''समस्या के मूल स्वरूप में लौटना ही उपचार है''

SHARE:

-सीताराम गुप्ता कहते हैं कि बच्चे के जन्म के समय असावधानीवश यदि माँ को कोई बीमारी हो जाए तो अगले बच्चे के जन्म के समय थोड़ी सावधानी बरती ज...


-सीताराम गुप्ता

कहते हैं कि बच्चे के जन्म के समय असावधानीवश यदि माँ को कोई बीमारी हो जाए तो अगले बच्चे के जन्म के समय थोड़ी सावधानी बरती जाए तो वह बीमारी स्वत: ठीक हो जाती है। इसका तात्पर्य है कि जापे की बीमारी जापे में ही ठीक होती है। शादी-ब्याह अथवा अन्य अवसरों पर हुए झगड़े अथवा मनोमालिन्य अगले किसी ऐसे ही अवसर पर सुलझाना सरल होता है। कई बार न्यायालयों में भी इसी प्रकार की मॉक एक्सर्साइज की जाती है जिसमें पूरे केस को करके दिखाया जाता है या उसका अभिनय किया जाता है जिससे घटनाक्रम पूरी तरह समझ में आ जाए और अपराध की असली स्थिति स्पष्ट हो सके। एक बार किसी युवती की कई मंजिला इमारत के ऊपर से गिरने से मृत्यु हो गई। ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे पता चल सके कि युवती ने आत्महत्या की है या दुर्घटनावश वह गिर गई अथवा उसकी हत्या करने के इरादे से उसे धक्का दिया गया। मृत्यु का वास्तविक कारण पता लगाना मुश्किल हो रहा था। अत: इसी आकार और वजन की 'डमी' को उतनी ही ऊँचाई से विभिन्न कोणों से नीचे डालकर वास्तविकता का पता लगाने का प्रयास किया गया। इसे घटना या वारदात का रीकंस्ट्रक्शन कहा जाता है जो फॉरेंसिक थैनेटोलॉजी में अपराध या घटना का मूल कारण जानने की प्रक्रिया है। अर्थात् समस्या कोई भी हो उसको सुलझाने के लिए घटना के मूल स्वरूप या स्थिति में लौटना पड़ता है।

शारीरिक व्याधियों को दूर करने के लिए भी यही सब करना अनिवार्य है। व्याधियाँ, रोग एक ग़लत विचार मात्र है और कुछ नहीं अत: जिस मन:स्थिति में ग़लत विचार ने जन्म लिया था उसी मन:स्थिति में पहुँचकर ग़लत विचार रूपी पौधे को जड़ से उखाड़ना पड़ता है। जैसे किसी पौधे को रोपने या बीज बोने के लिए मिट्टी की एक विशेष अवस्था ; नमी और पोलापन की जरूरत होती है उसी तरह पौधे को समूल नष्ट करने या उखाड़ने के लिए भी बिल्कुल उसी अवस्था की जरूरत होती है। जमीन ज्यादा सख्त और सूखी होने पर यदि पौधे को जड़ सहित उखाड़ना चाहेंगे तो पौधे का ऊपरी भाग तो टूटकर हाथ में आ जाएगा लेकिन जड़ वहीं रह जाएगी। और यही जड़ बार-बार पल्लवित होकर वृक्ष बनती रहेगी। तेज आँधी आने पर भी पेड़ टूट कर गिर जाते है लेकिन जड़ सहित नहीं उखड़ते। हाँ बरसात के दिनों में जब लगातार बारिश और नमी के कारण जमीन नरम और पोली हो जाती है तब बड़े-बड़े वृक्ष भी हल्के से हवा के झोंके से समूल नष्ट हो जाते हैं। यही तथ्य व्याधियों के उन्मूलन में लागू होता है।

बीमारियों को जड़ से समाप्त करना है या समस्याओं को समूल नष्ट करना है तो उसके लिए तह तक पहुँचना होगा और मन रूपी धरती को उसी अवस्था में लाना होगा जिस अवस्था में नकारात्मक या ग़लत विचार स्थापित होकर शारीरिक व्याधि के रूप में प्रकट हो गया था।

ग़लत विचार या मन की ग़लत कंडीशनिंग के कारण:

प्राय: जब हम खाली बैठे होते हैं तभी ज्यादा सोचते हैं और सोचते-सोचते एकदम शांत अवस्था में चले जाते हैं, किसी एक विचार पर केन्द्रित हो जाते हैं। मन की ऐसी शांत-स्थिर अवस्था में जो चिंतन होता है वह बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि मन की इस अवस्था में जो विचार प्रभावी हो जाता है वही भौतिक जगत में वास्तविकता का रूप ले लेता है। ऐसी अवस्था में यदि हमारा चिंतन नकारात्मक है तो वह घातक है क्योंकि उसी के कारण सारे विकार उत्पन्न होते हैं और इन्हीं मनोविकारों के लगातार प्रभाव से शरीर पर रोग उत्पन्न हो जाते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि नकारात्मक भावों या नकारात्मक दृष्टिकोण से बचो। सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण रखो। हमारा दृष्टिकोण ही हमारे चिंतन का आधार बनता है। जैसा दृष्टिकोण वैसा चिंतन और जैसा चिंतन या भाव वैसा शरीर या व्यक्तित्व। हमारे स्वास्थ्य और समृद्धि का स्वरूप सीधा हमारे मन के अनुरूप होता है। सुख-दुख, समृद्धि, अभाव, लाभ-हानि अथवा आरोग्य या बीमारी का सीधा संबंध हमारे मन से है। मन की कंडीशनिंग द्वारा ही इनका स्वरूप निर्धारित होता है तथा साथ ही मन की शक्ति द्वारा इनका सृजन भी।

ग़लत कंडीशनिंग से कैसे बचें?

कहावत है खाली मन शैतान का घर। यदि मन में कोई अच्छी कल्पना, विचार, भाव या इच्छा नहीं है तो कोई न कोई ग़लत विचार, भाव, इच्छा या कल्पना कहीं न कहीं से मन में घर कर जाएगी अत: मन को सदैव सकारात्मक विचारों से ओत-प्रोत रखो। लेकिन यदि किसी वजह से नकारात्मक चिंतन हावी हो गया है तो रोगमुक्त होने के लिए सबसे पहले इस नकारात्मकता अथवा रोग के भय को मन से निकालना होगा क्योंकि भय की समाप्ति ही वास्तविक उपचार है। इसके लिए मन की उसी शांत-स्थिर अवस्था में जाना होगा और विवेकपूर्वक अपने विचारों को ध्यानपूर्वक देखना, समझना और नियंत्रित करना होगा। जो ग़लत विचार हैं उनको हटाकर उचित विचार को स्थापित करना होगा। शांत-स्थिर अवस्था में जिसे ध्यानावस्था कहा जाता है पहुँचकर सही भाव को स्थायित्व देने का प्रयास करेंगे तो नकारात्मक या अनचाहे विचार स्वयं लुप्त हो जाएँगे। ये सकारात्मक ब्रेनवॉशिंग है।
ब्रेनवॉशिंग क्या है? किसी विशिष्ट अतिवादी विचारधारा से प्रभावित करना। इसके लिए भी मन की कंडीशनिंग की जाती है। वर्तमान विचारों को क्षीण करके या हटाकर विशेष विचारों से युक्त कर दिया जाता है। उग्रवादी भी इसी सिद्धांत को प्रयोग में लाते हैं। किसी संतुलित-सकारात्मक विचारधारा वाले व्यक्ति को शांत-स्थिर अवस्था में ले जाकर अपेक्षित ग़लत या अतिवादी विचार की कंडीशनिंग कर देते हैं। एक हानिकारक विचार को स्थायी कर देते हैं। यह ध्यानावस्था का दुरुपयोग है। हमें ध्यानावस्था का अपने लाभ के लिए सदुपयोग करना है। ध्यानावस्था में सही विचारों की कंडीशनिंग ही रूपांतरण है। स्थायी सकारात्मक आंतरिक परिवर्तन।

ध्यानावस्था और उपचार:

वैसे भी ध्यानावस्था में शरीर में अनेक लाभदायक हार्मोंस उत्सर्जित होते हैं जो हमारी स्वाभाविक रोगोपचारक शक्ति का विकास करते हैं। जो लोग नियमित रूप से ध्यान करते हैं उन्हें न तो व्याधियाँ घेरती हैं और रोग होने की अवस्था में वे अपेक्षाकृत शीघ्र स्वस्थ हो जाते हैं। ध्यान ही समस्या या रोग के मूल स्वरूप में लौटना है। ध्यानावस्था में मन को प्रभावित कर जो उपचार किया जाता है वही वास्तविक उपचार है और इसे आत्मपरक उपचार या सब्जैक्टिव हीलिंग कहा गया है। जब रोग का उपचार दवाओं से किया जाता है तो वह बाह्य उपचार कहलाता है और इसे वस्तुपरक उपचार या ऑब्जैक्टिव हीलिंग कहते हैं। वस्तुपरक उपचार में रोग के लक्षण दब तो जाते हैं लेकिन अनुकूल परिस्थितियाँ पाते ही फिर उभर आते हैं। अत: आत्मपरक उपचार पर बल दिया गया है यही वास्तविक उपचार है।

इसी प्रकार ऐतिहासिक भूलों को सुधारने के लिए भी इस विधि का सहारा लिया जाता है। अभी हाल ही में यूरोप में वाटरलू की लड़ाई की 190 वीं सालगिरह की जीवंत पुनरावृत्ति की गई जिसमें नेपोलियन को करारी हार का सामना करना पड़ा था। वस्तुत: इस पुनरावृत्ति का उद्देश्य हार-जीत का विश्लेषण करना नहीं अपितु युद्ध की निरर्थकता पर सार्थक संवाद प्रस्तुत कर विश्व को भविष्य में युद्ध से दूर रखना हो सकता है। बापू द्वारा 12 मार्च 1930 से लेकर 6 अप्रैल 1930 तक की ऐतिहासिक डांडी यात्रा की 75वीं सालगिरह की पुनरावृत्ति भी मार्च-अप्रैल 2005 की गई जिसमें देश के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया। इससे पहले भी पचासवीं और साठवीं सालगिरहों पर डांडी मार्च का जीवंत आयोजन किया जा चुका है। ऐसी सभी घटनाओं की पुनरावृत्ति वास्तव में समस्याओं के मूल स्वरूप में पहुँचकर उसे समझने और ग़लतियों को फिर न दोहराने अथवा ग़लत नीतियों के विरूद्ध निरंतर संघर्षरत रहने का संकल्प ही होता है।

किसी भी व्यक्ति के जन्मदिवस पर उसकी वर्षगाँठ मनाना हो अथवा किसी घटना की वर्षगाँठ मनाना हो उद्देश्य वही है। जन्मदिवस मनाने का अर्थ है हम उस व्यक्ति के सिद्धांतों को समझकर स्वीकार कर रहे हैं। गाँधी जी का जन्मदिवस मनाने का अर्थ है हम सत्य और अहिंसा का समर्थन करते हैं और इन्हें अपने जीवन में लागू करने के लिए कृतसंकल्प हैं अन्यथा 'रघुपति राघव राजा राम' या 'वैष्णव जन तो तेने कहिये' का आँख मूँद कर जाप करना मात्र आत्म-प्रवंचना है। जयंती मनाने का अर्थ है कि यदि घटना सकारात्मक है तो उससे पुन: प्रेरणा लेना और यदि घटना नकारात्मक है तो उससे बचने तथा ऐसी व्यवस्था करने का प्रयास करना है जिससे ऐसी परिस्थितियाँ पुन: उत्पन्न न हों। और इस सब के लिए अनिवार्य है घटना के मूल स्वरूप में लौटना। इसके बिना पूर्ण उपचार संभव ही नहीं।

कई तरह का लेखन भी इसी श्रेणी में आता है। ऐतिहासिक घटनाओं की जीवंत पुनरावृत्ति अथवा जयंती मनाने की तरह घटनाओं का लेखन भी भूल सुधार या प्रेरणा ग्रहण करने के उद्देश्य से ही किया जाता है। व्यक्तिगत रूप से भी व्यक्ति जब अपने विषय में लिखता है तो उसका उद्देश्य जीवन की वास्तविक स्थितियों का विश्लेषण कर सही को स्वीकार करना तथा ग़लत को अस्वीकार कर प्रायश्चित करना और इस तरह मन में जमा विकारों से मुक्त होना ही होता है। और विकारों से मुक्ति के लिए घटना के मूल स्वरूप तक पहुँचने के लिए मन की गहरी परतों में झाँकना अनिवार्य है।

चर्च में जाने वाले लोग वहाँ अपने गुनाहों की स्वीकृति या कन्फेशन करते हैं। यह एक प्रकार से प्रायश्चित द्वारा विकारों से मुक्त होने का तरीका ही है। काउंसलिंग में भी पीड़ित व्यक्ति अपने परामर्शदाता को अपने मन की हर एक बात बता देता है। इससे परामर्शदाता को समस्या के मूल तक पहुँचने में तो सहायता मिलती ही है साथ ही पीड़ित द्वारा अपने मन में दबे विचार या विकार उगल देने से बहुत राहत मिलती है। आधा उपचार तो यही हो जाता है। कहने का तात्पर्य ये है कि माध्यम या तरीका कोई भी हो समस्या के मूल में पहुँचना अनिवार्य है।

किसी समस्या का मूल प्रसव में होता है तो किसी समस्या का मूल युवावस्था या किशोरावस्था में। अधिकांश समस्याओं का मूल भूतकाल में ही होता है अत: उसी कालखण्ड में पहुँचकर ही समस्या को समझा और सुलझाया जा सकता हैं। भौतिक रूप से बीते कालखण्ड में पहुँचना असंभव है अत: उस कालखण्ड की मानसिक यात्रा की जाती है। इसके लिए ''एज रिग्रेशन तकनीक'' का सहारा लिया जाता है। 'रीबर्थिंग प्रोसेस' हो या 'पास्ट लाइफ रिग्रेशन' अथवा 'प्रीवियस लाइफ रिग्रेशन' सबका उद्देश्य है पीछे लौटकर समस्या के मूल को खोजना और उसे ठीक करना। रोग की जड़ पर प्रहार कर उसे समूल नष्ट करना है, मूल स्वरूप में लौटना है। यही रूपांतरण है। निर्द्वन्द्व होकर जीवन जीने की कला है ये सारी प्रक्रिया।
-----
संपर्क:
सीताराम गुप्ता,
ए.डी. 106-सी, पीतमपुरा,
दिल्ली-110088
फोन नं. 011-27313954

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: ''समस्या के मूल स्वरूप में लौटना ही उपचार है''
''समस्या के मूल स्वरूप में लौटना ही उपचार है''
http://bp2.blogger.com/_t-eJZb6SGWU/R1eZMwFeZoI/AAAAAAAACNE/u6ReKM-L-Ss/s400/sita+ram+gupta.JPG
http://bp2.blogger.com/_t-eJZb6SGWU/R1eZMwFeZoI/AAAAAAAACNE/u6ReKM-L-Ss/s72-c/sita+ram+gupta.JPG
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2007/12/blog-post_3594.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2007/12/blog-post_3594.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content