जब मैं था तब हरि नहीं // सुशील शर्मा

SHARE:

कबीर गर्व न किजीये, ऊँचा देखि आवास। काल पडे भुंइ लेटना, ऊपर जमसी घास॥ संत कबीर प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वशः |अहङ्कारविमूढात्मा ...

स्वप्न मलिक की कलाकृति

कबीर गर्व न किजीये, ऊँचा देखि आवास।

काल पडे भुंइ लेटना, ऊपर जमसी घास॥

संत कबीर

प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वशः |अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते || २७ ||

जीवात्मा अहंकार के प्रभाव से मोहग्रस्त होकर अपने आपको समस्त कर्मों का कर्ता मान बैठता है, जब कि वास्तव में वे प्रकृति के तीनों गुणों द्वारा सम्पन्न किये जाते हैं।

गीता (अध्याय -3 श्लोक -27 )

आत्म' वह है जिसके साथ हम पैदा हुए हैं । अहंकार’ वो है जिसे हमने एकत्रित किया है ; अहंकार हमारी उपलब्धि है। यह प्राकृतिक नहीं है आत्मिक भी नहीं है।

अहंकार एक मृगतृष्णा है जो सिर्फ लगता है कि है। और जब हम आध्यात्मिक रूप से गहरी नींद में होते हो, तब वह बहुत प्रबल हो जाती है; स्वाभाविक है वह हमारे लिए समस्या खड़ी कर देती है। हमारा सारा कष्ट इसके द्वारा निर्मित हो जाता है,हमारा तनाव, हमारी चिंताएं सब का हेतु हमारा अहंकार होता है। हमारा अहंकार उन घोषणाओं और कथनों के साथ जो हमारी पहचान निर्धारित करते हैं के रूप में "मैं" और "मुझे" के पीछे छुपा होता है। अहं को परिभाषित करना मुश्किल है क्योंकि अहंकार सिर्फ एक विशिष्ट गुण या अवगुण नहीं है।यह वास्तव में कई अलग-अलग मान्यताओं से बना है जो एक व्यक्ति अपने जीवन में प्राप्त करता है। ये मान्यतायें विविध और भी विरोधाभासी हो सकतीं हैं जो अहंकार को परिभाषित करना और अधिक जटिल बनाती हैं।प्रत्येक व्यक्ति का अहंकार भिन्न होता है। यदि कोई व्यक्ति अपने अहंकार के सभी हिस्सों को स्पष्ट रूप से पहचानने की कोशिश करे तो संभवतः वह भ्रमित हो जाएगा।अहंकार का मतलब ही यही है कि आप दूसरों को प्रभावित करने की चेष्टा कर रहे हैं। आपको अहंकार के लिए किसी दूसरे की जरुरत पड़ती है। जब आप अपनी जगह पर अकेले होते हैं, तब वहाँ अहंकार नहीं हो सकता। अहंकार की संरचना-फ्रायड ने मानव व्यक्तित्व में तीन तत्त्वों इदम्, अहम्,अति अहम् को स्वीकार किया है । इदम् में व्यक्ति सुख सिद्धान्त को महत्त्व देता है । अहम् में वह अपने परितोष के लिए मार्ग निर्धारित करता है ।अति अहम् व्यक्ति के इदम् और अहम् पर नियन्त्रण रखता है । वह नैतिक,सांस्कृतिक, मूल्यों व आदर्शों को महत्त्व देता है । इन तीनों का सन्तुलन मानव का सही रूप है, जबकि असन्तुलन विकार का कारण बनता है ।अहंकार हमारे अपने निर्माण की पहचान है, एक ऐसी पहचान जो झूठ पर आधारित है।अगर हम अपने सभी विश्वासों की बात करें जिनमें हम हमने व्यक्तित्व को परिलक्षित या प्रतिबिंबित करते हैं और एक काल्पनिक संसार अपने मस्तिष्क में बसा लेते हैं। ये सभी विश्वास जो - हमारे व्यक्तित्व, प्रतिभा और क्षमताओं को हमारे अनुरूप परिभाषित करते हैं यही हमारे पास अहंकार की संरचना है।ये हमारी योग्ताएं , प्रतिभाओं और क्षमताएं हमारे अंदर हमारे "स्व" का मानसिक निर्माण करने में सहायक होती हैं जो कि कृत्रिम है। हमारा अहंकार एक स्थैतिक चीज़ की तरह लगता है, जबकि ऐसा नहीं है। बल्कि, यह हमारे व्यक्तित्वों का एक सक्रिय और गतिशील हिस्सा है, हमारे जीवन में भावनात्मक नाटक बनाने में इसकी विशाल भूमिका है।

अहंकार का स्वरुप

अहंकार का त्याग नहीं किया जा सकता क्योंकि अहंकार का कोई अस्तित्व नहीं है। अहंकार केवल एक विचार है। अहंकार अंधकार के समान है;अंधकार का अपना कोई सकारात्मक अस्तित्व नहीं होता; यह बस प्रकाश का अभाव है। अहंकार का समर्पण नहीं करना होता, उसका साक्षी बनना होता है। उसे पूरा-पूरा जानना होता है। अहं और अहंकार दोनों अलग अलग हैं। अहं का अर्थ होता है अस्तित्व। प्रत्येक जीवित वस्तु को अपने अस्तित्व का ज्ञान होता है यद्यपि उनमें यह जागरूकता नहीं होती कि वो क्या हैं। अगर एक सोने का टुकड़ा कहे कि "मैं सोना हूँ "तो यह अहंकार नहीं हैं यह अहम् है वो अपने वास्तिक रूप को पहचान रहा है किन्तु अगर एक लोहे का टुकड़ा कहे "मैं सोना हूँ " तो यह अहंकार है क्योंकि वो उस अस्तित्व की बात कर रहा है जो वो नहीं है। यही मनुष्य के साथ होता है। "मैं हूँ "ये अहम है लेकिन "मैं क्या हूँ "ये अहंकार है। अहं अस्तित्व का संज्ञान है जबकि अहंकार कृत्रिम अस्तित्वों का निर्माण है।अहं प्राकृतिक है आत्मिक है जबकि अहंकार बनावटी बहरूपिया है। आपने सड़कों पर कई बहरूपिये देखें होंगे जो कभी कृष्ण कभी शिव और कभी पुलिस का भेष बनाकर लोंगो को मजा देते हैं। वास्तव में वो होते भिखारी है लेकिन हम और वो स्वयं एक क्षण के लिए उसी रूप में उनकी पहचान करने लगते हैं। हमें मालूम है कि ये बहरूपिया है। ऐसा ही कुछ स्वरूप हमारे अहंकार का होता है। मूल एवम आत्मिक रूप से अलग स्वयं और दूसरों से छल करता हुआ। अहंकार का मूलकारण कर्त्तापन का अहसास है। जैसे ही कर्त्तापन विकसित हुआ, तब हम ईश्वर की तुलना में स्वयं पर ही अधिक विश्वास करने लगे। जिसके कारण हमारे मन में अयोग्य संस्कार की निर्मित होने लगे जैसे, अधीरता, भय, चिंता करना, हडबडी करना, कठोर, अतिविश्लेषक (अधिक सोचना), नकारात्मक विचार, अतिव्यवस्थितता इत्यादि विकसित हुए जिससे जीवन को संभालने में मन की ऊर्जा अधिक मात्रा में व्यय होती है, इससे हमारी क्षमता घट जाती है और हम परिस्थितियों में तनाव से ग्रसित हो जाते हैं। और यही अयोग्य संस्कार हमें अपने आत्मस्वरूप से परे ले जाने लगे जिससे हमारे अंदर अहंकार का जन्म हुआ।

अहंकार के प्रकार

मनुष्य का अहंकार दो प्रकार का होता है :-

1. सात्त्विक अहं या शुद्ध अहं -यह स्थिति उच्चतम स्तर के संतों में होती है जब ईश्वर के साथ पूर्णतया एकरूप न होने के कारण उनमें अहं का कुछ अंश शेष दिखाई देता है । इसलिए इन संतों को केवल अपने अस्तित्व का भान होता है । शारीरिक क्रियाओं के निर्वाह के लिए यह अंशात्मक अहं आवश्यक होता है ।शुद्ध अहं या सात्विक अहम् में स्वयं को ब्रह्म (ईश्वरीय तत्त्व) से भिन्न समझना, अर्थात द्वैत द्वारा स्वयं का भान बनाए रखना प्रमुख है

यह अहं भी केवल भौतिक शरीर का अस्तित्व होने तक रहता है । संतों द्वारा देहत्याग के पश्चात इसका भी अंत हो जाता है ।

2. असात्त्विक अहं

हममें से अधिकांश लोग इस प्रकार का अहं अनुभव करते हैं । लगभग हम सबका तादात्म्य अपने भौतिक शरीर, विचार एवं भावनाओं से होता है और हम अपनी बुद्धि पर गर्व अनुभव करते हैं । ऐसा हमारे सूक्ष्म देह में विद्यमान स्वाभाविक विशेषताएं, इच्छाएं (वासनाएं), रूचि एवं अरूचि इत्यादि के संस्कारों के कारण होता है ।

अहंकार को कैसे पहचानें

अहंकार को देखना मुश्किल है, क्योंकि यह उन विचारों के पीछे छुपाता है जो सच दिखाई देते हैं। अहंकार को पहचानने का आसान तरीका यह है कि वह भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को पीछे छोड़ देता है। जैसे

1. किसी प्रियजन पर गुस्सा।

2. कुछ स्थितियों में असुरक्षा की भावना।

3. ईर्ष्या की भावनाएं।

4. किसी को प्रभावित करने की भावना।

ये सभी भावनाएं हमारे अंदर गलत विश्वास उत्पन्न करती हैं जिससे अहंकार जन्म लेता है।

कहीं आप अभिमानी तो नहीं खुद को जाँचिए-निम्न बिंदुओं पर आप अपने आपको परखिये ➧ अगर आपको खुद पर विश्वास नहीं है।

➧आप हमेशा हेकड़ी की भाषा अपनाते हैं।

➧आप हमेशा अपने से दूसरों को निम्न मानते हैं।

➧ आप हमेशा विचलित नजर आते हैं।

➧आप अगर अवसर वादिता की तलाश में रहते हैं।

➧ आप सफलता का पूरा श्रेय स्वयं लेना चाहते हैं।

➧ आप को अपने स्वभाव पर नियंत्रण नहीं रहता।

➧आप अपनी आलोचना सहन नहीं कर पाते हैं।

➧ आप लगातार दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।

➧ आप सिर्फ वही काम करते हैं जहाँ आपको प्रमुखता मिलती हो।

➧.आप अपनी योग्यता को लेकर अति आत्मविश्वासी हैं ।

➧. अगर आपको दूसरों को नीचा दिखाने में अपनी महत्ता सिद्ध होती दिखती है।

➧.आप हमेशा दूसरों को शिक्षा देते नजर आते हैं।

➧ आप अपनी असफलता के लिए हमेशा दूसरों को दोष देते हैं।

➧ अगर आप हमेशा अपनी कमियों को ढांकने की कोशिश करता है एवं अपनी गलतियां कभी स्वीकार नहीं करते हैं।

➧ आप सफलता प्राप्त करने के लिए रिश्ते तोड़ देते हैं।

➧ अगर आप चाहते हैं की सिर्फ उसकी सुनी एवं मानी जाये ये दूसरों की बातों या विचारों को महत्व नहीं देते।


ये सभी अहंकार के कुछ स्वाभाविक गुण हैं -अगर ये गुण या ये संकेत आपके व्यवहार में है तो संभल जाइये क्योंकि आपके अंदर अभिमान या अहंकार गहरे पैठ कर चुका है।

अहंकार से भेद बुद्धि उत्पन्न होती है जो मनुष्य को मनुष्य से ही दूर नहीं कर देती, अपितु अपने मूलस्रोत परमात्मा से भी भिन्न कर देती है।

परमात्मा से भिन्न होते ही मनुष्य में पाप प्रवृत्तियाँ प्रबल हो उठती है। वह न करने योग्य कार्य करने लगता है। अपने सच्चे आत्मस्वरूप का दर्शन करने के लिए ईश्वर की उपासना , आराधना , भक्ति व उस ईश्वर के दर्शन हेतु निरंतर प्रयास करना , अच्छे-अच्छे ज्ञानप्रद आध्यात्मिक ग्रंथों का स्वाध्याय करना , सत्पुरुषों की संगति करना , किन्हीं आत्मज्ञानी सतगुरु की शरण में जाकर उनके मार्गदर्शन में रहते हुए साधना करने से हमारा अहंकार सोऽहं में परिवर्तित हो कर हमें सदगति प्रदान करता है।

--

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: जब मैं था तब हरि नहीं // सुशील शर्मा
जब मैं था तब हरि नहीं // सुशील शर्मा
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj0AZ7xCZMQNi-Iob7x-ZwPocjSisAjrICnbELgiTQrezxjeU8ambbeULicKY6LovOchSaJividUbjos5kbEtgOSwusIO4E72FHA_GSeyefGTJBXUGA8HHJASkAmT2iUhQ0bmG-/?imgmax=800
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj0AZ7xCZMQNi-Iob7x-ZwPocjSisAjrICnbELgiTQrezxjeU8ambbeULicKY6LovOchSaJividUbjos5kbEtgOSwusIO4E72FHA_GSeyefGTJBXUGA8HHJASkAmT2iUhQ0bmG-/s72-c/?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2017/07/blog-post_49.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2017/07/blog-post_49.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content