फ़रेब : हरीश कुमार ‘अमित’ की लघुकथाएँ

SHARE:

भलमनसाहत रात के सवा दस बजे थे, अम्बाला जाने के लिए करनाल के बस अड्डे पर खड़ा मैं बस का इन्तज़ार कर रहा था. दस चालीस पर रवाना होने वाली बस आने ...

भलमनसाहत

रात के सवा दस बजे थे, अम्बाला जाने के लिए करनाल के बस अड्डे पर खड़ा मैं बस का इन्तज़ार कर रहा था. दस चालीस पर रवाना होने वाली बस आने ही वाली थी. अगले दिन चूंकि दीवाली थी, इसलिए अड्डे से छूटनेवाली हर बस के लिए भीड़ काफ़ी ज़्यादा थी. दस चालीस वाली बस को पकड़ लेना बहुत ज़रूरी था, क्योंकि इसके बाद डेढ़ बजे बस मिलनी थी, जब तक कि अब वाली पकड़कर अपने घर भी पहुँच चुका होना था.

थोड़ी देर बाद अम्बाला जानेवाली बस प्लेटफॉर्म की तरफ आती दिखायी दी. इसके साथ ही भीड़ का एक रेला रेंगती हुई बस की ओर भागने लगा. मेरे पास एक भारी-सी अटैची थी, सो मैं पीछे रह गया, मुझे नहीं लग रहा था कि मैं बस में सीट पा सकूंगा. तभी मुझे एक विचार सूझा और मैंने बस में चढ़ने के लिए धक्कामुक्की कर रहे एक देहाती-से आदमी को जरा मिन्नत करते हुए कह दिया, ‘‘ए भइया, मेरे लिए भी एक सीट रोक लेना. मुझसे चढ़ा नहीं जा रहा. मेरे पास भारी सामान है.’’ कहने को तो मैंने कह दिया था, पर यक़ीन मुझे कम ही था कि वह आदमी मेरे लिए सीट रोक लेने की भलमनसाहत दिखाएगा.

बस में चढ़ने की मेरी कोशिशें जब तक कामयाब हुईं, बस खचाखच भर चुकी थी. खड़े तब होने की जगह नहीं मिल पा रही थी. बड़ी परेशानी-सी महसूस करने लगा था मैं. तभी मुझे सुनाई पड़ा, ‘‘ऐ बाबू साहेब! ऐ नीचे स्वेटरवाले बाबू साहेब!’’ मैंने एकदम से आवाज़वाली दिशा की ओर देखा. वही देहाती मुझे पुकार रहा था. खिड़की की तरफ़वाली उसके साथ की एक सीट ख़ाली थी.

किसी तरह अटैची संभाले भीड़ में से बड़ी मुश्किल से रास्ता बनाता हुआ मैं उसके पास पहुँचा, बजाय ख़ुद खिड़की की तरफ़ खिसकने के उस देहाती ने मुझे ही खिड़की की तरफ बैठने दिया. उसकी भलमनसाहब देखकर मैं गद्गद् हो उठा. सच्चे दिल से मैंने उसका शुक्रिया अदा किया.

तभी वह मुझसे कहने लगा, ‘‘बाबूजी, बस चलने में थोड़ी ही देर है. ज़रा मेरी सीट रोकना, पेशाब करके मैं अभी आया.’’ उसके चले जाने पर मैंने घड़ी देखी. बस चलने में दो-तीन मिनट ही बाकी थे. तभी मेरी नज़र बस में खड़ी हुई सवारियों में अलग-सी दिख रही एक ख़ूबसूरत-सी आधुनिका पर पड़ी, जो मुझसे ज़्यादा दूर नहीं खड़ी थी.

‘‘अगर यह लड़की मेरे साथ बैठी होती, तो कितना मज़ा आता.’’ उसे देखते ही यह ख़याल मेरे दिल में चक्कर काटने लगा था. इस ख़याल की तेजी धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही थी. फिर मुझे न जाने क्या सूझा कि मैंने उस लड़की को अपनेवाली सीट पर बैठने का निमन्त्रण दे दिया और खुद उस देहाती की सीट पर खिसक गया. लड़की रास्ता बनाकर ‘‘थैंक यू’’ कहती हुई मेरे साथवाली सीट पर बैठ गई. कंडक्टर की सीटी सुनायी दी और बस रेंगने लगी. मैंने खिड़की में से देखा वह देहाती हाथ हिलाकर ज़ोर-ज़ोर से कुछ चिल्लाता हुआ शौचालय की तरफ़ से बस की ओर दौड़ रहा था. मगर बस तब तक रफ़्तार पकड़ चुकी थी. मैं चाहता तो कंडक्टर से कहकर बस रूकवा सकता था, पर लड़की के गुदगुदे स्पर्श के ताले ने मेरी जुबान खुलने नहीं दी.

-0-0-0-0-0-

फ़रेब

‘‘बीबी जी, सर्दियां आ रही हैं. मेरे लिए कोई पुराना गर्म कपड़ा तो ढूंढ रखना’’ सावित्री, हमारे बर्तन माँजने वाली, मम्मी से कह रही थी.

‘‘अच्छा ढूंढूंगी. अगर कोई मिला तो ले लेना.’’

दूसरे दिन मम्मी ने मेरा एक पुराना स्वेटर यह कहते हुए उसे दे दिया कि उसे अरूण (उसका लड़का) पहन लेगा.

सावित्री अक्सर इसी तरह हमसे कई चीज़ं ले जाया करती थी. इनमें बहुत सी चीज़ें भी होतीं जैसे कि मेरे कपड़े, मेरे जूते, मेरी किताबें वग़ैरह-वग़ैरह. मेरी चीजों को सावित्री यह कहकर ले जाती थी कि ये अरूण के काम आ जाएंगी. वह कहती थी कि उसका एक ही लड़का है और लड़कियाँ चार हैं. उसके लड़के को हमने कभी देखा नहीं था, मगर सावित्री के मुँह से हमेशा उसकी तारीफ़ ज़रूर सुनी थी. वह हरदम कहा करती कि उसका अरूण बहुत अच्छा है. घरवालों का बहुत ख़याल रखता है, पढ़ाई में भी बहुत होशियार है, वगैरह-वगैरह.

एक दिन सावित्री बर्तन माँजने नहीं आईं. हमने सोचा शायद कोई ख़ास काम पड़ गया होगा या फिर बीमार हो गयी होगी. इससे पहले अगर कभी किसी वजह से वह न आ पायी थी तो अपनी किसी लड़की को बर्तन माँजने भेज दिया करती थी, पर इस बार उसकी कोई लड़की भी नहीं आई. दिन बीतते गए, मगर उन लोगों में से कोई दिखाई नहीं दिया.

आखिर करीब तीन हफ़्ते बाद सावित्री आई - मुंह पर उदासी के गहरे बादल लिए हुए. आते ही फफक-फफककर रोने लगी. मम्मी के पूछने पर हिचकियाँ लेते हुए बोली, ‘‘क्या बताऊं बीबी जी! मेरा तो घरवाला नहीं रहा!’’

सुनते ही हम सब को धक्का-सा लगा. हमने उसे सांत्वना दी कि जो होना था, सो हो गया. हौसला रखो. तुम्हारा इकलौता बेटा है ही सहारे के लिए. लेकिन सावित्री का रोना जारी रहा. हमने सोचा कि शायद ज़्यादा दुःख की वजह से चुप नहीं हो पा रही है. तभी रोते-रोते वह अचानक ही बोल पड़ी, ‘‘इसी बात का तो दुःख है बीबी जी! मेरा अरूण तो सात साल पहले ही गुजर गया था!’’

-0-0-0-0-0-

परिवर्तन

उसे लग रहा था कि तनाव से उसका सिर ही फट जाएगा. वह बहुत पछता रहा था कि उसने बीवी-बच्चों को प्रगति मैदान में लगा व्यापार मेला दिखाने का कार्यक्रम बनाया ही क्यों. पहले तो भीड़ भरी बस में प्रगति मैदान तक आते-आते हालत खराब हो गई थी और फिर जितनी उसे आशा थी, उससे कहीं बहुत ज़्यादा खर्च हो गया था. यहाँ तक कि आड़े वक़्त के लिए बचाकर रखे गए दो सौ रुपयों में से भी सौ से ज़्यादा रुपए उड़ गए थे मगर इसके बावजूद उसकी बीवी और दोनों बच्चों के मुँह फूले हुए थे. मेरे में तरह-तरह की चीज़ें देखकर उन्हें खरीदने की इच्छा उन सबको हो आई थी. अपने दिमाग़ की चेतावनियों को नजरअंदाज़ करते हुए उसने कुछ छोटी-मोटी चीज़ें उन्हें ले तो दी थीं, पर फिर भी उनकी अनेक मनचाही चीजें ख़रीदने से रह गई थीं. न-न करते भी खाने-पीने पर काफी खर्च हो गया था. चीजों के दाम ही आसमान को छू रहे थे.

प्रगति मैदान से बाहर आने वाले गेट के पास वे पहुँचने ही वाले थे कि उसके छोटे बच्चे की नज़र खिलौने बेचनेवाले पर पड़ी और वह प्लास्टिक की एक छोटी बन्दूक दिलाने की ज़िद करने लगा. बन्दूक दस-पन्द्रह रुपए में ही आ जाती, पर अपनी खस्ता आर्थिक हालत के कारण उसे यह खर्च बिल्कुल फिजूलखर्ची लगा. उसने बच्चे को बुरी तरह झिड़क दिया और अपनी चाल तेज कर दी.

तभी उसने देखा गेट के पास उसके दफ़्तर का साथी खन्ना अपने परिवार के साथ खड़ा था. उन सबके हाथ खरीदी गई चीज़ों के पैकेटों से लदे-फदे थे और एक आदमी उन लोगों के हाथों से कुछ पैकेट लेकर उनका बोझ हल्का करने की कोशिश कर रहा था. उसके दिमाग़ में आया कि हो-न-हो खन्ना ने दफ़्तर में अपने पास आने वाली किसी पार्टी से मुफ़्त कार का जुगाड़ किया है और यह उसी कार का ड्राइवर है. खन्ना जैसे चालू आदमी के लिए ऐसे जुगाड़ करना बाएं हाथ का खेल था और खुद उसके लिए महापाप. आदर्शवाद का भूत जो सवार था उस पर. तनाव से भरा उसका दिमाग़ अब जैसे तनाव के समुद्र में गोते खाने लगा था. अपनी स्थिति उसे और भी दयनीय लगने लगी. खन्ना के सामने वह किसी भी हालत में पड़ना नहीं चाहता था.

वह एकदम से रूक गया और खिलौने वाले को पास बुलाकर प्लास्टिक की बन्दूक खरीदने लगा.

-0-0-0-0-0-

इमोशनल फूल

दफ़्तर में बैठा काम कर रहा था कि मेरा मोबाइल फोन बजने लगा. देखा, तो मेरे अधीनस्थ का नाम स्क्रीन पर चमक रहा था. मुझे थोड़ी-सी हैरानगी हुई क्योंकि यह अधीनस्थ अभी पाँचेक मिनट पहले तक तो मेरे कमरे में मेरे सामने ही बैठा हुआ था और बीवी की बीमारी के कारण दो हफ़्ते की छुट्टी के लिए इसरार कर रहा था. उसकी छुट्टी मैंने मंज़ूर भी कर दी थी.

सशंकित-सा मैंने जैसे ही फोन उठाया, उधर से मेरे अधीनस्थ की किसी से बात करने की आवाज़ सुनाई दी. कोई अधीनस्थ से पूछ रहा था, ‘‘तो यार करवा ही ली तुमने दो हफ़्ते की छुट्टी मंज़ूर! इतनी आसानी से कैसे दे दी इतनी लम्बी छुट्टी तेरे साहब ने?’’

तभी अधीनस्थ की आवाज़ सुनाई दी, ‘‘अरे, कैसे नहीं मिलती छुट्टी! अपनी बीवी की खराब तबीयत का रोना रोया, साथ में चेहरे पर दुःखभरे भाव लाने की एक्टिंग की. बस हो गई छुट्टी मंज़ूर!’’

‘‘अब तो दो हफ़्ते मज़े करोगे! घर में ही रहोगे या कहीं घूमने-फिरने जाने का इरादा है?’’

‘‘घूमेंगे-फिरेंगे-ऐश करेंगे और क्या!’’ कहकर अधीनस्थ हँसा. उसके बाद फिर कहने लगा, ‘‘हाँ, बीच-बीच में साहब को फोन करके यह भी बताता रहूँगा कि बीवी की तबीयत और बिगड़ रही है. इस तरह और एक-दो हफ़्ते की छुट्टी का जुगाड़ बैठ जाएगा. वो चुगद तो स्साला इमोशनल फूल है. ज़रा सा इमोशन दिखाओ, झट पिघल जाता है मोम की तरह.’’

फिर अधीनस्थ और उसके साथी की हँसी का सम्मिलित स्वर सुनाई देने लगा. गलती से मुझे लग गए फोन को काट देने के अलावा मेरे पास और कोई चारा नहीं था.

-0-0-0-0-0-

मासूम सवाल

पैर में ठोकर लगने से चिंटू के हाथ में पकड़ा रसगुल्ला जमीन पर गिर पड़ा. यह देख मम्मी ने रसगुल्ला उठाकर एक प्लेट में डाला और उसे फ्रिज पर रख दिया. उसके बाद उन्होंने चिंटू को फ्रिज से एक और रसगुल्ला निकालकर दे दिया.

कुछ देर बाद करमो बर्तन माँजने आई. उसके साथ उसका तीन साल का लड़का, नोनू, भी था. मम्मी ने फ्रिज पर बिना ढके रखा यह रसगुल्ला नोनू को दे दिया. यह देख चिंटू चुप न रह सका और बोल उठा, ‘‘मम्मी, यह रसगुल्ला तो....’’

मम्मी समझ गई कि चिंटू क्या कहना चाहता है. उन्होंने ऊंगली से उसे चुप रहने का इशारा किया और फिर उसे दूसरे कमरे में ले जाकर बोली, ‘‘उनके सामने ऐसा मत बोलना।’’

चिंटू समझ नहीं पाया कि जमीन पर गिरी चीज़ खाना अगर उसके लिए बुरा है तो नोनू के लिए बुरा क्यों नहीं है. मम्मी उसे तो बिना ढककर रखी चीजें खाने को देती नहीं, फिर नोनू को वह रसगुल्ला उन्होंने कैसे दे दिया. और फिर उसकी हिन्दी की पुस्तक में जो लिखा है कि हमेशा सच बोलना चाहिए - वह क्या झूठ है.

-0-0-0-0-0-

संक्षिप्त परिचय

नाम हरीश कुमार ‘अमित’

जन्म मार्च, 1958 को दिल्ली में

शिक्षा बी.कॉम.; एम.ए.(हिन्दी); पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा

प्रकाशन 800 से अधिक रचनाएँ (कहानियाँ, कविताएँ/ग़ज़लें, व्यंग्य, लघुकथाएँ, बाल कहानियाँ/कविताएँ आदि) विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित

एक कविता संग्रह ‘अहसासों की परछाइयाँ’, एक कहानी संग्रह ‘खौलते पानी का भंवर’, एक ग़ज़ल संग्रह ‘ज़ख़्म दिल के’, एक लघुकथा संग्रह ‘ज़िंदगी ज़िंदगी’, एक बाल कथा संग्रह ‘ईमानदारी का स्वाद’, एक विज्ञान उपन्यास ‘दिल्ली से प्लूटो’ तथा तीन बाल कविता संग्रह ‘गुब्बारे जी’, ‘चाबी वाला बन्दर’ व ‘मम्मी-पापा की लड़ाई’ प्र‍काशित

एक कहानी संकलन, चार बाल कथा व दस बाल कविता संकलनों में रचनाएँ संकलित

प्रसारण लगभग 200 रचनाओं का आकाशवाणी से प्रसारण. इनमें स्वयं के लिखे दो नाटक तथा विभिन्न उपन्यासों से रुपान्तरित पाँच नाटक भी शामिल.

पुरस्कार (क) चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट की बाल-साहित्य लेखक प्रतियोगिता 1994,

2001, 2009 व 2016 में कहानियाँ पुरस्कृत

(ख) ‘जाह्नवी-टी.टी.’ कहानी प्रतियोगिता, 1996 में कहानी पुरस्कृत

(ग) ‘किरचें’ नाटक पर साहित्य कला परिष्‍द (दिल्ली) का मोहन राकेश सम्मान 1997 में प्राप्त

(घ) ‘केक’ कहानी पर किताबघर प्रकाशन का आर्य स्मृति साहित्य सम्मान दिसम्बर 2002 में प्राप्त

(ड.) दिल्ली प्रेस की कहानी प्रतियोगिता 2002 में कहानी पुरस्कृत

(च) ‘गुब्बारे जी’ बाल कविता संग्रह भारतीय बाल व युवा कल्याण संस्थान, खण्डवा (म.प्र.) द्वारा पुरस्कृत

(छ) ‘ईमानदारी का स्वाद’ बाल कथा संग्रह की पांडुलिपि पर भारत सरकार का भारतेन्दु हरिश्‍चन्द्र पुरस्कार, 2006 प्राप्त

(ज) ‘कथादेश’ लघुकथा प्रतियोगिता, 2015 में लघुकथा पुरस्कृत

(झ) ‘राष्‍ट्रधर्म’ की कहानी-व्यंग्य प्रतियोगिता, 2017 में व्यंग्य पुरस्कृत

(ञ) ‘राष्‍ट्रधर्म’ की कहानी प्रतियोगिता, 2018 में कहानी पुरस्कृत

(ट) ‘ज़िंदगी ज़िंदगी’लघुकथा संग्रह की पांडुलिपि पर किताबघर प्रकाशन का आर्य स्मृति साहित्य सम्मान, 2018 प्राप्त

सम्प्रति भारत सरकार में निदेशक के पद से सेवानिवृत्त

पता 304, एम.एस.4 केन्द्रीय विहार, सेक्टर 56, गुरूग्राम-122011 (हरियाणा)

ई-मेल harishkumaramit@yahoo.co.in

COMMENTS

BLOGGER: 1
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: फ़रेब : हरीश कुमार ‘अमित’ की लघुकथाएँ
फ़रेब : हरीश कुमार ‘अमित’ की लघुकथाएँ
https://lh3.googleusercontent.com/-cZJTMm_lhlI/W7r19Mq502I/AAAAAAABEnM/ukpApaIjfuoaPne8bprIK-ZnNEu2yAO4wCHMYCw/image_thumb%255B7%255D?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-cZJTMm_lhlI/W7r19Mq502I/AAAAAAABEnM/ukpApaIjfuoaPne8bprIK-ZnNEu2yAO4wCHMYCw/s72-c/image_thumb%255B7%255D?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2019/01/blog-post_131.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2019/01/blog-post_131.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content