लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन 2019 - प्रविष्टि क्रमांक - 85 से 89 // लता तेजेश्वर 'रेणुका'

SHARE:

प्रविष्टि क्रमांक - 85 ©लता तेजेश्वर 'रेणुका' 1. शिकायत *************** एक बच्चा क्लास रूम में चुप चाप बैठा हुआ था, उसे क्लास टीचर...

प्रविष्टि क्रमांक - 85

©लता तेजेश्वर 'रेणुका'

IMG_20180415_234633

1. शिकायत

***************

एक बच्चा क्लास रूम में चुप चाप बैठा हुआ था, उसे क्लास टीचर ने पास बुलाया और पूछा, "बोलो रघु तुम आज इतने चुप क्यों हो?"

"मुझे माँ को छोड़ कर कहीं चले जाने को मन करता है टीचर पर सोच रहा हूँ कहाँ जाऊँ।" सिर झुकाकर नाराज़ सी आवाज़ से कहा।

टीचर ने कहा, "अच्छा ये बात है लेकिन माँ को छोड़ कर कोई कहीं जाता है भला और तुम्हें क्या शिकायत है माँ से?"

"माँ मुझ पर हमेशा शासन करती है, अकेले कहीं जाने नहीं देती। रमेश से खेलता हूँ तो डाँटती है। हमेशा पढ़ने को कहती है, शक करती है कि मैं कहीं रमेश के साथ बाहर चला जाऊँगा।"

"रमेश क्यों ?

"रमेश मुझे बहुत अच्छा लगता है। वह हमारा ग्रुप में सबसे साहसी लड़का है, सिगरेट पीता है, यूँ स्टाइल से। मुझे उसकी तरह बनना है।" रघु ने कहा।

"अच्छा ऐसी बात है, तो ठीक है चले जाना पर बोलो कहाँ जाओगे?" टीचर सत्यवती ने पूछा।

"कहीं भी.." उसने सिर उठा कर कहा।

"ठीक है फिर आँखें बंद करके सोचो कि कहाँ जाओगे?" मासूम से रघु ने कहा, "पता नहीं।"

"तो फिर एक काम करते हैं, हम एक खेल खेलते हैं।" रघु ने खुशी से सिर हिलाया। टीचर ने पूछा, "तुम्हारे घर में एक प्यारा सा कुत्ता है ना उसका नाम क्या है?"

कुत्ते का नाम सुनते ही उसकी आँखें ज्योत सी चमकने लगे। वह खुशी से कहा, "उसका नाम बबलू है टीचर, मैं उसे बहुत प्यार करता हूँ। वह अभी बहुत छोटा है। "

"अच्छा, बहुत प्यार करते हो उसे।" थोड़ी देर रुक कर सत्यवती टीचर ने कहा, "अब तुम आँखें बंद करके ये सोचो और बताओ कि अगर वह ठीक से खाना नहीं खाया तो क्या करोगे?"

"खाने को कहता हूँ ना मेरी बात मानता है वह।"

"फिर भी नहीं खाए तो क्या करोगे?"

"डाँटता हूँ और एक लकड़ी ले कर बैठता हूँ वह भूखा रहेगा तो बीमार पड़ जाएगा ना।" मुँह फुलाकर कहा।

"अगर वह अचानक कहीं रास्ते पर चला जाए या रास्ता भटक जाए तो तुम क्या करोगे?"

रघु आँखें बड़ी करके छाती पर हाथ रखकर कहा, "अरे बाप रे किसी गाड़ी के नीचे आ गया तो ? बाहर बहुत से गंदे कुत्ते हैं कोई काट ले तो उसे बुखार हो जाएगा, इसलिए उसे गेट के अंदर ही रखते हैं और गेट भी बंद कर देते हैं टीचर।" यह सोचकर ही घबरा गया और कहा।

"अब देखो, तुम अपने कुत्ते के बीमारी के बारे में सोच कर घबरा जाते हो और उसका इतना ख्याल करते हो, वह नहीं खाता है तो उसे खिलाने के लिये डाँटते भी हो।"

"हाँ टीचर।"

"फिर तुम्हारी माँ अगर तुम्हारे लिये फिकर करती है और तुम्हें ऐसे गंदे कुत्तों या गलत लोगों से बचाने को सख्ती करती है तो वह गलत कैसी हुई रघु?" प्यार से सिर पर हाथ रख कर पूछा।

रघु आँखें नीचे करके बहुत देर सोचता रहा, फिर खड़ा हो कर कहा, "सॉरी टीचर, मैं फिर कभी माँ के बारे में ऐसा नहीं सोचूँगा।"

"फिर कभी घर छोड़कर या माँ को छोड़ कर जाने की बात करोगे?"

"नहीं टीचर, माँ भी मुझे बहुत प्यार करती है। अब मैं कभी घर छोड़कर जाने की बात नहीं करूँगा।" रघु ने कान पकड़ कर कहा।

---------------------


प्रविष्टि क्रमांक - 86

©लता तेजेश्वर 'रेणुका'


2. भीख

**********

एक भिखारी रोज़ मंदिर के सामने भीख माँगने बैठता था। एक दिन स्कूल जाती हुई एक बच्ची ने उससे पूछा, "रोज़ आप यहाँ बैठे क्या करते हैं? और लोग आप को पैसे क्यों देते हैं?"

भिखारी ने जवाब दिया, " बेटा मैं यहां बैठ पुण्य बेचता हूँ। मंदिर में आते जाते लोग यहां अपने पाप छोड़ कर पुण्य खरीद कर ले जाते हैं।"

बच्ची ने पूछा, "पुण्य? वह क्या होता है?

"बेटा, पुण्य वह होता जिसे पा कर लोग स्वर्ग जा सकते हैं?"

"ओ..," होंठों को गोलाकार कर आवाज़ निकाली फिर गालों पर ऊँगली रख कर सोचते हुए पूछा, "...और स्वर्ग क्या होता है?"

भिखारी ने मुस्कुरा कर जवाब दिया, "बेटा, स्वर्ग वह होता है जिसे पाने के बाद मनुष्य की और कोई ख्वाहिशें नहीं रह जाती।"

"हम्म.., " कह कर उस बच्ची ने होंठों पर हाथ रख कर कुछ सोचा फिर इधर उधर देखा और रास्ते के किनारे से एक फूल तोड़ ले आई। उसने उस फूल को भिखारी को देते हुए कहा, "अंकल ये मेरी आज तक कमाई हुई पुण्य है इसे आप रख लीजिए।" भिखारी के आँखें अश्रु से भर आई। वह उस मासूम सी बच्ची की ओर देखता रह गया।


---------------------


प्रविष्टि क्रमांक - 87

© लता तेजेश्वर 'रेणुका'


3.निर्मल बाबू

**************

निर्मल बाबू ठीक से सोकर उठे भी नहीं थे, उनकी पत्नी उन्हें जगाई। "ओ जी उठिए, बिट्टू को बुखार है।"

दिन भर काम करने के बाद भी रात भर नींद सो नहीं पाते निर्मल बाबू। आज तो इतवार का दिन है, सोचा मज़े लेके सोयेंगे। पर अब बिट्टू को बुखार है, क्या करें? पत्नी का हुक्म है तो मानना पड़ेगा ही। निर्मल बाबू के आँख खुल भी नहीं रहे थे, थकान के मारे शरीर उठने को इंकार कर रहा था। 55 साल के तो हो चुके हैं, बच्चे बड़े हो गए पर अपने ही धूम में रहते हैं। न घर की चिंता न माता पिता की सेहत की, खुद मस्त रहे तो बस। उसने हलके से आवाज़ से धर्मपत्नी से कहा, "मुझे बहुत नींद आ रही है, थकान से पूरी शरीर में दर्द है। आज आप ले जाओ डॉ के पास।"

"मेरे तो अब बहुत सारे काम हैं जी, अब मेहंदी लगा के रखी हूँ, सर धोना है। आज इतवार ही तो है। आज के दिन तो स्त्रयों को आज़ादी चाहिए न, रोज़ रोज़ के काम से एक ही दिन तो फुरसत मिलती है व भी आराम करने नहीं दोगे क्या? आज आप की छुट्टी है, दिन भर आराम ही तो करना है जल्दी उठ भी गए तो क्या हुआ। आप ले जाओ बिट्टू को डॉ के पास।"

"आज इतवार है भागवान डॉ भी छुट्टी पर होगा।"

"इसलिये डॉ प्रफुल्ल जी के घर ले जाओ, वह जरूरत पड़ने पर इतवार को भी चिकित्सा करते हैं।" अब निर्मल बाबू क्या करें नहा धो कर तैयार होने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था । घसीटते हुए शरीर से बिट्टू को गोद में उठाकर हाज़िर हुए पशु चिकित्सालय में। कम्पाउण्डर को कुत्ते को दिखाकर कहा, "बिट्टू को बुखार है, पत्नी के घर से लाया गया कुत्ता है जी अगर इसे कुछ हुआ तो मेरा हाल बेहाल हो जाएगा। डॉ को दिखाना है।"

"डॉ तो है नहीं रविवार जो है, पत्नी के मैके गए हैं।"

"तो क्या करें अब आप ही इलाज़ करो इसका। पत्नी के मैके से आया है जरा संभल कर चिकित्सा करो कंपाउंडर बाबू।" कहकर यहीं पड़ी चेयर पर बैठ गये निर्मल बाबू। कम्पाउण्डर ने विमल बाबू को सिर से पैर तक देखते हुए कहा, "सर आप बहुत बीमार दिख रहे हो, पास में अस्पताल है पहले आप अपना इलाज़ करवाइए ।"

"नहीं पहले इसका इलाज़ करो कम्पाउण्डर बाबू।"

"जरूर करूँगा पर पहले आप का चिकित्सा हो जाए। आप बहुत बीमार लग रहे हो, चलिए डॉ के पास ले जाता हूँ।" कह कर वह निर्मल बाबू को पास वाले अस्पताल में ले गया।

---------------------


प्रविष्टि क्रमांक - 88

©लता तेजेश्वर रेणुका


4.दृढ़ संकल्प

***********

"मेरे पिता बीमार है, मुझे जाना चाहिए।" राघव को उद्देश्य करते भारती ने कहा।

"अभी नहीं यहाँ घर कौन संभालेगा?" राघव दाढ़ी बनाते हुए जवाब दिया।

"बेटी बड़ी हो गई है वह घर संभाल लेगी और आप भी तो हो। वैसे भी कुछ दिन की ही बात है जैसे कि उनकी तबीयत में सुधार आएगी तो मैं लौट आऊँगी।" भारती

"मैं नहीं चाहता कि तुम अभी मायका जाओ।" राघव ।

"देखो जी मेरे पिता बीमार है, बेटी के नाते मेरा भी कुछ फ़र्ज़ बनता है उनकी देखभाल करने का। अगर यहाँ सब ठीक है तो मेरे जाने में क्या परेशानी है?" भारती।

"क्यों कि मैं नहीं चाहता कि तुम अभी जाओ वैसे मेरी बात को टालने की कोशिश मत करना। मैं तुम्हारा पति हूँ, मेरा बात मानना तुम्हारा कर्तव्य है।" राघव।

"मेरे माता पिता के प्रति भी मेरा कुछ कर्तव्य है, मैं तुम्हारी बीवी हूँ तो उनकी बेटी पहले हूँ।" भारती।

"लेकिन उन्होंने तुम्हारी शादी मुझसे कर दी है तो तुम मेरी जिम्मेदारी हुई। अब तुम पर उनका कोई हक नहीं बनता।" भारती की ओर देखते राघव ने कहा।

"उन्होंने मेरी शादी जरूर करवाई है लेकिन खुद से मुझे अलग नहीं की है जी, उनके प्रति मेरा कुछ कर्तव्य तो बनता है ना?"भारती भी जाने की ठान ली।

"उन्होंने शादी में कन्यादान भी किया है, इसलिये अब तुम पर मेरा हक़ है, अगर मैं ना चाहूँ तो तुम नहीं जा सकती।" राघव अपनी जिद्द पर अड़े रहा, अब उसका अहम की बात थी क्यों के भारती मान नहीं रही थी।

एकदम चुप हो गयी भारती। राघव की इस बात का कोई जवाब नहीं था उसके पास। दान जैसी शब्द से खुद के ऊपर विश्वास खो कर एक बोझ और कैदी जीवन का एहसास होने लगा उसे।

अपने कमरे के खिड़की से बाहर देखते हुए भारती सोचने लगी आखिर माता पिता कन्यादान कर बेटियों को सिर्फ पराया ही नहीं कर देते साथ ही किसी के एहसानों के बोझ के तले हमेशा के लिए दबा देते हैं। दान का पात्र हो कर इस कन्यादान के बोझ लिए बेटियाँ कब तक अपनी इच्छाओं का बलिदान करेंगी?

राघव भारती से कोई जवाब न पा कर अपने अहम को शांत कर मुस्कुराते हुए बाहर निकल गया।

राघव के जाने के बाद भारती सोच में डूब गयी। 'मैंने सालों से अपने हाथों से इस परिवार को बनाया है इस परिवार पर जितना हक़ राघव का है उतना ही मेरा। अगर मैं ससुराल में सास ससुर का सेवा कर सकती हूँ तो मेरे खुद के माता पिता का क्यों नहीं। मैं जाऊँगी और जरूर जाऊँगी दृढ़ निश्चय के साथ उठ खड़ी हुई भारती।'

राघव जब घर लौटा देखा भारती अपना सूटकेस तैयार कर रखी थी, राघव को यह उम्मीद भी नहीं था कि भारती उसके रज़ामन्दी के बगैर ही जाने का फैसला लेगी। भारती घर की चाबी राघव के हाथ थमा कर कहा, "अगर मेरे माता पिता ने मेरा कन्यादान किया है तो मैं उस दान की शब्द को ठुकराती हूँ। क्यों कि मैं कोई दान का वस्तु नहीं। मैं इंसान हूँ और मुझे अपने लिए फैसला लेने का पूरा हक है।" राघव चाबी अपने हाथ में लिए निरुत्तर खड़ा था।

---------------------


प्रविष्टि क्रमांक - 89

© श्रीमती लता तेजेश्वर 'रेणुका'


5. आदमखोर भेड़िए

****************

"बेटी शहर में एक आदमखोर भेड़िया घुस आया है, घर से बाहर मत निकलना।" कहते हुए 8साल की बेटी धरती को घर पर छोड़ दरवाजा बंद करके बाहर निकला ही था सौरभ, तभी रघुनाथ ने घर के कुछ दूर से आवाज़ दिया, "सौरभ जल्दी चल भेड़िए को पकड़ने कुछ पुलिस वाले आये हैं उनके साथ जंगल में जाना है।"

सौरभ के जाने की कुछ ही देर बाद "पापा पापा, मुझे बचाओ।" रोती बिलखती आवाज़ घर के अंदर से बाहर तक सुनाई दी। चिल्लाने की आवाज़ सुनकर उस रास्ते गुजरती अक्षरा दौड़ कर आई और जोर जोर से दरवाज़े पर दस्तक देने लगी। तभी 55 साल की एक आदमी ने अपने कपड़े हाथ में लिए दरवाजा खोल कर बाहर की ओर भाग गया।

धरती की आवाज़ पर लोग चौकन्ना हो गये थे। बाहर निकलते ही उसे दबोच लिया। धरती को समझ में नहीं आ रहा था आदमखोर भेड़िए जंगल में होते हैं या गाँव के गलियों में।


----.

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन 2019 - प्रविष्टि क्रमांक - 85 से 89 // लता तेजेश्वर 'रेणुका'
लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन 2019 - प्रविष्टि क्रमांक - 85 से 89 // लता तेजेश्वर 'रेणुका'
https://lh3.googleusercontent.com/-Rj21sfXxcmY/W9Qw8LP9rLI/AAAAAAABE8Y/PgZ3iqq9lYUAufuxIWU-tkP1HtUuXKy5ACHMYCw/image_thumb5?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-Rj21sfXxcmY/W9Qw8LP9rLI/AAAAAAABE8Y/PgZ3iqq9lYUAufuxIWU-tkP1HtUuXKy5ACHMYCw/s72-c/image_thumb5?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2018/12/2019-85-89.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2018/12/2019-85-89.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content