नाटक लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 2 - बरगद का पेड़ - गुडविन मसीह

SHARE:

अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक / टैप करें - रचनाकार.ऑर्ग नाटक / एकांकी / रेडियो नाटक लेखन पुरस्कार आयोजन 2020 प्रविष्टि क्र. 2 -...

अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक / टैप करें -

रचनाकार.ऑर्ग नाटक / एकांकी / रेडियो नाटक लेखन पुरस्कार आयोजन 2020


प्रविष्टि क्र. 2 -

बरगद का पेड़

गुडविन मसीह


आरम्भ सूचक ध्वनि

सड़क का माहौल। मोटर-गाड़ियों के आने-जाने की आवाजें। सड़क पर बाइक चलने की आवाज। बाइक रुकने की आवाज।

आर्यन : आओ पूरब.....

दोनों घर के अन्दर आते हैं दोनों के जूतों की आवाज सुनाई देती है।

पूरब : यार आर्यन तेरा घर तो बहुत अच्छा है।

आर्यन : हां पापा ने बनवाया है.....(दीपक से) दीपक, ये मेरा दोस्त पूरब है....ये एक एन्टरटेनमेंट कम्पनी में इवेन्ट मैनेजर है.....ये किड्स बर्थ-डे से लेकर ओल्ड लोगों की मैरिज ऐनीवरसरी तक के सारे सेलीब्रेसन्श अरेंज करता है.....इसका कहना है कि कोई भी कार्यक्रम अरेंज करने के इसके पास एक-से-एक-ब्रिलियेन्ट आइडियाज हैं.....इसलिए मैंने सोचा क्यों न हम मम्मी-पापा की सिल्वर मैरिज ऐनीवरसरी के अरेंजमेंट की रिस्पाँसविलिटी इसके हैण्ड ओवर कर दें....इससे हमारा हैडक और समय तो बचेगा ही साथ ही एक यादगार कार्यक्रम भी हो जायेगा ? कहो कैसा रहेगा ?

दीपक : आर्यन भईया, ये आपने बहुत अच्छा किया जो पूरब को ले आये.....मैं और आकृति भाभी अभी यही प्लान कर रहे थे कि इस बार ताऊ और ताई जी की शादी की पच्चीसवीं साल गिरह यूनिक अन्दाज में सेलीब्रेट होनी चाहिए, ताकि लोग देखकर कहें कि कोई कार्यक्रम हुआ है।

आकृति : हां आर्यन, इस बार कुछ तो डिफ्रेण्ट होना चाहिए....(पूरब से) पूरब भईया, आप आइडियाज दीजिए....क्या डिफ्रेण्ट हो सकता है ?

पूरब : भाभी जी, मेरे पास एक नहीं अनेक आइडियाज हैं, बट किसी भी आइडिया को डिसकस करने से पहले, मुझे ये मालूम होना चाहिए हमारे पास बजट कितना है।

आर्यन : यार पूरब, वो तो मैं तुझे यहां लाने से पहले ही बता चुका हूं।

पूरब : ओह रियली वैरी सॉरी....आर्यन तू ने बताया तो था, पर मेरे माइन्ड से स्लिप हो गया....ऐनी वे, आप लोगों के बजट में क्या हो सकता है, मैं कुछ आइडियाज देता हूं, जो पसंद आयेगा, उस पर डिसकस कर लेंगे....(म्यूजिक)

आर्यन, दीपक और आकृति एक साथ कहते हैं

तीनों : हां ये ठीक रहेगा

पूरब : आर्यन एक और आइडिया है मेरे पास।

आर्यन : क्या ?

पूरब : तुम अपने प्रोग्राम में किसी सेलीब्रेटी को बुलाना चाहोगे ?

दीपक : सेलीब्रेटी.....?

पूरब : हाँ, दीपक....आजकल लोग घरेलू फक्शन्स में सेलीब्रेटीज को बुलाते हैं.....

आकृति : पूरब भईया, आप किन सेलीब्रेटीज की बात कर रहे हैं ?

पूरब : आकृति भाभी....मैं टीवी सिरियल्स और डान्स ग्रुप के कुछ ऐसे जाने-पहचाने चेहरे, जिनको आजकल हर घर में पसन्द किया जा रहा है.....उनके आने से कार्यक्रम में चार चाँद लग जाता है.....लोग ऐसे आर्टिस्टों से मिलना भी पसंद करते हैं.....मेरे पास टीवी सीरियल्स के ऐसे कलाकारों की लिस्ट है, जो इस तरह के फंक्शन्स में आ जाते हैं....

आकृति : पूरब भईया, कुछ कलाकारों के नाम और उनके पेमेंट के बारे में बताइये..

दीपक : भाभी प्लीज, आप ताऊ जी के बारे में जानती ही हैं, वह कितने रूढ़ीवादी और सिद्धांतवादी हैं....ताऊ जी ये सब पसंद नहीं करेंगे।

पूरब : दीपक जब आकृति भाभी कह रही हैं तो बुला लेते हैं किसी अच्छे आर्टिस्ट को, अगर बजट की प्रॉबलम है, तो वो भी एडजस्ट कर लेंगे....वैसे बहुत ही नॉमिनल बजट में हो जायेगा ?

आर्यन : बात बजट की नहीं है पूरब, दीपक ठीक कह रहा है, दरअसल पापा जी को ये सब पसन्द नहीं है, आर्टिस्ट के चक्कर में अगर पापा जी ने पूरा कार्यक्रम ही कैन्सिल कर दिया तो प्रॉबलम हो जायेगी।

पूरब : आर्यन, अगर ऐसी बात है तो इस टॉपिक को यहीं क्लोज करके दूसरी बात करते हैं।

आर्यन : हां, बाकी क्या करना है, कैसे करना है, ये डिसकस कर लेते हैं।

आकृति : हां ।

दीपक : अच्छा ठीक है आर्यन भईया, तुम पूरब को पैसे दो, मैं ताऊ जी को देखता हूं, नहीं तो ताई जी नाराज हो जायेंगी।


म्यूजिक के साथ दृश्य चेंज होता है


सावित्री (उम्र लगभग 55 वर्ष) मन में कहती हैं

सावित्री : अरे!.....ये कहां चले गये...? अभी तो यहीं बैठे थे....इतनी जल्दी कहां गायब हो गये ?

(दीपक को आवाज देती हैं) दीपक ऽ ऽ ऽ ऽ.....

ताई जी की आवाज

दीपक : ताई जी आवाज दे रही हैं....मैं अभी आता हूँ....

आर्यन : ठीक है, जल्दी आना....

सावित्री : (दीपक को पुनः आवाज देती हैं) दीपक ऽ ऽ ऽ ऽ.....

ताई जी की आवाज

दीपक : ( केवल आवाज़) जी ताई जी आ रहा हूँ ऽ ऽ ऽ ऽ....

दीपक की आवाज

दीपक तेज कदमों से चलकर आता है उसके जूतों की आवाज उभरती है

दीपक : जी, ताई जी, बताईये...

सावित्री : तेरे ताऊ जी अभी यहां बैठे थे, पता नहीं कहां चले गये ?

दीपक : क्यों, आपको बताकर नहीं गये ?

सावित्री : अगर बताकर जाते, तो तुझसे पूछती है ?

दीपक : अच्छा ठीक है, मैं ता़ऊ जी को देखता हूं...

सावित्री : हां देख, कहना खाना बन गया, खा लें.....

दीपक : ओ के ...

म्यूजिक

आर्यन : दीपक, कहां जा रहा है ?

दीपक : अरे वो ताई जी, ताऊ को खाने के लिए बुला रही हैं.....उन्हें देख रहा हूँ, कहां हैं....

आर्यन : अच्छा सुन, पूरब ने हमारे बजट के मुताबिक एक बहुत अच्छा आइडिया दिया है....हमें और आकृति को तो बहुत पसंद आया....एकदम बिन्दास आइडिया है....

आकृति : हां, दीपक भईया....जिस तरह पूरब भईया बता रहे हैं, अगर वैसा कार्यक्रम हो गया, तो सचमुच हमारे कार्यक्रम में चार चाँद लग जायेंगे।

दीपक : फिर देर किस बात की है, फौरन फाइनल कर दो....लेकिन एक बात है पूरब...

पूरब : क्या ?

दीपक : यही कि कार्यक्रम तुम्हारे हाथ में आने के बाद हमें तो कुछ नहीं करना पड़ेगा ?

आकृति : (बीच में बोलती है) नहीं, हमें, कुछ नहीं करना है....डेकोरेशन और म्यूजिक से लेकर खाने तक का सारा अरेंजमेंट पूरब भईया ही करेंगे....हमें तो बस कार्यक्रम इंज्वाय करना है.....अरे हां दीपक, तुम हमारे कार्यक्रम में आने वाले मेहमानों की लिस्ट बनाकर पूरब भईया को दे देना।

दीपक : वो लिस्ट तो मैंने पहले ही बना ली है....बस एक बार ताऊ जी को दिखानी है, अगर उन्हें उसमें कुछ फेर-बदल करना होगा, तो कर देंगे....उसके बाद मैं वो लिस्ट पूरब को दे दूंगा...

आर्यन : और दीपक, तुम कह रहे थे कि इस बार कार्यक्रम में कुछ शहर के जाने-माने चेहरे भी दिखायी देंगे, तो उनका नाम इस लिस्ट में मेंशन कर लिया ?

दीपक : हां, वो सब मैंने कर लिया....

आर्यन : फिर ठीक है, हम पूरब को कुछ एडवांस दे देते हैं।

दीपक : हां आर्यन भईया, दे दो, लेकिन पूरब, टू बी सीरियस....हमारे पास कार्यक्रम के लिए ज्यादा टाइम नहीं बचा है।

आर्यन : दीपक, तुम उसकी चिन्ता मत करो.....मैं आज ही अपनी टीम लगाकर सारा अरेंजमेंट कर लूंगा...

दीपक : बस फिर क्या रह गया.....आकृति भाभी, आप और आर्यन भईया आज घर में हैं ही, लगे हाथ आज ताई जी और ताऊ जी के कपड़े भी ले ही आईए....ये काम भी निबट जायेगा।

आकृति : हां दीपक भईया, ये तुमने ठीक कहा....मैं, और आर्यन बाजार जाकर मम्मी-पापा के कपड़े भी ले ही आते हैं, फिर ये हेडेक भी खत्म हो जायेगा।

दीपक : अच्छा ठीक है, आर्यन भईया, तुम पूरब को पैसे दो, मैं ताऊ जी को देखता हूं....नहीं तो ताई जी नाराज हो जायेंगी।


म्यूजिक के साथ दृश्य चेंज होता है।


दीपक : (चौंकते हुए) ताऊ जी, आप यहां अंधेरे कमरे में बैठे हैं, और मैं आपको पूरे घर में ढूंढ आया....

ताऊ जी : (उम्र करीब 58 वर्ष निराश और टूटे हुए मन से) क्यों, मुझे क्यों ढूंढ रहे हो ?

दीपक : आज आपसे कई काम हैं।

ताऊ जी : मुझसे....और काम.....? (व्यंग्यात्मक अंदाज में) अरे भई दीपक, मुझ जैसा बूढ़ा आदमी तुम्हारे किस काम आ सकता है...मैं तो सिर्फ बकबक करके तुम सबको परेशान कर सकता हूं, तुम लोगों से मिनट-मिनट पर अपने काम करवा सकता हूं और दिन भर घर में बैठकर मुफ्त की रोटियां तोड़ सकता हूं....बस।

दीपक : ताऊ जी, आप फिर वही पुरानी बातों को लेकर बैठ गये....ताऊ जी प्लीज, लीव दिस टॉपिक...

ताऊ जी : ठीक है छोड़ दिया....अब तुम बताओ, तुम्हें मुझसे क्या काम है....?

दीपक : पहला काम तो ये है कि ताई जी आपको खाना खाने के लिए बुला रही हैं.....पहले आप जाकर खाना खा लीजिए, उसके बाद दूसरा काम ये है.....ये लिस्ट देख लीजिएगा, इसमें जो कुछ फेर-बदल करनी हो कर दीजिएगा।

ताऊ जी : लिस्ट...? कैसी है ये लिस्ट ?

दीपक : ताऊ जी, आपकी और ताई जी की शादी को पच्चीस साल हो रहे हैं, उस उपलक्ष में जो कार्यक्रम होगा, उसमें आने वाले मेहमानों की लिस्ट है....इस बार इस लिस्ट में शहर के जाने-माने कुछ चर्चित चेहरों के नाम भी शामिल हैं....इसके अलावा आपको किसी और को बुलाना हो तो वो भी बता दीजिएगा....वो नाम भी इसमें शामिल कर लिये जायेंगे।

ताऊ जी : दीपक, तुमने सबकुछ इतनी जल्दबाजी में क्यों कर लिया ? मैंने पहले भी तुमसे कहा था कि कुछ भी करने से पहले, एक बार मुझसे पूछ लिया करो....

दीपक : ताऊ जी, इस कार्यक्रम में पूछने की क्या जरूरत है, ये कार्यक्रम तो हम हर साल ही सेलीब्रेट करते हैं और सारा अरेंजमेंट मैं खुद अपने हाथों से करता हूं।

ताऊ जी : अच्छा, ये बताओ, तुमने इस कार्यक्रम के लिए किसी को कोई एडवांस तो नहीं दिया है न ?

दीपक : हम एडवांस ही नहीं दे चुके ताऊ जी, बल्कि अपने सभी नाते-रिश्तेदारों और दोस्तों को भी इनवाइट कर चुके हैं...ये वही लिस्ट तो है, जिनको हम इनवाइट कर चुके हैं....।

ताऊ जी : कोई बात नहीं, जो एडवांस दिया है, उसे वापस ले लो....और जो आर्डर दिये हैं, वो भी कैन्सिल कर दो....इनविटेशन जिस-जिस को गया है, उन सबसे मैं माफी मांग लूंगा।

दीपक : (चौंकते हुए) पर क्यों ताऊ जी ?....सारे ऑर्डर क्यों कैन्सिल कर दें ?

ताऊ जी : क्योंकि हम अपनी मैरिज ऐनीवरसरी सेलीब्रेट नहीं कर रहे हैं।

दीपक : (और अधिक चौंकता है) ये आप क्या कह रहे हैं....ताऊ जी, अगर हमने कार्यक्रम कैन्सिल कर दिया तो हमारी कितनी बेइज्जती होगी.....और मैंने जो शहर के वीआईपी लोगों को बुलाया है, उनसे क्या कहूंगा ?

ताऊ जी : दीपक बेटा, वीआईपीज के चक्कर में हम अपने लोगों को तो नहीं भुला सकते.....दीपक, हमारे सेलीब्रेशन में कितने लोग भी क्यों न आ जायें, पर उन लोगों में रवि और उसके बच्चे नहीं आये तो हमें कैसा लगेगा, ये तुम नहीं समझ पाओगे.....तुम क्या समझते हो दीपक, रवि का यूं ये घर छोड़कर चले जाना, मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता ?

दीपक : वो सब तो ठीक है ताऊ जी, लेकिन रवि भईया तो अपनी मर्जी से इस घर को छोड़कर गये हैं......उनका और शीतल भाभी का कहना था कि उन्हें हम सबके साथ रहते हुए घुटन-सी महसूस होती है.....उनकी और भाभी की स्वतंत्रता बाधित होती है.....वो इस घर में खुल कर सांस भी नहीं ले पा रहे थे.....उन्हें आपके पुराने विचार, नियम, संस्कार और व्यवहार रास नहीं आ रहे थे......वो अपने बच्चों को जो आधुनिक लाइफ और फ्रीडम देना चाहते थे....वो उन्हें नहीं दे पा रहे थे, वो चाहते थे कि उनके बच्चे खुली हवा में सांस लें, आजकल के माहौल में ढलें....लेकिन यहां वही पुराने रीति-रिवाज, वही पूजा-पाठ और बात-बात पर आपकी और ताई जी की टोका-टाकी उन्हें और उनके बच्चों को रास नहीं आ रही थी.......वो जिस तरह की जीवनशैली अपना चाहते थे, उन्हें वो सब यहां नहीं मिल रहा था, तभी तो वो यहां से चले गये।

ताऊ जी : दीपक, किसी की पसंद और नापसंद से जीवन तो चलता नहीं है....रवि को यहां घुटन महसूस हो रही थी, लेकिन उसको ये मालूम नहीं कि साथ रहने में कितने फायदे हैं और अकेले रहने में कितने नुकसान और परेशानियां हैं.....तुम नहीं जानते हो दीपक, मैं जवानी के नशे में जो भूल कर गया, उसका खामियाजा आज तक भुगत रहा हूं....दीपक, बुजुर्ग और बड़े घर में बरगद की छांव की तरह होते हैं.....आज कल के नौजवानों को बुजुर्गों की टोंका-टाकी बुरी जरूर लगती है, लेकिन उससे जिन्दगी जीने का सलीका तो आ जाता है....आजकल समाज के अन्दर जो आपराधिक घटनाएं घट रही हैं, वो एकाकी होने की वजह से ही घट रही हैं, क्योंकि अलग रहने वालों को अच्छाई और बुराई में फर्क समझाने वाला कोई होता नहीं है, उनकी जो मर्जी होती है, वो वही करते हैं....बीवी अपनी मर्जी चलाती है पति अपनी मर्जी से जीता है और बच्चों का जिधर मन करता है, वो उधर ही जाते हैं....क्योंकि उन्हें कोई डांटने-फटकारने वाला तो होता नहीं है.... और जब किसी मुसीबत में फंस जाते हैं, तब पछतावा होता है, दीपक, रवि को भले ही हमसे अलग होने का अफसोस न हो पर हमें उससे अलग होने का अफसोस है.....बस भगवान से अब तो यही प्रार्थना करते हैं कि रवि या उसके बच्चे किसी मुसीबत में न फंसे।

दीपक : ताऊ जी, रवि भईया खुद भी तो समझदार हैं....पढ़े-लिखे हैं.....आपने और ताई जी ने उनको कितना समझाया.....अलग रहने की सभी प्रॉबलम्स बताईं, पर उनकी समझ में कुछ आया....?.....और ऐसा भी नहीं है कि मेरी रवि भईया से बात न होती हो, अक्सर मैं उनके पास जाता रहता हूं, और उन्हें घर वापस आने के लिए कहता रहता हूं, पर वो वापस आने के लिए तैयार ही नहीं है......मेरी छोड़िए, आर्यन भईया और आकृति भाभी कितनी बार गये उन्हें यहां लाने के लिए।

आकृति : जी पापा जी, दीपक भईया बिल्कुल सही कह रहे हैं....मैंने और आर्यन ने रवि भईया को समझाने की बहुत कोशिश, पर उनकी समझ में किसी की बात नहीं आयी....।

सावित्री : मैं तो कहती हूं मरने दो उसे, जब किसी मुसीबत में पड़ेगा, और उसका साथ देने वाला कोई नहीं होगा, तब उसको इस बात का अहसास होगा कि परिवार से अलग रहने में कितनी परेशानी होती है....हम तो पुराने खयालों के हैं.....पूजा-पाठ करने वाले हैं.....संस्कारों से

बंधे हुए हैं.....कोई बात नहीं, देखेंगे वो और उसकी बीवी हमसे अलग रहकर क्या हासिल कर लेंगे।

ताऊ जी : सावित्री, तुम भी जल्दबाजी में न जाने क्या-क्या कह जाती हो....अरे समझने की कोशिश करो, पतंग को जितनी ढील होगी, वो उतनी ही ऊपर चली जायेगी...और फिर कट कर कहीं और.....इसी तरह बच्चों को अगर डांट-डपट के नहीं रखोगी तो बच्चे भी मनमानी राह पर चलने लगते हैं.....आज रवि और उसका परिवार हमसे अलग रहने चला गया, कल आर्यन और उसके बीवी बच्चे हमसे दूर चले जायेंगे और परसों ये दीपक हमें छोड़कर चला जायेगा....इसी तरह हमारा परिवार बंट कर छिन्न-भिन्न हो जायेगा....इनके बच्चे बिगड़ जायेंगे, संस्कार विहीन हो जायेंगे, अपसंस्कृति अपना लेंगे और तबाह बरबाद हो जायेंगे..फिर हम बुजुर्गों का कोई मतलब नहीं रह जायेगा....

रवि अपने परिवार सहित आता है

रवि : (दुःखी मन से) आप बिल्कुल ठीक कह रहे हो बाबू जी.....।

दीपक : अरे रवि भईया आप.....आप कब आये ?

रवि : दीपक, मैं सीधा ऑफिस से आ रहा हं....बाबू जी, समय रहते मेरी आँखों पर चढ़ी

आधुनिकता की पट्टी खुल गयी, वरना मैं तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रह गया था....बाबू जी, मैंने देख लिया बच्चों को लिवर्टी मिलते ही ये कितने बेकावू हो जाते हैं....ये मेरे बच्चे, स्कूल-कॉलेज और कोचिंग के नाम पर मुझे कितना बेवकूफ बनाने लगे थे...मुझसे बहाने बनाकर हजारों रुपया लेकर इन्टरनेट, पब और मॉल्स में उड़ा दिया.....दिन-दिन भर दोनों घर से गायब रहते....रात-रात भर फोनों पर चिपके रहते....दोपहर को बारह-बारह बजे तक सोते रहते....न मेरी इज्जत करते और न अपनी माँ की....यहां से जाने के बाद ये दोनों सारे संस्कार भूल गये, क्योंकि इन्हें देखने-भालने वाला, डांटने-डपटने वाला और इनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने वाला तो कोई था नहीं, हम दोनों अपना-अपना ऑफिस देखते या इनकी चौकीदारी करते....बस ये हमारी मजबूरी को फायदा उठाने लगे.....दोनों अपने आवारा दोस्तों के साथ मौज-मस्ती मारते ....

सावित्री : बेटा रवि, आधुनिक और पाश्चात्य कल्चर का तो ये सब हिस्सा होता है, जिसे आधुनिक भाषा में स्टेटस कहते हैं....वही स्टेटस, जो तुम यहां रहकर नहीं बना पा रहे थे.....बेटा, तुम्हारा और तुम्हारे बच्चों का यहां दम घुटता था, यहां न कोई तुम्हारा स्टेटस था, न कोई सोसाइटी.....अब क्या हुआ ?

रवि की

पत्नी : माँ जी, अब और हमें ताने मत मारिये....हम पहले ही अपने किये पर बहुत शर्मिन्दा हैं....माँ जी, बाबू जी, ये आपकी दुआओं का ही असर है जो समय रहते हमारी समझ में आ गया कि अकेले रहने में क्या-क्या दिक्कतें आती हैं और सबके साथ रहने में कितनी भलाई है।

ताऊ जी : चलो देर आये-दुरुस्त आये.....बहू किसी बुजुर्ग या बड़े को अपने बच्चों से कोई लालच नहीं होता है....न वो अपने बच्चों के खाने का लालची होता है, न कपड़े का.....उसे तो सरकार बुढ़ापे में भी इतनी पेंशन दे देती है, कि उसे किसी के आगे न हाथ फैलाने की जरूरत पड़ती है, न किसी का मुंह ताकने की.....बूढ़े माँ-बाप तो और अपने बच्चों को देते हैं, कभी तुमने ये सुना है कि किसी बच्चे ने अपने बूढ़े माँ-बाप को घर बनवा के दिया, बल्कि बूढ़े माँ-बाप अपने बच्चों को लिए घर बनवा कर देते हैं....सचमुच उन्हें अपने बच्चों से इज्जत और सम्मान के अलावा कुछ नहीं चाहिए होता है, और वही देने में आजकल की पीढ़ी को परेशानी होती है, इसीलिए आज समाज में अपराध, घरेलू हिंसा और संस्कारविहीनता पनप रही है....आज की पीढ़ी किसी की दो बातें सुनना पसंद नहीं करती और न ही संगठित होकर रहना चाहती है, वो अलगाव चाहती है, क्योंकि संयुक्त परिवार में रहकर उसे अपने मन की करने को नहीं मिलती है।

दीपक : ताऊ जी बिल्कुल ठीक कह रहे हैं.....सचमुच अगर हमें बच्चों को संस्कारवान बनाना है तो अपने बुजुर्गों का सम्मान तो करना ही होगा, उनके सानिध्य को स्वीकारना होगा, उनकी डांट-फटकार को सुनना और बर्दाश्त करना होगा, क्योंकि बुजुर्गों की डांट-फटकार किसी आशीर्वाद से कम नहीं होती है....।

ताऊ जी : दीपक ठीक कह रहा है बेटा....अगर हमें अपनी भारतीयता को बचाना है, तो उसके संस्कारों और संस्कृति को तो अपनाना होगा, वरना.....।

रवि : जी बाबू जी आप ठीक कह रहे हैं, अगर हमें अपनी आगे आने वाली पीढ़ी को संस्कार देने हैं तो बुजुर्गों की छांव में ही रहना है, टूटते संयुक्त परिवारों को फिर से जोड़ना होगा, आपसी ताल-मेल और प्रेम भाव बढ़ाना होगा....

आर्यन का प्रवेश

आर्यन : दीपक, तुम अभी यहीं अटके हो, और वहां पूरब तुम्हारा इन्तजार कर रहा है......और आकृति मैंने तुम्हें दीपक को बुलाने के लिए भेजा था, तुम भी यहीं अटक कर रह गयीं....

रवि : क्या हुआ आर्यन, तुम किस पूरब की बात कर रहे हो ?

आर्यन : अरे रवि भईया....भाभी आप लोग.....और बच्चे कहां हैं ? वो नहीं आये ?

रवि : बच्चे भी शाम तक आ जायेंगे....

आर्यन : भईया, मैं आपसे आराम से बातें करूंगा, पहले दीपक से बात कर लूं.....

दीपक : आर्यन भईया, ताऊ जी तो अपनी शादी की साल गिरह सेलीब्रेट करने को मना कर रहे हैं,

आर्यन : क्यों ?

दीपक : ये तो ताऊ जी ही बेहतर बता सकते हैं.....

ताऊ जी : मैं जिनकी वजह से शादी की साल गिरह सेलीब्रेट करने को मना कर रहा था, वो लोग आ गये....

दीपक : इसका मतलब अब कोई ऑर्डर कैन्सिल न करें ?

रवि की

पत्नी : नहीं दीपक भईया....बाबू जी और माँ जी की शादी की सालगिरह मनेगी और खूब धूम-

धाम से मनेगी....हम लोग स्पेशल केक बनाने का ऑर्डर भी दे आये हैं....।

सब एक साथ

ये......


समाप्त

गुडविन मसीह

चर्च के सामने, वीर भट्टी,

सुभाषनगर,

बरेली (उ.प्र.) 243 001

COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. गुडविन मसीह का लिखा नाटक 'बरगद का पेड़' पढ़ा। बेहतरीन प्रस्तुति। बुजुर्गों की छत्रछाया युवाओं के लिये कितना महत्व रखती है और परिवार की एकता में जो खुशी है वो कहीँ नही है ऐसे वर्तमान मुददों को सुन्दर ढ़ंग से प्रस्तुत किया है आपने....बधाई आपको

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: नाटक लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 2 - बरगद का पेड़ - गुडविन मसीह
नाटक लेखन पुरस्कार आयोजन - प्रविष्टि क्र. 2 - बरगद का पेड़ - गुडविन मसीह
https://3.bp.blogspot.com/-3rA8zhBejrg/Xd954AGVb3I/AAAAAAABQaU/GZsrV4AMXqsp6k_HfE3ZTBRlMjzL8L89gCK4BGAYYCw/s320/plboekldigliomec-714599.png
https://3.bp.blogspot.com/-3rA8zhBejrg/Xd954AGVb3I/AAAAAAABQaU/GZsrV4AMXqsp6k_HfE3ZTBRlMjzL8L89gCK4BGAYYCw/s72-c/plboekldigliomec-714599.png
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2019/12/2_24.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2019/12/2_24.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content