होली की हुड़दंग - होली विशेष रचनाएँ - काव्यों में ब्रज की होली है-प्रेम और सौन्दर्य का दिव्यधाम - लेख- आत्माराम यादव पीव

SHARE:

काव्यों में ब्रज की होली है-प्रेम और सौन्दर्य का दिव्यधाम लेख-आत्माराम यादव पीव ब्रजभूमि की होली देश के अन्य तमाम हिस्सों से अप्रतिम सौन्दर...


काव्यों में ब्रज की होली है-प्रेम और सौन्दर्य का दिव्यधाम

लेख-आत्माराम यादव पीव

ब्रजभूमि की होली देश के अन्य तमाम हिस्सों से अप्रतिम सौन्दर्य के दिव्यधाम की अनुभूति का आनन्द देने वाली है जहां गोप-गोपिकाएं,गोपकुमार,गाय-बछड़े,वन के पशु पक्षी को इस प्रेमोत्सव के अवसर पर मूर्तिमान विग्रह माना है जो राधा-कृष्ण, नन्द-यशोंदा के प्रेम भक्ति का सबसे अनूंठा प्रमाण है। टेसू के फूलोंसे बने रंग से भरी पिचकारी यहॉ की प्राचीनतम पहचान है। राधाकृष्ण की होली को याद करते हुए सूरदासजी,रसखान जी से लेकर अनेक कवि हुए हैं जिन्होंने अपने काव्य में राधाकृष्ण को प्रेरणास़्त्रोत मानकर अपनी भावनाओं में अनेक पदों का सृजन किया है। ब्रजमण्डल में राधाकृष्ण के प्राचीन मंदिरमें बरसो नंन्दगाव के हुरियारों की टोलियॉ घमासान मचाते हुए गगन मण्डल को लाल कर देती है और शाम को ब्रजभूमि पर होली के गीत गाये जाते है तब कवि ने ब्रज गोपियों का रंग गुलाल के प्रति भाव मिलता है कि वे रंग-गुलाल तो सह लेती है लेकिन वे कृष्ण के मतवारे नयनों की चोट नहीं सह सकती जिससे बचने के लिये उन्हें घूंघट की ओट का सहारा लाना होता है-

मत मारो दृगन की चोट, रसिया होरी में मेरे लग जायेगी

अबकी चोट बचाय गयी हॅूं, करि घूंधट की ओट।

सास सुने मेरी ननद लडैगी, तुममें भरे बड़े खोट।

ब्रजमण्डल में कृष्ण होली पर एक ही स्थान पर नहीं दिखते इसलिये रसखान उन्हें गांव के भीतर होली खेलते अपने काव्य लिखते है वहीं पर सूरदास जी उन्हें कालिन्दी के तट पर होली खेलते हुये अपने भाव व्यक्त करते है जिसमें रंगों के साथ वे एक दूसरे पर रसभरी गालियॉ शामिल करते है वहीं कृष्ण के हाथ में सोने की पिचकारी है और वे मिश्रित रंग-गुलाल उड़ाते दिखते है-

होरी खेलत यमुदा के तट कुंजनि तट बनवारी

दूत सखियन की मण्डल जोरे श्री बृषभान दुलारी।

होड़ा-होड़ी होत परस्पर देत है आनन्द गाली।

भरे गुलाल कुम-कुम केसर कर कंचन पिचकारी।।

वृन्दावन में गुलाबों के फूलों की पंखुड़ियों से राधाकृष्ण होली खेलते है तो नन्दगॉव-बरसाना की होली लठमार होली के रूप में प्रचलित है। होरी में जहॉ प्राचीन समय के अनेक कवियों के भाव देखने को मिलते है वहीं पर आधुनिककाल में हास्यकवि काका हाथरसी भी होली पर अपनी मुस्कान बिखेरना नहीं भूलते है व्यंग में कहते है कि औरतें लटठ चला रही है और त्रिपाठी जैसे पात्र पिट रहे है -

बरसाने की होली देखों, हुरियारों की टोली देखो

टेसू के बंसती रंग में, भींगे लहंगा चोली देखो

त्रिया चलाती लाठी देखों, पिटते पूत त्रिपाठी देखो

ब्रजअंचल की प्रथा पुरानी, होली की परिपाटी देखो।।

होली की उत्पत्ति होलिका दहन तक ही सीमित थी जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने मार्धुयमय बनाने के लिये उसे रंगों का स्वरूप दिया। इसे लेकर ब्रजमण्डल में एक कथा प्रचलित है जिसमें होली के दिन कृष्ण ने पूतना नाम की राक्षसी को मारा था तब समूचे ब्रजमण्डल में खुशी की लहर दौड गयी थी और तब गोप-गोपिकाओं ने रासलीला करते हुये नाचते गाते खुशियॉ मनाते हुये आकाश को रंगों से भर दिया तभी से यहॉ होली पर इस पर्व की अनॅूठेपन का यश जगत में फैल गया औरा बृजमण्डल के पात्रों एवं महानायक राधाकृष्ण के बिना होली कल्पना अधूरी है। कृष्ण की परमभक्त मीराबाई भी होली के अवसर पर लिखने से नहीं चूकीं और उन्होंने पद लिखा -

मुरली चंग बजत डफ न्यारो, संग जुवति ब्रजनारी

चंदन केसर छिरकतमोहन अपने हाथ बिहारी

भरि भरि मूठ गुलाल लाल चहुं देत सबन पै डारी

छैल छबीले वन कान्ह संग स्यामा प्राण पियारी।।

होली की बात हो और ईसुरी की फागों को याद न किया जाये यह अन्यायपूर्ण ही है, आज के इस दौर में ईसरी जिनका नाम ईश्वरप्रसाद था के काव्य को बुन्देलखण्ड के जनमानस के मस्तिष्क से अलग नहीं किया जा सकता है। बुन्देलखण्ड, मालवांचल में आज भी होली के समय ईसुरी की फागों को गाकर रंग-गुलाल खेले जाने की परम्परा है। श्रृंगार रस में पारंगत ईसुरी ने जहॉ सूर्य के प्रकाश और राधा जी के मुख की उपमा का उदाहरण देते हुये हीरों के ढेर के समक्ष रखे सोने का रंग की किरणें राधा के मुख पर पड़कर फीके पड़ने की सुन्दर प्रस्तुति की है देखें ईसुरी लिखते हैः-

जग में होय उजेरो जीकौ, राधा का मुख नीकौ।

उतै हिराब परब हीरन की, कुंदन को रंग फीकौ।।

जौ रंग रूप पाईये कॉ से, बिरन करेजो झीकों।

ईसुर सदा स्वाद वानी लॅय, सुख सनेह अमीको।

भूय बल रात राधिका जी को, करें आसुरो नीकौ।।

रसखान कवि होली के अवसर पर सॅध्याकाल का वर्णन करते हुये बरसाने की गोपियों एवं कृष्ण के होली खेलने का चित्रण करते है और विशाखा सखि के द्वारा वर्णन में लिखते है कि जैसे ही फागुन ला पूरे ब्रजमण्डल में धूम मच गयी है और एक भी गोपी इससे अूछूती नहीं रही है चाहे वह गोपी नयी नवेली वधु ही क्यों न हो, सॉझ के समय भी रंग गुलाल का जादू छाया हुआ है-

फागुन लाग्यो सखी जब तै तब तैं ब्रजमण्डल धूम मच्यों है।

नारि नवेली बचे नहीं एक विसेख यहै सबै प्रेम अच्यो है।।

सॉझ सकारे वहीं रसखानि सुरंग गुलाल लै खेल रच्यो है।

को सजनी निलजी न भई अब कौन भटू जिहिं मान बच्यो है।

रंग का पर्व होली मादकता लिये होता है। राधाकृष्ण ही नहीं गोप-गोपियों व पूरे ब्रजमण्डल में इसकी मादकता चर्मोत्कृटता पर देखने को मिलती है। भारतेन्द्र हरिश्चन्द जैसे महाकवि भी इस अवसर पर होली का वर्णन करते समय श्रीकृष्ण केसरयुक्त रंग से अपनी पिचकारियों में रंग भरकर नख से शिख तक भिगोने के गोपी के आनन्द का अवर्णीर्य चित्र रखते है-

चहुं ओर कहत सब होरी हो हो होरी

पिचकारी छूटत उड़त रंग की झोरी

मधि ठाढे सुन्दर स्याम साथ ले गौरी

बाढ़ी छवि देखत रंग रंगीली जोरी

गुन गाय होत हरिश्चन्द दास बलिहारी

वृन्दावन खेलत फाग ब़ढी छवि भारी ।।

ब्रजमण्डल के इस होली पर्व पर जहॉ अनेक कवियों के भाव देखने को मिलते है वही हनुमानप्रसाद पोद्दार की विस्मरण करना बेमानी होगी। भक्तिकाव्य की अनंत धारा के कवि, लेखक,साहित्यकार मानस मर्मज्ञ ज्ञानशिरोमणि श्री पोद्दार राधा-कृष्ण एवं गोप-गोपियों के बीच रंग की रसधारा में होली पर जो भाव व्यक्त करते है वह इस पर्व की महानता को और अद्वितीय बनाता है-

खेलत स्यामा-स्याम ललित ब्रज में रस होरी

राधा-संग सखी-सहचरि सब मिलि केसर-रॅग-धोरी।

सुन्दर स्याम-बदन पर डारत भरि-भरि कनक-कटोरी

प्रेम-रस-रंग-बिभोरी।

हेरि-हेरि-हरि-मुख पिचकारी छॉड़ि रही चहुं ओरी।

पकरि हाथ सखियन मलि दीन्हीं मुंह गुलाल अरू रोरी।

भारत-वर्ष के हर शहर-गॉव,कस्बे में फागुन आते ही होली के गीत गाने की परम्परा एक सप्ताह पहले शुरू हो जाती है जो होली के पॉच दिन बाद रंगपंचमी तक देखने को मिलती है। होली पर रसिया गाने की होड़ में कहीं स्त्रियां आगे होती है तो कहीं पुरूष, जिनके कण्ठलहरियों से प्रवाहित गीत-रसिया, हल्की की सूरज की चुभन आने के बाद वातावरण को आर्द बनाती है और बसंत का उन्माद देखते बनता है। कहीं-कहीं पर दिन में होली के गीतों के समा बॅंधते है तो कहीं पर देर रात तक राधा-कृष्ण की होली को विस्तार से वर्णित किया जाकर अबीर,गुलाल और पिचकारी का उल्लेख होता है। कुछेक ग्रामीण क्षेत्र में राधाकृष्ण की होली के बहाने और भी रंगरलियां भरे गीत आ जाते है जिनमें उग्र और ओजमय तीव्र स्पन्दनों का संचार मदहोश करता है वही रंगों के साथ भॉग आदि पदार्थों का सेवन गाने-बजाने एवं सुनने वाले के यौवनांग में उत्ताल संचालन होली को यादगार बनाते की सदियों से आ रही परम्परा को जीवित रखने के सहभागी होते हैं।

--

आत्माराम यादव पीव वरिष्ठ पत्रकार

काली मंदिर के पीछे, पत्रकार आत्माराम यादव गली

वार्ड नंबर 31 ,ग्वालटोली होशंगाबाद मध्यप्रदेश

COMMENTS

BLOGGER
नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: होली की हुड़दंग - होली विशेष रचनाएँ - काव्यों में ब्रज की होली है-प्रेम और सौन्दर्य का दिव्यधाम - लेख- आत्माराम यादव पीव
होली की हुड़दंग - होली विशेष रचनाएँ - काव्यों में ब्रज की होली है-प्रेम और सौन्दर्य का दिव्यधाम - लेख- आत्माराम यादव पीव
https://2.bp.blogspot.com/-nQ7I3GLiCfI/XhyDeFUnJnI/AAAAAAABQoI/DxRTDrQJnXojcYwluG6NYUtLPbDZ8AntQCK4BGAYYCw/s320/IMG_20191029_133317-766110.jpg
https://2.bp.blogspot.com/-nQ7I3GLiCfI/XhyDeFUnJnI/AAAAAAABQoI/DxRTDrQJnXojcYwluG6NYUtLPbDZ8AntQCK4BGAYYCw/s72-c/IMG_20191029_133317-766110.jpg
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2020/01/blog-post_26.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2020/01/blog-post_26.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content