बिमल तिवारी ‘ आत्मबोध ‘ की कविताएं

SHARE:

1-अब कृष्ण की आशा छोड़ो अब कृष्ण नहीं ओ आएंगे खुद ही अपना वस्त्र सम्भालो अब नहीं ओ बचाएंगे ।। रम्भा वाली रूप ये छोड़ो चंडी सा श्रृंगार कर...

1-अब कृष्ण की आशा छोड़ो
अब कृष्ण नहीं ओ आएंगे
खुद ही अपना वस्त्र सम्भालो
अब नहीं ओ बचाएंगे ।।

रम्भा वाली रूप ये छोड़ो
चंडी सा श्रृंगार करो
अंधी बहरी मर्दों की दुनिया में
गंदगी का प्रतिकार करो ।।

अपनी आँखों की आशु को
व्यर्थ नहीं तुम गिरने दो
अपनी हाथों से हर दुःशासन को
बीच सभा मे मरने दो ।।

दरबार नहीं दुनिया अंधी है
बहरी भी और गूंगी भी
अब एक गोविंद ना बचा सकेगा
तेरी इज़्ज़त महंगी सी ।।

अपनी हाथों का करो भरोसा
अपनी लाज बचाने को
एक हाथ में खड्ग सम्भालो
एक से चीर बचाने को ।।

तेरा हिम्मत ही गोविंद है अब
विश्वास छुपा है बनकर ओ
आज जगा के शक्ति अपनी
लड़ लो दुनिया से बनकर जो ।।

2- आँखों का आंसू जख्मों का मरहम भी तो औरत है
गुलाबी होठों का फूल लिए दरहम भी कोई औरत है ।।

साथी सभी जरूरत की रिश्तों की नींव तो औरत है
प्यार वफ़ा के सपनों वाली चाहत भी कोई औरत है ।।

हर लम्हा इंतज़ार किए दिल की धड़कन तो औरत है
मन की मुमताज सांसों की सरगम भी कोई तो औरत है ।।

घर की सिसकी सारी चुप्पी लिए हुए तो औरत है
आँख की काजल मुंह की कुमकुम किये हुए भी औरत है ।।

राम की ताकत कृष्ण की पालक बनी हुई भी औरत है
घर की गरिमा जग की नायक बनी हुई भी औरत है ।।

3-हर चौराहे पर खड़ी है दिखती
दौपदी जैसी पड़ी हुई सी
अपने गोविंद का इंतजार है करती
बुत अहिल्या का बनी हुई सी ।।

कितनी बेरहम भी दुनिया है अब
दिल में कोई दर्द नहीं
बची नहीं अब बुद्धिहीन भी
क्या अब ये जमाना मर्द नहीं ।।

लूटी गई थी रजवाड़ों की
कुलवधू ही दरबारों में
आज गरीब की लुटती औरत
रोज़ है दिखती अखबारों में ।।

अपने सखा का लाज बचाने ही
गोविंद भी आये थे
भरे हुए दरबार में सबके
लाज किसी का बचाये थे ।।

हे गोविंद ! अब आ भी जाओ
द्रौपदी गरीब की पुकार रही है
अब सब दुर्योधन अमीरों के
इज़्ज़त चौराहे उछाल रहे है ।।

किसी से भी उम्मीद नहीं है
इज़्ज़त खोती दौपद्री को
बेबस लाचार है छाती पिटती
दिख रही सब कुंती तो ।।

दरबार नहीं अब दुनिया सारी
भरी हुई है दुःशासन से
हे गोविंद अब आकर बचा लो
नारी को आज कुशासन से ।।

4-रे सखी उन्मादी हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा
ले हाथों में तीर तमंचा
आज अभी फौलादी हो जा
काजल मेंहदी छोड़ सभी अब
ले खंजर जज्बाती हो जा
गॉव नगर उजाड़ जो लाये
दरिया वही बरसाती हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा ।।

फिर मनबढ़ वार करे ना तुझपर
निकट आये ना तुझपर रीझकर
दमन तेरा होगा ना कही पर
रूप रंग से अपने सादी हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा ।।

कर ना पुकार किसी मानव की
तू है आधार सभी मानव की
तेरा अपमान फिर मानव करता
छोड़ सृजन बरबादी हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा
रे सखी उन्मादी हो ।।

हर घर में हर रिश्ता बनकर
शामिल हो हर पुरुष के मन पर
फिर खड़ा पुरुष है तुझपर तन कर
छोड़ सहन अब आगी हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा ।।

पुरुषों के संग सारा समर में
तू औरत है बीच डगर में
पग पग चलती साथ सफर में
फिर भी साथी ना समझे तुझको
छोड़ डगर शहजादी हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा ।।

स्वारथ में सब पुरुष जगत का
फिर धज्जी उड़ाता तेरी इज़्ज़त का
फिर परमारथ में भगत बनी क्यों
छोड़ धरम वैशाली हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा ।।

उड़ रही अब नभ जल थल में
फिर क्यूं उलझी चौका बरतन में
काम ना आ बस बच्चा जनन में
सोच से अपनी विज्ञानी हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा
रे सखी उन्मादी हो जा ।।

5-महाभारत होता है औरत से , सिख अभी इस बात को सुनकर
गर अपमान किया औरत का  ,हर चौराहा महाभारत होगा ।।

बचा नहीं कोई दुनिया में  औरत के अपमानों से
औरत की सम्मान में सुविधा , अपमान में लाखों शहादत होगा ।।

हर मुश्किल से लौट के आया  ,औरत का सम्मान किया जो
औरत का सम्मान हमेशा  ईश्वर का ही इबादत होगा ।।

औरत की अपमान से मिटा कुरु रावण का वंश ही सारा
औरत की जो मान में मिटा ,उसी का सारा इमारत होगा ।।

चाहे यवन हो चाहे गगन हो सब औरत के लिए ही डूबा
बचा ना पाया अपनी दौलत ,जो लड़ा उसकी का रियासत होगा ।।

औरत का सम्मान किया जो उसकी बात हमेशा माना
रहेगा हरदम शौकत उसकी ,उसी का हरदम सियासत होगा ।।


6-खुद को इतना ऊचां कर लो
मिलने की ख्वाहिश मिट जाए
तू ना किसी के पीछे भागो
सब तेरे पीछे चले आये ।।

तुझमे भी एक अद्भुत प्रतिभा
पड़ा हुआ है बचपन से
देखा नहीं कभी भी उसको
इंकार किया पहचानने से ।।

अपने उसी विलक्षण प्रतिभा को
आज तुम अपने उभार लो
जिसके दम पर आज ही सारी
गोद में अपनी संसार लो ।।

तब मिलने की हर ख्वाहिश
तुझसे सारी दुनिया चाहेगी
जिससे मिलना कभी तू चाहे
ओ भी तुझसे अब चाहेगी ।।
7-व्यक्ति वही है जो सत्ता के आगे कभी ना सिर झुकाए
अपनी सुख स्वारथ खातिर कभी ना हां में हां मिलाये
सच को कहने की हिम्मत ना उसको झूठी सब गीत सुनाए
ऐसा कोई करता है तो उसको मैं करने नहीं दूंगा
कविता को सत्ता के आगे कभी नहीं झुकने दूंगा ।।

चापलूस ओ होता है जो भैंस के आगे बीन बजाता
सच कहने की हिम्मत ना झूठी सारी तान बजाता
चंद रुपये शोहरत की खातिर उसके आगे शीश झुकाता
शीश झुकाने वालों का मैं शीश नहीं उठने दूंगा
कविता को सत्ता के आगे कभी नहीं झुकने दूंगा ।।

चापलूस और दरबारी लोगों से हश्र देश भोगा
झूठी बात की कसीदो में सत्ता भी कहा सत्य देखा
झूठी बात में जीने वाले देश का कहा भला होगा
निकल ना पाए आज घरों से उसको अब ना निकलने दूंगा
कविता को सत्ता के आगे कभी नहीं झुकने दूंगा ।।


अपनी ज्ञान को दौलत खातिर किसी के आगे मत फेंको
पाए हो जो रब से दौलत उसको दरबार में मत फेंको
ज्ञान मिला है दुनिया खातिर जाकर तुम दुनिया में बाटो
नज़र में तेरी कोई भी मैं दौलत नहीं दिखने दूंगा
कविता को सत्ता के आगे कभी नहीं झुकने दूंगा ।।

8-एक नदी में तुम बह जाओ
एक नदी में मैं बह जाऊँ
मिले जहां हम दोनों साथी
जगह सभी संगम हो जाये ।।

मन से अपने वहम निकालो
मैं भी सारा शरम निकालूं
लोक लाज से बाहर आकर
मिले, प्यार का जीत हो जाये ।।

एक कदम तुम घर से निकलो
चार कदम मैं भी निकल आउं
मिले जहां सहमति से दोनों
जगह, बृंदावन हो जाये ।।

सोच लो दुनिया झूठी है
सच बातों से भी रूठी है
मिली कभी ना मिलने देगी
मिले जो हम,तो अमर हो जाये ।।

9-रंगमंच का सारा नाटक छुपकर कौन देख रहा है
हर किरदार में जान सारा छुपकर कौन भर रहा है ।।

गीत ग़ज़ल जो दिल से निकले बैठकर कोई लिख रहा है
प्यार इश्क की बातें उससे छुपकर कौन कर रहा है ।।

सागर से मिलने को इतना बेताब कोई हो रहा है
दरिया संग चुपके से इतना वेग में कौन बह रहा है ।।

शांत सुनहरी रातों में सिसके के देर से कोई रो रहा है
चाँद की गोद में सिर को रखके भोर तक कौन सो रहा है।।


गहरी रात में दिल से मुझको जोर से कोई पुकार रहा है
गोद में रखके सिर मेरा हाथ से कौन दुलार रहा है ।।

10-जिंदगी जीने का बहाना ढूंढता हूं
किसी के कंधे का सहारा ढूंढता हूं

जीवन का कोई मकसद चाहता हूं
नदी से निकलने का किनारा ढूंढता हूं

रिश्तों से सारी छुटकारा चाहता हूं
रिश्तों से बाद का मतलब ढूंढता हूं

दिल की बेचैनी को दबाना चाहता हूं
नींद ना आने का बहाना ढूंढता हु

11-नदियों किनारे आवास है मेरा
बुझती नहीं क्यूं प्यास है मेरा

दिल में किसी के आवाज़ है मेरा
सुनता नहीं क्यूं कान है मेरा


नींदों में किसी के ख्वाब है मेरा
देखता नहीं क्यूं आँख है मेरा

आने से जिसके प्रचार है मेरा
दिल उसी से क्यूं उदास है मेरा

तन्हाई में जिसको आस है मेरा
दिल उसी से अब उदास है मेरा

12-रात में ही याद आती दिन की सारी दास्तां
स्वप्न में ही जागकर चलता हूं तेरे रास्ता
रात की आकाश में भी बात होती है सभी
देखता हूं चाँदनी की चाँद से क्या वास्ता ।।

रात की खामोशियाँ लगती भले हो बेजुबान
गीत सारी दिल के मुझको सुनाती बेहिसाब
गीत में जिंदा ही होती है कोई मुमताज़ भी
जागकर होता है कोई बादशाह भी मेहरबान ।।

रात में तारो की गणना क्यों करें हम जाग कर
नींद आँखों में अभी आया है जैसे भाग कर
नींद वाली आँख में सपना कोई दिखता नहीं
आँख भी सोता है जैसे दिन में कोई काम कर ।।

रात में ही ख्वाब क्यूं आँखों में होता है सभी
ख़्वाब में ही अप्सरा सजती है आँखों में सभी
रात तो होती है केवल छोड़ने मुश्किल को सारी
रात में फिर बात क्यों होती है नीदों में सभी ।।

13-आज आसमां सूनी है
रात जमी की काली है
तारे भी छुप रहे सभी हैं
आसमान पर दिखती बदली है ।

बरसात की काली रात भी
क्या रात भयावह होती है
डर कर चन्दा भी छुपता है
तो रात डरावन लगती है ।
 
झींगुर की शोर बादल की गर्जन से
रात कहानी लगती है
पुरवा के झोंके बारिश की तरपन से
रात रुदाली लगती है ।

इस काली अंधेरी रातों में ही
कोई कृष्ण उतरता है धरती पर
रात छुपाकर पहुंचाती है
शैतानी नज़र से दूर कहि पर ।

फिर वही कृष्ण धरती की
सारी रात सुहानी करता है
मिटाकर हर काली कंसों को
जो रात शैतानी करता है ।।

14-रात भी हर दिन की कोई कहती कहानी अलग अलग
बीत जाएगी सभी कितनी भले हो अलग अलग ।

रात पूनम की सभी दुनिया तो दिखती है नई
भोर होने तक सभी दुनिया है दिखती अलग अलग ।

रात बिरहन की कभी कटती नहीं है जागकर
ढूंढती रहती है जैसे प्रेमी को अपने अलग अलग

रात राजा की कहानी क्या कहूँ एक रात में
रात में करवट बदलता है सभी ओ अलग अलग

रात रंक की गुजरती ही नहीं है बेचैनियों में
जागकर सीता ही रहता सिलवटें भी अलग अलग

रात अमावस की देखकर सितारों की गुफ्तगू रात से
साथ मे तेरे ही हम है चांद से हो अलग अलग ।।

15-दरिया कभी सागर बन जाए
लोग कहा फिर बसने जाए

बसने का नौबत ना मिलेगा
दरिया में सब लोग समाए

चंद दिनों के जीवन में क्यूं
लोग यहां इतने इतराए

साथ आने से सबके अब तक तो
लोग यहां अब सब कतराए

ख़ुदा की रहमत ऐसा ना कभी हो
लोग कहा इबादत हो जाए


चंद दिनों के जीवन मे सब
एक दूजे का साथ निभाये

जाने कब दरिया हो सागर
जीवन कब ख़तम हो जाये ।।

16-रात में जीवन जीता हैं तो रात में जीवन जुड़ता भी
राह सफर में सीधा हो तो राह सफर में मुड़ता भी

सपने रात में बुनता भी तो सपने रात में मिटता भी
सपने में सब मिलता है तो सपने में सब बिछड़ता भी

रात में सब खेल तमाशा रात में ही शहनाई भी
रात में सब मिलन की बाते रात में ही बिदाई भी

रात में जागे राधा कृष्ण रात में जागे मधुवन भी
रात सिया भी सो ना पाए जागे संग में उपवन भी

रात में मैं भी जागा हूं साथ में मेरी तन्हाई भी
रात मिलन की आशा है तो रात में ही जुदाई भी ।।


17-इतनी शोर मची है क्यूं देश गली और आंगन में
छोटी छोटी बातों में कोई इतना शोर मचाता है क्या

उपवन की धरती को देखो
सींच रहे माली को देखो
खड़े सभी पेड़ो को देखो
गिरते हुए पत्तों को देखो
पूछो जाकर फूलो से की
टूटे हुए पत्तों की खातिर उपवन शोर मचाता है क्या
छोटी छोटी बातों पर कोई इतना शोर मचाता है क्या

बहती नदियों को सब देखो
बहते जीव जंतु को देखो
मछुआरों की हलचल देखो
मछली के संग जाते देखो
पूछो जाकर धारो से की
मरे हुए जीवों की खातिर नदिया शोर मचाती है क्या
छोटी छोटी बातों पर कोई इतना शोर मचाता है क्या

नीला सारा अम्बर देखो
उस पर छाई बादल देखो
झोंका कोई पवन का देखो
बारिश की फिर बूंदें देखो
पूछो चमकती बिजली से की
गिरती हुई बूंदों की खातिर बादल शोर मचाता है क्या
छोटी छोटी बातों पर कोई इतनी शोर मचाता है क्या ।।

इंसानों की फितरत देखो
हर बातों पर लड़ना जाने
काम कोई ना करना जाने
बैठ के शेखी बघारना जाने
मरना और बस मारना जाने
प्यार की कोई बात ना जाने
चीखकर अम्बर कहता है फिर
छोटी छोटी बातों पर इन्सान ही शोर मचाता है
चीखता है चिल्लाता है सारा ऊधम मचाता है

छोटी छोटी पर कोई इतना शोर मचाता है क्या
हर बातों पर इंसानों जैसा इतना शोर मचाता है क्या ।।

18-चलते चलते ज़िंदगी क्यूँ रुक गयी
अकेली थी अबतक संग मौत हो गयी

सफ़र में जो थे मिले कहीं मुझसे
ओ देख कर फिर तो जाने कहाँ गये

अंत तक कोई साथ नहीं चलता
पहुँचा कर तुझे सब घर चले गए

जैसे जैसे पहुँचा कारवां करीब तक
यार हित मीत सब छूटते चले गए

ख़ाक के सुपुर्द कर सब लोग ये अपने
छोड़ कर मुझको सभी हँसते चले गए

फिर नाज़ था किस बात का,ये पूछती चिता
जो नाज़ था सब ख़ाक में उड़ते चले गए

देख लो दब गए न जाने कितने राख में
जो संसार मे सबको कभी दबाते चले गए ।।

19-इस दीवाली दीप जला लो मिलकर सारे आज
राग द्वेष सब मन का जला दो इस दीवाली आज


छट जाएं नफरत का बादल ऐसा कोई दीप जले
हो धरती पर प्यार की बारिश इस दीवाली आज

मिट जाए अंधेरा मन का जो बरसों से छा रहा
छा जाएं ख़ुशहाली बस इस दीवाली आज

जल जाए तेरे दीप से बहुत सारे दीप तो
हो जाये घर सबका रौशन इस दीवाली आज

काली रात अंधेरी में लक्ष्मी उतरे धरती पर आज
बस जाए घर मे सबकी यही कामना मेरी आज ।।
     
द्वारा -बिमल तिवारी ‘ आत्मबोध ‘(30 y)
                S/O -स्व दयाशंकर तिवारी
               ग्राम+डाक-नोनापार
               जनपद-देवरिया उत्तर प्रदेश भारत 274701
              फ्रेंच भाषा स्नातक, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाराणसी
             पर्यटन प्रशासन स्नातकोत्तर, डॉ राम मनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी फैज़ाबाद
             पर्यटन प्रोफेशनल के साथ साथ यात्रा विवरण,कविता,किस्सा-कहानी-  लघुकथा,डायरी,मेमोरीज़
            लिखने का शौकीन ।
          शीघ्र ही पहली कविताओं का संग्रह “लोकतंत्र की हार “ राजमंगल प्रकाशन अलीगढ़ द्वारा प्रकाशित होने वाली हैं।

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: बिमल तिवारी ‘ आत्मबोध ‘ की कविताएं
बिमल तिवारी ‘ आत्मबोध ‘ की कविताएं
https://3.bp.blogspot.com/-2Fx-upFpYmY/XbrKAK1mAQI/AAAAAAABQS8/siigANyHduQDLNYpoK6aQ34GXFfcpY7vQCK4BGAYYCw/s320/IMG-20190623-WA0037_1565020592391-793417.png
https://3.bp.blogspot.com/-2Fx-upFpYmY/XbrKAK1mAQI/AAAAAAABQS8/siigANyHduQDLNYpoK6aQ34GXFfcpY7vQCK4BGAYYCw/s72-c/IMG-20190623-WA0037_1565020592391-793417.png
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2019/10/blog-post_48.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2019/10/blog-post_48.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content