कहानी - भास्कर राव इंजीनियर --- अरुण अर्णव खरे ---

SHARE:

कहानी भास्कर राव इंजीनियर --- अरुण अर्णव खरे --- एस०जी० भास्कर राव को इतना भावुक किसी ने कभी नहीं देखा था - उनकी आंखों से झरझर आँसू बह रहे ...

कहानी

भास्कर राव इंजीनियर

--- अरुण अर्णव खरे ---

एस०जी० भास्कर राव को इतना भावुक किसी ने कभी नहीं देखा था - उनकी आंखों से झरझर आँसू बह रहे थे। ओल्ड हॉस्टल के अधिकतर छात्र उनके कमरे के सामने एकत्र हो चुके थे और इस दृष्य को देख-देख कर खुद भी भावुक हुए जा रहे थे। उन्होंने सबको पहले ही बता रखा था कि इसके बाद वह अब दोबारा पेपर देने नहीं आएंगे, इस बार अन्तिम बार पेपर देने आए हैं। उस दिन शाम को ही उनका गुण्टूर वापसी का रिजर्वेशन था। उनका सामान पैक हो चुका था। बाबूराव कमरे में एक ओर खड़ा रो रहा था। वह पिछले कई सालों से हॉस्टल का चौकीदार था और फुर्सत के समय भास्कर राव की सेवा करता रहता था।

भास्कर राव ने एस०आई०टी० टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट में उस समय प्रवेश लिया था जब कॉलेज नया-नया खुला था। तब इंजीनियरिंग कॉलेज में आज सरीखी ब्रांचेज की भरमार नहीं थी - केवल तीन कोर ब्रांचेज - सिविल, मेकेनिकल और इलेक्ट्रिकल की ही पढ़ाई हुआ करती थी। भास्कर राव गुण्टूर से यहां इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पढ़ने आए थे। उनका सपना था इलेक्ट्रीकल इंजीनियर बनकर ट्रांसफॉर्मर बनाने की एक फेक्टरी लगाने का। जब भी वह अपने गाँव जाते और वहाँ बिजली न होने की वजह से लोगों की परेशानियों को देखते तो उनका मन वेदना से भर जाता - आजादी के तीस वर्षों बाद भी उनके गाँव में रोशनी नहीं पहुंच पाई थी - बिजली विभाग का जूनियर इंजीनियर हमेशा ट्रांसफॉर्मर ना होने का रोना रोता था। बिजली ना होने के कारण गाँव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक नहीं खुल पाया था और ना ही प्रायमरी स्कूल। बारिस के समय अंधेरे में डूबी गलियों में चलने को अभिशप्त गाँव वाले हर साल तीन-चार लोगो को सर्प-दंश से असमय ही काल के गाल में समाते हुए देखते थे। गाँव से चार मील की दूरी पर ही नागालेरू नदी थी लेकिन बिजली के अभाव में गाँव के खेत प्यासे थे - नदी का पानी खेतों तक पहुंचाने के लिए कोई साधन नहीं था। गर्मियों में पीने के पानी का भी अभाव हो जाता था - नल-जल योजना के बारे में सोचना भी गाँव वालों के लिए स्वप्नवत था। उनके गाँव जैसे ही आस-पास के बहुत से गाँव इसी तरह अंधेरे में डूबे सिसकियां लेते हुए जी रहे थे।

अंधेरे में डूबे गाँवों में रोशनी पहुंचाने का -- उनका सपना अब तक अधूरा ही था। पूरे ग्यारह वर्षों के अथक प्रयास के बाद भी वह फ़ुल-फ्लेश इंजीनियर बनने में सफल नहीं हुए थे - वह इंजीनियर बनने का सपना त्याग चुके थे और अपने पैतृक तम्बाखू-उत्पादन के बिजनेस में रम चुके थे। उनका विवाह भी हो चुका था और एक नन्हा-मुन्ना भी उनके जीवन में आ चुका था। पर गाँव का अंधेरा अब भी उनके मन में कभी-कभी कराहता रहता था और वह बैचैनी अनुभव करने लगते। इसी व्यग्रता में वह इंजीनियर बनने का मोह त्याग नहीं पाए थे और इम्तहान देने पहुंच जाते थे।

ओल्ड हॉस्टल का कमरा नम्बर सात भास्कर राव की पहिचान था। १९७७ में जब उन्होंने कॉलेज में एडमीशन लिया था तबसे वह उसी कमरे में रहते आए थे, कभी दूसरे कमरे में शिफ्ट नहीं हुए। अनेक शुभचिंतको ने कमरे को उनके लिए अशुभ तक कहा पर उन्होंने कभी इस बात पर विश्वास नहीं किया -- वह हँस कर बात टाल देते कि सात मई को तो उनका जन्म हुआ है फिर सात नम्बर अशुभ कैसे हो सकता है। १९८३ में वह कॉलेज के नियमित छात्र नहीं रहे थे लेकिन जब भी वह परीक्षा देने आते वह उसी कमरे में ही रुकते थे। उनके आने की बात सुनकर ही उस कमरे में रहने वाले लड़के किसी दूसरे कमरे में अपने साथियों के साथ शिफ्ट हो जाते थे। यह उनका दबदबा या डर नहीं था अपितु उनके प्रति अगाध आदर और श्रद्धा का परिणाम था। हॉस्टल के वार्डन ने भी कभी इस बात पर आपत्ति नहीं की थी। १९८३ में अशोक त्रिवेदी उनका रूममेट हुआ करता था वह भी १९८६ में पास हो गया था। उसके बाद विनोद गुरु को वह रूम एलाट हो गया था लेकिन भास्कर राव के लिए वह भी सहर्ष रूम छोड़ कर मनोज गोयल के साथ रहने चला जाता था। वर्तमान में सचिन माथुर और देवेन्द्र पंचोली वह रूम शेयर कर रहे थे। भास्कर राव के आने की खबर सुन कर वे दोनों भी अपने दोस्तों के पास शिफ्ट हो गए थे।

भास्कर राव बहुत ही खुशमिजाज, हरेक का ख्याल रखने वाले, सहृदय और सम्वेदनशील व्यक्ति थे। उनके बारे में कितनी ही बातें और किस्से हॉस्टल में रहने वाले सुनते-सुनाते रहते थे। नए लड़कों के लिए जहाँ वह कोतुहल की वस्तु होते थे वहीं परिचितों के लिए उनका आगमन आह्लाद से भरपूर होता था। जीवन सूर्यवंशी तो उन्हें देवतुल्य मानता था। ट्रेन से उतरते समय जब उसकी टॉँग कट गई थी और अत्यधिक खून बह जाने से उसके जीवन पर संकट आ गया था तब भास्कर राव अपना इंस्ट्रूमेण्टेशन का पेपर छोड़ कर उसे खून देने अस्पताल दौड़े आए थे। जिसने भी जीवन से यह कहानी सुनी उसके मन में स्वमेव ही भास्कर राव ने अपना स्थान बना लिया।

पिछले तीन वर्षों से रमेश केसरवानी की कॉलेज फीस और हॉस्टल का खर्च वही वहन कर रहे थे। उसके पिता का आकस्मित निधन हो जाने से उसके परिवार में कोई भी कमानेवाला नहीं था। वह पढ़ाई छोड़ कर शिक्षाकर्मी बन गया था - उस साल जब भास्कर राव परीक्षा देने आए और उन्हें रमेश के बारे में पता चला तो वह ना केवल रमेश से मिलने उसके गाँव तक गए अपितु उससे अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने का संकल्प भी कराया। रमेश भी अपने संकल्प के प्रति दृढ़ निकला और हर सेमेस्टर में यूनिवर्सिटी में प्रथम तीन मेरिट होल्डर्स में आ रहा है। शहरयार खान के भाई मुबीन को भास्कर राव ने ही हैदराबाद बेडमिण्टन अकादमी में एडमीशन दिलाया था। वह देश का सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी था। उसने राज्य बेडमिण्टन स्पर्द्धा का जूनियर खिताब भी जीता था किंतु सब्जी का ठेला लगाने वाले पिता के पास उसे अच्छी कोचिंग दिलाने के लिए पैसे ही नहीं थे।

ऐसे कितने ही किस्से थे जो भास्कर राव के साथ जुड़े थे। भास्कर राव जब भी पेपर देने आते और हॉस्टल में रुकते - वह सभी के लिए कुछ ना कुछ लेकर जरूर आते। दिनकर को उन्होंने माउथ ऑर्गन लाकर दिया था तो रविन्द्र को गिटार। विनीत को टेनिस का रैकेट दिलाया था - मनोहर को फाइन आर्टस के कम्पटीशन में भाग लेने के लिए शिमला भेजा था। इस समय होस्टल में सभी लड़के उनसे बहुत जूनियर थे। राम उपाध्याय तो उस समय नर्सरी में था जब भास्कर राव इस कालेज में पढ़ने आए थे। यही कारण था कि हॉस्टल का हर लड़का उनमे अपने गार्जीयन का अक्श देखता था। वह जितने दिन हॉस्टल में रुकते वहां का माहौल ही अलग रहता। सब बड़े अनुशासित नजर आते और ध्यान रखते कि उनके कारण भास्कर राव को जरा भी तकलीफ न हो।

भास्कर राव ने आने से पहले ही सचिन माथुर को बता दिया था कि इस बार वह आखिरी बार परीक्षा देने आये हैं -- इसके बाद वह दोबारा इंजीनियर बनने की कौशिश नहीं करेंगे और अपने पूर्वजों का बिजनेस पूरे मनोयोग से संभालने लगेंगे। सचिन ने यह बात सबको बता दी थी -- यह जानकर सभी दुखी थे और दिल से दुआ कर रहे थे कि इस बार उनका सपना जरूर पूरा हो जाए। जिस दिन उनका पेपर था उस दिन सुबह-सुबह ही राम उपाध्याय ने हनुमान टेकरी का प्रसाद लाकर उन्हें खिलाया था। केसरवानी उनके लिए वाहे-गुरु से मन्नत मांगने गया था और शहरयार ने पीली-कोठी पर उनके लिए हरी चादर चढ़ाई थी और वहां से तबर्रुफ में रेवड़ी तथा मिश्री लेकर आया था। पूरा ओल्ड हॉस्टल चाहता था कि भास्कर राव यहां से अपनी अभिलाषा पूर्ण कर ही वापिस जाएं।

पेपर होने के दस दिन बाद का उनका रिजर्वेशन था अतएव इन दिनों में हॉस्टल में उत्सव जैसा माहोल रहा। एक दिन भास्कर राव ने अपनी तरफ से सबको पार्टी दी -- उन्होंने अपने हाथों से सबको इडली बना कर खिलाईं। जाने से एक दिन पहले सभी ने मिलकर उनके सम्मान में विदाई पार्टी का आयोजन किया। विदाई पार्टी क्या थी हॉस्टल डे जैसा रंगारंग धमाल कार्यक्रम था - गीत, संगीत, डांस, चुटकुले और सबसे बढ़कर भास्कर राव का गायन। छह साल बाद उन्होंने हॉस्टल में कोई गीत गाया था। वर्तमान में हॉस्टल में रहने वाले किसी भी लड़के ने उनका गाना नहीं सुना था। पहले उन्होंने एन०टी० रामाराव की फिल्मों के कुछ डायलॉग सुनाए और फिर एस०पी० बालासुब्रमण्यम के गीत गाए। इसके बाद हेमंत कुमार के एक से बढ़कर एक सदाबहार गीत सुनाकर सबको चोंका दिया। रात में तीन बजे तक यह मस्ती भरा कार्यक्रम चलता रहा। किसी की इच्छा नहीं थी कि कार्यक्रम कभी खत्म हो या इस सुहानी रात की सुबह भी हो।

सुबह होते ही बाबूलाल आ गया था और भास्कर राव का सामान पैक करने में उनकी मदद करने। हॉस्टल के दूसरे बच्चे भी उनसे मिलने आ जा रहे थे। कोई उनके साथ फोटो ले रहा था तो कोई पैर छूकर आशीर्वाद। सब दुखी थे - यह जान कर कि वह जा रहे हैं -- फिर ना आने के लिए -- ग्यारह साल पहले वे जिस तरह कुछ बनने का सपना लेकर आये थे अब लौट कर जा रहे हैं वैसे ही खाली-खाली, अपूर्ण -- अधूरे से। राम उपाध्याय तो उनसे मिलकर रो ही दिया। वापस कमरे में जाकर भी बहुत देर तक वह तकिए में मुंह छुपाकर बुदबुदाता रहा था - सुना है भगवान के घर देर है अन्धेर नहीं -- पर लगता है अन्धेर भी है। भास्कर राव जैसे फरिस्ता दिल इन्सान की भी भगवान कितनी परीक्षा ले रहा है -- हमारी प्रार्थनाएं भी व्यर्थ जा रहीं हैं।

सामान की पैकिंग पूरी हो चुकी थी। ट्रेन छूटने में लगभग दो घण्टे का समय शेष था। बाबूलाल कमरे के एक कोने में उदास खड़ा लगभग रो देने की स्थिति में था। भास्कर राव उसे समझा रहे थे। कुछ बच्चे कमरे के बाहर खड़े थे। देवेन्द्र पंचोली हाथ में एक कागज पकड़े हाँफता हुआ आया। उसके पीछे-पीछे दो लडके ढोल लेकर आए थे। आते ही वह भास्कर राव से लिपट कर रोने लग गया - "सर आप पास हो गये हैं -- अभी आप हमें छोड़ कर जा रहे थे अब हम आपको विदा करेंगे धूमधाम से।"

"क्या कहा देवेन्द्र तुमने -- फिर से बोलो -- क्या भास्कर राव इंजीनियर बन गया --" कहते हुए भास्कर राव ने भी देवेन्द्र को अपनी बाँहों में जकड़ लिया। उनकी आंखों से भी जलधारा बह निकली। मन का उद्वेग सारे बाँध तोड़ कर निर्बाध बह चला था। उनके कमरे के सामने बच्चों की भीड़ बढ़ती जा रही थी। सभी की आंखे भीगी हुईं थी - खुशी से -- प्रार्थना सुन लिए जाने से -- ईश्वर के घर अन्धेर नहीं है की बात सही सिद्ध हो जाने से --

अरुण अर्णव खरे

डी-1/35 दानिश नगर

होशंगबाद रोड, भोपाल (म०प्र०) 462 026

ई मेल : arunarnaw@gmail.com

COMMENTS

BLOGGER: 1
  1. वास्तविकता का धरातल पर बुनी कहानी मन के अंत:स्थल को छू गई
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
रचनाओं पर आपकी बेबाक समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.

स्पैम टिप्पणियों (वायरस डाउनलोडर युक्त कड़ियों वाले) की रोकथाम हेतु टिप्पणियों का मॉडरेशन लागू है. अतः आपकी टिप्पणियों को यहाँ प्रकट होने में कुछ समय लग सकता है.

नाम

 आलेख ,1, कविता ,1, कहानी ,1, व्यंग्य ,1,14 सितम्बर,7,14 september,6,15 अगस्त,4,2 अक्टूबर अक्तूबर,1,अंजनी श्रीवास्तव,1,अंजली काजल,1,अंजली देशपांडे,1,अंबिकादत्त व्यास,1,अखिलेश कुमार भारती,1,अखिलेश सोनी,1,अग्रसेन,1,अजय अरूण,1,अजय वर्मा,1,अजित वडनेरकर,1,अजीत प्रियदर्शी,1,अजीत भारती,1,अनंत वडघणे,1,अनन्त आलोक,1,अनमोल विचार,1,अनामिका,3,अनामी शरण बबल,1,अनिमेष कुमार गुप्ता,1,अनिल कुमार पारा,1,अनिल जनविजय,1,अनुज कुमार आचार्य,5,अनुज कुमार आचार्य बैजनाथ,1,अनुज खरे,1,अनुपम मिश्र,1,अनूप शुक्ल,14,अपर्णा शर्मा,6,अभिमन्यु,1,अभिषेक ओझा,1,अभिषेक कुमार अम्बर,1,अभिषेक मिश्र,1,अमरपाल सिंह आयुष्कर,2,अमरलाल हिंगोराणी,1,अमित शर्मा,3,अमित शुक्ल,1,अमिय बिन्दु,1,अमृता प्रीतम,1,अरविन्द कुमार खेड़े,5,अरूण देव,1,अरूण माहेश्वरी,1,अर्चना चतुर्वेदी,1,अर्चना वर्मा,2,अर्जुन सिंह नेगी,1,अविनाश त्रिपाठी,1,अशोक गौतम,3,अशोक जैन पोरवाल,14,अशोक शुक्ल,1,अश्विनी कुमार आलोक,1,आई बी अरोड़ा,1,आकांक्षा यादव,1,आचार्य बलवन्त,1,आचार्य शिवपूजन सहाय,1,आजादी,3,आत्मकथा,1,आदित्य प्रचंडिया,1,आनंद टहलरामाणी,1,आनन्द किरण,3,आर. के. नारायण,1,आरकॉम,1,आरती,1,आरिफा एविस,5,आलेख,4288,आलोक कुमार,3,आलोक कुमार सातपुते,1,आवश्यक सूचना!,1,आशीष कुमार त्रिवेदी,5,आशीष श्रीवास्तव,1,आशुतोष,1,आशुतोष शुक्ल,1,इंदु संचेतना,1,इन्दिरा वासवाणी,1,इन्द्रमणि उपाध्याय,1,इन्द्रेश कुमार,1,इलाहाबाद,2,ई-बुक,374,ईबुक,231,ईश्वरचन्द्र,1,उपन्यास,269,उपासना,1,उपासना बेहार,5,उमाशंकर सिंह परमार,1,उमेश चन्द्र सिरसवारी,2,उमेशचन्द्र सिरसवारी,1,उषा छाबड़ा,1,उषा रानी,1,ऋतुराज सिंह कौल,1,ऋषभचरण जैन,1,एम. एम. चन्द्रा,17,एस. एम. चन्द्रा,2,कथासरित्सागर,1,कर्ण,1,कला जगत,113,कलावंती सिंह,1,कल्पना कुलश्रेष्ठ,11,कवि,2,कविता,3239,कहानी,2360,कहानी संग्रह,247,काजल कुमार,7,कान्हा,1,कामिनी कामायनी,5,कार्टून,7,काशीनाथ सिंह,2,किताबी कोना,7,किरन सिंह,1,किशोरी लाल गोस्वामी,1,कुंवर प्रेमिल,1,कुबेर,7,कुमार करन मस्ताना,1,कुसुमलता सिंह,1,कृश्न चन्दर,6,कृष्ण,3,कृष्ण कुमार यादव,1,कृष्ण खटवाणी,1,कृष्ण जन्माष्टमी,5,के. पी. सक्सेना,1,केदारनाथ सिंह,1,कैलाश मंडलोई,3,कैलाश वानखेड़े,1,कैशलेस,1,कैस जौनपुरी,3,क़ैस जौनपुरी,1,कौशल किशोर श्रीवास्तव,1,खिमन मूलाणी,1,गंगा प्रसाद श्रीवास्तव,1,गंगाप्रसाद शर्मा गुणशेखर,1,ग़ज़लें,550,गजानंद प्रसाद देवांगन,2,गजेन्द्र नामदेव,1,गणि राजेन्द्र विजय,1,गणेश चतुर्थी,1,गणेश सिंह,4,गांधी जयंती,1,गिरधारी राम,4,गीत,3,गीता दुबे,1,गीता सिंह,1,गुंजन शर्मा,1,गुडविन मसीह,2,गुनो सामताणी,1,गुरदयाल सिंह,1,गोरख प्रभाकर काकडे,1,गोवर्धन यादव,1,गोविन्द वल्लभ पंत,1,गोविन्द सेन,5,चंद्रकला त्रिपाठी,1,चंद्रलेखा,1,चतुष्पदी,1,चन्द्रकिशोर जायसवाल,1,चन्द्रकुमार जैन,6,चाँद पत्रिका,1,चिकित्सा शिविर,1,चुटकुला,71,ज़कीया ज़ुबैरी,1,जगदीप सिंह दाँगी,1,जयचन्द प्रजापति कक्कूजी,2,जयश्री जाजू,4,जयश्री राय,1,जया जादवानी,1,जवाहरलाल कौल,1,जसबीर चावला,1,जावेद अनीस,8,जीवंत प्रसारण,141,जीवनी,1,जीशान हैदर जैदी,1,जुगलबंदी,5,जुनैद अंसारी,1,जैक लंडन,1,ज्ञान चतुर्वेदी,2,ज्योति अग्रवाल,1,टेकचंद,1,ठाकुर प्रसाद सिंह,1,तकनीक,32,तक्षक,1,तनूजा चौधरी,1,तरुण भटनागर,1,तरूण कु सोनी तन्वीर,1,ताराशंकर बंद्योपाध्याय,1,तीर्थ चांदवाणी,1,तुलसीराम,1,तेजेन्द्र शर्मा,2,तेवर,1,तेवरी,8,त्रिलोचन,8,दामोदर दत्त दीक्षित,1,दिनेश बैस,6,दिलबाग सिंह विर्क,1,दिलीप भाटिया,1,दिविक रमेश,1,दीपक आचार्य,48,दुर्गाष्टमी,1,देवी नागरानी,20,देवेन्द्र कुमार मिश्रा,2,देवेन्द्र पाठक महरूम,1,दोहे,1,धर्मेन्द्र निर्मल,2,धर्मेन्द्र राजमंगल,1,नइमत गुलची,1,नजीर नज़ीर अकबराबादी,1,नन्दलाल भारती,2,नरेंद्र शुक्ल,2,नरेन्द्र कुमार आर्य,1,नरेन्द्र कोहली,2,नरेन्‍द्रकुमार मेहता,9,नलिनी मिश्र,1,नवदुर्गा,1,नवरात्रि,1,नागार्जुन,1,नाटक,152,नामवर सिंह,1,निबंध,3,नियम,1,निर्मल गुप्ता,2,नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’,1,नीरज खरे,1,नीलम महेंद्र,1,नीला प्रसाद,1,पंकज प्रखर,4,पंकज मित्र,2,पंकज शुक्ला,1,पंकज सुबीर,3,परसाई,1,परसाईं,1,परिहास,4,पल्लव,1,पल्लवी त्रिवेदी,2,पवन तिवारी,2,पाक कला,23,पाठकीय,62,पालगुम्मि पद्मराजू,1,पुनर्वसु जोशी,9,पूजा उपाध्याय,2,पोपटी हीरानंदाणी,1,पौराणिक,1,प्रज्ञा,1,प्रताप सहगल,1,प्रतिभा,1,प्रतिभा सक्सेना,1,प्रदीप कुमार,1,प्रदीप कुमार दाश दीपक,1,प्रदीप कुमार साह,11,प्रदोष मिश्र,1,प्रभात दुबे,1,प्रभु चौधरी,2,प्रमिला भारती,1,प्रमोद कुमार तिवारी,1,प्रमोद भार्गव,2,प्रमोद यादव,14,प्रवीण कुमार झा,1,प्रांजल धर,1,प्राची,367,प्रियंवद,2,प्रियदर्शन,1,प्रेम कहानी,1,प्रेम दिवस,2,प्रेम मंगल,1,फिक्र तौंसवी,1,फ्लेनरी ऑक्नर,1,बंग महिला,1,बंसी खूबचंदाणी,1,बकर पुराण,1,बजरंग बिहारी तिवारी,1,बरसाने लाल चतुर्वेदी,1,बलबीर दत्त,1,बलराज सिंह सिद्धू,1,बलूची,1,बसंत त्रिपाठी,2,बातचीत,2,बाल उपन्यास,6,बाल कथा,356,बाल कलम,26,बाल दिवस,4,बालकथा,80,बालकृष्ण भट्ट,1,बालगीत,20,बृज मोहन,2,बृजेन्द्र श्रीवास्तव उत्कर्ष,1,बेढब बनारसी,1,बैचलर्स किचन,1,बॉब डिलेन,1,भरत त्रिवेदी,1,भागवत रावत,1,भारत कालरा,1,भारत भूषण अग्रवाल,1,भारत यायावर,2,भावना राय,1,भावना शुक्ल,5,भीष्म साहनी,1,भूतनाथ,1,भूपेन्द्र कुमार दवे,1,मंजरी शुक्ला,2,मंजीत ठाकुर,1,मंजूर एहतेशाम,1,मंतव्य,1,मथुरा प्रसाद नवीन,1,मदन सोनी,1,मधु त्रिवेदी,2,मधु संधु,1,मधुर नज्मी,1,मधुरा प्रसाद नवीन,1,मधुरिमा प्रसाद,1,मधुरेश,1,मनीष कुमार सिंह,4,मनोज कुमार,6,मनोज कुमार झा,5,मनोज कुमार पांडेय,1,मनोज कुमार श्रीवास्तव,2,मनोज दास,1,ममता सिंह,2,मयंक चतुर्वेदी,1,महापर्व छठ,1,महाभारत,2,महावीर प्रसाद द्विवेदी,1,महाशिवरात्रि,1,महेंद्र भटनागर,3,महेन्द्र देवांगन माटी,1,महेश कटारे,1,महेश कुमार गोंड हीवेट,2,महेश सिंह,2,महेश हीवेट,1,मानसून,1,मार्कण्डेय,1,मिलन चौरसिया मिलन,1,मिलान कुन्देरा,1,मिशेल फूको,8,मिश्रीमल जैन तरंगित,1,मीनू पामर,2,मुकेश वर्मा,1,मुक्तिबोध,1,मुर्दहिया,1,मृदुला गर्ग,1,मेराज फैज़ाबादी,1,मैक्सिम गोर्की,1,मैथिली शरण गुप्त,1,मोतीलाल जोतवाणी,1,मोहन कल्पना,1,मोहन वर्मा,1,यशवंत कोठारी,8,यशोधरा विरोदय,2,यात्रा संस्मरण,31,योग,3,योग दिवस,3,योगासन,2,योगेन्द्र प्रताप मौर्य,1,योगेश अग्रवाल,2,रक्षा बंधन,1,रच,1,रचना समय,72,रजनीश कांत,2,रत्ना राय,1,रमेश उपाध्याय,1,रमेश राज,26,रमेशराज,8,रवि रतलामी,2,रवींद्र नाथ ठाकुर,1,रवीन्द्र अग्निहोत्री,4,रवीन्द्र नाथ त्यागी,1,रवीन्द्र संगीत,1,रवीन्द्र सहाय वर्मा,1,रसोई,1,रांगेय राघव,1,राकेश अचल,3,राकेश दुबे,1,राकेश बिहारी,1,राकेश भ्रमर,5,राकेश मिश्र,2,राजकुमार कुम्भज,1,राजन कुमार,2,राजशेखर चौबे,6,राजीव रंजन उपाध्याय,11,राजेन्द्र कुमार,1,राजेन्द्र विजय,1,राजेश कुमार,1,राजेश गोसाईं,2,राजेश जोशी,1,राधा कृष्ण,1,राधाकृष्ण,1,राधेश्याम द्विवेदी,5,राम कृष्ण खुराना,6,राम शिव मूर्ति यादव,1,रामचंद्र शुक्ल,1,रामचन्द्र शुक्ल,1,रामचरन गुप्त,5,रामवृक्ष सिंह,10,रावण,1,राहुल कुमार,1,राहुल सिंह,1,रिंकी मिश्रा,1,रिचर्ड फाइनमेन,1,रिलायंस इन्फोकाम,1,रीटा शहाणी,1,रेंसमवेयर,1,रेणु कुमारी,1,रेवती रमण शर्मा,1,रोहित रुसिया,1,लक्ष्मी यादव,6,लक्ष्मीकांत मुकुल,2,लक्ष्मीकांत वैष्णव,1,लखमी खिलाणी,1,लघु कथा,288,लघुकथा,1340,लघुकथा लेखन पुरस्कार आयोजन,241,लतीफ घोंघी,1,ललित ग,1,ललित गर्ग,13,ललित निबंध,20,ललित साहू जख्मी,1,ललिता भाटिया,2,लाल पुष्प,1,लावण्या दीपक शाह,1,लीलाधर मंडलोई,1,लू सुन,1,लूट,1,लोक,1,लोककथा,378,लोकतंत्र का दर्द,1,लोकमित्र,1,लोकेन्द्र सिंह,3,विकास कुमार,1,विजय केसरी,1,विजय शिंदे,1,विज्ञान कथा,79,विद्यानंद कुमार,1,विनय भारत,1,विनीत कुमार,2,विनीता शुक्ला,3,विनोद कुमार दवे,4,विनोद तिवारी,1,विनोद मल्ल,1,विभा खरे,1,विमल चन्द्राकर,1,विमल सिंह,1,विरल पटेल,1,विविध,1,विविधा,1,विवेक प्रियदर्शी,1,विवेक रंजन श्रीवास्तव,5,विवेक सक्सेना,1,विवेकानंद,1,विवेकानन्द,1,विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक,2,विश्वनाथ प्रसाद तिवारी,1,विष्णु नागर,1,विष्णु प्रभाकर,1,वीणा भाटिया,15,वीरेन्द्र सरल,10,वेणीशंकर पटेल ब्रज,1,वेलेंटाइन,3,वेलेंटाइन डे,2,वैभव सिंह,1,व्यंग्य,2075,व्यंग्य के बहाने,2,व्यंग्य जुगलबंदी,17,व्यथित हृदय,2,शंकर पाटील,1,शगुन अग्रवाल,1,शबनम शर्मा,7,शब्द संधान,17,शम्भूनाथ,1,शरद कोकास,2,शशांक मिश्र भारती,8,शशिकांत सिंह,12,शहीद भगतसिंह,1,शामिख़ फ़राज़,1,शारदा नरेन्द्र मेहता,1,शालिनी तिवारी,8,शालिनी मुखरैया,6,शिक्षक दिवस,6,शिवकुमार कश्यप,1,शिवप्रसाद कमल,1,शिवरात्रि,1,शिवेन्‍द्र प्रताप त्रिपाठी,1,शीला नरेन्द्र त्रिवेदी,1,शुभम श्री,1,शुभ्रता मिश्रा,1,शेखर मलिक,1,शेषनाथ प्रसाद,1,शैलेन्द्र सरस्वती,3,शैलेश त्रिपाठी,2,शौचालय,1,श्याम गुप्त,3,श्याम सखा श्याम,1,श्याम सुशील,2,श्रीनाथ सिंह,6,श्रीमती तारा सिंह,2,श्रीमद्भगवद्गीता,1,श्रृंगी,1,श्वेता अरोड़ा,1,संजय दुबे,4,संजय सक्सेना,1,संजीव,1,संजीव ठाकुर,2,संद मदर टेरेसा,1,संदीप तोमर,1,संपादकीय,3,संस्मरण,730,संस्मरण लेखन पुरस्कार 2018,128,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन,1,सतीश कुमार त्रिपाठी,2,सपना महेश,1,सपना मांगलिक,1,समीक्षा,847,सरिता पन्थी,1,सविता मिश्रा,1,साइबर अपराध,1,साइबर क्राइम,1,साक्षात्कार,21,सागर यादव जख्मी,1,सार्थक देवांगन,2,सालिम मियाँ,1,साहित्य समाचार,98,साहित्यम्,6,साहित्यिक गतिविधियाँ,216,साहित्यिक बगिया,1,सिंहासन बत्तीसी,1,सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी,1,सी.बी.श्रीवास्तव विदग्ध,1,सीताराम गुप्ता,1,सीताराम साहू,1,सीमा असीम सक्सेना,1,सीमा शाहजी,1,सुगन आहूजा,1,सुचिंता कुमारी,1,सुधा गुप्ता अमृता,1,सुधा गोयल नवीन,1,सुधेंदु पटेल,1,सुनीता काम्बोज,1,सुनील जाधव,1,सुभाष चंदर,1,सुभाष चन्द्र कुशवाहा,1,सुभाष नीरव,1,सुभाष लखोटिया,1,सुमन,1,सुमन गौड़,1,सुरभि बेहेरा,1,सुरेन्द्र चौधरी,1,सुरेन्द्र वर्मा,62,सुरेश चन्द्र,1,सुरेश चन्द्र दास,1,सुविचार,1,सुशांत सुप्रिय,4,सुशील कुमार शर्मा,24,सुशील यादव,6,सुशील शर्मा,16,सुषमा गुप्ता,20,सुषमा श्रीवास्तव,2,सूरज प्रकाश,1,सूर्य बाला,1,सूर्यकांत मिश्रा,14,सूर्यकुमार पांडेय,2,सेल्फी,1,सौमित्र,1,सौरभ मालवीय,4,स्नेहमयी चौधरी,1,स्वच्छ भारत,1,स्वतंत्रता दिवस,3,स्वराज सेनानी,1,हबीब तनवीर,1,हरि भटनागर,6,हरि हिमथाणी,1,हरिकांत जेठवाणी,1,हरिवंश राय बच्चन,1,हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन,4,हरिशंकर परसाई,23,हरीश कुमार,1,हरीश गोयल,1,हरीश नवल,1,हरीश भादानी,1,हरीश सम्यक,2,हरे प्रकाश उपाध्याय,1,हाइकु,5,हाइगा,1,हास-परिहास,38,हास्य,59,हास्य-व्यंग्य,78,हिंदी दिवस विशेष,9,हुस्न तबस्सुम 'निहाँ',1,biography,1,dohe,3,hindi divas,6,hindi sahitya,1,indian art,1,kavita,3,review,1,satire,1,shatak,3,tevari,3,undefined,1,
ltr
item
रचनाकार: कहानी - भास्कर राव इंजीनियर --- अरुण अर्णव खरे ---
कहानी - भास्कर राव इंजीनियर --- अरुण अर्णव खरे ---
https://lh3.googleusercontent.com/-765rHfvzLiA/XCHODkmEdgI/AAAAAAABGHU/NNkrKZ-3cNojSflM2Jx_kHtnRTmf6qO5QCHMYCw/Arun4_thumb?imgmax=800
https://lh3.googleusercontent.com/-765rHfvzLiA/XCHODkmEdgI/AAAAAAABGHU/NNkrKZ-3cNojSflM2Jx_kHtnRTmf6qO5QCHMYCw/s72-c/Arun4_thumb?imgmax=800
रचनाकार
https://www.rachanakar.org/2020/02/blog-post_64.html
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/
https://www.rachanakar.org/2020/02/blog-post_64.html
true
15182217
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy Table of Content