संस्मरण लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 79 : प्रशांत महासागर की लहरों के साथ - साथ / कमल कपूर

SHARE:

प्रविष्टि क्र. 79 प्रशांत महासागर की लहरों के साथ - साथ  कमल कपूर स्मृतियों   के झरोखे से झाँक कर देखती हूँ तो अपने अतीत के बचपन वाले घर के...


प्रविष्टि क्र. 79

प्रशांत महासागर की लहरों के साथ - साथ 

कमल कपूर

स्मृतियों  के झरोखे से झाँक कर देखती हूँ तो अपने अतीत के बचपन वाले घर के कच्चे आँगन में खड़ा पाती हूँ ख़ूब घेरदार फ़्रॉक पहने छोटी सी काली बिंदिया माथे पर टाँके एक नन्हीं सी बच्ची को ,जो आसमान पर उड़ते वायुयानों को देख कर पुलकित हो कर गाती थी " हवाई जहाज़ - हवाई जहाज़ , तेरी चाबी मेरे पास ...." या फिर " उड़नखटोले पर उड़ जाऊँ कभी तेरे हाथ न आऊँ....." पर निम्न मध्यम वर्षीय परिवार की उस बच्ची के ख़्वाबों की भी इतनी औक़ात नहीं थी कि वे उसे हवाई यात्रा कराएँ बल्कि हवाई जहाज़ देखने तक की इजाज़त  न थी उसकी हैसियत को। ठीक इसी तरह उसने किताबों में पढ़ा था कि दुनिया का सबसे बड़ा सागर है....प्रशांत महासागर...हुआ करे ,उसने तो अपने शहर के पास से गुज़रने वाली चंबल नदी तक न देखी थी। एक तरसा हुआ वंचित बचपन जी कर वह लड़की यानी कमल उर्फ़ मैं बड़ी हो गई और ब्याह कर एक ठीकठाक से घर में आ गई। एक औसत दर्जे का जीवन जीते हुए बरसों गुज़र गये। बच्चे होनहार निकले और ऊँचे पद पाये दोनों ने। बिटिया पुरवा केलेफोर्निया के ख़ूबसूरत शहर लॉस एंजिल्स में स्थापित हो गई, जहाँ वह एक अति सम्माननीय उच्च पद पर नियुक्त है और मेरी श्रवण कुमारी सी इसी बिटिया ने " जो ख़्वाब रातों ने नहीं देखे वो ख़्वाब दिन  में दिखा दिये ".....की तर्ज़ पर सिर्फ़ ख़्वाब दिखाए अपितु उन्हें सुंदर आकार भी दिया।

२७ मई वर्ष २०1६ की मध्य रात्रि को हसरतों से अपना दामन भरे प्रिय जीवन साथी के साथ इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हमने दोहा एयरवेज़ से उड़ान भरी....विश्व के सर्वाधिक समृद्ध देश अमेरिका के कला और मनोरंजन के सर्वोत्तम प्रदेश केलेफोर्निया के प्रशांत महासागर के तट पर बसे अमरावती से शहर लॉस एंजिल्स के लिये। मन-मयूर मगन हो निरंतर नाचता रहा रात के तम से संवलाए बादलों के बीच से गुज़रते हुए।सिर्फ़ दोहा तक का पवन-पथ ही अँधियारा था, उससे आगे का मेघ पथ तो अमेरिका पहुंचने तक जगमगाते धवल आलोक से उजियारा ही मिला। यान की खिड़की के उस पार था.... श्वेत श्याम ऊदे सुनहरे रुपहरे रक्तिम बादलों का साम्राज्य और नीचे कहीं धरा कहीं पर्वत श्रृंखलाएँ को कहीं महासागर। कई कविताएँ लिख डालीं मैंने उस दिव्य सौंदर्य को पिरोते हुए मैंने। अंतत: अठारह घंटे की लंबी लेकिन अद्भुत यात्रा के बाद हम सात समंदर पार बसे उस अनुपम देस में पहुँच ही गये जहाँ एयरपोर्ट के बाहर अपनी चमचमाती गाड़ी ले कर हमारे दिल का टुकड़ा हमारा इंतज़ार कर रहा था।

लॉस एंजिल्स के बेदाग़ चमकीले स्याह फ़्री वे पर बिटिया सधे हुए हाथों से गाड़ी चला रही थी और उन स्वच्छ सड़कों को देख कर एक अटपटा सा ख़्याल मेरे कवि-हृदय में जन्मा कि यदि फ़िल्म पाकीज़ा के राजकुमार की गुज़र यदि इन सड़कों से हुई होती तो वह " इन पाँवों को ज़मीन पर न रखियेगा, ये मैले हो जायेंगे,"  न कहते बल्कि यह कहते ," आप नंगे पाँव इन सड़कों पर न चलियेगा हुज़ूर ! ये कहीं मैली न हो जाएँ।" अपने ही बेतुकेपन पर मैं मुस्कुरा दी। आसपास के नये नवेले स्वस्थ नज़ारों से नयनों को सुख देते एक  घंटे बाद हम बिटिया के घर पहुँचे....मन मोगरे के फूल सा महक उठा... सर्व सुख-सुविधाओं से संपन्न पुरवा का घर किसी !त्री स्टार से कम न था। हर्षातिरेक से मेरे नैन नम हो गये बेटी का सुख देख कर।  जो भाग्य ने मुझे नहीं दिया था वो सब मेरी बच्ची को मुक्त हस्त से दिया था। खुदा की शुक्रगुज़ारी के लिये मेरे पास शब्द न थे।

उसी शाम पुरवा ने एक ऐसा सरप्राइज़ सामने रख दिया कि मेरे लेखक मन ने तुरंत एक नवल मुहावरे का आविष्कार कर डाला..." एक तो अँगूर मीठे ऊपर से आम के रस में घुले "। वह सरप्राइज़ था कि पाँच जून को हम ....यानी मैं, पतिदेव, पुरवा और उसकी किशोर वय की बेटी आस्था क्रूज़ यानी कछुए सी धीमी सागर यात्रा पर जाने वाले हैं। यह यात्रा लॉस एंजिल्स के प्रशांत महासागर के लांगबीच से आरंभित हो मैक्सिको के इनसिनाडा शहर पर समाप्ति होगी। मन-घट कच्चे दूध की गागर सा छलकने लगा। मुझे जल के आशय अर्थात नद , नदी, निर्झर, सरोवर, ताल, समंदर बहुत लुभाते हैं। शादी के बाद विशेषत: लेखन के क्षेत्र में आने के बाद मैं गंगा, यमुना, रावी, झेलम, चनाब, कावेरी, कोसी, काली, गोमती, नर्मदा और ब्रह्मपुत्र नदियों से भी मिली थी ,नैनीताल और मसूरी के तालों से भी और मुंबई तथा त्रिवेंद्रम के समंदरों से भी लेकिन विश्व के सबसे बड़े महासागर से पहली बार मिलना होगा। " मैं तो सागर के पानी से ख़ूब नहाऊँगी," मैंने पुलक कर कहा तो पुरवा हंस कर बोली," हम शिप पर ही रहेंगे मम्मा ! नहाना तो दूर आप पैसिफ़िक के पानी  को छू भी नहीं सकते। बस देख-देख कर ख़ुश होना और बाक़ी मैं नहीं बताने वाली कि क्या क्या होगा शिप  में। आपको ख़ूब नहाना है तो कल सेंटा मोनिका बीच चलेंगे।"

कुछ जेटलैग और कुछ स्थान और समयांतर की वजह से नींद काफ़ी देर तक नहीं आई और जब आई तो पनीले गीले सपनों का कारवाँ सज़ा कर संग लाई  और अगले दिन हम चारों का क़ाफ़िला निकल पड़ा सेंटा मोनिका बीच की ओर। कुछ दूर जाने के बाद  से ही महासागर हमारे साथ-साथ दौड़ने लगा। फिर आधे घंटे बाद मैं और सागर आमने सामने बैठे बतिया रहे थे। पहली बात मैंने मन ही मन उससे यह पूछी," सुना है कि सारी नदियाँ अंतत: आ कर तुममें ही मिलती हैं को फिर बताओ न हे महासागर ! क्या मेरी गंगा यमुना और बारी सारी नदियाँ भी तुम्हारे पास आई हैं?" तभी एक ऊँची लहर आ कर मेरे तन-मन को भिगो गई और मैं सिहर उठी  और पति का हाथ थाम कर सागर में उतर गई और उमड़ती और उठती-गिरती लहरों में एकलव्य होने लगी। बड़े बूढ़े बच्चों का रंगीन हसीन मेला सा लगा था वहाँ। कुछ सागर के भीतर थे तो कुछ सागर की  उजली चमकीली रेत पर बैठे शंख सीपियाँ चुन रहे थे ,रेत के घरौंदे बना रहे थे या यूँ ही मस्ती कर रहे या खा-पी रहे थे। ख़ुशी के ढेर से मोतियों से दामन भर हम लौट आये और अगली सुबह निकल पड़े सेनडीगो के लिये। रास्ता अत्यंत नयनाभिराम था ,जैसे जन्नत की राह से गाड़ी गुज़र रही हो।  एक ओर संग साथ चलता नील गगन के नीचे क़ालीन सा बिछा नीला-हरा महासागर तो दूसरी ओर सेंट गैबरेलो की भूरी पहाड़ियाँ। मौसम में मिश्री और बर्फ़ानी मीठी ठंडक घुली हुई थी और गर्म नर्म स्वेटर उस ठंडक से हमें बचा रहे थे।  सहसा ख़्याल आया कि मेरे प्यारे भारत में तो इस समय छाँव भी छाँव की तलाश में भटक रही होगी और हम रसीली  ठंडक का शर्बत गटक रहे हैं। विदेशी धरती पर विदेशी ही कार में बैठे हम देसी खानों और गानों का लुत्फ़ लेते दाँ पहुँचे थे सेनडीगो के हिस्से में आये  प्रशांत महासागर के सामने। यहां हमने अनोखा सिटी टूर किया। एक बस हमें शहर  में घुमाने निकली  और चलते-चलते अचानक सागर में उतर गई। वह बस से  एक बड़ी वॉटर मोटर बोट  में बदल गई थी। उसकी खिड़की से  हाथ निकालकर मैं पानी से खिलवाड़ करने लगी। नभ पर चमकते सूर्य की छवि सागर में  पड़ कर उसे सुनहरा रंग रूप दे रही थी। एक निराली सागरीय दुनिया मेरे आगे पसरी थी,जिसमें जलचर भी थे, छोटी बड़ी रंगारंग मछलियाँ भी थीं और समुद्री वनस्पतियाँ भी। तरल सरल उमंग लिए घर लौट रहे थ हम। लौटती राह मे आस्था ने बताया कि केलेफोर्निया बीचों का प्रदेश है और अकेले लॉस एंजिल्स में ही सात बीच हैं।

पाँच जून की सुबह हम लाँग बीच पर थे अपने भव्य से शिप के सामने। शुभ्र वर्ण के इस शिप पर लाल-नीले अक्षरों से अंकित था " इंसपिरेशन कॉर्नीवाल " और इसमें हम अलग अलग देशों-प्रदेशों से आये तीन हज़ार यात्रियों के साथ चार दिन तक यात्रा करनी थी। न जाने कैसे और क्यों उस पहली यात्रा पर निकले और फिर ध्वस्त हो गये टाइटैनिक का स्मरण हो आया और पल भर को मन दुश्चिंता से भर गया पर उसे अगले ही पल झटक भी दिया मैंने और तमाम औपचारिकताएँ पूरी कर हमने शिप में पदार्पण किया तो सर्वप्रथम यात्रियों को सुरक्षा नियम समझाये गये और खुदा न खास्ता जहाज़ दुर्घटनाग्रस्त हो जाए तो किस तरह लाईफ़ बोट्स तक पहुँचना और उनका प्रयोग करना है, यह बताया गया। पूरे तीन हज़ार यात्री उस विशाल हॉल में जमा थे। मैंने अमेरिका के पर्यटनस्थलों पर देखा था कि एक परिवार या मित्र समूह एक से ही कपड़े पहनते थे। यहाँ भी यही था और हम चारों ने भी इसी तर्ज़ पर लाल टी-शर्ट्स और सफ़ेद ट्राउज़र्स पहने थे। एक सायरन के साथ शिप रवाना हुआ तो लोग नृत्य करने और गाने लगे और फिर हम अपने कमरे में आ गये। पैसा बचाने और साथ रहने के ख़्याल से हमने एक ही कमरा लिया था, जिसमें दो ऊपर और दो नीचे बिस्तर लगे थे और समुद्र  का आनंद लेने के लिये एक बड़ी सी खिड़की थी पारदर्शी शीशे वाली लेकिन वह खुलती नहीं थी। वह छोटा सा कमरा हर सुख-सुविधा से संपन्न था। सामान अलमारियों में सज़ा कर हम बाहर आ गये।

वाह और सौ बार वाह वाह कि जहाज़ में जैसे एक पूरा सात सितारा शहर बसा हुआ था। स्वीमिंग पूल, डिकोजी, वॉटर गेम्स, टेनिस कोर्ट गोल्फ क्लब और ढेरों ढेर रेस्टोरेंट बार , जिनमें हर देश के खाने-पीने की बेशुमार वैरायटी....जितना चाहे जब चाहे दिन हो रात खाओ -पियो। ये सब टिकिट्स में शामिल था। सबसे सुंदर था जहाज़ के टॉप फ़्लोर पर बना वॉकिंग ट्रैक सहित बना अति सुंदर बग़ीचा ....जो मेरा प्रिय स्थान बन गया। वहाँ से आसमान जितना साफ़-शफ्फाक दिखता था ,उतना तो मैंने पहले कभी न देखा था और बॉलकनी में बैठ कर पल पल रंग बदलते सागर को निहारना ? उस नयनाभिराम सुख का वर्णन शब्द भी कर पाने में असमर्थ हैं। और सूर्यास्त का दृश्य भी वर्णनातीत है। उस सुनहरी अनल गोले का आहिस्ता आहिस्ता सागर में उतरते हुए पानी को पिघले सोने में बदल देना फिर उसमें समाहित हो कर डूब जाना और परिवेश पर श्यामल रंग की कूची फेर देना....आहा और एक आह भी निकली मन से।

अगले दिन की सुबह शिप मैक्सिको के इनसिनाडा शहर  के सीमा-तट पर जा लगा। कई बसें तैयार खड़ी थीं जो हमें शहर घुमाने ले गईं। वहाँ क्या देखा और लौट कर शेष तीन दिन। कैसे अपूर्व अनुभूत आनंद में जिये.... यह एक लंबी दास्ताँ है, जिसे मैंने चंद काल्पनिक पात्रों के माध्यम से एक बड़ी कहानी " सागर " में पिरोया है। अभी तो  बस इतना और कहना है मुझे कि " इंसपिरेशन कॉर्नीवाल " से जुदा होते हुए मन इतना अधिक भारी था कि रोने को जी चाह रहा था। उसके चित्रावलियों से सजे गलियारे से गुज़रते हुए मैंने भरपूर नज़र से ,बड़ी हसरत से जहाज़ को। देखा क्योंकि मैंने कहीं पढ़ा -सुना था और मेरा यक़ीन भी है यह कि पीछे मुड़ कर देखने से आप वहाँ दोबारा अवश्य आते हैं और मैं को बार -बार वहाँ लौट कर आने की आरज़ू मन में सँजोए लौट रही थी।

कमल कपूर

२१४४ / ९सेक्टर

फ़रीदाबाद -१२१००६

हरियाणा

COMMENTS

BLOGGER: 11
  1. बहुत सुन्दर,साहित्यिक कलम से लिखा गया यात्रा वित्रान्त।बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. It is a beautiful and very emotional description of the journey. It's lovely how the writer connects her own childhood with what she experiences during this part of her life. Applaudable!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत भावपूर्ण संस्मरण के लिए साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. It is not a memoire but a true description of writers visit It gives very small small things about life in US. I could correlate the end with my belief of looking at Mount Fugi from the top, throwing a coin in the water tank and offcourse looking back to visit there again.
    Indeed very interestingly portrayed memories. Excellent !

    जवाब देंहटाएं
  5. The write up is the exact description of some one who visits US for the first time. A lengthy flight and jet lag are common to all travellers visiting that country. The small small descriptions are marching to what I observed during my first visit there.
    The most touching point of the story is looking back in the end of journey to be able to visit again. Indeed it is a great story excellently portrayed.

    जवाब देंहटाएं
  6. So beautifully delineated memories. Mother is the most sweetest word in this world and seeing her enjoying is countless. A daughter can well understand this by the description. Love the bond of mother and daughter. Lovely captured the whole journey.

    जवाब देंहटाएं
  7. So beautifully delineated memories. Mother is the most sweetest word in this world and seeing her enjoying is countless. A daughter can well understand this by the description. Love the bond of mother and daughter. Lovely captured the whole journey.

    जवाब देंहटाएं
  8. Truly thought provoking.
    I love the way the writer has articulated her feelings through her own experience so beautifully.
    Kudos!!

    जवाब देंहटाएं
  9. Truly thought provoking!
    Beautifully written

    जवाब देंहटाएं
  10. Charu Aggarwal11:03 am

    Eloquently written.. each and every word of beautiful and joyful journey.. best wishes.. :)

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर और साहित्यिक दृष्टि से भी एक खुबसूरत यात्रा व्रतांत बना है आदरणीया..... बहुदा संस्मरण लिखते समय अक्सर कलमकार आसपास के प्राक्रतिक सौन्दर्य पर ही अपना ध्यान केन्द्रित रखता हैं, लेकिन आपकी इस रचना में जिस तरह भावनाओं का दर्शन अपनी पूरी शिद्द्द्त के साथ हुआ है. उसने इस रचना को अद्वितीय बना दिया है. बीच बीच में दि गयी 'दिलचस्प उपमाएं और कल्पनाएँ' इस संस्मरण की जान है कमल जी. हार्दिक बधाई स्वीकार करे आदरणीया.

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: संस्मरण लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 79 : प्रशांत महासागर की लहरों के साथ - साथ / कमल कपूर
संस्मरण लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 79 : प्रशांत महासागर की लहरों के साथ - साथ / कमल कपूर
https://lh3.googleusercontent.com/-TYeihtJ05Lk/WlcGLK-FKKI/AAAAAAAA-VY/EiCZp5O5nQcGJQYlkU5CnqjeCvErLtBpwCHMYCw/clip_image002%255B3%255D?imgmax=200
https://lh3.googleusercontent.com/-TYeihtJ05Lk/WlcGLK-FKKI/AAAAAAAA-VY/EiCZp5O5nQcGJQYlkU5CnqjeCvErLtBpwCHMYCw/s72-c/clip_image002%255B3%255D?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/03/79.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/03/79.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content