प्राची - जनवरी 2019 : हाइकूकार डॉ. पशुपतिनाथ उपाध्याय का अभिनव प्रयोग - राधारानी वर्मा

SHARE:

हाइकूकार डॉ. पशुपतिनाथ उपाध्याय का अभिनव प्रयोग राधारानी वर्मा आधुनिक हिन्दी काव्यरूपों में सर्वाधिक चर्चित और प्रचलित हाइकू काव्य रूप है।...

हाइकूकार डॉ. पशुपतिनाथ उपाध्याय का अभिनव प्रयोग
राधारानी वर्मा
आधुनिक हिन्दी काव्यरूपों में सर्वाधिक चर्चित और प्रचलित हाइकू काव्य रूप है। यह हिन्दी काव्य रूप की नवीनतम अभिनव उपलब्धि है जिस पर तीव्रगति से काव्य सर्जना हो रही है। काव्यनुभूति की तीव्रता ने हाईकूकारों को बहुत अधिक प्रभावित किया है जिसके परिणाम स्वरूप दु्रतगति से हाइकू काव्य संग्रह प्रकाशित हुए हैं। कुछ समीक्षकों की मान्यता है कि भारत में हाइकू का आगमन और आविर्भाव 1929 ई. में रवीन्द्रनाथ टैगोर की बंगला कृति ‘जापानी यात्री’ से हुई जिस में हाइकू केवल एक छंद, एक काव्य नहीं, बल्कि एक पूरी संस्कृति है।’ इस प्रकार हाइकू काव्य की रचना 5-7-5 अक्षरों के सामंजस्य से हुई है जिसका स्वतंत्र अस्तित्व अलग-अलग है। भारत में हाइकू ‘जापानी कविताएं’ शीर्षक से 1977 ई. में प्रकाशित हुई तथा 1978 ई. हाइकू क्लब की स्थापना प्रो. सत्यभूषण वर्मा की अध्यक्षता में हुई थी। इस प्रकार लघुतम छन्द होने के कारण हाइकू ने हाइकूकारों को आकर्षित किया तथा अपनी-अपनी रुचि, रुझान एवं मानसिकता के अनुसार कुछेक हाइकूकारों ने 5-7-5 तीनों पदों में तुकान्त शब्दावली का प्रयोग किया गया।
डॉ. उपाध्याय द्वारा रचित तीनों पदों में तुकान्त हाइकू द्रष्टव्य हैं,
असह्य वार
श्रेयस्कर सुधार
है परिष्कार।


मदिरा बहिष्कार
बनाता है संस्कार
करें प्रचार।


पिए जो मस्त
सूर्य उसका अस्त
होगा परास्त।


बढ़ते जुल्म
के मूल में हैं फिल्म
जानें ये इल्म।


भक्ति की रेल
श्रद्धा-प्रेम की गैल
कराती मेल।


जागे विवेक
सहो कष्ट अनेक
सही है टेक।


सुनो वृत्तांत
सद्भावना नितांत
जीवन शांत।


भव्य भावना
पूर्ण करे कामना
है आराधना।


बनेगी बात
जनो-गर औकात
अच्छी सौगात।


जीवन-व्यंग्य
धड़काता है अंग
छिड़ता जंग.


दुःख को झेल
जीवन-युद्ध खेल
बढ़ाओ मेल।


गंगा का घाट
मत लगाओ हाट
निकालो बाट।


खेती की शान
बोने लगे हैं धान
राष्ट्र का भान।


अबला नारी
किस्मत की है मारी
न हो लाचारी।


देश कंगाल
नेता हैं मालोमाल
जन बेहाल।


स्व का अर्पण
राष्ट्र को समर्पण
देखें दर्पण।


ये पिलपिला
अजब सिलसिला
कुछ न मिला।


करे जो योग
योग भगावे रोग
होंगे नीरोग।


मिले सौगात
समझे जो औकात
यही है बात।


है जन रीति
बनावे खूब मीत
हैं भयभीत।


तुकान्त शब्दावली, लयात्मकता, ध्वन्यात्मकता को अधिकांश हाइकूकारों ने दृष्टिगत करते हुए काव्य-सर्जना की है। यह तथ्य भी विचारणीय है, कुछ हाइकूकारों ने प्रथम और तृतीय को तुकान्त बनाया है तो कुछ ने द्वितीय और तृतीय में लयात्मकता दर्शायी है। डॉ. पशुपतिनाथ उपाध्याय ऐसे सुधी हाइकूकार हैं जिन्होंने बड़े सधे हुए शब्दों में तीनों पदों को तुकान्त बनाया है जिससे उनके काव्यासिद्धान्त सौन्दर्यानुभूति रसानुभूति के स्तर पर अभिव्यंजित हुई है। यह डॉ. उपाध्याय का हाइकू काव्यजगत् को सबसे बड़ा योगदान कहा जा सकता है। यह लयात्मकता ही हाइकू का प्राण तत्व है। डॉ. उपाध्याय के समस्त हाइकू सांस्कृतिक चैतन्यता के प्रतिदर्श सिद्ध हुए हैं। यहां पर विषय को सुगम, सुबोध एवं सरस बनाने हेतु हाइकू का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अनुशीलन किया गया है ताकि परवर्ती और समकालीन हाइकूकारों एवं पाठकों को पाठ्य सामग्री सहज ही उपलब्ध हो सके।’


हाइकूकार डॉ. पशुपतिनाथ उपाध्याय ने विविध विषयक हाइकू छन्द की सर्जना की है। उनका पूरा प्रयास रहा है कि सार्वधिक लघुछन्द में लयात्मकता सदैव बनी रहे। उनके हाइकू तीनों पदों में तुकान्त हैं। 5-7-5 का क्रम उन्होंने सुरक्षित रखा है। सर्वाधिक चर्चित और लोकप्रिय डॉ. उपाध्याय के हाइकू संस्कृति, ताजमहल, स्वदेशी, गंगा आदि हैं। विविध विषयों को दृष्टिगत करते हुए डॉ. उपाध्याय ने हाइकूछन्द की सर्जना लयात्कता के आधार पर की है।


हाइकूकार डॉ. उपाध्याय समन्वयवादी व्यक्तित्व के धनी हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वे संतुलन और सामंजस्य देखने के आकांक्षी हैं। उनका संघर्षशील हाइकूकार प्रगति को चर्मोत्कर्ष पर देखना चाहता है। राष्ट्रस्वाभिमान, मूल्यों के क्षरण पर चिंता, मेल बढ़ाना, स्वदेशी, प्रेम कहानी आदि पर उनके हाइकू एक नव्य-क्षितिज की निर्मिति में सहायक सिद्ध हुए हैं।
हाइकूकार के रूप में डॉ. पशुपतिनाथ उपाध्याय को स्थापित करने के साथ-साथ उनके द्वारा स्थापित और निरूपति हाइकूकाव्य धारा को भी रेखांकित करने का प्रयास रहा है। डॉ. उपाध्याय द्वारा लिखी गई समीक्षात्मक कृति-‘अद्यतन काव्य की प्रवृत्तियां’ एक मानक कृति है जिसमें हाइकूकाव्य रूप पर डॉ. उपाध्याय ने विस्तार से विवेचना-विश्लेषण किया है। अतएव डॉ. उपाध्याय की समीक्षात्मक दृष्टि भी हाइकूकाव्य रूप पर देखने को मिली है जिसका अनुशीलन यहां पर किया गया है। डॉ. उपाध्याय की वैयक्तिक अनुभूति यहां पर समष्टिगत बन गई है जिसके मूल में हाइकू की सूक्ष्मता, संक्षिप्तता, लयात्मकता एवं प्रभावोत्पादकता निहित है। कम्प्यूटर और इलैक्ट्रोनिक मीडिया ने मानव को सूक्ष्म से सूक्ष्मतर सोचने को बाध्य कर दिया है। अद्यतन परिवेश में काव्य जगत में हाइकू काव्य-सर्जना द्रुतगति से हो रही है।

समन्वयशील आलोचक ने हाइकू काव्य-रूप का सूक्ष्मानुशीलन करते हुए अपना मत प्रकट किया है। हाइकू काव्यरूप का सर्वेक्षण-निरीक्षण करते समय डॉ. उपाध्याय की समन्वयात्मक समीक्षा-दृष्टि उपयोगी सिद्ध हुई है। इस प्रकार समीक्षक डॉ. उपाध्याय और हाइकूकार डॉ. उपाध्याय दोनों साम्य और वैषम्य पर भी विवेचन है जिसका ऐतिहासिक महत्व भी है। यह शान्त क्षणों की काव्यानुभूति की अभिव्यक्ति है। भारतीय वेदों एवं उपनिषदों में सत्रह अक्षरों वाली ऋचाएं मिलती हैं। ‘भारत से जापान में हाइकू का जाना और पुनः भारतीय रचनाकारों द्वारा उसे भारत में लाना आदि तथा प्रमाणिक नहीं है। हां, दोनों देशों की संस्कृतियों में सामंजस्य हो सकता है तथा मानव संवेदना के स्तर पर भी साम्य देखा जा सकता है। हाइकू जीवनानुभूति धर्मा है तथा इसका प्रत्येक छन्द स्वतंत्र होता है फिर भी लयात्मकता होती है। डॉ. उपाध्याय के मतानुसार भारतीय परिप्रेक्ष्य में हाइकू विशुद्ध भारतीय संस्कृति के मूलभूत तत्वों से समन्वित एवं मंडित है। जापानी हाइकू जैन-दर्शन से प्रभावित था तथा प्रकृति के साथ इसका तादात्म्य रहा है लेकिन भारतीय परिवेश में इसका विस्तार हुआ है और क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है। ‘हाइकू भारती’ के प्रकाशन से जापानी-हाइकू की प्रकृति और दर्शन समझने-समझाने में मदद मिली है। हिन्दी हाइकू के सृजन की सार्थकता रस, छन्द, अलंकार, बिम्ब, प्रतीक आदि के अभाव में भी सिद्ध है क्योंकि ये काव्यतत्व सहायक हो सकते हैं अनिवार्य नहीं। हाइकू काव्य-शास्त्रीय रूप है जिसमें जीवन की मार्मिक अनुभूति की अभिव्यक्ति होती है। इसमें भावाभिव्यक्ति के परिणामी गुण परिलक्षित होती हैं। विश्व की सबसे छोटा काव्य-रूप हाइकू लोकचेतना को प्रभावित करने में सर्वथा उपयुक्त, समर्थ एवं सक्षम सिद्ध है। हाइकू काव्य की अभिव्यक्ति सामर्थ्य, उपादेयता और प्रासंगिकता ही उसके पोषक तत्व हैं। अनिवार्य अनुशासन वाला अत्यन्त संक्षित रूप हाइकू अन्य काव्य रूपों की तरह अपनी अभिवृद्धि एवं विकासावस्था को बीसवीं सदी के अंतिम चरण में प्राप्त हो रहा है- जो इसके लिए शुभ संकेत है।’


हाइकू काव्य की प्रवृत्तियां डॉ. उपाध्याय ने निर्धारित की है :
1. वैयक्तिकता, 2. प्रकृति-चित्रण, 3. राष्ट्रीय चेतना, 4. समसामयिकता बोध, 5. नैराश्य की भावना, 6. वर्तमान व्यवस्था से असंतोष, 7. अतीत के प्रति आकर्षण, 8. भविष्य के पति आस्था, 9. शोषित-पीड़ित के प्रति संवेदनशीलता, 10. मानवीय मूल्यों के प्रति जागरूकता, 11. मानसिक तनावग्रस्तता का प्रस्तुतीकरण, 12. मनोवैज्ञानिक निरूपण, 13. नए बिम्ब, 14. नए प्रतीक, 15. छन्द बद्ध एवं छन्दमुक्त, 16. सपाटबयानी भाषा, 17. रसों की अनिवार्यता से मुक्ति, 18. अनुभूति का तात्कालिक सहजाभि व्यक्ति, 19. अतिलघु काव्य, 20. एक श्वासीकाव्य की परिकल्पना, 21. सत्रह मात्राओं का सार्थक सामंजस्य, 22. क्षणिक चिंतन की परिणति, 23. अनुभव की गहराई एवं अभिव्यक्ति की क्षमता में समन्वय, 24. त्रिपदी काव्य, 25. कठोर शब्दानुशासन, 26. प्रभावोत्पादकता, 27. अर्थवत्ता एवं संप्रेषणीयता, 28. सांस्कृतिक समन्वय।
हाइकू के नामकरण के सम्बन्ध में भी मतैक्य नहीं है। कुछेक विद्वान ‘हाइकू’ तथा कुछेक ‘हायकूक’ नाम से पुकारते हैं क्योंकि जापान में भी इसे होक्कू ‘हाइकू’ आदि नामों से अभिहित किया गया है, लेकिन अधिकांशतः विद्वानों की राय में ‘हाइकू’ वर्ण विन्यास को उचित ठहराया गया है। जापानी भाषा के ‘होक्कू’ शब्द से हाइकू की उत्पत्ति ठहरती है। होक्कू ‘होत्सु’ तथा ‘कू’ के समन्वय से बिना है जिसमें ‘होत्सु’ का अभिप्राय प्रारम्भिक तथा ‘क’ का आशय ‘खण्ड काव्य’ है। इस प्रकार यह एक खण्ड काव्य के रूप में जापान में प्रचलित है। भारत में हाइकू मूलतः (17) सत्रह अक्षरों की लघुकाव्य रूप है जो तीन पंक्तियों में पूर्ण होता है। इसे त्रिपदी कविता भी कहा जाता है जिसमें 5-7-5 के वर्ण होते हैं तथा अर्द्ध वर्णों की गणना नहीं की जाती।


‘हाइकू इतिहास के आइने में’ लेख शीर्षकान्तर्गत करूणेश प्रकाश भट्ट ने उल्लेख किया है कि ‘इसमें सभी पंक्तियों के बीच एक सामंजस्य होता है तथा प्रत्येक पंक्ति की अलग-अलग अपनी सार्थकता होती है। इसके साथ ही इसमें गहन भावों की अभिव्यक्ति क्षमता भी होती है। (सम्यक पृ. 14) हाइकू मात्र सत्रह अक्षरी लघु कविता नहीं अपितु शब्दों से अनुशासित कविता है जिसमें भावाभिव्यक्ति ठोस धरातल पर आधृत होती है। इसे ‘एक श्वासी काव्य’ भी कहते हैं। टैगोर ने इसके अस्तित्व को मान्यता प्रदान करते हुए कहा है कि ‘तीन पंक्तियों की कविता संसार में कहीं नहीं है। वही तीन, पंक्तियां इसके कवि और पाठक दोनों के लिए यथेष्ट हैं।’ हाइकू शब्द साधना का सशक्त माध्यम है। लघुता और सूक्ष्मता के धरातल पर इसका सम्पूर्ण ढांचा आधारित है।


हाइकू जापान में प्रकृति से तादात्म्य स्थापना की कविता कही जाती है। इसमें प्रकृति के माध्यम से जीवनादर्श की अभिव्यक्ति मिलती है। इसके मूल में जापानी कवियों की सन्त प्रवृत्ति रही है। जैनसाधक ये सन्त अपरिग्रही जीवन मूलतः व्यतीत करते मानव-आवास से सूदुर नदियों, पर्वतों तथा कन्दराओं आदि में निवास एवं विचरण करते हुए प्रकृति से सहज ही साहचर्य स्थापित करते थे। हाइकू प्रकृति-चित्रण की कविता रही है जिसमें प्रकृति के क्रिया-कलापों का विवेचन-विश्लेषण मिलता है। जैन दर्शन में सादगी और अभिव्यक्ति की सहजता पर विशेष आग्रह होता है जिसमें व्यक्ति अपने मूल मानस को समझने का प्रयत्न करता है।
काव्य का रूप
बनाता है स्वरूप
लगता भूप।
     सीखें आग्रह
     छोड़ें दुराग्रह
     वो सत्याग्रह।
जीवन भ्रांति
चहु दिशि है क्रांति
आएगी शांति।
     बहती गंगा
     बनाती नर चंगा
     बचाती दंगा।
स्वदेशी वस्त्र
लिए विदेशी अस्त्र
अपना शस्त्र।
     देश की चाल
     धनी हैं मालोमाल
     गरीबी ढाल।
करो संघर्ष
प्रगति चर्मोत्कर्ष
उठो सहर्ष।
     लगाओ ध्यान
     देश को योगदान
     बनें महान।
है स्वाभिमान
देशहित का भान
वे ही श्रीमान।
     मत हो क्रूर
     बन जाओ अक्रूर
     सीखो शऊर।
जो थी कामिनी
है शक्ति प्रदायिनी
बनी दामिनी।
     बाग उजड़ा
     सामान जो बिगड़ा
     बढ़ा झगड़ा।

हाइकू : विविध
करो संघर्ष
प्रगति चमोत्कर्ष
उठो सहर्ष।
नित्य परेशां
विद्वैषी क्रुद्ध इन्सां
जलावे मकां।

है स्वाभिमान
देशहित का भान
वे ही श्रीमान्।

संस्कृति
काली कमाई
जो काम नहीं आई
मिट्टी हो जाई।
वो विरप्पन
रखा ऐके छप्पन
मद अप्पन!

दिवा सपना
होता नहीं अपना
राम जपना।
देश का नेता
मूल है अभिनेता
कुछ न देता।

संत कबीर
छोड़ गया जागीर
बना फकीर.
ताजमहल
बना नियम
भेजता नित्य यम
कोई न कम।

हाइकू-राष्ट्रवादी
हर जमाने
पैदा होते वीराने
गाते तराने।

गांधी का मंत्र
देश हुआ स्वतंत्र
बना था तंत्र।

स्वदेशी वस्त्र
लिए विदेशी अस्त्र
अपना शस्त्र।

है धरा धाम
जो नित्य आवे काम
वो अभिराम.

जो सेवा भाव
लाता है आविर्भाव
वो है प्रभाव।

बहती गंगा
बनाती नर चंगा
बचाती दंगा।

रीति-रिवाज
भारतीय समाज
है राम-राज।

विश्वास घात/
जीवन की राहों में/
रोज की बात.
स्वार्थ निगोड़ा/
कहने को विवश/
गधे को घोड़ा.
(भाषा जुलाई-अगस्त 2006 पृष्ठ 222)
डॉ. उपाध्याय ने विविध हाइकू रचे हैं जिनमें 5-7-5 का निश्चित क्रम संगीतात्मकता में है क्योंकि उनका पूरा यकीन है कि सृष्टि लयात्मक है। उन्होंने, राजनीति, भ्रष्टाचार संबंधी, पूजा-अर्चना, प्रेमतत्व, न्याय, जीवन, विश्वास, सृष्टि, दुःख और सुख, जन्म-मरण, सेवा, गरीबी आदि विषय हाइकू लिखा है जो ‘समकालीन हिंदी कविता’ संकलन में संग्रहीत हैं। इसके अतिरिक्त सम्प्रति भी हाइकू लिखे जा रहे हैं जिनमें कवि कर्म, दहेज प्रथा, कश्मीरी-समस्या, काव्यमंच, नक्सलवाद आदि समसामयिकता विषयक समस्याएं हैं जिनसे राष्ट्र जूझ रहा हैं। डॉ. उपाध्याय का रचनाकार सतर्क है, सजग है एवं सावधान है ताकि अपनी आवाज बुलंद कर जनमानस को सचेत कर सके।
हाइकूकार डॉ. उपाध्याय ने हाइकू छन्द की रचनाशीलता में 5-7-5 का क्रम पूर्णतः पालन करते हुए तीनों पदों में तुकान्त शब्दावली का प्रयोग किया है जिससे लयात्मक एवं ध्वन्यात्मकता की प्रवृत्तियां उजागर हुई हैं। यह अपने आप में रचनाकार की रचनाधर्मिता की निजी विशेषता है। डॉ. उपाध्याय ने अठाईस प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में हाइकू छन्द का साहित्यानुशीलन किया है जिससे उनकी रागात्मक प्रतिभा चमत्कृत हो उठी है। उन्होंने राष्ट्रीय चेतना, समसामयिकता बोध, नैराश्य की भावना, अतीत का मोह, शोषित-पीड़ित के प्रति सहानुभूति, नारी चित्रण, मानवीय मूल्य, तनावग्रस्त मानसिकता, मनोवैज्ञानिक चित्रण, बिम्ब, प्रतीक विधान आदि के परिपार्श्व में सर्वेक्षण-निरीक्षण करते हुए हाइकू छन्द की रचना में अपनी रचनाधार्मिता का सफल निर्वहन किया है। यह हाइकू काव्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान कहा जा सकता है।

संपर्क : शोधार्थिनी,
जिला चिकित्सालय, अलीगढ़-202001

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: प्राची - जनवरी 2019 : हाइकूकार डॉ. पशुपतिनाथ उपाध्याय का अभिनव प्रयोग - राधारानी वर्मा
प्राची - जनवरी 2019 : हाइकूकार डॉ. पशुपतिनाथ उपाध्याय का अभिनव प्रयोग - राधारानी वर्मा
https://4.bp.blogspot.com/-SrCcBLOMiuo/XElaR8Ri04I/AAAAAAABGw4/ADwIcY8qRrAOer_Qr-OG98lXkIFtqQUbQCLcBGAs/s320/%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%259A%25E0%25A5%2580%2B%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580%2B2019.png
https://4.bp.blogspot.com/-SrCcBLOMiuo/XElaR8Ri04I/AAAAAAABGw4/ADwIcY8qRrAOer_Qr-OG98lXkIFtqQUbQCLcBGAs/s72-c/%25E0%25A4%25AA%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25B0%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%259A%25E0%25A5%2580%2B%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25B5%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%2580%2B2019.png
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2019/01/2019_67.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2019/01/2019_67.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content