प्रेस संघ की मीटिंग और काजू शराब बिरियानी व्‍यंग्य - आत्‍माराम यादव

SHARE:

यह हमारे नगर का प्रेस संघ है। पहले यह काफी सशक्‍त और चरित्रवान धुरन्‍धर पत्रकारों के कारण पहचाना जाता था, अब पदलोलुपता के दीवानों के कारण बं...

यह हमारे नगर का प्रेस संघ है। पहले यह काफी सशक्‍त और चरित्रवान धुरन्‍धर पत्रकारों के कारण पहचाना जाता था, अब पदलोलुपता के दीवानों के कारण बंट गया है। मुझे याद है 20-22 साल पहले इसके गठन की पहली बैठक रेस्‍टहाऊस में हुई थी तब परसाई मुझे वहाँ लेकर गया था तब मैं साप्‍ताहिक अखबार का संपादक था। तब मुझे भले लोगों से दो दो बातें करने के बाद भी बुरा नहीं लगा था जो अब लग रहा है। आज माहौल बदला हुआ है और प्रेस संघ की नींव डालने वाले भले लोग पदच्‍युत होकर अपने घरों में बुरा महसूस कर रहे हैं लेकिन वे मजबूर है और आज के लोगों से खुद को असहाय बना चुके हैं। आज के लोग उनके लिये भस्‍मासुर बन चुके हैं। पहले प्रेस संगठन के बैठक कक्ष में विभिन्न पत्रिकायें और अखबार बिखरे होते थे पर आज आलम उल्‍टा है। अब कमरे के फर्श पर सिगरेट के टुकडे फैले होते हैं। टेबिल पर बीयर है, रम है। व्हिस्‍की है। जिम है। चने की प्‍लेटें होती हैं। काजू सजे होते हैं और बिरियानी की महक से लोगों की लारें टपक पड़ती है।

आज प्रेस संघ की बैठक है। एक अधिकारी ने व्‍यवस्‍थायें अरेंज की है। सभी सदस्‍यों के सामने गिलास रखे है। बर्फ, सोड़ा, काजू- नमकीन। आमलेट। उबले हुये अण्‍डे और चने संजोये गये है ताकि अपनी-अपनी च्‍वाईस के हिसाब से एन्‍जाय कर सके। आज से पहले ऐसी शानोशौकत की बैठकें नहीं हुई थी और न ही ऐसे शौकीन मिजाज रहते थे। आज लोगों को सब कुछ झकास लगता है और पहले के लोगों के नीरस जीवन पर उन्‍हें तरस आता है। पहले के लोग घरों की चार दीवारी में इसका ऑखों देखा हाल सुन-पढकर शर्म से गढ़े है ,परन्‍तु बुरा भला समझते हुये इस बुराई से पंगा लेने का साहस नहीं कर सके है। गिलासों में व्हिस्‍की उंड़ेली जा रही है। कुछ प्‍यादे एक दो पैग पीकर गंभीर हो गये है। काजू खाने वाले बिरयानी को झपटना चाहते हैं परन्‍तु बीच में ही मिस्‍टर झपोडे कह उठते हैं, यार अभी पी भी नहीं और बिरयानी खाकर क्‍या पेट भरोगे। मिस्‍टर सोनानी अपने बेड़ोल शरीर की तोंद पर हाथ फेरते हुये व्हिस्‍की का आर्डर देते हैं और खुद बर्फ के छोटे बड़े टुकडे़ अपनी गिलास में डालते हैं। मिस्‍टर बड़बोले सिगरेट सुलगाकर धुंए के गहरे कश छोड़ते हुये छल्‍ले बना रहे हैं। व्हिस्‍की भरे गिलासों में बर्फ के टुकड़े के बीच सुनहलापन नजर आता है। उस सुनहलेपन में मिस्‍टर सागर दूसरा ही दृश्‍य देख रहे हैं।

देश प्रदेश में जाने कितनी समस्‍यायें सिर उठाये खड़ी है। नैतिक पतन की इंतहा हो गयी और रोज मासूम बच्चियों की अस्मितायें लूटकर उनकी हत्‍यायें करने के समाचार किसी के भी दिमाग को झकझोरते नहीं दिखते और ऐसी अमानवीय घटनायें रोजमर्रा के जीवन में जुटती जा रही है। पाक की नापाक हरकतों और आतंकवाद भारत की अस्मिता को लहूलुहान किये हुये है और हमारे देश के सैनिक उनके कुचक्रों को तोड़ते हुये अपने प्राण न्‍यौछावर करने से पीछे नहीं हटते हैं। देश में राजनैतिक हलचले तेज चल रही है और सत्‍ता पाने की होड़ में नेताओं का चाल, चरित्र और ईमान ढूंढे नहीं मिलता । कल जिनके कंधे सागोन के गुल्‍ले लेकर पुलिस को देख गलियों में सरपट दौड़कर चकमा देते थे, जिन्‍होंने हरे भरे जंगलों को विनाश कर दिया, वे सभी देखते देखते सफेशपोश जेंटलमेन हो गये। जिनकी कच्‍ची शराब भटटी से जाने कितनी जाने गयी वे सत्‍ताधारी के करीबी होने से नगर के लब्‍ध प्रतिष्ठित सेठ हो गये। ।चोर उचक्‍के साहूकार बनते गये और उनका दबदवा ऐसा छाया कि वे 10 प्रतिशत से जुये खिलाने पर कर्ज दिलाकर अनेकों लोगों के मकानों दुकानों का दाव लगाकर वे शहर के अधिकांश मकानों के मालिक हो गये। जिनके मकान इन सफेदपोश साहूकारों ने कब्‍जाया वे आत्‍महत्‍या कर मौत को गले लगाते गये, कई तो शहर छोड़कर भाग गये। । यहाँ जनता की सेवा के लिये कोई नेता आया नहीं जो भी आया, अपने काले कारनामों को छिपाने के लिये, अपनी सम्‍पत्ति बनाने के लिये आया। शहर पिछले 70 सालों में जैसा था वैसा ही रहा बस एक बदलाव आया कि ओव्‍हरब्रिज बन गया और गरीबों की जमीनों पर पैसेवाले सेठ और उनके चहेते कालोनियॉ काटकर अपनी तिजौरी भरते रहे,जिसे ही यह नेता विकास की बातें कहते रहे और सभी जान समझ चुके है कि यह विकास कागजी है,। ।मंदिरों की जमीनों पर पुजारियों ने बाहर से अपने रिश्‍तेदारों को बुलाकर बिठा दिया, देखते देखते शहर के कई मंदिरों की बेशकीमती जमीनों पर कालोनी कट गयी, प्‍लाट बिक गये, कलेक्‍टर अध्‍यक्ष रहते मौन रहे, शहर की इन जमीनों का पैसा पुजारियों ने दूसरे शहरों में जमीन खरीदने में लगाया, पर जिन समाज के लोगों ने मंदिर के लिये जमीनें दी वे आज तक उन मंदिरों में सरवराकार नहीं बन सके, जिसमें कभी उनके पूर्वज हुआ करते थे, जिन्‍हें छलपूर्वक मंदिर के पुजारियों ने तथाकथित संत-महंतों ने हटाकर खुद को सरवराकार बनाकर इन बेशकीमती जमीनों को हथिया लिया है। नेता जनता को बड़े बड़े झूठ को खूबसूरती से बोलकर बरगलाने में सफल होता दिखता है।

शहर के सभी मोहल्‍लों में पीने का पानी का संकट है, नालियॉ नहीं है, सड़कें नहीं,,शौचालय नहीं है, प्रधानमंत्री आवास में हितग्राहियों को मोटी रकम चढ़ोत्‍तरी में देने के बाद चप्‍पले घिसाकर लाभ मिलता है, पर जैसे देश सोया है, वैसे ही मीडि़या सो गया है। हमारे प्रेस संघ के सदस्‍यों को महापुरूषों की जयंती मनाने में प्रतिस्‍पर्धा करने में मजा आता है , कुछेक को छोडकर बाकी सभी का सच यही व्हिस्‍की है, रम का सुनहरा रंग सच है। काजू बिरयानी सच है। नमकीन सच है लेकिन सब कुछ जानते हुये पूरा प्रशासन चापलूसी से बाज नहीं आ रहे हैं। पर अपनी अपनी राजनीति चलती रहे, अपने अपने कारोबार सलामत रहे, अपना कारोबार दोड़ता रहे इसलिये अधिकांश ने अपने जमीर को गिरवी रखकर शहर की बड़ी बड़ी कालोनियों में ऊंचे ऊंचे आशियाने बना लिये। प्रेस का आकर्षर्ण ही ऐसा है कि कुछ सेवानिवृत्‍त अधिकारियों के बेटे अपने बाप की जीवनभर की सेवा पर ऊंगली न उठे इसलिये, कुछेक जिम्‍मेदार अधिकारियों के बेटे उनके भ्रष्‍ट कारनामों की चर्चा न छपे इसलिये, कुछ नेताओं के करीबी तो कुछ पार्टी के जिम्‍मेदार पदाधिकारी भी प्रेस की नौका पर सवार होकर वैतरणी पार होने आ धमकें है। कुछेक जिनकी चादरें दागदार है, कोई कीचड़ न उछाले ऐसे कुछ नाकदार व्‍यूरो चीफ, स्‍ट्रंगगर,इलेक्‍ट्रानिक चैनलों के प्रतिनिधि बनकर, अखबारों में जिन्‍हें लिखना नहीं आता दूसरों की रिपोर्टों को - प्रेस नोट छप जाने पर झट अधिकारियों के व्‍हाटसअप ग्रुप पर शेयर कर खुद रिलेक्‍स और हैप्‍पी महसूस करते हैं। सिक जोक्‍स। बियर की बोतलें, जिनका स्‍माल पैग, रम का लार्ज पैग, तले मसाले वाले चने। वे नौजवान है अपनी थकान मिटा रहे हैं। उनमें बातें होती है चारों और फैले भ्रष्‍टाचार की। कुछ सूचना के अधिकार के तहत सच्‍चाई बाहर लाते हैं पर सच जनता तक न पहुंचे इसकी मुंहमांगी कीमत मिलते ही, भ्रष्‍टाचार का सच दब जाता है। रक्षक सितम ढ़ा रहे हैं और कानून व्‍यवस्‍था पूरी तरह अपराधियों व राजेताओं की मुटठी में कठपुतली बन नाच रही है। गरीब बेहाल है। आफिसों में जनता के काम नहीं होते ,सभी ओर दलाल ही दलाल है ,पैसे खाये बिना बाबू फाईल नहीं सरकाता है। पुलिस चोर साथ बैठकर रमी खेलते हैं। शराब माफिया गुण्‍डों की फौज गली कूंचों में आंतक मचाये है परन्‍तु किसी की हिम्‍मत नहीं की इनकी खबरें छाप सके । हिम्‍मत उनमें है जो ईमानदार है। जो समाज और देश के प्रति अपने फर्ज को समझता है ऐसे बिरले ही लोग रह गये है। अच्‍छे और न बिकने वाले लोगों पर झूठे प्रकरण लादकर उन्‍हें लिखने से रोका जाता है। सरकार का पूरा तंत्र इसमें लग जाता है परन्‍तु प्रेस संगठनों में ऊंचे पदों पर आसीन रहकर ऊंचे लोग कभी इनके विषय मे सोचते तक नहीं, वे इन्‍हें अछूत समझते हैं। मजे में वे होते हैं जो सुबह शाम थाने की डयोडी पर हाजिर रहकर थानेदार के लिये मुखबिरी करता है और ऐसे लोग माल सूतकर अपना सीना फुलायें घूमते हैं जबकि ऐसे घिनौने लोगों का दर्जा पूरे समाज में अछूत जैसा हो जाता है, पर लोक मर्यादा के रहते सभी जुबान बंद कर बैठ जाते हैं।

सागर को गहरी सोच में डूबा देख धर्मा ने झकझोरा, बोला यार तुमने खाना खा लिया क्‍या। उसने न में सिर हिलाया। धर्मा बोला मैंने तो खा लिया और मैं चलता हूं और वह अपनी साईकिल की ओर बढ़ा, पता नहीं क्‍यों सागर को भी यह सब रास नहीं आ रहा था और वह भी अपनी स्‍कूटर की ओर बढ़ा तभी व्हिस्‍की शराब में खोये खाना खा रहे चाचा ने आवाज लगायी, अरे बिना खाये क्‍यों जाते हो, थोडा कुछ ले लो। तब वहाँ का नजारा अलग था जो कुछ समय पहले घर से आये थे, जो देश की, समाज की सोच के परोकार थे, उनका फर्ज और ईमान खिड़कियों, दरवाजों के शीशे को बीयर की बोतले फैककर तोड़ चुका था। जो कह रहे थे कि उनके काम धन्‍धे पर चोट न पहुंचे, उनके हित उनके कारोबार का संरक्षण मिले,वे अब एक दूसरे की कमिया बता रहे थे, कौन किसके तलवे चाटता है, कौन पर किसका हाथ है, कौन घिनौने खेल में लगा है यह सब बातें उन व्हिस्‍की, रम के पैगों से हजम नहीं हो पा रही थी और लोग एक दूसरे को नंगा करने में जुट गये। कुछ हाथापायी पर उतर आये, बैठक रूम में दरवाजे और खिडकियों के कांच ही कांच थे और यह शहनशाही व्‍यवस्‍था जुटाने वाले नगर कोतवाल के कर्मचारी कमरे में कांच समेट रहे थे, खाने की प्‍लेटें फेंकने से फर्श पर बिखरे खाने को झाडू से साफ कर रहे थे। नगर कोतवाल एक ओर खड़े यह नजारा देख रहे थे, जिन्‍हें खुदका होश नहीं था, वे उनके चरण स्‍पर्श कर घर जाने की बात कहकर निकलते देखे गये। इस बैठक में चर्चा होनी थी जनता पर हो रहे प्रशासनिक शोषण की, दलालों के चल रहे कमीशन की । आखिर यहाँ उपस्थित हुये लोग इन्‍हें छापते क्‍यों नहीं, पर जो लोग अपने अखबारों में जिनका मेटर और फोटो छापकर अपने स्‍वार्थ की स्‍कीमों से निकलने वाला क्रीम चाटने के आदि रहे हो, आज उनका सच देखने काबिल था। पहली बार ऐसा हुआ कि इसके न तो फोटो खिचे और न ही रिकार्डिग हुई, पर नगर कोतवाल ने दो लोगों के हाथ जोड़कर कहा भैया इन कमरों में जितने कांच टूटे है सुबह लग जायेंगे, पर इसकी खबर न आये तो उम्‍दा बात होगी, पहली बार ऐसा हुआ उन दोनों ने जो सारा सच लाते थे, इस सच से पाठकों को वंचित रखा।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्रेस संघ की मीटिंग और काजू शराब बिरियानी व्‍यंग्य - आत्‍माराम यादव
प्रेस संघ की मीटिंग और काजू शराब बिरियानी व्‍यंग्य - आत्‍माराम यादव
http://lh5.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/TCGpehit9DI/AAAAAAAAIiM/MMiBPWezq8k/image_thumb.png?imgmax=200
http://lh5.ggpht.com/_t-eJZb6SGWU/TCGpehit9DI/AAAAAAAAIiM/MMiBPWezq8k/s72-c/image_thumb.png?imgmax=200
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/11/blog-post_56.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/11/blog-post_56.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content