1- तौबा-तौबा मार - पिटाई तौबा - तौबा । झूठ - बुराई तौबा - तौबा ।। मम्मी मेरी अक्सर करतीं, ...
1- तौबा-तौबा
मार - पिटाई तौबा - तौबा ।
झूठ - बुराई तौबा - तौबा ।।
मम्मी मेरी अक्सर करतीं,
कान खिचाई तौबा - तौबा ।।
होमवर्क में मैडम जी की,
बहुत कड़ाई तौबा - तौबा ।।
चोरी - चुपके मैं न खाऊँ,
दूध- मलाई तौबा - तौबा ।।
पापा जी के भला सामने करूँ ,
ढिठाई तौबा - तौबा ।।
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2- अखबार
सुबह - सुबह आता अखबार ।
समाचार लाता अखबार ।।
दुनिया में क्या - क्या होता है
सब कुछ बतलाता अखबार ।
हर हफ्ते चुटकुला , कहानी
कविता पढ़वाता अखबार ।
गाँव - गाँव में शहर - शहर में
सभी जगह जाता अखबार ।
रंग - विरंगा फिल्मों वाला
मन को हर्षाता अखबार ।
मम्मी , पापा , बाबा , दाई
सबको है भाता अखबार ।
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3 ख्वाब
नयनों में जब आए ख्वाब ।
दिल को बहुत सुहाए ख्वाब ।।
सूखे पपड़ाए होठों पर-
भी मुस्कान सजाए ख्वाब ।
सोने - चाँदी के महलों का
मालिक हमें बनाए ख्वाब ।
ठूँठे वृक्षों पर भी ढेरों
सुन्दर फूल खिलाए ख्वाब ।
झूठी - सच्ची हर दुनिया में
हमको लेकर जाए ख्वाब ।
मिलें नहीं जो कभी आज तक
उनका मिलन कराए ख्वाब ।
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4- दिए जलाएँ
टिम - टिम करते दिए जलाएँ ।
अपना घर आँगन चमकाएँ ।।
चूरा , गुट्टा , खील मँगाएँ ।
फुलझड़ियों के नग बरसाएँ ।।
मम्मी - पापा पास बुलाएँ ।
चर्खी दे - देकर बहलाएँ ।।
सपनों में परियाँ मिल जाएँ ।
साथ हमारे नाचे - गाएँ ।।
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5- मामा बन्दर
मामा बन्दर ।
मस्त कलन्दर।।
उछलें- कूदे
झूला झूलें
उल्टे लटके
हैं बेखटके
दाएँ-बाएँ
पूँछ नचाएँ
बड़े खिलन्दर ।
मामा बन्दर ।।
ऊपर नीचे
आगे - पीछे
मुँह बिचकाएँ
दाँत दिखाएँ
छोटे - मोटे
सुन्दर - सुन्दर ।
मामा बन्दर ।।
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6-मेरी कनकइया
सद्दी , मंझा लेकर आऊँ ।
कन्नड बाँधू , पतंग उड़ाऊँ ।।
एक बार दो मुझे छुड़इया ।
उड़ाऊँ जाए मेरी कनकइया ।।
नीलगगन में उसे नचाऊँ ।
और पेंच पर पेंच लड़ाऊँ ।।
सबकी पतंग काट कर भैया ।
करूँ वहीं पर ता-ता-थैया ।।
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7- दुनिया रोशन करते हैं
सूरज दादा आते हैं ।
धूप साथ में लाते हैं ।।
सर्दी नहीं सताती है ।
दूर भाग कर जाती है।।
अँधियारा डर जाता है ।
कुहरा भी छँट जाता है । ।
पशु- पक्षी हर्षाते हैं ।
गीत खुशी के गाते हैं ।।
किरण-किरण बिखराते हैं ।
जीवन सुखद बनाते हैं ।।
दुनिया रोशन करते हैं ।
जोश सभी में भरते हैं ।।
कलियाँ भी मुस्काती हैं ।
सारा जग महकाती हैं ।।
दिन भर नेह लुटाते हैं ।
संध्या को छुप जाते हैं ।।
8-चुहिया रानी
चुहिया रानी, चुहिया रानी ।
क्यों करती है तू मनमानी ।।
धमा-चौकड़ी रोज मचाए
नहीं किसी के पकड़ में आए
पूरे घर में दौड़ दौड़ कर
रोटी चना चबैना खाए
कपड़े कुतर-कुतर कर तूने
याद करा दी सबकी नानी ।
चुहिया रानी, चुहिया रानी ।।
फर्श फोड़ कर छेद बनाए
बिल्ली मौसी से घबराए
बोरी भरी अनाजों वाली
काट काट कर तू फैलाए
पापा को यदि आया गुस्सा
ले आएँगे चूहेदानी ।
चुहिया रानी, चुहिया रानी ।।
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9-सर्दी नौ-दो ग्यारह
दिन हैं छोटे - छोटे
रातें बड़ी - बड़ी ।
धनुष - बाण फिर लेके
ठंडी हुई खड़ी ।।
दाँत बजाती दादी
काँपे थर - थर - थर ।।
कुहरा काला काला
ढाने लगा कहर ।।
आसमान से सूरज
कहाँ हो गया गुम ।
राह देखते बाबा
बैठे हैं गुमसुम ।।
सर्दी नौ - दो - ग्यारह
हो जाती है तब ।
मम्मी आग जला कर
ले आती हैं जब ।।
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10- दूध बहुत गुणकारी
अम्मा ने पाली है गाय
गाय चराने जाता हूँ मैं ।
चटनी रोटी देती हैं जो
चरागाह में खाता हूँ मैं ।।
भर जाता जब पेट गाय का
तब वापस ले आता हूँ मैं ।
और शाम को चूनी-चोकर
भूसा उसे खिलाता हूँ मैं ।।
बछड़े को भी उछल-कूद कर
इधर-उधर टहलता हूँ मैं ।
भूखा हो जाता वह जब भी
झटपट दूध पिलाता हूँ मैं ।।
दुहकर दूध गाय का अम्मा
थोडा-सा देती हैं मुझको ।
कहती दूध बहुत गुणकारी
पीना रोज चाहिए सबको ।।
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जीवन-वृत्त
नाम ः राम नरेश ‘उज्ज्वल‘
पिता का नाम ः श्री राम नरायन
शिक्षा ः एम0ए0 (हिन्दी)
विधा ः कहानी, कविता, व्यंग्य, लेख, समीक्षा आदि
अनुभव ः विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लगभग पाँच सौ रचनाओं का प्रकाशन
प्रकाशित पुस्तकें ः 1. ‘चोट्टा‘ (राज्य संसाधन केन्द्र, उ0प्र0 द्वारा पुरस्कृत)
2. ‘अपाहिज़‘(भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत)
3. ‘घुँघरू बोला‘(राज्य संसाधन केन्द्र,उ0प्र0 द्वारा पुरस्कृत)
4. ‘लम्बरदार‘
5. ‘ठिगनू की मूँछ‘
6. ‘बिरजू की मुस्कान‘
7. ‘विश्वास के बंधन‘
8. ‘जनसंख्या एवं पर्यावरण‘
सम्प्रति ः ‘पैदावार‘ मासिक में उप सम्पादक के पद पर कार्यरत
सम्पर्क ः उज्ज्वल सदन, मुंशी खेड़ा, पो0- अमौसी हवाई अड्डा,
लखनऊ-226009
ई-मेल - ujjwal226009@gmail.com
sundar rachnaen
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार।
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