भी नहीं रहता है। कुछ दूसरे छात्र पढ़े को खूब स्मरण रखते हैं किन्तु उन्हें उपयोगी तथ्य के ग्रहण और अनुपयोगी के त्याग का विवेक नहीं होता। अध्ययन लक्ष्य प्राप्ति का एक साधन है और इसका मुख्य उद्देश्य हमारे भीतर विद्यमान गुणों व योग्यताओं को विकसित करना होता है। ज्ञान का विश्लेषण करने वाला छात्र ही उचित समय पर उसका व्यवहारिक उपयोग कर सकता है और जीवन की उलझनों को सुलझाने में समर्थ हो सकता है। इसीलिये विवेक पूर्ण किया गया अध्ययन ही सार्थक और उपयोगी होता है। ऐसे छात्र द्वारा अध्ययन से प्राप्त ज्ञान उसके मानस पर अंकित हो जाता है और किसी व्यवहारिक समस्या के समाधान की आवश्यकता पड़ने पर ज्ञान के संचित भण्डार से स्मृति समुचित जानकारी प्रस्तुत कर उस व्यक्ति को समाज में सम्मानित एवं प्रतिष्ठित करती है। इसके विपरीत विवेक सम्मत अध्ययन न करने वाला छात्र परिस्थिति विशेष से घबराकर किनारा करता हुआ अपने को लज्जित अनुभव करता है और फिर अपमान के भय से समाज से पलायन करने में ही अपना हित समझने लगता है।

शिक्षा जीवन के हर पल को दिशा देती है और विद्यार्थी हर पल से एक नयी शिक्षा लेता है। मनुष्य का भाग्य, हानि, लाभ सभी कुछ विधाता के हाथ में होता है। जो ईमानदारी और परिश्रम से जीवन जीता है विधाता भी उसी का साथ देता है। ऐसे व्यक्तित्व को परिवार समाज और देश के प्रति अपने कर्तव्यों के पालन का संकल्प, तत्परता और समर्पण का बोध रहता है। उसे ही जीवन में सफलता, शान्ति और सौहार्द्र प्राप्त होता है जो कि जीवन के मूल तत्व हैं। वह अपने जीवन को सार्थक बनाता है।

ईमानदारी की राह, सच्चाई का संकल्प, धर्म पूर्वक कर्म की प्रवृत्ति, जीवन में लगन और श्रम एवं सत्कार्यों का समर्पण कठिन हो सकता है किन्तु असंभव नहीं होता है। हम जागरुक करें अपनी चेतना को और होने दें विचारों का आगमन और निर्गमन। ये विचार सकारात्मक भी होंगे और नकारात्मक भी हो सकते हैं। नकारात्मक विचारों को मनन, चिन्तन और सतत प्रयास से सकारात्मक विचारों में बदलना चाहिए और हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि असफलता ही जीवन में सफलता का आधार बनती है। यह हमें नयी दिशा देकर नये संस्कारों का उदय करती है। जिससे हमारा भाग्योदय भी हो सकता है। हम उभारें अपनी प्रतिभा को और जन्म दें एक नयी मानसिक क्रान्ति को जो हर नागरिक को बनाये स्वावलंबी एवं जागरुक और करे धरती पर विकास की क्रान्ति के नये सूर्य का उदय जिसका सूर्यास्त कभी न हो।

प्राचार्य महोदय के इस भाव पूर्ण उद्बोधन के उपरान्त हम सभी छात्रों ने सामूहिक रुप से प्राचार्य जी एवं शाला के सबसे वरिष्ठ शिक्षक महोदय को सम्मान स्वरुप गुरु दक्षिणा के रुप में स्मृति चिन्ह की भेंट दी। उन्होंने भी सभी छात्रों को गुलाब के पुष्प के साथ शाला स्थानान्तरण पत्र देकर हमारे सुखी, समृद्ध एवं स्वस्थ्य भविष्य का अशीर्वाद देते हुए हमें शाला से विदा किया।


(समाप्त)

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी संग्रह - वे बहत्तर घंटे - नेता जी और रक्त दान - राजेश माहेश्वरी
कहानी संग्रह - वे बहत्तर घंटे - नेता जी और रक्त दान - राजेश माहेश्वरी
https://lh3.googleusercontent.com/-jkIvWEdj0j4/W4LK8587WUI/AAAAAAABEBw/Z6nqXXRpNXUJQjlpl_T_08gDXW_JoR6DACHMYCw/image_thumb?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-jkIvWEdj0j4/W4LK8587WUI/AAAAAAABEBw/Z6nqXXRpNXUJQjlpl_T_08gDXW_JoR6DACHMYCw/s72-c/image_thumb?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/08/blog-post_41.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/08/blog-post_41.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content