इटली की लोक कथाएँ–2 : 3 मरजोरम का बरतन // सुषमा गुप्ता

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एक बार एक दवा बेचने वाला था जिसकी पत्नी मर गयी थी। उसके एक बहुत ही सुन्दर सी बेटी थी जिसका नाम था स्टैला डायना । स्टैला सिलाई सीखने के लिये ...

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एक बार एक दवा बेचने वाला था जिसकी पत्नी मर गयी थी। उसके एक बहुत ही सुन्दर सी बेटी थी जिसका नाम था स्टैला डायना ।

स्टैला सिलाई सीखने के लिये रोज एक दरजिन के पास जाया करती थी। उस दरजिन की छत पर बहुत सारे फूलों के पौधों के गमले रखे थे। स्टैला को उन पौधों में से एक मरजोरम का पौधा बहुत अच्छा लगता था सो वह हर शाम को उस पौधे को पानी देने जाती थी।

एक शाम जब वह उस पौधे को पानी दे रही थी तो उसने देखा कि उस छत के सामने की तरफ के छज्जे पर एक कुलीन नौजवान खड़ा खड़ा उसकी तरफ देखे जा रहा था।

एक दिन वह बोला — “स्टैला डायना, स्टैला डायना। तुम्हारे मरजोरम के पौधे पर कितनी पत्तियाँ हैं?”

लड़की बोली — “ओ कुलीन सुन्दर नौजवान, रात में कितने तारे चमकते हैं?”

नौजवान बोला — “तारे तो गिने नहीं जा सकते क्योंकि वे तो बहुत सारे हैं।”

लड़की फिर बोली — “तुमको तो मेरे मरजोरम के पौधे की तरफ देखने की भी हिम्मत नहीं होनी चाहिये।”

एक दिन उस नौजवान ने एक मछली बेचने वाले का रूप रखा और उस दरजिन की खिड़की के नीचे मछली बेचनेे के लिये चला गया।

मछली बेचने वाले की आवाज सुन कर दरजिन ने स्टैला को शाम के खाने के लिये मछली खरीदने के लिये भेजा। लड़की ने एक मछली उठायी और मछली बेचने वाले से पूछा कि वह मछली कितने की है।

नौजवान ने उसकी कीमत बतायी तो वह इतनी ज़्यादा थी कि उसने कहा कि वह वह मछली नहीं खरीदेगी। इस पर वह नौजवान बोला — “अच्छा अगर तुम मुझे एक चुम्बन दोगी तो मैं तुमको यह मछली बिना किसी दाम के दे दूँगा।”

स्टैला ने उसको जल्दी से उसे एक बार चूमा और उसने स्टैला को वह मछली उसकी दरजिन के शाम के खाने के लिये बिना कुछ लिये ही दे दी।

शाम को जब स्टैला छत पर फिर से उन पौधों के बीच में दिखायी दी तो उस नौजवान ने फिर से उससे कहा — “स्टैला डायना, स्टैला डायना। तुम्हारे मरजोरम के पौधे पर कितनी पत्तियाँ हैं?”

स्टैला ने जवाब दिया — “ओ कुलीन सुन्दर नौजवान, रात में कितने तारे चमकते हैं?”

नौजवान ने फिर वही जवाब दिया — “तारे तो गिने नहीं जा सकते क्योंकि वे तो बहुत सारे हैं।”

लड़की फिर बोली — “तुमको तो मेरे मरजोरम के पौधे की तरफ देखने की भी हिम्मत नहीं होनी चाहिये।”

तब उस कुलीन नौजवान ने कहा — “एक छोटी सी मछली के लिये तुमने मुझे इतना सुन्दर चुम्बन दिया।”

अब स्टैला को लगा कि उस नौजवान ने तो उसको बेवकूफ बनाया है तो वह तुरन्त ही वहाँ से हट कर नीचे उस नौजवान को बेवकूफ बनाने के लिये चली गयी।

वहाँ से वह एक आदमी की पोशाक पहन कर निकली। उसने अपनी कमर में एक पेटी भी पहनी। उसकी कमर की पेटी में बहुत सारे सुन्दर जवाहरात जड़े थे। वह एक खच्चर पर चढ़ी और उस नौजवान के सामने गली में चक्कर काटने लगी।

उस नौजवान ने उसकी कमर की पेटी देखी तो बोला — “कितनी सुन्दर पेटी है क्या तुम इसे मुझे बेचोगे?”

आदमी की नकल बनाते हुए वह बोली कि वह उस पेटी को उसे बिना कुछ लिये ही दे देगी। वह नौजवान बोला कि वह उस पेटी को लेने के लिये कुछ भी करने को तैयार है।

वह लड़की बोली — “ठीक है, अगर ऐसा है तो मेरे खच्चर की पूँछ को चूम लो और मैं तुमको यह पेटी दे दूँगा।”

वह लड़का सचमुच में उस पेटी को लेना चाहता था सो उसने चारों तरफ देखा कि कोई उसको देख तो नहीं रहा और यह यकीन करने के बाद कि वाकई उसको कोई नहीं देख रहा था उसने उस लडके के खच्चर की पूँछ को चूम लिया और वह पेटी ले कर चला गया।

अगले दिन उन दोनों ने फिर एक दूसरे को देखा और फिर उसी तरीके से बात शुरू हुई —

“स्टैला डायना, स्टैला डायना। तुम्हारे मरजोरम के पौधे पर कितनी पत्तियाँ हैं?”

स्टैला ने जवाब दिया — “ओ कुलीन सुन्दर नौजवान, रात में कितने तारे चमकते हैं?”

नौजवान ने फिर वही जवाब दिया — “तारे तो गिने नहीं जा सकते क्योंकि वे तो बहुत सारे हैं।”

लड़की फिर बोली — “तुमको तो मेरे मरजोरम के पौधे की तरफ देखने की भी हिम्मत नहीं होनी चाहिये।”

“एक छोटी सी मछली के लिये तुमने मुझे इतना सुन्दर चुम्बन दिया।”

“पेटी को लेने के लिये तुमने भी तो मेरे खच्चर की पूँछ को चूमा।”

यह सुन कर उस नौजवान को जल्दी से कुछ विचार आया सो उसने जल्दी से उस दरजिन के कान में कुछ कहा और उससे उसकी सीढ़ियों के नीचे छिपने की इजाज़त माँग ली।

जब स्टैला सीढ़ियों से नीचे आयी तो वह नौजवान सीढ़ियों से बाहर की तरफ निकला और स्टैला को उसके स्कर्ट से पकड़ कर खींच लिया।

स्टैला चिल्लायी — “मैम मैम, ये सीढ़ियाँ तो मुझे मेरे स्कर्ट से भी पकड़ती हैं।”

उस शाम को छत पर खड़ी हुई स्टैला और अपने छज्जे पर खड़े हुए उस नौजवान में फिर ये बातें हुईं —

“स्टैला डायना, स्टैला डायना। तुम्हारे मरजोरम के पौधे पर कितनी पत्तियाँ हैं?”

स्टैला ने जवाब दिया — “ओ कुलीन सुन्दर नौजवान, रात में कितने तारे चमकते हैं?”

नौजवान ने फिर वही जवाब दिया — “तारे तो गिने नहीं जा सकते क्योंकि वे तो बहुत सारे हैं।”

लड़की फिर बोली — “तुमको तो मेरे मरजोरम के पौधे की तरफ देखने की भी हिम्मत नहीं होनी चाहिये।”

“एक छोटी सी मछली के लिये तुमने मुझे इतना सुन्दर चुम्बन दिया।”

“पेटी को लेने के लिये तुमने भी तो मेरे खच्चर की पूँछ को चूमा।”

“मैम मैम, ये सीढ़ियाँ तो मुझे मेरे स्कर्ट से भी पकड़ती हैं।”

इस बार स्टैला ने जल्दी की। उसने जल्दी से सोचा अब की बार मैं तुमको ठीक करती हूँ।

उसने उस नौजवान के नौकर को कुछ दिया और एक रात वह उसके घर में घुस गयी। वहाँ वह एक सफेद चादर से ढकी हुई हाथ में एक टार्च और एक खुली हुई किताब लिये हुए उसके सामने खड़ी हो गयी।

उसको देख कर तो वह नौजवान डर के मारे काँपने लगा — “ओ मौत, मेरे प्यार, मैं तो अभी जवान हूँ और धीरज वाला हूँ। तुम मेरी चाची के पास जाओ जो लड़ती है और बुढ़िया है।”

स्टैला ने अपने हाथ की टार्च बुझा दी और वहाँ से चली गयी। अगले दिन वे दोनों अपनी पुरानी जगह मिले और बात फिर वहीं से शुरू हुई — “स्टैला डायना, स्टैला डायना। तुम्हारे मरजोरम के पौधे पर कितनी पत्तियाँ हैं?”

स्टैला ने जवाब दिया — “ओ कुलीन सुन्दर नौजवान, रात में कितने तारे चमकते हैं?”

नौजवान ने फिर वही जवाब दिया — “तारे तो गिने नहीं जा सकते क्योंकि वे तो बहुत सारे हैं।”

स्टैला फिर बोली — “तुमको तो मेरे मरजोरम के पौधे की तरफ देखने की भी हिम्मत नहीं होनी चाहिये।”

“एक छोटी सी मछली के लिये तुमने मुझे इतना सुन्दर चुम्बन दिया।”

“पेटी को लेने के लिये तुमने मेरे खच्चर की पूँछ को चूमा।”

“मैम मैम, ये सीढ़ियाँ तो मुझे मेरे स्कर्ट से भी पकड़ती हैं।”

“ओ मौत, मेरे प्यार, मैं तो अभी जवान हूँ और धीरज वाला हूँ। तुम मेरी चाची के पास जाओ जो लड़ती है और बुढ़िया है।”

हाल के इस मजाक पर उस नौजवान ने सोचा बस अब काफी हो गया अब मैं उससे हमेशा के लिये दोस्ती कर लेता हूँ।

उसने अपना यह काम कहते ही कर लिया। वह तुरन्त ही दवा बेचने वाले के पास गया और उससे शादी के लिये स्टैला का हाथ माँगा।

दवा बेचने वाला यह सुन कर बहुत खुश हुआ और तुरन्त ही उनकी शादी भी हो गयी। जब शादी का दिन पास आ रहा था तो स्टैला को डर लगा कि कहीं उसका दुलहा कहीं उससे उसकी पिछली छेड़खानी का बदला न ले।

सो उसने अपने मन में कुछ तय किया। उसने एक ज़िन्दा आदमी जितनी बड़ी पेस्ट्री की एक गुड़िया बनायी जो बिल्कुल उस के जैसी लग रही थी। दिल की जगह उसने लाल रंग मिली फेंटी हुई क्रीम से भरा एक थैला रख दिया।

शादी की रस्म के बाद वह अपने कमरे में चली गयी। वहाँ जा कर उसने वह गुड़िया अपने बिस्तर में रख दी और उसको अपना रात के सोने वाला गाउन और टोपी पहना दी। फिर वह वहीं छिप कर बैठ गयी।

वह नौजवान उस कमरे में आया और बुदबुदाया — “आह, आखिर हम लोग एक साथ हो ही गये। अब वह समय आ गया है जब मैं उससे अपने साथ की गयी सारी शरारतों का सारा बदला चुका लूँगा।”

कह कर उसने एक छुरा निकाला और उस गुड़िया के दिल में घोंप दिया। वह थैला फट गया और उसकी सारी क्रीम निकल कर बाहर फैल गयी, यहाँ तक कि दुलहे के चेहरे पर भी।

“ओह बेचारा मैं, मेरी स्टैला का तो खून भी कितना मीठा है। मै उसे कैसे मार सका? उफ, काश मैं उसे फिर से ज़िन्दा कर सकता।”

सुनते ही स्टैला अपनी छिपी हुई जगह से बाहर निकल आयी और अपनी घंटी जैसी आवाज में बोली — “यह रही तुम्हारी स्टैला। भगवान मुझे बचाये रखे मैं ज़िन्दा हूँ।”

दुलहा तो स्टैला को देख कर बहुत ही खुश हो गया।

“मेरी स्टैला ज़िन्दा है, मेरी स्टैला ज़िन्दा है।” कहते हुए उसने स्टैला को गले से लगा लिया और फिर वह एक साथ मिल जुल कर रहने लगे।

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सुषमा गुप्ता ने देश विदेश की 1200 से अधिक लोक-कथाओं का संकलन कर उनका हिंदी में अनुवाद प्रस्तुत किया है. कुछ देशों की कथाओं के संकलन का  विवरण यहाँ पर दर्ज है. सुषमा गुप्ता की लोक कथाओं की एक अन्य पुस्तक - रैवन की लोक कथाएँ में से एक लोक कथा यहाँ पढ़ सकते हैं. इथियोपिया व इटली की बहुत सी अन्य लोककथाओं को आप यहाँ लोककथा खंड में जाकर पढ़ सकते हैं.

(क्रमशः अगले अंकों में जारी….)

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रचनाकार: इटली की लोक कथाएँ–2 : 3 मरजोरम का बरतन // सुषमा गुप्ता
इटली की लोक कथाएँ–2 : 3 मरजोरम का बरतन // सुषमा गुप्ता
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