वीरेन्‍द्र सिंह यादव का आलेख : पत्रकारिता का अंदरूनी जनतंत्र और महिलाओं की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भागीदारी

SHARE:

(डॉ 0 वीरेन्‍द्र सिंह यादव) लोकतंत्र का चतुर्थ स्‍तम्‍भ पत्रकारिता को माना जाता है। वास्‍तव में देखा जाय तो पत्रकारिता ने लोकतंत्र की ...

(डॉ0 वीरेन्‍द्र सिंह यादव)

लोकतंत्र का चतुर्थ स्‍तम्‍भ पत्रकारिता को माना जाता है। वास्‍तव में देखा जाय तो पत्रकारिता ने लोकतंत्र की परिभाषा को नया आयाम दिया है। पिछले दो-तीन दशकों से पत्रकारिता के स्‍वरूप एवं संरचना में आये परिवर्तन के आधार पर कहा जा सकता है कि इसने अपनी उपस्‍थिति हर जगह सशक्‍त रूप में दर्ज करा रखी है। वर्तमान उत्‍तर आधुनिक समय में हमारा देश संचारक्रांति, उपभोक्‍तावाद, भूमण्‍डलीकरण के परिणाम स्‍वरूप अकल्‍पनीय रूप से बदल चुका है।1 आज समाज की मान्‍यताओं में भारी उथल-पुथल हो रहा है उसमें विराट परिवर्तन दिन प्रतिदिन होते दिखाई दे रहे हैं। ऐसी स्‍थिति में निःसन्‍देह जीवन मूल्‍यों के प्रति इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया की भूमिका विश्‍ोष रूप से बढ़ जाती है।

सच्‍चाई यह है कि वर्तमान पत्रकारिता के नये तेवरों ने (स्‍टिंग आपरेशन जैसे प्रकरणों ने) पत्रकारिता को दो पीढ़ियों में विभाजित करने का खतरा उत्‍पन्‍न कर दिया है। एक ओर पुरानी पीढ़ी के परम्‍परागत पत्रकार देखने को मिलते है तो दूसरी ओर नई पीढ़ी के उत्‍साही खोजी खबरनसीबी अंग्रेजों के अधीन भारत में दो किस्‍म की पत्र-पत्रिकाएं होती थीं। एक वे जो पत्रकारिता को मिशन मानकर आजादी के लिए अपने-अपने ढ़ंग से संघर्ष करती थीं और दूसरी वे जो आज शासकों को खुश करने का काम करती थी और कुछ न इधर थीं, न उधर!2 जवाहर लाल नेहरू के देहावसान के बाद एक युग का अन्‍त हुआ तो राजनैतिक मूल्‍यों और आदर्शों का अध्‍याय भी समाप्‍त हो गया। निरपेक्ष रूप से देखें तो समाचार माध्‍यमों की भूमिका और सार्थकता का सीधा सम्‍बंध उनके सरोकारों और विषयवस्‍तु से है। कुछ वर्ष पहले तक मीडिया समाज में पहरेदार की भूमिका से जोड़े जाते थे। इसी कारण समाचार माध्‍यमों को समाज में प्रतिष्‍ठा और सम्‍मान का पात्र समझा जाता रहा है।3 उम्‍मीद की जा रही है कि इनके संचालन और सरोकार बाजार की विवशताओं और होड़ तथा उपभोक्‍ता वर्गों तक पहुँच को लेकर नहीं चलेगें बल्‍कि समाज के बेहतर उद्देश्‍यों के प्रति भी जागरूक रहेंगें। लेकिन आज वे समाज के नहीं बल्‍कि बाजार के नियामक (आवाज) बन गये हैं। आज समाचार माध्‍यमों का प्रचलन नई परिभाषाओं , नये मूल्‍यों, नई प्राथमिकताओं से प्रेरित हो रहा है। अनैतिकता एवं भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ी जाने वाली लड़ाई नेताओं के बैडरूम तक चली गई है और एक बार शुरूआत हो जाये तो फिर वह कहाँ रूकेगी, यह कौन बता सकता है ?4

यह सही है कि भ्रष्‍टाचार और विश्‍ोष रूप से उच्‍च पदस्‍थ लोगों के भ्रष्‍टाचार को बेनकाब करने के लिए जो कुछ सम्‍भव हो किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा करने के लिए इस उक्‍ति में पत्रकारिता को भी शामिल नहीं किया जाना चाहिए कि ‘‘प्रेम और युद्ध में सब जायज है।'' प्रेम और युद्ध में सब कुछ जायज हो सकता है, लेकिन पत्रकारिता में सब कुछ जायज किया जायेगा तो कठिनाइयाँ बढ़ जायेंगी। दुर्भाग्‍य से पिछले कुछ समय से हमारे देश में ऐसी ही पत्रकारिता कमजोर है। खासकर तहलका प्रकरण आने के बाद िस्‍ंटग आपरेशन के नाम पर ऐसी पत्रकारिता अधिक हो रही है जिसमें साधनों की पवित्रता की कोई परवाह नहीं है।5

पत्रकारिता और महिलाओं की स्‍थिति पर जब हम बात करते हैं तो आज महिलाएं पत्रकारिता में हर जगह अपनी सशक्‍त उपस्‍थिति दर्ज करा रही हैं। इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में आज जिस तरह महिलाओं की सशक्‍त भूमिका दिखाई पड़ रही है उसने संचार क्रांति को एक नया आयाम प्रदान किया है। पत्रकारिता के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रही महिलाओं ने इस क्षेत्र में न केवल प्रतिस्‍पर्धा को जन्‍म दिया है, अपितु इस व्‍यवस्‍था को और अधिक पारदर्शी बनाने का काम किया है। पुराने दौर की परम्‍परा से आगे निकलकर अब महिला पत्रकारों ने भी प्रिंटमीडिया और इलेक्‍ट्रॉनिक दोनों ही के क्षेत्रों में स्‍त्री शक्‍ति की सशक्‍त उपस्‍थिति देखी जा सकती है।6 एक दौर था जब लड़कियों को पत्रकारिता अथवा फील्‍ड वर्किंग प्रोफेशन में जाना सख्‍त मना था लेकिन पिछले दो-तीन दशकों के वैश्‍विक आंकड़ों ने महिला पत्रकारिता की तस्वीर बदल कर रख दी है।

पत्रकारिता के इस क्षेत्र में कुछ बातें पत्र-पत्रिकाओं के अंदरूनी जनतंत्र और मानवाधिकारों की स्‍थिति के बारे में माना जाता है कि पत्रकारिता में अच्‍छी खासी संख्‍या में महिलाओं की उपस्‍थिति होने के बाबजूद भी लिंग आधारित भेदभाव आज भी देखने को मिलता है। भले ही भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 14 में लैंगिक समानता का प्रावधान किया गया था‘ 7 किन्‍तु व्‍यवहार में लैंगिक समानता न आ सकी। स्‍त्री एक मात्र ऐसी जाति बनी रही जो पिछले कई हजार वर्षों से पराधीन बनी हुई है।8 भारतीय सामाजिक व्‍यवस्‍था में एक ही परिवार और परिवेश में स्‍त्रियों को अपने साथी पुरूषों की अपेक्षा कई अभाव और वंचनाएं भोगनी पड़ती हैं।''9 पत्रकारिता के क्षेत्र में भी भले ऊपरी तौर पर संवैधानिक रूप से भेदभाव न देखने को मिलता हो लेकिन व्‍यवहार में महिलाएं काम और वेतन दोनों के मामलों में आज भी भेदभाव का शिकार हो रही हैं हॉलांकि ‘‘इस स्‍थिति से निपटने के लिए कुछ समय पहले हरियाणा के मानेसर में सम्‍पन्‍न इण्‍टरनेशनल फेडरेशन अॉफ जर्नलिस्‍ट के एक सम्‍मेलन में महिला पत्रकारों के लिए एक जेंडर कांउसिल गठित करने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय में पत्रकार संगठनों की अहम भूमिका रही। लेकिन यह कांउसिल कितना और कैसे काम करता है, यह अभी तक स्‍पष्‍ट नहीं हो पाया है।''10

हैरत की बात यह है कि इण्‍टरनेशनल वूमंस मीडिया फाउन्‍डेशन द्वारा 2001 में कराये गये एक अध्‍ययन के अनुसार मीडिया में कार्यरत महिलाओं का हिस्‍सा विश्‍व में 41 प्रतिशत है। लेकिन यूनेस्‍को के एन अनफिनिस्‍ड स्‍टोरी ः जेंडर पैटर्न इन मीडिया एंप्‍लॉयमेंट नामक प्रकाशन के अनुसार एशिया में यह घटकर महज 21 प्रतिशत रह जाता है।11 भारत में स्‍थिति और भी दयनीय है। भारत में यह स्‍थिति महज 12 प्रतिशत पर ही सिमटी हुई है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि भारतीय मीडिया में मात्र 12 प्रतिशत महिलाएं ही कार्यरत हैं। जब हम कार्य विभाजन एवं पदों के विभाजन पर चर्चा करते हैं तो इण्‍टरनेशनल वूमंस मीडिया फाउन्‍डेशन द्वारा महिला पत्रकारों के बीच कराए गये एक सर्वेक्षण में एशिया से भाग लेने वाली 72 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि उनकी कम्‍पनी में दस निर्णय लेने वाले शीर्ष व्‍यक्‍तियों में एक भी महिला नहीं है। इस तथ्‍य के पीछे पुरूष एकाधिकार के परिणाम गोपनीय नहीं हैं बल्‍कि अनेक सदाशयता के बाबजूद प्रत्‍यक्ष-परोक्ष रूप से प्रकाशन संस्‍थाओं की मीडियानीति में व्‍याप्‍त पुरूषवादी दृष्‍टि खुलकर सामने आती रहती है।12 कुछ उदाहरणों से इसकी तस्वीर स्‍पष्‍ट करने की मैं कोशिश करना चाहूँगा, लगभग दो दशक पुराना पटना का वॉबीफांड हो या रॉची का सुषमा कुजूर कांड, मिस जम्‍मू प्रकरण हो अथवा श्रीनगर सैक्‍स स्‍कैंडल, बलात्‍कार का कोई भी मामला हो इनमें पीड़ित महिला की तश्‍वीर और नाम छापने की प्रवृत्‍ति कम होने के बजाय बढ़ती ही जाती है।13 वर्तमान दौर में कुछ एक समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं को छोड़कर लगभग सभी में आपसी स्‍पर्धा के कारण स्‍त्री देह को ही अपना केन्‍द्रीय विषय बना डाला है इनके लिए देश-दुनिया में घटने वाली कोई भी घटना वह महत्‍व नहीं रखती है जो नारी देह एवं अनैतिक सम्‍बन्‍धों की होती है। न केवल फिल्‍मी हस्‍तियों के बल्‍कि मॉडलों, विदेशी फिल्‍म और पाप स्‍टारों; धनकुबेरों आदि के गौसिप चटपटी खबरें और उघारन तस्वीरें इनकी जरूरी खबरों का हिस्‍सा हैं, वास्‍तविकता यह है कि यह पुरूषवादी दृष्‍टि केवल समाचार कवरेज तक ही सीमित नहीं है विज्ञापनों और फीचर लेखों के साथ छपने वाले रंगीन छविचित्र भी इसी सोच का हिस्‍सा हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने श्‍लील-अश्‍लील सम्‍बन्‍धी एक निर्णय के द्वारा इस तरह की सामग्री परोसने वालों को एक नया तर्क और ताकत दे दी है लेकिन इसके बावजूद मीडिया की पुरूषवादी दृष्‍टि का आरोप समाप्‍त नहीं हो जाता।14 वर्तमान की आवश्‍यकता हो गयी है कि परिवार हो या समाज या अन्‍य क्षेत्र चाहे मीडिया ही क्‍यों न हो महिलाओं की स्‍थिति में सुधार हेतु एक वैचारिक आन्‍दोलन की आवश्‍यकता है। स्‍थापित पितृसत्‍तात्‍मक परम्‍परा और सामाजिक सांस्‍कृतिक मूल्‍य और मान्‍यताओं के चलते महिलाओं के प्रति सम्‍मान का भाव नहीं है। चिंतन और व्‍यवस्‍थाओं में नारी विरोध के अनेक पक्ष हैं, इसमें मीडिया से विश्‍ोष आग्रह किया गया है कि वह महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग के प्रति भाषा चयन पर विश्‍ोष ध्‍यान रखें।15 भूमण्‍डलीकरण और संचार माध्‍यमों के इस युग में जो नवीन कार्य संस्‍कृति उभर रही है वह लैंगिक समानता की ओर नहीं जाती वल्‍कि प्रकारांतर से एक धोखे की ओर अग्रसर है।16 ऐसे में मीडिया और भारतीय स्‍त्री के भविष्‍य का पूर्वानुमान लगाना मानसून के पूर्वानुमान17 लगाने से अधिक मुश्‍किल का कार्य प्रतीत होता है।

-------------------------

सन्‍दर्भ ग्रन्‍थ सूची ः

1- स्‍मारिका-राष्‍ट्रीय शोध संगोष्‍ठी भारत में नारी विकास के बदलते आयामःएक ऐतिहासिक दृष्‍टि इतिहास विभाग डी0वी0 कालेज, उरई, 21-22 मार्च 2009, पृ0 82

2- समाज विज्ञान शोध पत्रिका, 2006 वाल्‍युम 2, पृ0 142

3- योजना, मई 2009, पृ0 5

4- जनसत्‍ता, नई दिल्‍ली, 17 जनवरी 2006, स्‍टिंग बनाम्‌ कलम की खोजी पत्रकारिता, आंनद प्रधान, पृ0 17

5- दैनिक जागरण कानपुर, 20 दिसम्‍बर 2005, खबरों की दुनिया में स्‍टिंग आपरेशन, राजीव सचान

6- स्‍मारिका-राष्‍ट्रीय शोध संगोष्‍ठी भारत में नारी विकास के बदलते आयामःएक ऐतिहासिक दृष्‍टि इतिहास विभाग डी0वी0 कालेज, उरई, 21-22 मार्च 2009,पृ0 88

7- समाज विज्ञान शोध पत्रिका, 2006 वाल्‍युम 2, पृ0 86-89

8- समाज विज्ञान शोध पत्रिका, अप्रैल-सितम्‍बर 2007, पृ0 156-163

9- अमर उजाला कानपुर, 4 फरवरी 2008

10- योजना-मई, 2009, मीडिया का अदरूनी जनतंत्र, पृ0 24

11- योजना-मई, 2009, मीडिया का अदरूनी जनतंत्र, पृ0 24

12- रिसर्च जनरल अॉफ सोशल एण्‍ड लाइफ सांइस, जनवरी-जून 2008, पृ0 438

13- योजना, मई 2009, पृ0 24

14- योजना, मई 2009, पृ0 24

15- दैनिक जागरण कानपुर, 4 फरवरी 2007

16- अमर उजाला कानपुर, 30 जनवरी 2008

17; राजभाषा भारती, जुलाई-सितम्‍बर 2007, पृ0 29

-----------------------------------------------------------

सम्‍पर्क ः वरिष्‍ठ प्रवक्‍ता-हिन्‍दी विभाग, डी0 वी0 (पी0 जी0) कालेज, उरई जालौन उ0 प्र0 -285001

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. भाई यादव जी ।
    वर्तमान मे तो मानदण्ड बदले हुए लगते हैं।
    पत्रकार का मतलब था,
    निष्पक्ष और विद्वान-सुभट।
    नये जमाने में इसकी,
    परिभाषाएँ सब गई पलट।।
    नटवर लाल मीडिया पर,
    छा रहे बलात् बाहुबल से।
    गाँव शहर का छँटा हुआ,
    अब जुड़ा हुआ है चैनल से।।

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: वीरेन्‍द्र सिंह यादव का आलेख : पत्रकारिता का अंदरूनी जनतंत्र और महिलाओं की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भागीदारी
वीरेन्‍द्र सिंह यादव का आलेख : पत्रकारिता का अंदरूनी जनतंत्र और महिलाओं की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भागीदारी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj4aydq1HVIAMU-qKUm-2YVfQOdmOvYlG2125Qmjij33skISewMeGSS3-Q8h5XyHTV-TxyZwOQZzgrYGb2veD9XTphREAR_0Klm5AolGWXYtqIwvkm9QEea1YDXAzZuHW-RJpzR/[4].jpg?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2009/05/blog-post_14.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2009/05/blog-post_14.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content