रश्मि तारीक की कहानी - आत्मसम्मान

SHARE:

  तालियों की आवाज़ में देव प्रकाश जी की रुंधी हुई आवाज़ को शायद किसी ने महसूस नहीं किया !चश्मा थोडा सा ऊपर कर वो अपनी आँखों के कोरो को रुमाल ...

  image

तालियों की आवाज़ में देव प्रकाश जी की रुंधी हुई आवाज़ को शायद किसी ने महसूस नहीं किया !चश्मा थोडा सा ऊपर कर वो अपनी आँखों के कोरो को रुमाल से पोंछ रहे थे !उम्र के आखिरी पड़ाव पर आकर उन्हें एहसास हुआ कि जीवन में कुछ सीखना हो तो उम्र मायने नहीं रखती न ही उम्र बंधन है !बस कुछ भी पाना हो और अपनी मंजिल पर पहुंचना हो तो बस एक जज्बा ही होना चाहिए! और ये एहसास उनकी अपनी बहू स्नेहा ने दिलाया जो स्टेज के पीछे खड़ी उन्हें हाथ हिला कर अपनी ख़ुशी से भीगी आँखों से मौन बधाई दे रही थी ! देव प्रकाश जी गदगद ह्रदय से दिल से बहू को आशीष दे रहे थे ! आज उन्हें अनाथ बच्चों को पढाने और उन्हें हर संभव सहायता करने के लिए सम्मानित किया जा रहा था !उनकी पत्नी को भी,गरीब लडकियो को सिलाई कढाई सिखाने के लिए सम्मानित किया जा रहा था !

सविता देवी खुद कुछ ज्यादा पढ़ी नहीं थी पर जितना आता था ,जितना उन्होंने अपने परिवार को अपनी समझ और सूझबूझ से संभाला, वही अनुभव उन गरीब लड़कियों के जीवन को संवारने में अर्पित कर रह थीं! देव प्रकाश जी की डबडबआई आँखों में वो पल घूम गए जब इसी बहू स्नेहा को उन्होंने स्वीकार ही नहीं किया था !बहुत खरी खोटी सुनाई अपने मंझले बेटे को जो प्रेम विवाह कर अपनी विजातीय पत्नी को सीधा घर ले आया था !मालूम था उसे कि पूछने पर उसे स्वीकृति नहीं मिलेगी इसलिए हिम्मत कहो या महेश के प्रेम की इंतहा कि स्नेहा को ब्याह कर परिवार वालो के सामने खड़ा कर दिया बस!बहुत आगा बबूला हुए थे उस दिन देव प्रकाश जी !

देखा....!महेश की बेवकूफी को ?इसकी इतनी हिम्मत की इसने बिना पूछे बिना हमें बताये शादी भी कर ली !

चिल्ला पड़े देव प्रकाश जी सविता देवी पर ! साथ ही एक तरफ जाकर बैठ गए ! दरवाजे की दहलीज़ पर बेटा बहू दोनों खड़े अन्दर आने की इजाज़त की इंतज़ार में खड़े एक दूजे को देख रहे थे मानो कह रहे हो की अब क्या होगा !महेश ने आँखों ही आँखों में तसल्ली दी स्नेहा को कि चिंता न करे! इतने में देव प्रकाश जी की बड़ी बहू आरती का थाल लिए बाहर आई !

देव प्रकाश जी झल्ला पड़े बहू पूजा पर .....किस से पूछ कर तुम आरती उतारने जा रही हो इन दोनों की ?कह दो इन से हमारा रिश्ता खत्म आज से !हम क्या मर गए थे जो अपने आप शादी कर आया कमबख्त ?

ये कह कर देव प्रकाश जी बरामदे में पड़ी अपनी कुर्सी पर बैठ गए और बढ़ बढ़ाते रहे !सविता देवी ने इशारे से बड़ी बहू को नवदंपत्ति का स्वागत करने की आज्ञा दी और देव प्रकाश जी को शांत करने एंव मनाने के लिए समाज के ऊँचनीच का हवाले दे कर आश्वासित करने लगी !देवप्रकाश जी उठे और पत्नी के साथ अनमने भाव से ही सही दरवाजे के पास आ गए !बेटा बहू ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया और इस तरह घर में थोड़ी चहल पहल हुई !बहू बेटे को उनके कमरे तक पहुंचा कर सब अपने अपने कमरों में चले गए !रात को भी सबने चुपचाप खाना खाया ! न किसी ने कोई नौक झोंक की न किसी ने कोई उत्साह या ख़ुशी दिखाई छोटी बहू के आने की !

स्नेहा ख़ामोशी से सबके चेहरों को पढ़ने की कोशिश करती रही और उनके चेहरे के हाव भाव से उनको समझने की कोशिश !अन्दर ही अन्दर उसका मन भी भर आया ऐसा अनपेक्षित व्यवहार देख कर परन्तु ये तो होना ही था ! खुद दोनों ने कदम उठाया था मंदिर में शादी करने का तो अब ये सब तो झेलना ही पड़ेगा न!
समय बीतता गया ! स्नेहा ने अपने आपको महेश के परिवार के हिसाब से ढाल लिया था !पर इतने समय में उसने महसूस किया की उसके जेठ जेठानी बस अपने काम से काम रखते और छोटा देवर अपने कॉलेज और पढाई में मस्त रहता!सास ससुर बस या तो चुपचाप खोये से रहते और अपने कमरे में बंद रहते या खीजते रहते और कभी किसी पर कभी किसी पर छींटाकशी करते रहते फिर चाहे वो कोई पड़ोसी भी क्यों न हो !परिवार की ये दिनचर्या खासकर सास ससुर की तबियत को देखते हुए और उन्हें मानसिक तनाव में यूँ रहते हुए स्नेहा को कई बार चिंता होती थी ! उसने महेश से एक दो बार ज़िक्र भी किया कि माँ बाबूजी को किसी कार्य में व्यस्त रहना चाहिए वर्ना वो और भी बीमार हो जाएँगे पर महेश एक ही बात कहता ,''देखो स्नेहा ,माँ बाबूजी की इस उम्र में किसी भी आदत को बदलना नामुमकिन है ! तुम व्यर्थ चिंता मत करो और जब सब अपने आप में मस्त हैं तो तुम क्यों इतना सोचती हो ?हां उनके स्वास्थ्य की चिंता मुझे भी है और मैं उनका चेकअप भी करवाता रहता हूँ !''
स्नेहा यह बात सुनकर आश्वस्त नहीं हो पाती थी !कहीं न कहीं वो माँ बाबूजी के लिए कुछ सोचने लगी थी !फिर एक दिन अचानक उसको एक सूत्र हाथ में लगा !हुआ यूँ कि किसी काम से उसको अचानक अपने पड़ोस में जाना पड़ा जहाँ मि ० शर्मा अपनी पत्नी के साथ अपने घर की बरामदे में कुछ बच्चो को पढ़ा रहे थे और मिसेज शर्मा कुछ लड़कियों को सिलाई सिखा रह थीं ! स्नेहा मंत्रमुग्ध सी उस दम्पति को देख रही थी !इतने में मिसेज शर्मा ने उसे देख कर कहा ..''आओ,आओ बेटी !कैसी हो ?स्नेहा ने कहा ,''मैं ठीक हूँ आंटी !आप कैसे हो'' और पूछे बिना रह न सकी कि  ''आंटी , आप और अंकल इन बच्चों को पढ़ा और सिखा रहे हैं ,आपका तो परिवार आपके ही साथ है फिर आप कैसे ये सब कैसे कर लेती हैं ?''
                              ''तो क्या हुआ बेटी ,हमारा परिवार हमारे साथ है तो क्या हम किसी और को सहारा नहीं दे सकते ? स्नेहा ,हम सम्पूर्ण हैं तो भी किसी अपूर्ण को सम्पूर्णता दे सकते हैं !किसी को सहारा देना, मदद करना जिनको हमारी आवश्यकता है तो देनी चाहिए न !'' और किसी की मदद करने से जो आत्मिक संतुष्टि मिलती है उसका तुम अंदाजा भी नहीं लगा सकती !जहाँ तक तुम्हारा सवाल है हमारे अपने परिवार के लिए तो ईश्वर की दया से बेटा बहू दोनों नौकरी करते हैं और पोता पोती दोनों बड़े हैं और स्कूल में दसवीं और बारहवीं में पढ़ते हैं !बेटा सब व्यस्त हैं अपने अपने कार्यों में तो हम अकेले खाली बैठ कर क्या करते ?घर के छोटे मोटे कार्यों से निर्वत्त होकर अनाथ बच्चों को पढ़ाने और गरीब लड़कियों को सिलाई, कढाई सिखाने में समय कब व्यतीत हो जाता है पता ही नहीं चलता !''


'स्नेहा ने पूछा ,''आपके बेटा बहू ने कोई एतराज़ तो नहीं किया?''
इस पर मिसेस शर्मा बोली ,'' नहीं बल्कि मुझे तो मेरी बहू ने ही ये रास्ता सुझाया ''!घर में सब व्यस्त हैं पर किसी को भी किसी से कोई शिकायत नहीं और जो वक़्त हमे मिलता है उस में हम सब मिल बैठ कर अपनी बातें अपनी दिनचर्या बताते हैं और इसी तरह वक़्त बीतता रहता है !'' स्नेहा बेटा ,घर बैठ कर बच्चो की ज़िन्दगी में दखलंदाज़ी करके और उन्हें ताने मारने से क्या फ़ायदा ? घर का माहोल भी ख़राब होता है और हम सब दुखी ही रहते हैं तो बेहतर है खुद को व्यस्त रखें ! स्नेहा को जैसे अपने सास ससुर के लिए एक उम्मीद की किरण दिखाई दी और उसने अपने मन में ठान लिया कि वह भी अपने माँ बाबूजी को मानसिक तनाव से निकालने के लिए किसी ऐसे ही नेक काम में लगाने लिए प्रयास करेगी !था तो थोडा मुश्किल क्यूंकि उम्र के इस दौर में अक्सर इंसान अपने आप को बदल नहीं पाता !न ही चाहता है की कोई आकर उसे उसके ढर्रे से हटाने की कोशिश करे !पर कोशिश तो करनी ही पड़ेगी ,ये सोचकर स्नेहा ने माँ बाबूजी को इस कार्य में शामिल करने के लिए अपनी योजना को साकार करने के लिए प्रयत्न शुरू कर दिया और साथ ही शर्मा दंपत्ति से उनका सहयोग भी माँगा !एक अच्छे काम के लिए शर्मा दंपत्ति ने स्नेहा को सराहा भी और योगदान भी दिया !


एक दिन अचानक दरवाज़े पर घंटी बजी और एक ,दो लड़के आये और बाबूजी से बोले ,'' अंकल जी ,हम यहाँ पास के शर्मा अंकल के पास पढने आते हैं और शर्मा अंकल कहीं बाहर गए हैं आर उन्हें आने में समय लगेगा !आप संस्कृत और हिसाब अच्छा पढ़ाते हैं ऐसा हमने सुना है !प्लीज़  ,कल हमारा पेपर है आप हमारी सहायता कर दीजिये न !प्लीज़!

बाबूजी कुछ सोचकर बोले ,''अरे बेटा मुझे काफी समय हो गया है ये पढाई वढाई छोड़े हुए'' !''इस पर बच्चों ने कहा आप एक बार कोशिश तो कीजिये न ''!बच्चों की जिद्द के आगे उनकी एक न चली और वो काफी देर तक बैठे रहे और उन्हें पढ़ाते और समझाते रहे ! बाबूजी के चेहरे पर एक आत्मसंतुष्ट्ती देख माँ और स्नेहा दोनों ही खुश थीं ! फिर ऐसे ही एक दिन कुछ लड़किओं ने बहाने से आकर माँ से भी कुछ सिलाई के नमूने सीखे !
धीरे धीरे माँ बाबूजी शर्मा दंपत्ति के यहाँ भी जाने लगे और वहां पर बच्चों को अपना यथासंभव सहयोग देने लगे !सिखाने वाले बढे तो सीखने वाले बच्चों की तादाद भी बढ़ी !अब बाबूजी और माँ अपना अधिकतर समय इसी परोपकार और आत्मसम्मान मिश्रित कार्यों में लगाने लगे और खुश रहने लगे ! इन्हीं प्रयत्नों के फलस्वरूप उन्हें शहर में जब सम्मानित करने के लिए बुलाया गया तो शर्मा दंपत्ति ने माँ बाबूजी को सब सच बता दिया और कहा की आज उनके इस सम्मान के लिए उनकी बहू स्नेहा का भी हाथ है तो माँ बाबूजी के आश्चर्य की सीमा न रही और वो आत्मविभोर से हो गए !
अपना नाम पुकारे जाने पर जब बाबूजी स्टेज पर आये और फूलों के हार और तालिओं से जब स्वागत हुआ और उन्हें कुछ बोलने को कहा गया तो देव प्रकाश जी बोले ,,''मेरे हमउम्र भाइयो , बहनों और अतिथिगण !आज मैं जो कहने जा रहा हूँ वो बात जिन्हें अच्छी लगे वो गाँठ बाँध कर रखे और जिन्हें न पसंद आये वो कृपया मुझे माफ़ करें  !भाईयों और बहनों हम अक्सर ये सोचते हैं कि हमारे बच्चे हमारे बुढ़ापे में हमारा सहारा बनेगे या नहीं ?कहीं वो हमे छोड़ तो नहीं देंगे दर दर की ठोकरें खाने के लिए ?हम अपनी सारी जमा पूंजी अपने बच्चों के लिए खर्च कर देते हैं और बदले में ताउम्र उनसे जुडी अपेक्षाओं का पिटारा अपने पास बंद करके रखे रखते हैं और जरा सी भी चूक पर उन्हें कोसने से बाज़ नहीं आते ! हम ऐसा क्यों करते हैं ?कुछ अपवाद छोड़कर मैं कहता हूँ कि या तो हमें अपनी जमा पूंजी में से कुछ हिस्सा अपने लिए सुरक्षित रख कर संतुष्टि से जीवन व्यतीत करना चाहिए और अगर नहीं भी है कोई पूंजी हमारे पास तो ईश्वर ने हमें जो यह शरीर दिया है ,दिमाग दिया है उसका इस्तेमाल करके अपने लिए दो वक़्त कि रोटी का जुगाड़ तो कर सकते हैं न ?क्यों हम इतने आश्रित हो जाते हैं अपने बच्चों पर कि खुद को पंगु बना लेते हैं?और फिर कोसने लगते हैं अपने ही बच्चों को ? आज जरुरत है तो थोड़ी सी समझदारी और अपने आत्मसम्मान को बरकरार रखने की ताकि हम खुद को असहाए न समझ सके ! अपने बड़े होने के अहंकार को दरकिनार करके ही छोटों से सम्मान पाया जा सकता है !मैं आज शुक्रगुजार हूँ अपनी बहू का जिसने मुझे और मेरी पत्नी को आत्मसम्मान के मार्ग पर चलने की दिशा दिखाई ताकि मैं फख्र से अपनी बाकी बची ज़िन्दगी जी सकूँ !दोस्तों ,इसी बहू को एक वक़्त मैंने स्वीकार करने में हिचकिचाहट दिखाई थी, क्यूंकि हम अक्सर जातीय विजातीय के आडम्बरों में खुद को घेरे रखते हैं और इंसान को पहचानने में देर लगा देते हैं !मैं भी इन्हीं उलझनों से घिरा था पर आज उसी बहू ने बेटी बन कर हम माँ बाप को जीने की वजह दिखाई !मेरी इल्तेज़ा है सब से कि बेटों के साथ दोस्ती का और बहू के साथ बेटी का रिश्ता बना कर देखो ज़िन्दगी अपने आप स्वर्ग बन जाएगी!अंत में इतना ही कहूँगा मित्रगण....

..
   ''मेरे हौसलों को अब तुम चुनौती मत देना ...!!
कि यारों मुझ में अभी हिम्मत है बाकी ''..!!

एक बार फिर तालिओं के साथ देव प्रकाश जी का स्वागत हुआ ! उनकी बातों को सुनकर कुछ ने अश्रुपूरित आँखों से स्वीकृति दी तो कुछ लोगो मन ही मन में ठान लिया कि अब वो भी आत्मसम्मान की ज़िन्दगी जीयेंगे !खुद भी स्वच्छंद रहेंगे और अपने बच्चो को भी स्वच्छंद आकाश में उड़ने के लिए मुक्त कर देंगे !

COMMENTS

BLOGGER: 3
  1. वाह मैम बहुत सुंदर ,प्रेरणात्मक कहानी .....हार्दिक बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर रचना रची है ! मेरी ओर से आपको हार्दिक शुभकामनाएं |

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेरणास्पद कहानी।

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: रश्मि तारीक की कहानी - आत्मसम्मान
रश्मि तारीक की कहानी - आत्मसम्मान
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhFV5gpHCCU9UZCcNDcc7VfMb6rWFmQrnKxa8rF1WMxgk7WD0Wp5cTcu8XSnenUAiBHvLXRpf3Hw7dyeDO3vWHun0sI6vzvByWfxVHwRfV0jFVV5Flf4RXIddtlJgRVQI5MU_ia/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhFV5gpHCCU9UZCcNDcc7VfMb6rWFmQrnKxa8rF1WMxgk7WD0Wp5cTcu8XSnenUAiBHvLXRpf3Hw7dyeDO3vWHun0sI6vzvByWfxVHwRfV0jFVV5Flf4RXIddtlJgRVQI5MU_ia/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2012/04/blog-post_7266.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2012/04/blog-post_7266.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content