डॉ. अमरजीत सिंह टांडा की कविताएँ

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  नाम :    डॉ. अमरजीत सिंह टांडा प्रकाशन :पंजाबी के पाँच काव्य संकलन प्रकाशित –      हवावां दे रुख, लिखतुम नीली बांसरी, कोरे      कागज़ ते ...

 
नाम :    डॉ. अमरजीत सिंह टांडा
प्रकाशन :पंजाबी के पाँच काव्य संकलन प्रकाशित –
     हवावां दे रुख, लिखतुम नीली बांसरी, कोरे
     कागज़ ते नीले दस्तख, दीवा सफ़ियां दा और सुलगदे हर्फ़
सम्मान :    "हिन्द रत्न एवार्ड २०१०" द्वारा सम्मानित
संप्रति :    कीटवैज्ञानिक, कवि और समाज सेवक
सदस्य :    पंजाबी साहित्य अकादमी सिडनी और पंजाबी वेलफ़ेयर
     एंड कल्चरल एसोसिएशन ऑस्ट्रेलिया के संस्थापक अध्यक्ष
     इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस ऑस्ट्रेलिया के संस्थापक अध्यक्ष।
     ऑस्ट्रेलिया के केन्द्रीय चुनावों में तीन बार प्रत्याशी रहे।
सम्पर्क :    drtanda101@gmail.com
 

युद्ध से

युद्ध से कोई समाधान ना पायोगे
आग तो ख़ुद एक समस्या है
अगन का नाम अमन नहीं होता
खून से खून की बात नहीं होती 
कौन बख़्शेगा जलाऐ हुए फूलों की महकों को
लहू की भूख
एक नया निमंत्रण लेकर आऐगी चौखट पर
टपकेगा तो लहू सरहदों पर अशांति हो कर
चूड़ियां तो घर में टूटेगीं दूर किसी कीं

संगीनों से कब रूका है बहता लहू कभी
बाज़ारों में आईं तलवारें
कब जातीं हैं बिन प्यास बुझाऐ वापस
नाहरों शोलें से कब बनतीं हैं शांति की दीवारें
बहता ख़ून कब उसारता है मिनार खुशी के
आईना कब बनाता है चेहरा सूर्य की रिशमों का

लालसा कब मरती है धड़कन रूक जाने पर
मौत ना कहना शरीर मिटने को
इन्सान कब मरता है देह के राख हो जाने पर
आवाजें साँस होंठ थमने पे नहीं मरतीं
 
युद्ध कहीं भी हो
क़त्ल किसी का भी हो
खून से लथपथ तो इन्सानीयत होती है
लहू का रंग एक सा है बेगाना नहीं होता
जंग इंसान का ख़ून कर
इन्सानीयत को दफन करती है
कोई भी आज तीक
खून का हिसाब नहीं कर पाया

फूल जलते हैं तो अपने
ख्वाब मरते हैं तो बच्चों के
सुहाग उजड़ते हैं तो रातों के

मेहनत से उसारे घर खंडरात बनते हैं 
सरहदों से कैसे बाँटोगे रूहे-ऐ-जमीन
कैसे भरोगे बमों से ज़ख़्म-ऐ-आलम
बेचैन आफ़्ताब-ए-ज़ीस्त

क्या श्रेष्ठता उच्चता के लिए घर जलाऐ जाऐं
क़त्ल कर दिये जाऐं सितारों के सपने
बाँझ कर देगा बारूद का जश्न
आँसू बहाती जमीन की कोख
कफ़्न रोंऐंगे लाशें गिनते हुए
परचम सिसकेंगे लहराते

कब जलता है खून के दियों से
आँगन-ऐ-आसमां
मिराज विमान कब बुझा पाऐ हैं
नफ़रत की आग  
ना हो कहीं युद्ध तो अच्छा
आग से दूर रहें बच्चे और घर तो बेहतर
सर्जिकल स्ट्राइक नहीं पूँछेंगे मां के आँसू
नई दुल्हन की मांग संधूर को तरसेगी
टूटे खिलौने रोऐंगे बच्चों को इधर उधर पड़े

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मिट जाएगा

मिट जाएगा
जख्म-ऐ-निशान ही तो है
टपक लेने दो इसे
जम जाऐगा कहीं ख़ून ही तो है

सड़कों पे निकला लाठी और हथियार की करामात
किसी लाश से बहता गर्म ख़ून
सर्द हो जाऐगा देखते देखते

मिट जाएगा ये 
बढ़ रहा है जो हर रोज ज़ुल्मों सितम 
कितने साँस बचे होंगे भूखे पेटों में
जम जाना होता है आखिर
टपक कर सभी ख़ून कतरों को

आईनों में कब छुपे हैं तने सीने तीखी नज़रें
बंबों संगीनों से कब थमा है बहता ख़ून

अब तो ये निकल आया है
पत्थर नारा तलवार अगन बन कर
सड़कों बाज़ारों में उतरा
मक़्तलों में कब दबा है दबाने से खून

तलवार वेइंसाफ़ी बेगुनाह जख्मों
बेड़ियों में जकड़े पाँवों सलीबों
क़ातिल के हाथों
जा फिर ख़ाक-ए-सहरा की छाती पर
कहीं भी जम सकता है ये लहू

बेगुनाह जख्म हो जा फिर ख़ून
किसी के आगे फरियाद भी नहीं बन पाता

हर रक्त-ए-बूँद शाम को ढूँढने निकलतीं हैं लाशें
हाथों पे दीपक सीने में एक ज़हर लिऐ
रोशनी और ख़ून का कभी कोई रिश्ता नहीं होता

घरों देशों में कहीं भी कोई छुपा हो
इस की महक ख़ुद बताती है
कातल को उस गली का पाँव चिह्न

किसको बताओगे इंतहा-ए-ज़ुल्म
इलहाम-ऐ-क़िस्मत का नाकारा हुआ पैगाम
रुस्वा नजरों का सिसकता आलम

कोई औक़ात नहीं होती ज़ुल्म की 
लाखों चेहरे बदल सकती है खून की बूँदें
इसके अंजाम को जानती हैं जहाँ की सभी गलियाँ

बुझाओगे तो नहीं बुझेंगे इसके शोले
दबाओगे तो नहीं दबेंगीं इस की आवाजें

ख़ून ही तो है टपक लेने दो इसे
जम जाऐगा कुछ ही पलों में

आप के उदास लम्हें मिट सकते हैं -अमरजीत टांडा

आप के उदास लम्हें मिट सकते हैं
मिटा सकता हूँ
तेरी उदास जुल्फों का बिखरना 
ये ग़म-ए-डगर ग़मगीन का नज़ारा तो कुश भी नहीं

इतनी देर हो गई है सूरज को जलते
इतनी ऋतु मर गई हैं सितारों को टूटने से बचाते    

तेरी उडीक में बैठना
और दिन रात आँसू रुलाना
तो शौक था हमरा -
तेरी यादों को पास बिठाना और दिल बहलाना -
गीत बन जाता था -

मेरे टूटे नग्मों की सत्रों को
एक २ सजा कर नज़्म बना कर दिखा कभी
कभी रातों को टूटी हूई
निदिया के पल जोड़ कर सोला कर दिखा तो मानूं 

फिर जानू के तू ने भी कभी पलकों के
अश्क़ खोये थे
कभी सोई होंगी बेचैन हो कर -
तेरी भी रातें -

ऐसे मेरी यादों को साथ सुला कर
इलज़ाम मेरे गीतों के कंधे पे धरना
मेरी गली के चैन को बेचैन करना -
इतना छोटा मत समझ -

आप नहीं जानती के
कैसे सोते हैं हमारे सिसकते पल
तेरे विदा होने पर
कैसें नहीं छोह पातीं लबों को चंद से तोड़ी गराही

कैसे तेरे लिए सजाये ख़ाब
लुटे चुराहे पर
कैसे गिरी थी रोटी मेरी मां के कांपते हाथों से
कैसे हो गया था पाग़ल मेरा नन्ना सा बेटा
देर से मिले और खिलोने के टूट जाने पर

आप किआ जानो एक बचे के 
अर्मानों पे गिरे आस्मां का वज़न 
भूखे सोये दिनों की आँख से
चुका सकते हो ज़मी पर टपके एक आंसू की कीमत

जिस दिन एक मां का बेटा
घर लौट कर नहीं आता
सड़क पे कुचला दिया जाता है किसी सुहाग का संधूर
उस रात के पहरों पर किआ गुजरती है
किसी रात बेतर्ज़ हूई टूटी बंसरी से पुछना -

जिस पेट को किरत करने के बाद भी
मुठी भर अनाज नहीं नसीब होता
उस की रगों में दौड़ते हूई
खून की चंद बूंदों की तढ़पन मापना कभी
पुकार सुनना कभी सदमे में चारपाई पे लेटी चादर की

मैं तेरे सभी खून मुआफ़ कर सकता हूँ
तेरे सभी इलज़ाम मिटा सकता हूँ
तेरी भृष्ट नीयत पे कर सकता हूँ यकीं

पर मैं कभी अपने बच्चों के आसमाँ पे खिले सितारे
नहीं मट्टी में राख़ होने दूंगा
चंद की रिष्मों में नहीं रूलाने दूंगा
किसी अन्नी अँधेरी गली के काले पल -

तू सौ वार लगा ले मेरे तन पे शमकेँ
वार २ गुज़र कोई दैंत बन कर शहर में-

कभी नहीं चुराने दूंगा नन्ने बच्चों के ख़िलौने
कभी नहीं टूटने दूंगा उनके मरमरी से ख्वाब
बारिश में तैरती उनकी नाव के साथ चलते कहकहे
 
उसकी मां की लोरी में लिखी कविता-ए-तबस्सुम
उसके बाप के दिन रोज़ की कमाई से गाया हर्फ़-ए-इब्तिदा

तू ऐसा कुश भी नहीं कर सकता
तुझे मैं कभी भी नहीं सोचने दूंगा ऐसा

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सूने सूने घरों में

सूने सूने घरों में
कब लिखा जाता है
शांति का कोई नगमां

चलो बजार की रोशनी में ही
बहला लेते हैं
मन अक्षरों और कलम को

सड़क की टिऊब लैम्प
बहुत है लिखने पड़ने को

किसी कागज के टुकड़े पर भी
लिखी जा सकती है
टूटे दामन की दास्तान

उदास साँसों की
विलकती हूई कहानी
अपने हिस्से आऐ हूऐ
आँसुओं का राग वैराग

घुटनों पे ही तो रखना है
मुड़ी-तुडी काग़जी जिंदगी को
और ख़याल में लाना है
किसी चैखब गोर्की जा कीटस को

लिखते पड़ते रहना चाहिए
घरों में लगे बिजली के मीटर का साया
चलता थमता कभी कभी

पड़ना पार्क में बैठ कर में किताबों का
और मछर पतंगों को हटाना मारना

ऐसे भी बन सकतीं हैं रातें प्रेमचन्द दुष्यंत
और दिनों के सपने
डिकेन्स जा फिर हार्डी

करना कया है
पुरानी किसी कहानी के
पंनों में चिपका दो
अपनी फटी पुरानी बुनआन का एक अधिआऐ
समय का नया पैगाम
बढ़ जाऐगी कहानी आगे

बेरहम ना सोने वाली गर्म रात से
बातचीत कीजिऐ
शुक्र मनाऐं विकास का
खुशी मनाई जाए बेहिसाब खुशहाल राहों की

रात मे ही और विकास लाना है तो
नोट बदलें पुराने हो गऐ हैं पिछले मांस वाले

कोई पल जिंदगी फीकी नहीं होती
अपनी टेस्ट बडज बदलाऐं
 
वारी वारी से अपनी अपनी
हथेली ले कर आईऐ आगे
छुरी से नई लकीरें खींच सकता हूँ
माथे पे खुन सकता हूँ नई तकदीर

आजाद हैं आप
ठन्डे घूंट पी कर खाली पेट पर
नई योजना का लंबा सपना लिख कर
भी सोया जा सकता है

साँस लो लम्बे लम्बे से
पवन परदूशन हल हो जाएगा

तमाखू जरदे की एक फक्की से
किस देश में सुरंग दिखता है बताईये?

कहां जशन होते हैं
रात भर भूखे सपनों के
बजती है शहनाई
हर रोज मरते सूरज के जनाजे पर

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नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर 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रचनाकार: डॉ. अमरजीत सिंह टांडा की कविताएँ
डॉ. अमरजीत सिंह टांडा की कविताएँ
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